गंगा अपवाह तंत्र
गंगा अपवाह तंत्र मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है, जो राज्य के उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी जिलों में विस्तृत है। इसके अन्तर्गत आंशिक रूप से राज्य के मध्य-पश्चिमी भाग सम्मिलित हैं। इसका कुल अपवाह क्षेत्र 2,02,070 वर्ग किमी. है। इस अपवाह तंत्र की अधिकांश नदियाँ उत्तर की ओर प्रवाहित होती हैं।
गंगा अपवाह तंत्र के तीन उपतंत्र | ||
क्र. | उपतंत्र | नदियाँ |
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1. | यमुना | चम्बल, सिंध, जामनी, बेतवा, धसान, केन, पैसुनी, बैथान आदि |
2. | टोंस | बीहर, ओदा, महान आदि |
3. | सोन | जोहिला, बनास, गोपद, रिहंद, कन्हार आदि |
चम्बल
- चम्बल नदी मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में स्थित महू के निकट विंध्य श्रेणी की जानापाव पहाड़ी के बांचू बिन्दु से निकलती है।
- यह उत्तर-पूर्व से पूर्व दिशा में क्रमश: उज्जैन, श्योपुर, भिण्ड एवं मुरैना जिलों में प्रवाहित होती हुई इटावा (उत्तर प्रदेश) के समीप यमुना नदी में मिल जाती है। चम्बल नदी मध्य प्रदेश व राजस्थान के मध्य प्राकृतिक सीमा बनाती है। इसके अतिरिक्त यह यमुना नदी के साथ लश्कर (ग्वालियर) के मैदान की सीमा बनाती है।
चम्बल नदी के अन्य नाम: चर्मवती, धर्मावती, कामधेनु, रतिदेव की कीर्ति पूर्णा।
- यह मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है, जिसका कुल अपवाह क्षेत्र 43,200 वर्ग किमी. एवं कुल लम्बाई 965 किमी. है। मध्य प्रदेश में इसकी लम्बाई 325 किमी. है। इस नदी को पश्चिमी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अपवाह क्षेत्र के अन्तर्गत मध्य प्रदेश के इन्दौर, धार, रतलाम, मन्दसौर, श्योपुर, मुरैना, भिण्ड आदि जिले सम्मिलित हैं। चम्बल की सहायक नदियाँ काली सिन्ध, क्षिप्रा, पार्वती, कूनो, क्वांरी, कुंद (गुना), कुराई, बामनी हैं।
- चम्बल एक अध्यारोपित नदी (Superimposed River) है, जो अपने मध्य भाग में उत्खात भूमि वाली भू-आकृति का निर्माण करती है, जिसे चम्बल खड्ड (Ravine of Chambal) कहा जाता है। मध्य प्रदेश में इस प्रकार के खड्ड (बीहड़) ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, तथा राजस्थान के भरतपुर एवं धौलपुर के निकटवर्ती भागों में पाये जाते हैं।
क्षिप्रा नदी
- क्षिप्रा नदी की उत्पत्ति मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में स्थित काकड़ी बड़दी गांव के पास बणेश्वर कुंड से होती है। यह पवित्र नदी रतलाम, उज्जैन और मंदसौर जैसे जिलों से होकर बहती है, और इसे 'मालवा की गंगा' के नाम से भी प्रसिद्धि प्राप्त है। उज्जैन से उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हुई यह नदी अंततः राजस्थान के कोटा के निकट चम्बल नदी में आकर समाहित हो जाती है।
- इसकी कुल लम्बाई 195 किमी. है, जो इन्दौर तथा उज्जैन में 13,200 वर्ग किमी. क्षेत्र पर विस्तृत है।
क्षिप्रा नदी के अन्य नाम : पूर्ण सलिला, पापहरिणी, मोक्षदायिनी, अवन्ति, अमृतसंभवा, ज्वरहनी, कनक शृंगा, प्रलोक्य तथा सोमवती।
- महाकालेश्वर मन्दिर (उज्जैन), त्रिवेणी घाट, रामघाट, नृसिंह घाट, गऊ घाट, दत्त अखाड़ा, चिंतामन गणेश मन्दिर, सिंहवट, भर्तृहरि गुफा, कालभैरव मंदिर, संदीपनी आश्रम, कालिया देह महल, राम जर्नादन मंदिर आदि इसी नदी के तट पर स्थित हैं। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन में प्रत्येक 12 वर्षों के पश्चात् सिंहस्थ महाकुम्भ मेले का आयोजन होता है।
तुम्बड़ नदी
तुम्बड़ नदी मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के लामगरा से निकलती है, जो 30 किमी. की दूरी तय करने के पश्चात् पीघारखेड़ी (मंदसौर) के समीप चम्बल नदी में मिल जाती है। इस नदी के किनारे मढ़ (अफजलपुर), खड़ेरिया मारू व पाड़लिया मारू जैसी प्रागैतिहासिक बस्तियाँ स्थित हैं।
बेतवा नदी
- बेतवा नदी यमुना की प्रमुख सहायक एवं बुन्देलखण्ड पठार की सबसे प्रमुख नदी है, जो मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुमरागाँव से निकलती है। यह उत्तरी-पूर्वी दिशा में प्रवाहित होती हुई हमीरपुर (उत्तर प्रदेश) के समीप यमुना नदी में मिल जाती है। इसका जल ग्रहण क्षेत्र पूर्वी मालवा है।
बेतवा नदी के अन्य नाम : बेत्रवती, शिव की पुत्री, वेस, विन्ध्याटवी।
- इसकी कुल लम्बाई 480 किमी. है, जो मध्य प्रदेश में 380 किमी. की लम्बाई में प्रवाहित होती है। इसका कुल जलग्रहण क्षेत्र 43,895 वर्ग किमी. है, जिसमें 30,217 वर्ग किमी. मध्य प्रदेश में है। इसके अन्तर्गत प्रदेश के विदिशा, अशोकनगर, टीकमगढ़, गुना आदि जिले आते हैं।
