शीत ऋतु
मध्य प्रदेश में शीत ऋतु का समय मध्य अक्टूबर से प्रारंभ होकर फरवरी तक रहता है। मध्य अक्टूबर में मानसून के लौटने के बाद भी वायु में आर्द्रता बनी रहती है। राज्य में सबसे अधिक ठंड, दिसम्बर से जनवरी के मध्य होती है।
शीत ऋतु के प्रारंभिक लक्षण- स्वच्छ आकाश, मन्द पवन, हल्की ठंड तथा धूप आदि हैं।
राज्य में पठारी भागों और उच्च भूमियों की अधिकता के कारण पठारी क्षेत्रों में अधिक ठण्ड तथा मैदानी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम ठण्ड पड़ती है।
शीत ऋतु में बंगाल की खाड़ी में नवम्बर के अंतिम सप्ताह से फरवरी के मध्य तक तूफानी मौसमी दशाएँ विकसित हो जाती हैं, जिससे राज्य के दक्षिण-पूर्व में कुछ मात्रा में वर्षा होती है। परिणामस्वरूप, आकाश में बादल छाये रहते हैं एवं वर्षा के कारण दिन का तापमान कम हो जाता है, जिससे ठंड अधिक बढ़ जाती है।
मध्य प्रदेश में शीत ऋतु में लगभग 10 प्रतिशत वर्षा होती है। इस ऋतु में औसत तापमान 22° सेल्सियस तक रहता है, जबकि जनवरी माह का औसत तापमान 10° सेल्सियस तक रहता है।
मध्य प्रदेश राज्य में 21° सेल्सियस की समताप रेखा (Isothermal line) राज्य को उत्तरी एवं दक्षिणी दो भागों में विभाजित करती है। उत्तरी भाग का तापमान अधिक जबकि दक्षिणी भाग का तापमान कम रहता है।
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक ठण्ड जनवरी माह में पड़ती है। राज्य का सबसे अधिक ठण्डा स्थान शिवपुरी एवं मुरैना है, जहाँ जनवरी माह में न्यूनतम तापमान 2 से 4° सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
जलवायु के आधार पर मध्य प्रदेश को चार भागों में विभाजित किया गया है-
मध्य प्रदेश में जलवायु क्षेत्र
- उत्तर का मैदान
- मालवा का पठार
- विंध्य पर्वतीय क्षेत्र
- नर्मदा- सोन घाटी एवं दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र
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