मध्य प्रदेश के प्रमुख व्यक्तित्व MCQ
(a) श्वेता राय
(b) मेघा परमार
(c) हंसाबेन राठौर
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के सीहोर जिले की मेघा परमार विश्व की पहली महिला हैं, जिन्होंने 4 महाद्वीप के शिखरों को फतह किया है और अब 147 फीट (45 मीटर) टेक्निकल स्कूबा डाइविंग की है। वर्ष 2019 में मेघा ने माउंट एवरेस्ट फतेह किया था, अब समुद्र के भीतर 45 मीटर की गहराई तक डाइविंग की है।
विशेष: मेघा मध्य प्रदेश शासन के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी हैं।
(a) पार्वती आर्य
(b) कीर्ति सिंह
(c) बुलबुल पांजरे
(d) ज्योति रात्रे
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के हरदा जिले की ज्योति रात्रे अफ्रीका महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर तिरंगा लहराने में सफल हुई हैं। इससे पहले ज्योति रूस के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एलब्रुस पर 52 साल की उम्र में चढ़ाई करने वाली सबसे उम्रदराज महिला का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं।
(a) जागृति अवस्थी
(b) जितेंद्र वर्मा
(c) चेतन सोलंकी
(d) वर्षा अग्रवाल
व्याख्या: (c) सोलर मैन ऑफ इंडिया और सोलर गांधी के रूप में लोकप्रिय प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी को मध्य प्रदेश में सोलर एनर्जी का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी भोपाल से सोलर एनर्जी स्वराज यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। श्री सोलंकी अगले 11 वर्ष तक मध्य प्रदेश के साथ देशभर में जागरूकता अभियान चलाएंगे।
(a) सुरजीत लोधी
(b) आशीष चांदोरकर
(c) रमेश मेंदोला
(d) सत्येंद्र सिंह लोहिया
व्याख्या: (b) भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन के अपने स्थायी मिशन में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के आशीष चांदोरकर को निदेशक के पद पर नियुक्त किया है। मूलतः इंदौर के रहने वाले आशीष इन दिनों पुणे में रहते हैं। ध्यातव्य है कि यह पहला अवसर है जब सरकार ने किसी निजी क्षेत्र के व्यक्ति को ये जिम्मेदारी दी है। इस पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद आशीष अगले तीन वर्ष तक स्विट्जरलैंड के जिनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ के मुख्यालय में रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
(a) ज्योति रात्रे
(b) पलक मुछाल
(c) नाजमीन शाह
(d) सुश्री सारिका घारू
व्याख्या: (d) राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकायों एवं त्रि-स्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन-2021 में निर्वाचन के प्रति मतदाताओं में जन-जागरूकता लाने के लिये जिला होशंगाबाद की अध्यापिका सुश्री सारिका घारू को राज्य स्तरीय ब्राण्ड एंबेसडर नियुक्त किया है।
(a) खाज्या नायक
(b) भीमा नायक
(c) टंट्या भील
(d) शंकर शाह
व्याख्या: (c) वर्ष 1842 में पूर्वी निमाड़ (वर्तमान खंडवा) में जन्मे टंट्या भील को भीलों का रॉबिन हुड या इंडियन रॉबिन हुड के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त उनके कार्यों ने उन्हें "भीलों का मसीहा" नाम से भी सुशोभित किया है। टंट्या मामा के नाम से भी पहचाने जाने वाले टंट्या की प्रकृति उनके नाम की तरह ही थी। वस्तुतः टंट्या शब्द का अर्थ 'झगड़ा' होता है।
टिप्पणी: वर्ष 1857 से लेकर वर्ष 1889 तक टंट्या भील ने अंग्रेजों से कड़ा संघर्ष किया। अपनी 'गुरिल्ला युद्ध नीति' के तहत उन्होंने अंग्रेजों पर हमला कर किसी परिंदे की तरह ओझल होने की रणनीति अपनाई। मध्य प्रदेश के हीरो 'टंट्या मामा' के जीवन पर आधारित फिल्म "टंट्या भील" भी बनाई जा चुकी है।
(a) 4 दिसंबर 1889, खंडवा
(b) 6 दिसंबर 1889, खरगौन
(c) 4 दिसंबर 1889, जबलपुर
(d) 6 दिसंबर 1889, नीमच
व्याख्या: (c) आदिवासी समुदाय के बीच 'मामा' के रूप में भी जाने जाने वाले 'टंट्या मामा' को खंडवा अदालत में 19 अक्टूबर, 1889 को फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि 4 दिसंबर, 1889 को जबलपुर जेल में फांसी दी गई। फांसी के बाद टंट्या के शव को इंदौर के निकट खंडवा रेल मार्ग पर स्थित पातालपानी (कालापानी) रेलवे स्टेशन के पास ले जाकर फेंक दिया गया था।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश के हीरो 'टंट्या मामा' के जीवन पर आधारित फिल्म "टंट्या भील" भी बनाई जा चुकी है। फिल्म का लेखन और निर्देशन प्रदेश के मुकेश चौकसे ने किया है। साथ ही फिल्म में टंट्या भील का किरदार भी मुकेश चौकसे ने निभाया है।
(a) लल्ली वसिष्ठ
(b) मलाई सनाढ्य
(c) रानी लक्ष्मीबाई
(d) तात्या टोपे
व्याख्या: (d) टंट्या की वीरता और अदम्य साहस के कारण तात्या टोपे ने प्रभावित होकर टंट्या को गुरिल्ला युद्ध पद्धत्ति में पारंगत बनाया था, जबकि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से प्रेरणा लेकर अन्याय का विरोध करते थे।
विशेष: वर्ष 2021 में इंदौर स्थित पाताल पानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या भील किए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई है। टंट्या की कर्मस्थली इंदौर के निकट पाताल पानी में उनका स्मारक बनाया जा रहा है। खंडवा जेल का नाम भी शहीद टंट्या भील के नाम पर रखा गया है। वर्ष 2008 से राष्ट्रीय टंट्या भील सम्मान का भी आरंभ हुआ जिसके प्रथम विजेता राजाराम मौर्य थे।
(a) मधु सिंह
(b) गणपत पटेल
(c) ईश्वरी प्रसाद
(d) अन्नू ठाकुर
व्याख्या: (b) टंट्या भील ने 15 वर्ष की आयु में 1857 की क्रांति में हिस्सा लिया किंतु कालांतर में उन्हें पहली बार गिरफ्तार कर लिया गया। किंतु 24 नवंबर 1878 को टंट्या जेल की दीवार तोड़कर भाग निकले। फिर उन्होंने अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ लोगों को संगठित करने का कार्य शुरू किया। उन्हें पकड़ने के लिए ₹10,500 का इनाम रखा गया। इसी क्रम में टंट्या के साथ विश्वासघात हुआ और राखी पर्व के दौरान "गणपत पटेल" ने बहिन सुरेखा से राखी बंधवाने के बहाने टंट्या को उसके घर बुलाया। जब टंट्या ने हाथ आगे किया तो पहले से ही घर में छिपे अंग्रेजों ने टंट्या को पकड़कर हथकड़ी पहना दी।