- धसान, बेस, बीना, जामनी, केन आदि इसकी मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
- बेतवा नदी को मध्य प्रदेश की गंगा तथा बुंदेलखण्ड की जीवन रेखा के नाम से भी जाना जाता है, जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की प्राकृतिक सीमा बनाती है। देवगढ़ इसी नदी के किनारे स्थित है, जिसे बेतवा का आइलैण्ड कहा जाता है।
केन नदी
- केन नदी का उद्गम कटनी जिले की रीठी तहसील के समीप कैमूर पहाड़ी (दमोह पहाड़ी) से हुआ है। यह पन्ना जिले के दक्षिणी क्षेत्र में प्रवेश करने के पश्चात् पन्ना और छतरपुर 'जिले की सीमा बनाती हुई बाँदा (उत्तर प्रदेश) जिले में प्रवेश करती है तथा यहीं पर चिला गाँव के समीप भोजहा नामक स्थान पर यमुना नदी से मिल जाती है।
मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इसे सबसे शुद्ध नदी का दर्जा दिया गया है।
केन नदी के अन्य नाम : शुक्तिमती, दिर्णावती, कर्णवती, श्रवेनी कैनास।
- केन नदी की कुल लंबाई 427 किमी. है जिसमें 292 किमी. मध्य प्रदेश में, 51 किमी. मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की सीमा पर तथा 84 किमी. उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती है।
- श्यामरी, व्यारमा, मिढ़ासन, सोनार, बेवस, बघनेरी, बाना, उर्मिल आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। पाण्डव जल प्रपात का निर्माण भी केन तथा इसकी सहायक नदियों से हुआ है।
- केन नदी में शजर नामक बहुमूल्य पत्थर पाया जाता है, जो पन्ना, अजयगढ़ से लेकर बाँदा के कनवारा गाँव तक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- केन नदी की सहायक रनगवां नदी पर रनगवां बाँध बनाया गया है। (वर्ष 1957 निर्मित) पन्ना बाघ आरक्षित क्षेत्र के मध्य केन व सिमरी नदी के संगम पर गंगऊ बाँध (1901-1915 निर्मित), तथा बरियारपुर बाँध निर्मित किये गये हैं।
सिन्ध नदी
सिन्ध नदी मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित सिरोज के समीप एक ताल से निकल कर इटावा (उत्तर प्रदेश) के समीप यमुना नदी में मिल जाती है। इस नदी में वर्ष भर जल रहता है। वर्षा ऋतु में इसमें भयंकर बाढ़ आती है।
नन, कुंद एवं माहूर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। सिन्ध नदी गुना जिले को दो भागों में विभाजित करती है।
काली सिन्ध नदी
काली सिन्ध चम्बल नदी की सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश के देवास जिले में स्थित बागली गाँव के समीप अमोदिया (विंध्याचल श्रेणी) से निकलती हैं।
यह मध्य प्रदेश के उत्तरी जिले शाजापुर और राजगढ़ से प्रवाहित होती हुई नौनेरा (राजस्थान) नामक स्थान पर चम्बल नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 150 किमी. है। देवास इसके किनारे स्थित प्रमुख नगर है।
टोंस/तमसा नदी
टोंस नदी मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित मैहर (कैमूर पहाड़ी) से निकलकर उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती हुई प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के सिरसा नामक स्थान पर गंगा नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 320 किमी. है।
सोन नदी
सोन नदी गंगा नदी के दायीं ओर से मिलने वाली प्रमुख सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक पहाड़ी से निकलती है। यह नदी अमरकंटक पहाड़ी के उत्तरी किनारे पर जलप्रपातों की श्रृंखला का निर्माण करती है तथा उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई आरा (बिहार) के समीप राम नगर (दानापुर) में गंगा नदी में मिल जाती है।
सोन नदी के अन्य नाम : नंद, सोन, सुवर्ण, सोनपालिका, सुभाग्दि, शोणभद्र, सोआ (टॉलमी द्वारा प्रदत्त), हिरण्यवाह।
इसकी कुल लम्बाई 780 किमी. है, जबकि मध्य प्रदेश में इसकी लम्बाई 509 किमी. है और इसका अपवाह क्षेत्र 17,900 किमी. है।
घग्घर, जोहिला (सोन की प्रधान सहायक नदी), गोपद, रिहंद, कन्हार, उत्तरी कोइल आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
सोन नदी गंगा के दक्षिणी भाग में मिलने वाली सबसे बड़ी नदी है, जो कैमूर श्रेणी एवं छोटा नागपुर पठार के मध्य सीमा बनाती है।
सोन नदी में दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाये जाते हैं। इसमें सोन घड़ियाल अभयारण्य भी स्थित है।
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