ग्रीष्म ऋतु (मध्य प्रदेश) | Grishm Ritu (Madhya Pradesh)

ग्रीष्म ऋतु

मध्य प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव मार्च से मध्य जून तक रहता है। इस अवधि से सूर्य की स्थिति उत्तरायण होने से तापमान में वृद्धि होने लगती है तथा वायु दाब कम होने लगता है। जिसके परिणामस्वरूप मई माह के अन्त तक राज्य के लगभग सभी भागों में भीषण गर्मी पड़ने लगती है।
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राज्य का सबसे गर्म महीना मई होता है। मई महीने का औसत मासिक तापमान लगभग 40° सेल्सियस रहता है। पठारी भागों में दिन का तापमान बढ़ता है, किन्तु रात्रि के समय कम हो जाता है। जिससे इस क्षेत्र का मौसम सुहाना रहता है, जबकि मैदानी भागों में आर्द्रता अधिक होने के कारण इस मौसम में उमस भरी गर्मी पड़ती है, जिससे मौसम कष्टदायी हो जाता है।

  • मध्य प्रदेश राज्य का सबसे गर्म स्थान भिण्ड हैं, जो औसत रूप से सर्वाधिक गर्म जिला है।
  • वर्ष 1995 में गंजबासौदा (विदिशा जिला) का तापमान 48.9° सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था, जो अब तक मध्य प्रदेश का सबसे अधिक तापमान वाला स्थान है।
  • मई माह में मध्य प्रदेश के उत्तरी भागों में शुष्क व गर्म पछुआ पवनें चलती हैं, जिन्हें लू (LOO) कहते हैं।
  • मानसून के आगमन से पूर्व बंगाल की खाड़ी में स्थानीय विक्षोभ (Local Disturbance) के कारण मई माह में विनाशकारी चक्रवात विकसित हो जाते हैं।
  • इन चक्रवातों का प्रभाव तटीय क्षेत्रों (Coastal Region) में अधिक होता है, परन्तु धरातलीय भाग के अंदर की ओर बढ़ने के साथ ही इनकी तीव्रता और प्रभाव दोनों में क्रमशः कमी आने लगती है।

बंगाल की खाड़ी के चक्रवातों का मार्ग उत्तर-पश्चिम होने से इसका प्रभाव मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व भागों में अधिक पड़ता है, जहाँ इनकी गति 40 से 50 किमी./घंटा होती है। ये चक्रवात मेघ गर्जन, तेज हवाएँ और तूफानी वर्षा उत्पन्न करते हैं जिसके कारण इनके प्रभाव से फसलों की अधिक क्षति होती है।

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