विशेष: टंट्या को गिरफ्तार करने वाली ब्रिगेड का नेतृत्व मेजर ईश्वरी प्रसाद ने किया।
(a) 11 अप्रैल
(b) 12 अप्रैल
(c) 13 अप्रैल
(d) 14 अप्रैल
व्याख्या: (a) क्रांतिकारी वीर योद्धा खाज्या नायक ने जनजातीय भील समुदाय की ओर से वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान बड़वानी क्षेत्र में बागडोर संभाली। वहीं 11 अप्रैल 1858 को बड़वानी और सिलावद के बीच स्थित आमल्यापानी गांव में अंग्रेज सेना और इस भील सेना की मुठभेड़ हो गयी।
टिप्पणी: अंग्रेज सेना के पास आधुनिक शस्त्र थे, जबकि भील अपने परम्परागत शस्त्रों से ही मुकाबला कर रहे थे। प्रात: आठ बजे से शाम तीन बजे तक यह युद्ध चला। इसमें खाज्या नायक के वीर पुत्र दौलतसिंह सहित अनेक योद्धा शहीद हो गए।
1. खाज्या का जन्म वर्ष 1840 में हुआ था।
2. कैप्टेन बर्च से अपमानित होने के बाद इन्होंने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया।
उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें-
(a) 1 और 2
(b) केवल 1
(c) केवल 2
(d) नतो 1 नहीं 2
व्याख्या: (c) कथन 1 असत्य, जबकि कथन 2 सत्य है। खाज्या नायक का जन्म वर्ष 1830 में खरगोन जिले के 'सांगली ग्राम' में हुआ था। इनके पिता गामान नायक अंग्रेज चौकीदार थे।
वर्ष 1831 से 1851 तक खाज्या ने भी सेंधवा-जामली चौकी में कार्य किया। जब भारत में अंग्रेजों के खिलाफ 1857 ई. में विद्रोह शुरू हुआ, तो ब्रिटिश अधिकारियों ने कई पूर्व सैनिकों और खाज्या को फिर से काम पर वापिस बुलाया। किंतु एक अंग्रेज अधिकारी कैप्टेन बर्च ने उन्हें अपमानित किया। उनके रूप, रंग और अस्मिता पर बहुत खराब टिप्पणियां कीं जिससे क्षुब्ध होकर खाज्या ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
(a) ₹500
(b) ₹1000
(c) ₹5000
(d) ₹10000
व्याख्या: (b) खाज्या नायक जेल से भागने के बाद बड़वानी में जाकर क्रांतिकारी नेता भीमा नायक से मिले, जो रिश्ते में उनके बहनोई लगते थे। यहीं से इन दोनों की जोड़ी बनी जिसने भीलव गौंड़ की सामूहिक सेना बनाकर निमाड़ क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध सेना खड़ा कर दी। इस दौरान शासन ने खाज्या नायक और भीमा नायक को पकड़ने के बहुत प्रयास किए और इन्हें पकड़ने के लिए इन पर ₹1000 का इनाम भी घोषित कर दिया।
(a) 22 मील
(b) 24 मील
(c) 26 मील
(d) 36 मील
व्याख्या: (b) खाज्या नायक अंग्रेजों की भील पलटन में एक साधारण सिपाही थे और उन्हें सेंधवा-जामली चौकी से सिरपुर चैक तक के 24 मील लंबे रास्ते की निगरानी करने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया था। वर्ष 1831 से वर्ष 1851 तक खाज्या नायक ने अपने इस कार्य को पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से किया।
1. दंतेवाड़ा एवं सागर खेड़ा लूटपाट
2. बीजासेन घाट लूटपाट
3. अफीम लूटपाट
उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें-
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1,2 और 3
व्याख्या: (d) उपरोक्त समस्त क्रांतिकारी घटनाओं का संबंध आदिवासी क्रांतिकारी योद्धा खाज्या नायक से है, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से लोहा लेने के अतिरिक्त दंतेवाड़ा एवं सागर खेड़ा में लूटपाट की। वहीं बीजासेन घाट में टेलीफोन का खम्बा गिराकर इंदौर से मुंबई जा रही गाड़ी को रोककर 7 लाख रुपये का शाही खजाना लूटा। इसके अतिरिक्त बीजासेन घाट में भी खाज्या ने अफीम से भरी 60 गाड़ियां लूटी।
(a) जेम्सवर्क
(b) आर. एच. कटिंग्स
(c) कर्नल स्लीमन
(d) जेम्स आउट्रम
व्याख्या: (d) खाज्या नायक को वर्ष 1856-57 में पुन: नौकरी में ले लिया गया, लेकिन खाज्या ने नौकरी छोड़कर भीमा नायक के साथ भीलों की टोलियों को संगठित किया। दोनों ने 1857 की क्रांति का शंखनाद होते ही अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। किन्तु कर्नल आउट्रम जिस पर खाज्या को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी थी, ने धोखे से खाज्या को बंदी बनाकर मौत के घाट उतार दिया।
(a) पंच मोहली
(b) सोडा गढ़ी
(c) पोर्ट ब्लेयर
(d) दुआबा बावड़ी
व्याख्या: (d) भीमा नायक की कर्मस्थली अर्थात बड़वानी जिले के ग्राम दुआवा बावड़ी (धाबा बावड़ी) में इस योद्धा का स्मारक बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद भीमा नायक की स्मृति में वर्ष 2017 में धाबा बावड़ी में प्रेरणा केंद्र भी स्थापित किया गया है।
(a) खाज्या नायक
(b) भीमा नायक
(c) धीर सिंह
(d) विर सागोंड
व्याख्या: (b) 1857 में हुए अंबा पानी युद्ध में भीमा नायक का विशेष योगदान था, जिसमें इन्होंने तीर कमान टुकड़ी का नेतृत्व किया था। अंग्रेज जब भीमा नायक को पकड़ने में असफल रहे तो साजिश के तहत भीमा नायक को 2 अप्रैल 1868 को सतपुड़ा के घने जंगल में पकड़ लिया गया।
टिप्पणी: भीमा नायक की गिरफ्तारी के बाद मुकद्मा खंडवा अदालत में चला जिसमें, उन्हें कालापानी की सजा सुनाई गई। आदिवासी समुदाय के इस योद्धा को अंडमान (पोर्ट ब्लेयर) के कालापानी में 29 दिसंबर 1876 को फांसी दे दी गई।
1. भीमा नायक को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी कर्नल आर. एच. केटिंग्स पर थी।
2. भीमा नायक की मां को खरगोन के मंडलेश्वर दुर्ग में कैद किया गया था।
3. भीमा नायक, खाज्या नायक के भाई थे।
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
व्याख्या: (a) कथन 1 और 2 सत्य है, जबकि कथन 3 असत्य है। वस्तुतः भीमा नायक, ख्याजा नायक के बहनोई (जीजा) थे।
13 फरवरी 1859 को सतपुड़ा के पंचवावली नामक स्थल में हुई मुठभेड़ में भीमा की मां को कैद कर मंडलेश्वर दुर्ग (खरगोन) में रखा गया था, किंतु भीमा चकमा देकर फरार हो गए।
भीमा को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी कर्नल आर.एच.केटिंग्स को सौंपी गई, जिन्होंने 2 अप्रैल 1868 को सतपुड़ा से भीमा नायक को गिरफ्तार कर लिया।
(a) भीमा नायक
(b) खाज्या नायक
(c) रघु नायक
(d) टंट्या भील
