नर्मदा अपवाह तंत्र (मध्य प्रदेश)

नर्मदा अपवाह तंत्र (मध्य प्रदेश)

नर्मदा अपवाह तंत्र मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है, जो 85,930 वर्ग किमी. क्षेत्र पर विस्तृत है। इसका 89.9 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश में विस्तृत है।
नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के 15 जिलो से प्रवाहित होती है। नर्मदा नदी का सम्पूर्ण अपवाह तंत्र वृक्षनुमा प्रणाली (Dendritic Pattern) का है।
नर्मदा नदी प्रायद्वीपीय भारत की अन्य नदियों के विपरीत (कावेरी को छोड़कर) सदावाहिनी है। इसका मुख्य कारण रेह मिट्टी की उपस्थिति है जिसमें पानी सोखने की क्षमता कम होती है।
नर्मदा नदी मैकाल पर्वत श्रेणी के समीप अमरकंटक पहाड़ी से निकलती है। यह दक्षिण में सतपुड़ा और उत्तर में विंध्याचल पर्वत श्रेणियों के मध्य भ्रंश घाटी से प्रवाहित होती हुई गुजरात में स्थित भडौंच के समीप कैम्बे (खम्भात) की खाड़ी (अरब सागर) में मिल जाती है।

narmada-apvah-tantra-madhya-pradesh

नर्मदा नदी के अन्य नाम
• मैकालसुता • साखिरी • सामोदेवी • रेवा • सोमप्रभा • शिवपुत्री • निबुद्धा • क्वांरी • कावेरी (ओंकारेश्वर में पड़ता है) • नामदासो (टॉल्मी)

भ्रंश घाटी से प्रवाहित होने के कारण नर्मदा नदी में अवसादों का अभाव है, जिसके कारण यह अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण न करके 27 किमी. लम्बी ज्वारनदमुख (Estuary) का निर्माण करती है। अरब सागर में गिरने वाली यह नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है, जिसकी कुल लम्बाई 1312 किमी. है। यह मध्य प्रदेश राज्य में 1077 किमी. की दूरी तय करती है।
नर्मदा नदी भारत की हृदय रेखा और मध्य प्रदेश की जीवन रेखा है। यह राज्य की प्रथम नदी है, जिसे वर्ष 2017 में जीवित नदी का दर्जा प्राप्त हुआ है।
मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी की सर्वाधिक 41 सहायक नदियाँ हैं, जिनमें से 22 बायीं ओर की तथा 19 दायीं ओर की सहायक नदियाँ हैं।
नर्मदा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ
बायीं ओर की नदियाँ दायीं ओर की नदियाँ
• बरनार • बंजर • हिरण • हथनी
• शेर • शक्कर • तिन्दोली • बरना
• दूधी • देनवा • चन्द्रकेशर • कन्हार
• तवा • गंजाल • मान • ऊटी
नमामि देवि नर्मदे यात्रा
मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी के संरक्षण एवं शुद्धिकरण के उद्देश्य से 11 दिसम्बर, 2016 को नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से नमामि देव नर्मदे यात्रा का शुभारंभ किया गया था। इस यात्रा में 148 दिनों तक लगभग 16 जिलों में 3,350 कि.मी. की दूरी तय की गई जिसका समापन 15 मई, 2017 को हुआ।
नर्मदा नदी से संबंधित पुस्तकें
पुस्तक लेखक
सौंदर्य की नदी नर्मदाअमृतलाल वेगड़
अमृतस्य नर्मदाअमृतलाल वेगड़
तीरे-तीरे नर्मदाअमृतलाल वेगड़
नर्मदा तुम कितनी सुंदर होअमृतलाल वेगड़
नर्मदा समग्रस्व. अनिल माधव दवे
जंगल रहे ताकि नर्मदा बहेपंकज श्रीवास्तव
अथ नदी कथाश्री हरिकृष्ण देवसरे
नर्मदा रिवर ऑफ ब्यूटीअमृतलाल वेगड़
द नर्मदा रिवर ऑफ ज्वॉयअमृतलाल वेगड़
नर्मदे हर, हर नर्मदेश्री सुहास लिमये
नर्मदा परिक्रमापं. रामप्रसाद पाठक
नर्मदा की धारा सेश्री शिव कुमार तिवारी और श्री गोविंद प्रसाद मिश्र
संस्कृति-स्त्रोतस्विनी नर्मदाडॉ. अयोध्या प्रसाद द्विवेदी
पानी उतर गयाश्री के.एस. तिवारी

शक्कर नदी

शक्कर नदी नर्मदा की प्रमुख सहायक नदी है, जो छिदवाड़ा की अमरवाड़ा तहसील के समीप सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से निकलती है और नरसिंहपुर जिले से प्रवाहित होती हुई नर्मदा नदी में बायीं ओर से मिल जाती है।
सतपुड़ा श्रेणी में स्थित प्रमुख कोयला क्षेत्र शक्कर नदी के आस-पास विस्तृत है।
शक्कर नदी पर नरसिंहपुर जिले में चिंकी परियोजना प्रस्तावित है। नर्मदा एवं शक्कर नदी के संगम पर भगवान शिव का प्राचीन संगनेश्वर महादेव मंदिर नरसिंहपुर जिले में स्थित है।

सीतारेवा नदी

नर्मदा की सहायक सीतारेवा नदी का उद्गम छिंदवाड़ा जिले के छिंद क्षेत्र से होता है। यह गाडरवारा (नरसिंहपुर) के समीप नर्मदा नदी में मिल जाती है। इस नदी का स्थानीय नाम वाराही गंगा है, जिस पर सावलखेड़ा बाँध (छिंदवाड़ा) निर्माणाधीन है।

तवा नदी

यह नदी मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले की महादेव पर्वत श्रेणी की कालीभीत पहाड़ियों से निकलती है। जो इटारसी और नरसिंहपुर जिले से प्रवाहित होती हुई विस्तृत रूपधारण कर लेती है और बांद्रामान के समीप नर्मदा नदी में मिल जाती है।
इसकी कुल लम्बाई 172 किमी. है। देनवा, मालिनी एवं सुखतवा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। तवा नदी पर डचेस, अप्सरा, बी फॉल, जमुना तथा रजत जलप्रपात आदि स्थित हैं।

Post a Comment

Post a Comment (0)

Previous Post Next Post