मुगल काल (मध्य प्रदेश)
इस लेख में मध्य प्रदेश में मुगल शासन के प्रभाव को दर्शाया गया है, जिसमें बाबर, हुमायूँ, अकबर और औरंगजेब के सैन्य अभियान शामिल हैं। चंदेरी का युद्ध (1528), मंदसौर की लड़ाई, मालवा पर कब्जा (1561-62) और धरमत युद्ध (1658) जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है, जिसने इस क्षेत्र के इतिहास को प्रभावित किया।
मध्य प्रदेश का इतिहास मुगल शासन के दौरान महत्वपूर्ण राजनीतिक और सैन्य घटनाओं से भरा हुआ है। बाबर से लेकर औरंगजेब तक, मुगलों ने इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए कई युद्ध लड़े।
बाबर का शासन और चंदेरी का युद्ध (1528 ई.)
1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद बाबर ने मध्य प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रों—ग्वालियर, चंदेरी और कालपी पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। 1528 ई. में चंदेरी का युद्ध हुआ, जिसमें बाबर ने चंदेरी के राजा मेदिनी राय को पराजित कर दिया। इस युद्ध के बाद मेदिनी राय की पुत्रियों का विवाह बाबर के पुत्र हुमायूँ और कामरान से कर दिया गया। इसके साथ ही, कालिंजर का दुर्ग भी मुगलों के नियंत्रण में आ गया।
गुजरात के बहादुर शाह और मुगलों का संघर्ष
बाबर ने मंदसौर के युद्ध में गुजरात के शासक बहादुर शाह को पराजित कर पश्चिमी मध्य प्रदेश पर अपना शासन स्थापित किया। हालाँकि, हुमायूँ के शासनकाल में बहादुर शाह ने मालवा पर पुनः अधिकार कर लिया था, लेकिन हुमायूँ ने उसे हराकर मालवा को फिर से मुगल साम्राज्य में मिला लिया। इसी दौरान, कालिंजर के चंदेल राजा ने भी हुमायूँ की अधीनता स्वीकार कर ली।
अकबर का मालवा पर अधिकार (1561-62 ई.)
मालवा के शासक बाजबहादुर पर अकबर ने 1561-62 ई. में आक्रमण किया। इस अभियान का नेतृत्व अकबर के सेनापति अदमखान (अधम खान) और पीर मुहम्मद खान ने किया। सारंगपुर की लड़ाई में बाजबहादुर को पराजित किया गया, जिसके बाद उसकी रानी रूपमती ने आत्मदाह कर लिया। इस विजय के साथ ही मालवा भी मुगल साम्राज्य का एक अभिन्न हिस्सा बन गया।
औरंगजेब की विजय: धरमत का युद्ध (1658 ई.)
1658 ई. में शाहजहाँ के पुत्र दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच मध्य प्रदेश के उज्जैन के पास धरमत का युद्ध हुआ। इस युद्ध में औरंगजेब ने दारा शिकोह को पराजित कर मुगल साम्राज्य की सत्ता अपने हाथ में ले ली। इस युद्ध के बाद औरंगजेब ने स्वयं को मुगल बादशाह घोषित कर दिया और दिल्ली की गद्दी पर बैठने का मार्ग प्रशस्त किया।
मुगल काल में मध्य प्रदेश का राजनीतिक और सैन्य दृष्टि से विशेष महत्व रहा। यह क्षेत्र कई महत्वपूर्ण युद्धों और संघर्षों का केंद्र बना रहा, जिसने भारत के इतिहास को नई दिशा दी। चंदेरी, मालवा और उज्जैन जैसे स्थानों पर हुए युद्धों ने मुगलों की शक्ति को और मजबूत किया और इस क्षेत्र को मुगल प्रशासनिक व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बना दिया।
2. मध्य प्रदेश का इतिहास
- पुरापाषाण काल
- मध्यपाषाण काल
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- ताम्रपाषाण काल
- मालवा की ताम्रपाषाण संस्कृति
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- मालवा में स्वतंत्र मुस्लिम सल्तनत की स्थापना
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