व्याख्या: (a) निमाड़ के रॉबिन हुड के नाम से विख्यात भीमा नायक का संबंध भील जनजाति से है, जिनका जन्म मध्य प्रदेश के खरगोन और बड़वानी जिले की सीमा में स्थित पंचमोहली नामक गांव में वर्ष 1840 में हुआ था। भीमा नायक ने 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया था। वर्ष 1857 ई. में भीमा नायक की शक्तिशाली टुकड़ी ने तीर कमान द्वारा संघर्ष करके अंग्रेजी सत्ता को हिलाकर रख दिया था और सेंधवा घाट संघर्ष का प्रमुख स्थल बना। इस संघर्ष में 3000 लोगों के साथ भीमा नायक, खाज्या नायक, मेवासिया, दौलत सिंह, कालू बाबा जैसे वीरों ने लड़ाई लड़ी।
(a) आर. एच. केटिंग्स
(b) आर्सेकिन
(c) रॉबर्टसन
(d) मेजर थॉमसन
व्याख्या: (b) राजा शंकर शाह ने जबलपुर की अंग्रेज छावनी में तैनात भारतीय सैनिकों की सहायता से अंग्रेजों पर आक्रमण किया। किंतु राजा शंकर शाह के महल के कुछ लोग महल की गोपनीय सूचनायें अंगेजों तक पंहुचा रहे थे। अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर आर्सेकिन ने अपने गुप्तचरों (भद् सिंह एवं खुशाल चंद) को साधू के भेष में गढ़पुरवा भेजा, ताकि वो राजा शंकर शाह की तैयारियों की जानकारी ले सकें। फलस्वरूप जबलपुर का डिप्टी कमिश्नर आर्सेकिन, शंकर शाह से संबंधित सभी भेद जान चुका था और 14 सितम्बर 1857 की रात्रि अंग्रेजों ने लगभग 20 घुड़सवार और 40 पैदल सिपाहियों के साथ राजा की हवेली पर धावा बोल दिया और राजा शंकर शाह एवं उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह और उनके साथ 13 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
1. शंकर शाह ने 1857 की क्रांति में जबलपुर से नेतृत्व किया।
2. शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह पिता-पुत्र थे।
3. 18 सितंबर को प्रतिवर्ष शंकर शाह बलिदान दिवस मनाया जाता है।
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
व्याख्या: (d) प्रसिद्ध जनजातीय व्यक्तित्व शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह के संदर्भ में उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं। शंकर शाह का जन्म 1783 ई. में गढ़मंडला में सुमेर शाह के घर में हुआ था। 1857 ई. की क्रांति के समय शंकर शाह एवं उनके पुत्र रघुनाथ शाह कंपनी के पेंशनर के रूप में 'पुरवा' में निवास करते थे। उल्लेखनीय है कि 1857 ई. में जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजिमेंट का कमांडर क्लार्क बहुत क्रूर था। यह देखकर गोंडवाना (वर्तमान जबलपुर) के राजा शंकर शाह ने उसके अत्याचारों का विरोध करने का निर्णय लिया। राजा एवं राजकुमार दोनों अच्छे कवि थे। उन्होंने कविताओं द्वारा विद्रोह की आग पूरे राज्य में सुलगा दी। इसी बीच शंकर शाह ने एक भ्रष्ट कर्मचारी गिरधारीलाल दास को निष्कासित कर दिया था। जबलपुर शहर में अब भी वह स्थान है, जहां पिता-पुत्र को मृत्यु से पूर्व बंदी बनाकर रखा गया था वर्तमान में यह स्थान वन विभाग का जिला कार्यालय है। 18 सितम्बर, 1858 को दोनों को (शंकर शाह रघुनाथ शाह को) अलग-अलग तोप के मुंह पर बांध दिया गया और तोप में आग लगवा दी गई जिससे शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह दोनों ही वीरगति को प्राप्त हुए। अतः प्रतिवर्ष 18 सितंबर को शंकरशाह रघुनाथशाह बलिदान दिवस मनाया जाता है।
(a) भीमा नायक
(b) खाज्या नायक
(c) शंकर शाह
(d) कुंवर शाह
व्याख्या: (c) राजा शंकर शाह की अध्यक्षता में 'पुरवा नामक स्थान' में आसपास के जमीदारों और राजाओं की सभा बुलाई गई जिसमें रानी अवंति बाई भी शामिल हुईं। इसी दौरान राजा शंकर शाह ने सितंबर 1856 ई. में नवरात्रि के दिन अपनी कुलदेवी मां भवानी को प्रार्थना पत्र लिखा, जिसमें अंग्रेजों का नरसंहार करने की कसम खाई। इस क्षेत्र में विद्रोह का प्रचार करने के लिए एक पत्र और दो काली चूड़ियों की एक पुड़िया बनाकर प्रसाद के रूप में वितरित की गई। इस पत्र में लिखा गया 'अंगेजों से संघर्ष के लिए तैयार रहो या चूड़ियां पहनकर घर बैठो'। जिन राजाओं, जमींदारों और मालगुजारों ने पुड़िया स्वीकार कर ली, इसका अर्थ यह था कि अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति में वे अपना समर्थन देंगे।
(a) लाल पदमधर सिंह
(b) बालेश्वर दयाल
(c) बिरसा गोंड
(d) गंजन सिंह कोरकु
व्याख्या: (b) 5 सितंबर 1905 ई. को उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्मे मामा बालेश्वर दयाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ-साथ प्रसिद्ध समाजवादी चिंतक एवं गांधीवादी नेता थे। इन्होंने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया, इन्होंने झाबुआ जिले के आदिवासियों के उत्थान हेतु विशेष कार्य किया। मामा बालेश्वर दयाल द्वारा किये गए अनेक सामाजिक कार्यों के फलस्वरूप इन्हें भीलों का गांधी' और 'गरीबों का मसीहा' एवं 'गुरू मामा' उपनाम से जाना जाता है। वर्ष 1998 में झाबुआ में ही मामा बालेश्वर दयाल की मृत्यु हो गई।
टिप्पणी: मामा बालेश्वर दयाल द्वारा वर्ष 1937 में झाबुआ के बामनिया में डूंगर विद्यालय एवं भील आश्रम की स्थापना की थी। झाबुआ में ही इन्होने आधुनिक शिक्षा केंद्र, सामुदायिक भवन आदि का निर्माण किया साथ ही बेगार प्रथा की मुक्ति हेतु विशेष प्रयास किये थे।
(a) अमझेरा
(b) सतना
(c) भोपाल
(d) रीवा
व्याख्या: (d) धीर (धीरज) सिंह का जन्म रीवा राज्य के ग्राम कछिया टोला (कृपालपुर) में हुआ था। वह रीवा राज्य के युवराज रघुराज सिंह के मित्र थे, किंतु 1837 में राज्य से निष्कासित कर दिये गये थे। वस्तुतः रघुराज सिंह द्वारा किसी की ऋण माफी के आदेश को राजा ने निरस्त कर दिया था, जिसका उन्होंने विरोध किया था। हालांकि बाद में उन्हें वापस बुला लिया गया और सौ रूपये मासिक वेतन पर न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
टिप्पणी: धीर सिंह बघेल 17 वर्ष की आयु में लाहौर भी गए और रणजीत सिंह के यहां पर नौकरी की किंतु शंकर शाह से भेंट के पश्चात 1857 की क्रांति में हिस्सा लिया।
विशेष: धीर सिंह को 'महाराज कुमार लाल धीरज सिंह' के नाम से संबोधित किया जाता था। इसी नाम से वह नाना पेशवा को पत्र लिखते थे। 16 फरवरी को उन्होंने नाना पेशवा को पत्र लिखकर सूचना दी कि वह एजेंट के विरुद्ध हो गये हैं। पत्र में उन्होंने नानाजी को धर्मरक्षक कहा है। उल्लेखनीय है कि तात्या टोपे के 'चरखारी अभियान' में धीर सिंह ने उनका साथ दिया था।
(a) शहडोल
(b) बैतूल
(c) झाबुआ
(d) अलीराजपुर
व्याख्या: (b) गंजन सिंह कोरकू का जन्म बैतूल जिले के घोड़ा डोंगरी में हुआ था। गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के आह्वान पर घोड़ा डोंगरी (बैतूल) में वर्ष 1930 में जंगल सत्याग्रह का आंदोलन गंजन सिंह कोरकू के द्वारा इनके नेतृत्व में किया गया। इसी जंगल सत्याग्रह में गंजन सिंह कोरकू के साथ इनके साथी बंजारी सिंह कोरकू ने भी अपने प्राणों का बलिदान किया।
(a) 9 अगस्त 1942
(b) 11 अगस्त 1940
(c) 12 अगस्त 1942
(d) 15 अगस्त 1940
व्याख्या: (c) कृपालपुर (सतना) में जन्म लेने वाले एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र और स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीद 'लाल पद्मधर सिंह' एवं उनके साथियों द्वारा 12 अगस्त 1942 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रदर्शन किया जा रहा था। ज्ञात हो कि इस प्रदर्शन के दौरान 12 अगस्त की सुबह ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों की टोली का नेतृत्व नयनतारा सहगल और लाल पद्मधर कर रहे थे। उस दौरान तिरंगा लेकर सबसे आगे कृपालपुर गढ़ी के पद्मधर सिंह थे। सामने से गोलियां चल रही थीं लेकिन उनके कदम नहीं रुके। सीने में गोली लगने के बाद वह शहीद हो गए।
(a) लाल पदमधर सिंह
(b) बिरजू गोंड
(c) धीर सिंह
(d) बिरसा गोंड
व्याख्या: (d) आदिवासी जननायक बिरसा गोंड एवं सतपुड़ा अंचल के आदिवासी योद्धा क्रांतिकारी सरदार विष्णु सिंह उड़के ने स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूती और प्रेरक नेतृत्व प्रदान किया और 19-22 अगस्त 1942 को हजारों आदिवासियों के साथ शाहपुर रेलवे स्टेशन और घोड़ा डोंगरी के सरकारी बस डिपो को फूंक दिया था। इसी आंदोलन में अंग्रेजों की गोलीबारी से बेहरीढाना (बैतूल) के सपूत बिरसा गोंड शहीद हो गए थे। उल्लेखनीय है, कि उन दिनों बेहरीढाना आंदोलन का केंद्र बिंदु था।
(a) पिथौरा
(b) बैगा चित्रकला
(c) मंडवी
(d) गोंड चित्रकला
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के रहने वाले पेमा फल्या भील जनजाति की कला 'पिथौरा चित्रकला' हेतु प्रसिद्ध रहे हैं। पेमा फल्या को वर्ष 1986 इस कला हेतु शिखर सम्मान प्रदान किया गया था। ध्यातव्य हो की 5 अप्रैल 2020 को इस प्रसिद्ध चित्रकार का निधन हो गया।
टिप्पणी: पिथौरा चित्रकला भील जनजाति की एक विशिष्ट कला है। इसमें ध्वनि सुनना एवं उसे आकृति के रूप में उकेरने की अद्भुत कला का प्रदर्शन किया जाता है।
(a) शहडोल
(b) उमरिया
(c) झाबुआ
(d) अलीराजपुर
व्याख्या: (b) जोधईया बाई का जन्म 1 जनवरी 1950 को उमरिया जिले के लोरहा (लोढा) ग्राम में हुआ था। इनकी प्रसिद्ध चित्रकारी का प्रदर्शन भारतीय परंपरागत आर्ट गैलरी के आयोजन में इटली के मिलान में, फ्रांस के पेरिस शहर में आयोजित आर्ट गैलरी में तथा इंग्लैंड, अमेरिका एवं जापान आदि देशों में किया जा चुका है।
(a) नृत्यांगना
(b) शिल्पकार
(c) चित्रकार
(d) साहित्यकार
व्याख्या: (c) वर्ष 2021 की पद्मश्री विजेता और प्रसिद्ध चित्रकार भूरी बाई का जन्म 'झाबुआ के पिटोल' गांव में हुआ था। वह भील जनजाति से संबंधित हैं। भूरी बाई 'पिथौरा चित्रकला' की एक प्रसिद्ध चित्रकार हैं। उन्हें मध्य प्रदेश शासन से इसके पूर्व भी सर्वोच्च शिखर सम्मान पुरस्कार वर्ष 1986-87 में तथा अहिल्या सम्मान वर्ष 1998 में प्राप्त हो चुका है।
टिप्पणी: विद्यार्थियों को संघर्ष की यह कहानी प्रेरणा देगी की 52 वर्षीया भूरीबाई ने भारत भवन में मजदूरी से शुरुआत की और प्रसिद्ध कलाकार जे. स्वामीनाथन के कहने पर कागज पर चित्रों को उकेरना शुरू किया। फिलहाल वे मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय, भोपाल से कलाकार के रूप में जुड़ी हैं।
1. इनका जन्म वर्ष 1962 में पाटन गढ़ में हुआ था।
2. जंगगढ़ सिंह श्याम एक प्रसिद्ध नर्तक थे।
3. जंगगढ़ सिंह श्याम को वर्ष 1986 में शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया।
उपरोक्त में से सत्य कथनों का चुनाव करें-(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
व्याख्या: (c) कथन दो असत्य है, जबकि शेष दोनों कथन सत्य हैं। वस्तुतः जंगगढ़ सिंह श्याम एक अग्रणी भारतीय चित्रकार थे, जिन्हें 'जनगढ़ कलाम' नामक भारतीय कला के एक नए स्कूल के निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है। जंगगढ़ सिंह श्याम का जन्म डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ में वर्ष 1962 में हुआ था। वह गोंड जनजाति की उपजाति 'परधान' गोंड से थे। जंगगढ़ सिंह श्याम के चित्रों में गोड देवताओं की प्रमुखता रही है। उनके कार्य को भोपाल, दिल्ली, टोक्यो और न्यूयॉर्क सहित दुनिया भर में व्यापक रूप से प्रदर्शित किया गया है। जंगगढ़ सिंह श्याम को वर्ष 1986 में शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। इस महान चित्रकार का देहांत वर्ष 2001 में जापान में स्थित मिथिला संग्रहालय में हुआ।
टिप्पणी: जे. एस. स्वामीनाथन ने फरवरी 1982 में भारत भवन की उद्घाटन प्रदर्शनी में जंगगढ़ की पहली नमूना पेंटिंग का प्रदर्शन किया।
विशेष: जंगगढ़ सिंह श्याम की प्रमुख चित्रकारी कृतियां अग्रानुसार हैं-
- मैजिशियन्स डेलाटेरे
- शिल्प संग्रहालय
- लैंडस्केप विद स्पाइडर
(a) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष
(b) अखिल भारतीय सहकारी संघ के अध्यक्ष
(c) तेंदूपत्ता नीति हेतु बनी समिति के अध्यक्ष
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध आदिवासी शख्सियत दिलीप सिंह भूरिया का जन्म झाबुआ जिले में 18 जून 1944 को हुआ था। वे 6 बार सांसद रहे। वे अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे। दिलीप सिंह भूरिया अखिल भारतीय सहकारी संघ के अध्यक्ष भी रहे। दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में तेंदूपत्ता नीति बनाने के लिए भूरिया कमेटी बनाई गई जिसकी अनुशंसा पर मध्य प्रदेश में तेंदूपत्ता नीति लागू हुई थी। दिलीप सिंह भूरिया का स्वर्गवास 24 जून 2015 को हुआ।
(a) वर्ष 1999
(b) वर्ष 2001
(c) वर्ष 2003
(d) वर्ष 2010
व्याख्या: (b) जमुना देवी का जन्म धार जिले के सरदारपुर में 19 नवंबर 1929 को हुआ था। इन्हें बुआ जी के नाम से भी जाना जाता है। जमुना देवी 1998 में ग्यारहवीं विधानसभा में मध्य प्रदेश की प्रथम महिला उपमुख्यमंत्री तथा मध्य प्रदेश की प्रथम महिला नेता प्रतिपक्ष भी रहीं हैं। जमुना देवी को वर्ष 2001 में भारत ज्योति सम्मान से सम्मानित किया गया। साथ ही इन्हें वर्ष 2003 में संसदीय जीवन के 50 वर्ष पूर्ण करने पर 'संसदीय जीवन सम्मान' भी प्रदान किया गया। श्रीमती जमुना देवी की मृत्यु 24 सितंबर 2010 को हुई।
(a) भोपाल
(b) विदिशा
(c) नीमच
(d) उज्जैन
व्याख्या: (b) बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं बाल श्रम के विरुद्ध संघर्ष करने वाले कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी 1954 को मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में हुआ था। इन्होंने वर्ष 1980 में "बचपन बचाओ आंदोलन" की शुरुआत की। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यौन शोषण और बाल तस्करी के उन्मूलन के लिए कार्य कर रहे हैं।
टिप्पणी: श्री कैलाश जोशी को वर्ष 2014 में 'नोबेल शांति पुरस्कार' प्रदान किया गया था। ज्ञात हो कि यह पुरस्कार उन्हें पाकिस्तान की नारी शिक्षा कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई के साथ सम्मिलित रूप से प्रदान किया गया था।
विशेष: कैलाश सत्यार्थी को प्राप्त अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कार एवं सम्मान:
- 2007: अमेरिका के स्टेट विभाग द्वारा 'आधुनिक दासता को समाप्त करने के लिये कार्यरत नायक' का सम्मान
- 2008: अल्फांसो कोमिन अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार (स्पेन)
- 2009: डिफेंडर्स ऑफ डेमोक्रेसी पुरस्कार (अमेरिका)
- 2015: हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित पुरस्कार "ह्युमेनीटेरियन पुरस्कार" से सम्मानित। यह पुरस्कार सबसे पहले भारत में सत्यार्थी को प्राप्त हुआ है।
(a) रामदास
(b) मूलशंकर
(c) रामतनु पांडे
(d) रामसुख
व्याख्या: (c) प्रसिद्ध संगीत सम्राट तानसेन का मूल नाम रामतनु पांडे था। इन्हें तन्ना नाम से भी जाना जाता था। तानसेन का जीवन वृत्तांत किंवदंतियों से पूर्ण है। ब्राह्मण परिवार में जन्मे रामतनु पांडे के जन्म से लेकर भी अलग-अलग मत हैं, किंतु निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि संगीत सम्राट तानसेन का जन्म 1506 ई. में ग्वालियर के बेहट नाम गांव में हुआ था।
टिप्पणी:
तानसेन के पिता का नाम मकरंद पांडे था। मकरंद पांडे को मुकुंद पांडे, मुकंद मिश्रा या मुकुंद राम से भी जाना जाता था। मकरंद पांडे एक समृद्ध कवि और निपुण संगीतकार थे, जो कुछ समय के लिए बनारस (वाराणसी) में एक हिंदू मंदिर के पुजारी थे।
तानसेन की पत्नि 'हुसैनी' रानी मृगनयनी की दासी थी। हुसैनी का वास्तविक नाम प्रेमकुमारी था। तानसेन की पत्नि प्रेमकुमारी का परिवार मुस्लिम धर्म में दीक्षित हुए एवं प्रेमकुमारी का इस्लामी नाम हुसैनी रखा गया। ब्राह्मण कन्या होने के कारण उसे हुसैनी ब्राह्मणी कहकर पुकारा जाता था, इसी से तानसेन का घराना हुसैनी घराना कहा जाने लगा था।
तानसेन के चार पुत्र हुए-सूरतसेन, तानतरंग खां (तरंगसेन), विलास खां, शरतसेन प्रथम तीन संगीतकार के रूप में प्रसिद्ध हुए एवं एक पुत्री 'सरस्वती' नाम से थी।
(a) फिल्म अभिनेता
(b) कहानीकार
(c) उर्दू शायर
(d) सामाजिक कार्यकर्ता
व्याख्या: (a) प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता राजीव वर्मा का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। राजीव वर्मा दो दशकों से अधिक समय से काम कर रहे हैं और वह ज्यादातर फिल्मों में पिता का अभिनय करते हैं। उनका टेलिविजन करियर सीरियल "चुनौती" (1987-88) के साथ शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कॉलेज प्रिंसिपल का किरदार निभाया था।
(a) टीकमगढ़
(b) सागर
(c) बुरहानपुर
(d) जबलपुर
व्याख्या: (d) प्रसिद्ध जादूगर आनंद का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर 3 जनवरी 1952 को हुआ था। 6 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला शो छत्तीसगढ़ के रायपुर में किया था। वे अब तक भारत के अलावा विश्व के 36 देशों में जादू के 30 हजार शो कर चुके हैं। जादूगर आनंद के बेटे आकाश भी अपने पिता की तरह जादू में पारंगत हैं।
नोट:
भारत के इतिहास में पहला जादूगर मोहम्मद छैल को माना जाता है।
टिप्पणी:
जादूगर आनंद पहले हाथी और अन्य जंगली जानवरों को गायब करने का करिश्मा दिखाया करते थे लेकिन, अब सभी के सामने स्टेच्यू लिबर्टी को गायब करने का करिश्मा दिखाते हैं। इसके अलावा वे चलती फिल्म के पर्दे में समा जाते हैं और उसके कलाकारों को पर्दे से निकलकर मंच पर ला खड़ा कर देते हैं। वे किसी व्यक्ति को दो टुकड़े में काटकर फिर जोड़ देते हैं और ममी को जिंदाकर हवा में विलीन कर देते हैं।
(a) जबलपुर
(b) सागर
(c) नरसिंहपुर
(d) होशंगाबाद
व्याख्या: (c) आशुतोष राणा का वास्तविक नाम आशुतोष रामनारायण नखरा है। श्री आशुतोष का जन्म 10 नवंबर 1967 को मध्य प्रदेश के गाडरवारा, नरसिंहपुर जिले में हुआ था। ये एक प्रसिद्द भारतीय हिंदी फिल्म अभिनेता हैं तथा ये बॉलीवुड के साथ-साथ मराठी, कन्नड़, तेलुगू और तमिल फिल्म उद्योगों में भी कार्य कर रहे हैं।
(a) मूर्तिकला
(b) चित्रकला
(c) संगीत कला
(d) नृत्य कला
व्याख्या: (c) उस्ताद नासिर हुसैन मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के निवासी थे, जो एक प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक थे। विरासत से संगीत कला को प्राप्त करने वाले उस्ताद नासिर हुसैन ग्वालियर घराने से संबंधित थे। शास्त्रीय संगीत की गुरू-शिष्य परंपरा में प्रत्येक गुरू एवं उस्ताद अपने हाव-भाव, कला अपने शिष्यों को देता जाता है।
विशेष:
संगीत घराना का आशय एवं इनका विकास- संगीत घराना, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विशिष्ट शैली है। वस्तुतः हिंदुस्तानी संगीत विशाल भौगोलिक क्षेत्र में विस्तृत है, कालांतर में इसमें अनेक भाषाई तथा शैलीगत बदलाव आए हैं और इन्हीं विविधताओं ने संगीत घरानों को जन्म दिया। घराना किसी क्षेत्र विशेष का प्रतीक होने के अलावा, संगीत की व्यक्तिगत विशेषताओं से संबंधित होता है। यह परंपरा ज्यादातर संगीत शिक्षा के पारंपरिक तरीके तथा संचार सुविधाओं के अभाव के कारण फली फूली, क्योंकि इन परिस्थितियों में शिष्य की पहुंच संगीत की अन्य शैलियों तक नहीं बन पाती थी।
(a) होशंगाबाद
(b) दतिया
(c) भोपाल
(d) विदिशा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के भोपाल जिले के निवासी उर्दू शायर बशीर बद्र का जन्म 15 फरवरी 1936 को कानपुर में हुआ था किंतु इनका प्रारंभिक जीवन भोपाल में गुजरा। इनका पूरा नाम सैयद मोहम्मद बशीर है। डॉ. बशीर बद्र 56 साल से हिंदी और उर्दू में देश के सबसे मशहूर शायर हैं।
टिप्पणी:
डॉ. बशीर बद्र को वर्ष 1999 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
विशेष:
डॉ. बशीर बद्र के मशहूर शेर-
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाये ।
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिंदा न हों।
जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौंसला नहीं होता।
(a) कुंजीलाल दुबे
(b) माखनलाल चतुर्वेदी
(c) शंकर लक्ष्मण
(d) अनिल काकोडकर
व्याख्या: (d) वर्ष 1943 में बड़वानी में जन्मे अनिल काकोडकर को साइंस मैन (विज्ञान पुरुष) के रूप में जाना जाता है। श्री अनिल काकोडकर एक भारतीय परमाणु वैज्ञानिक हैं। नवंबर 2009 तक वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव थे। इसके पूर्व वे वर्ष 1996 से 2000 तक भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक थे, उल्लेखनीय है कि श्री अनिल भारतीय रिजर्व बैंक में भी निदेशक रह चुके हैं।
(a) ग्वालियर
(b) आगरा
(c) दिल्ली
(d) फतेहपुर सिकरी
व्याख्या: (b) संगीत सम्राट तानसेन की 1589 ई. में आगरा के समीप हुई थी। तानसेन के गायन शैली के बारे में कहा जाता है, कि उनके 'दीपक राग' गाने से दीपक जल उठ जाते थे और 'मेघराग' गाने से वर्षा होने लगती थी।
टिप्पणी:
तानसेन की मृत्यु की घटना के संदर्भ में किंवदंती है कि तानसेन से ईर्ष्या रखने वाले दरबारियों ने सम्राट अकबर को तानसेन से दीपक राग गाने के लिये प्रोत्साहित करने को कहा। जिसका परिणाम यह हुआ, तानसेन के दीपकराग गाने से दरबार के वातावरण में गर्मी बढ़ने से अग्निमय माहौल से तानसेन का शरीर जल गया। अंतत: कुछ महीनों पश्चात ज्वर से पीड़ित होने के बाद तानसेन की मृत्यु हो गयी।
(a) मियांलाल
(b) मोहम्मद गौस
(c) रामचंद्र
(d) स्वामी हरिदयाल
व्याख्या: (b) तानसेन के मुख्य गुरू मोहम्मद गौस थे। मोहम्मद गौस एक सूफी संत एवं संगीतकार थे। तानसेन ने मोहम्मद गौस से मुलाकात के बाद सूफी संगीत का गायन शुरु किया था। कई वर्ष उनके साथ संगीत सीखने के बाद उन्होंने ब्रजभाषा में गायन शुरु किया था।
विशेष:
मोहम्मद गौस की मृत्यु आगरा में हुई थी, लेकिन उन्हें दफन ग्वालियर में किया गया था। मोहम्मद गौस के मकबरे का निर्माण सम्राट अकबर ने 1606 ई. में कराया था। मुस्लिम गुरू और हिंदु शिष्य तानसेन (रामतनु पांडे) के अनूठे प्रेम का प्रतीक मोहम्मद गौस का मकबरा विश्व का एकमात्र ऐतिहासिक स्मारक है, जहां देश-विदेश के गायक व संगीतकार मन्नत मांगने आते हैं।
(a) आगरा
(b) दिल्ली
(c) ग्वालियर
(d) जबलपुर
व्याख्या: (c) संगीतज्ञ तानसेन का मकबरा ग्वालियर के 'बेहट' के समीप अपने गुरू मोहम्मद गौस के मकबरे के समीप स्थित है।
टिप्पणी:
अकबरनामा के अनुसार तानसेन की मृत्यु अकबरी शासन में 34 वें वर्ष अर्थात संवत 1646 में आगरा में हुई थी। उनका अंतिम संस्कार भी संभवतः वहीं पर यमुना तट पर किया गया होगा। कुछ इतिहास संदर्भों के अनुसार तानसेन की मृत्यु 6 मई 1589 ई. को हुई थी।
(a) उज्जैन
(b) चंदेरी
(c) भोपाल
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (d) तानसेन संगीत समारोह या तानसेन समारोह प्रतिवर्ष दिसंबर माह में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के बेहट ग्राम में आयोजित किया जाता है। यह समारोह 4 दिनों तक चलता है, जिसमें विश्व प्रसिद्ध कलाकार और संगीतज्ञ यहां भारतीय संगीतज्ञ उस्ताद तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं। तानसेन समारोह का आयोजन उस्ताद अलाउद्दीन खान कला एवं संगीत अकादमी और मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।
विशेष:
तानसेन समारोह मूल रूप से एक स्थानीय त्योहार हुआ करता था। लेकिन पूर्व केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री बालाकृष्णा विश्वनाथ केसकर की पहल पर तानसेन समारोह को एक लोकप्रिय राष्ट्रीय संगीत समारोह के रूप में आयोजित किया जाने लगा। इस समारोह में वर्ष 1980 से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तानसेन सम्मान की स्थापना की गई। प्रथम तानसेन सम्मान हीराबाई बड़ोदकर, पं. कृष्ण राव एवं बिस्मिल्लाह खान को प्रदान किया गया था।
(a) राजा रामचंद्र
(b) राजा मानसिंह
(c) अकबर
(d) दौलत खां
व्याख्या: (a) रामतनु पांडे को तानसेन की उपाधि राजा रामचंद्र ने प्रदान की थी।
विशेष:
तानसेन की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के प्रसिद्ध संगीतकारों के सानिध्य में पूर्ण हुई। इसके पश्चात तानसेन ग्वालियर से वृंदावन चले गये, जहां उन्हें स्वामी हरिदास से संगीत की उच्च शिक्षा प्राप्त हुई। वृंदावन जाने से पूर्व आरंभिक काल में ग्वालियर पर कलाप्रिय नरेश मानसिंह तोमर का शासन था। राजा के प्रोत्साहन से ग्वालियर संगीत कला केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध था।
(a) सम्राट अकबर
(b) राजा मानसिंह
(c) शेरशाह सूरी
(d) दौलत खां
व्याख्या: (d) संगीत शिक्षा में पारंगत होने के उपरांत तानसेन को सबसे पहले दौलत खां का आश्रय प्राप्त हुआ।
(a) राजा मानसिंह
(b) सम्राट अकबर
(c) राजा रामचंद्र
(d) दौलत खां
व्याख्या: (b) तानसेन को नवरत्न की उपाधि सम्राट अकबर ने प्रदान की थी। अकबर ने उन्हें अपने दरबार के नवरत्नों में स्थान दिया था।
विशेष:
वृंदावन के स्वामी हरिदास से तानसेन ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की इसके उपरांत सर्वप्रथम दौलत खां के आश्रय में रहे, लेकिन कुछ ही समय पश्चात वे बांधवगढ़ (रीवा) के राजा रामचंद्र के दरबारी गायक नियुक्त हुए। सम्राट अकबर ने तानसेन के गायन से मंत्र मुग्ध होकर रामचंद्र को संदेश के माध्यम से अपने दरबार में संयुक्त करने के लिये सूचना भेजी और तानसेन को लाने हेतु जलाल खां को भेजा। तत्पश्चात राजा रामचंद्र ने तानसेन को उपहार स्वरूप सम्राट अकबर के दरबार मे भेज दिया।
(a) वायलिन
(b) बांसुरी
(c) पखावज
(d) सरोद
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश को विश्व में ख्याति दिलाने वाले उस्ताद अलाउद्दीन खां मुख्य रूप से सरोद वादन में सुप्रसिद्ध थे। हालांकि इन्होंने विभिन्न गुरुओं से वायलिन, बांसुरी, पखावज, शहनाई बजाने में भी निपुणता हासिल की।
विशेष:
उस्ताद अलाउद्दीन खां ने उस्ताद अली अहमद खां एवं रामपुर के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ उस्ताद वजीर खां से सरोद वादन सीखा।
(a) बीजापुर
(b) मैहर
(c) ग्वालियर
(d) इंदौर
व्याख्या: (b) उस्ताद अलाउद्दीन खां ने मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर को अपनी कर्मस्थली बनाया।
विशेष:
अलाउद्दीन खां का जन्म वर्ष 1862 में तत्कालीन भारत (वर्तमान बांग्लादेश) के ब्रह्मबरिया जिले के नबीनगर तहसील के शिबपुर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम सबदर हुसैन खान उर्फ साधु खां व माता हरसुंदरी थी। इनके बचपन का नाम 'आलम' था। अलाउद्दीन के बड़े भाई फकीर अफ्ताबुद्दीन खां ने इन्हे संगीत की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही दी।
टिप्पणी:
महाराज ब्रजनाथ सिंह को निमंत्रण पर उस्ताद अलाउद्दीन खां मैहर आये और इसको अपनी कर्मस्थली बनाया। इनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1972 को हुई थी।
(a) वर्ष 1950
(b) वर्ष 1952
(c) वर्ष 1958
(d) वर्ष 1971
व्याख्या: (b) वर्ष 1952 में अलाउद्दीन खां को भारतीय संगीत में आजीवन विशेष योगदान देने के परिणामस्वरूप प्रतिष्ठित सम्मान 'संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप' प्रदान की गई।
टिप्पणी:
वर्ष 1971 में भारत सरकार ने उस्ताद अलाउद्दीन को दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण और इसके पूर्व वर्ष 1958 में ही देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
(a) कुमार गंधर्व
(b) अलाउद्दीन खां
(c) अहमद अली खां
(d) उस्ताद अफिस अली खां
व्याख्या: (b) उस्ताद अलाउद्दीन खां 'अलाउद्दीन बाबा' के नाम से भी जाने जाते थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फैली बीमारियों से पूरे विश्व के साथ-साथ भारत में हजारों लोग मृत्यु का शिकार हुए और कई बच्चे अनाथ हुए। ऐसे अनाथ 28 बालकों को उस्ताद अलाउद्दीन खां ने आश्रय देकर उन्हें संगीत की शिक्षा दी और वर्ष 1917 में मैहर बैंड का गठन किया गया। इस बैंड की स्थापना मैहर के तत्कालीन राजा ब्रजनाथ सिंह के अनुग्रह पर हुई थी। कुछ समय बाद इस बैंड में 100-150 अनाथ बालक शामिल हो गए।
विशेष:
विद्यार्थियों के लिए सुखद और रोचक जानकारी यह भी है कि उस्ताद अलाउद्दीन खां जितनी लगन से कुरान शरीफ पढ़ते थे, उतनी ही तन्मयता से भागवत और रामायण का पाठ भी करते थे। उस्ताद अलाउद्दीन मां शारदा के भी अनन्य भक्त थे।
(a) वर्ष 1973
(b) वर्ष 1976
(c) वर्ष 1979
(d) वर्ष 1981
व्याख्या: (c) 18 अप्रैल 1979 को उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी की स्थापना की गई। उन्होंने नये-नये रागों सहित नलतरंग, सुरसितार, चंद्रसारंग आदि वाद्य यंत्रों का आविष्कार किया। संगीत कला में इनके अतुल्य योगदान एवं अक्षय कीर्ति को चिरस्मृति में बनाये रखने के लिए उनके नाम पर संगीत अकादमी की स्थापना की गई।
विशेष:
उस्ताद अलाउद्दीन खां को तानसेन संगीत समिति से 'आफताब-ए-हिंद', भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय (लखनऊ) से 'संगीताचार्य', और कलकत्ता संगीत संस्था से 'भारत गौरव' की उपाधियों से सम्मानित किया गया। 6 सितंबर 1972 को इनका निधन हुआ।
टिप्पणी:
संगीत अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष मैहर में उस्ताद अलाउद्दीन खां की स्मृति में समारोह आयोजित किया जाता है। अकादमी समय-समय पर लुप्तप्राय और दुर्लभ संगीत वाद्य यंत्रों का अस्तित्व एवं प्रचलन बढ़ाने के लिए वाद्य विनोद समारोह का आयोजन करती है। इसके अलावा अकादमी ध्रुपद समारोह, चक्रधर समारोह, रायगढ़ अमीर खां समारोह (इंदौर), अलाउद्दीन खां व्याख्यान माला, कथक प्रसंग आदि का आयोजन भी करती है।
(a) कुमार स्वामी
(b) शिवपुत्र
(c) रविशंकर
(d) अमरजीत
व्याख्या: (b) भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ कुमार गंधर्व का वास्तविक नाम शिवपुत्र है। इनका जन्म 8 अप्रैल 1924 को कर्नाटक के बेलगाम जिले के सुलेभावी गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री सिद्धारमैया था। इनका पूरा नाम शिवपुत्र सिद्धारमैया कोमकलीमथ था। इनका निधन 12 जनवरी 1992 में मध्य प्रदेश के देवास जिले में हुआ।
विशेष:
इन्होंने लगभग 400 गीतों का संग्रहण किया और संगीत में नए-नए प्रयोगों के साथ नए रागों का निर्माण किया। भजन गायन के क्षेत्र में उनका कबीर-सूर-मीरा के भजनों पर आधारित त्रिवेणी गायन बहुत प्रसिद्ध है। वे एक समन्वयवादी विचारधारा के संगीत कलाकार थे। उन्होंने 'अनूपराग विलास' की रचना की थी।
(a) इंदौर
(b) उज्जैन
(c) ग्वालियर
(d) देवास
व्याख्या: (d) वर्ष 1948 में कुमार गंधर्व क्षयरोग (टी.बी.) से ग्रसित होने पर चिकित्सक के सुझाव पर स्वास्थ्य लाभ के लिए समशीतोष्ण जलवायु क्षेत्र में रहने के लिए दक्षिण से मध्य प्रदेश के इंदौर में आगमन के बाद देवास में बस गए और इसे अपनी कर्मस्थली बनाया।
विशेष:
कुमार गंधर्व में आत्मान्वेषण और निर्भीक प्रयोगशीलता की आत्मीय प्रवृत्ति थी। इसलिए उनको 'संगीत जगत का कबीर' कहकर भी पुकारा जाता है।
(a) मालवा पुत्र उत्सव
(b) शिवपुत्र उत्सव
(c) अमृत उत्सव
(d) देवास उत्सव
व्याख्या: (c) कुमार गंधर्व की स्मृति में देवास में अमृत उत्सव आयोजित किया जाता है। कुमार गंधर्व को मध्य प्रदेश शासन का शिखर शासन, कालिदास सम्मान, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एवं भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण भी प्रदान किया गया है।
विशेष:
इन्होंने महात्मा गांधी के जीवन दर्शन पर आधारित गांधी मल्हार प्रस्तुत किया और कबीर की रचनाओं को आधार बनाकर इन्होंने मालवी लोक गीतों का गायन किया। संगीत क्षेत्र में इनके अमूल्य योगदान को सम्मानित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने संगीत के क्षेत्र में युवाओं के बीच रचनात्मकता को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 1992-93 में कुमार गंधर्व पुरस्कार की स्थापना की गई।
(a) खजुराहो
(b) रायगढ़
(c) बस्तर
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (b) सांगीतिक कालजयी व्यक्तित्व और संगीत मर्मज्ञ महाराजा चक्रधर की स्मृति में चक्रधर समारोह छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में उत्सव के रूप आयोजित किया जाता है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चक्रधर समारोह वर्ष 2001 से शुरू किया गया है।
नोट:
राजा चक्रधर सिंह के वास्तविक पिता राजा भूपदेव सिंह थे। पिता की मृत्यु के पश्चात बड़े भाई राजा नटवर सिंह ने राजा चक्रधर को गोद लिया। इन्होंने कथक की एक अभिनव शास्त्रीय शैली का विकास किया जो रायगढ़ कथक घराना के नाम से विख्यात है। इनकी मृत्यु 7 अक्टूबर 1947 ई. में हुई।
(a) कुमार गंधर्व
(b) पं. शंकर राव
(c) पं. कार्तिकराम
(d) राजा भैया पूंछवाले
व्याख्या: (c) पं. कार्तिकराम राजा चक्रधर सिंह के संरक्षण में रहे। वस्तुतः राजा चक्रधर सिंह ने कार्तिकराम को गणेश मेला (गणेशोत्सव) के दौरान गम्मत नृत्य करते हुए देखने पर इतने मोहित हुए कि उन्हें अपने संरक्षण में लेकर कत्थक नृत्य के शिक्षण की व्यवस्था की। लच्छन महाराज, पं. जयलाल जी, शंभु महाराज तथा सुंदरप्रसाद जी ने पं. कार्तिकराम को शिक्षा दी।
विशेष:
पं. कार्तिकराम का जन्म बिलासपुर (वर्तमान छत्तीसगढ़) में हुआ था, जिनको मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान, संगीत नाटक अकादमी सम्मान, नृत्य सम्राट आदि प्राप्त हुए।
(a) ग्वालियर
(b) इंदौर
(c) भोपाल
(d) काबुल
व्याख्या: (a) उस्ताद हाफिज अली खां का जन्म ग्वालियर में वर्ष 1888 में हुआ। ये बंगश घराने से संबंधित थे और ग्वालियर घराने के निकट रहे। ग्वालियर के इस विख्यात सरोद वादक को देश के शीर्षस्थ कलाकारों में विशेष स्थान प्राप्त है। इनके पूर्वज अफगानिस्तान से रीवा के दरबार मे आए थे। इन्होंने सरोद की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता नन्हें खां बंगश से प्राप्त की थी।
विशेष:
ग्वालियर के महाराजा माधवराव सिंधिया ने उस्ताद हाफिज अली खां अपने शासनकाल में दरबारी संगीतज्ञ के रूप में शामिल करके सम्मानित किया। उस्ताद को रामपुर के उस्ताद वजीर खां से संगीत की शिक्षा प्राप्त हुई और वे सेनिया घराने की 'बीनकार परंपरा' के श्रेष्ठ उत्तराधिकारी बने।
(a) तानसेन
(b) उस्ताद अलाउद्दीन खां
(c) हाफिज अली खां
(d) अमजद अली खां
व्याख्या: (c) उस्ताद हाफिज अली खां संगीत की पारंपरिक शुद्धता में अटूट विश्वास रखते थे। उनके संगीत में ध्रुपद, ठुमरी और खयाल का अतुल्य मेल होता था, लेकिन उनका झुकाव ध्रुपद गायन की ओर अधिक था। उन्हें संगीत रत्नाकार और आफताब-ए-सरोद आदि उपाधियों से सम्मानित किया गया।
विशेष:
उस्ताद हाफिज अली खां को संगीत नाटक अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया साथ ही वर्ष 1960 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि उस्ताद अलाउद्दीन खां इनके गुरू भाई थे। ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया एवं जीवाजीराव सिंधिया इनके संरक्षक रहे। इनके शिष्यों में मुबारक अली खां शामिल हैं।
(a) सितार
(b) वीणा
(c) शहनाई
(d) सरोद
व्याख्या: (d) अमजद अली खां का जन्म ग्वालियर में ग्वालियर के संगीतकार उस्ताद हाफिज अली खां के पुत्र के रूप में बंगश घराने की छठवीं पीढ़ी के रूप में हुआ। अमजद अली खां अपने पिता के ही शिष्य भी थे। इन्होंने सरोद वादन में परंपरागत तरीके से तकनीकी दक्षता हासिल की। अमजद अली खां ने केवल बारह वर्ष की कम उम्र में ही एकल वादक के रूप में सरोद पर अनूठी लयकारी प्रस्तुति पेश करके दिग्गज संगीतज्ञों को भी अचंभित कर दिया था।
विशेष:
इस घराने के संगीतज्ञों ने 'रबाब वाद्य यंत्र' को भारतीय संगीत के अनुकूल परिवर्धित कर सरोद नामकरण किया। अमजद अली खां को विभिन्न सम्मान प्राप्त हुए जिनके विवरण निम्नानुसार हैं-
- सरोद सम्राट (प्रयाग संगीत समिति द्वारा 1960)
- यूनेस्को पुरस्कार (1970)
- पद्मश्री (1975)
- पद्म भूषण (1991)
- पद्म विभूषण (2001)
- राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार (2012)
- लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (2014)
(a) राजा चक्रधर सिंह
(b) निसार हुसैन खां
(c) उस्ताद हाफिज अली खां
(d) पं. कार्तिकराम
व्याख्या: (b) ग्वालियर घराने के एयाल गायक शास्त्रीय संगीतकार पं. शंकर राव का जन्म ग्वालियर में वर्ष 1962 में हुआ था। बचपन से ही ये अपने पिता श्री पं. विष्णु के साथ उस्ताद हद्दू-हस्सू खां की महफिलों में जाने लगे, जिससे इनकी संगीत के प्रति विशेष रुचि जागृत हुई। ये एयाल गायकी में विख्यात थे। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा इन्हें बालकृष्ण बुवा के सानिध्य में प्राप्त हुई किंतु इनके गायन से प्रभावित होकर निसार हुसैन खां (वास्तविक गुरू) ने अपना प्रमुख शिष्य बनाया।
विशेष:
पं. शंकर राव उच्च कोटि के संगीत शिक्षक थे। इन्होंने एयाल गायकी में अत्यंत उत्कृष्ट तरह से निःस्वार्थ समर्पण भाव से संगीत सेवा की। शंकर राव के पुत्र पं. कृष्ण राव भी देश के उच्च कोटि के संगीतज्ञों में स्थान रखते हैं। शंकर राव की स्मृति में पुत्र पं. कृष्ण राव ने वर्ष 1914 में ग्वालियर में शंकर गंधर्व संगीत महाविद्यालय की स्थापना की थी।
(a) इंदौर घराना
(b) आगरा घराना
(c) किराना घराना
(d) ग्वालियर घराना
व्याख्या: (d) पं. कृष्ण राव का संबंध ग्वालियर घराने से हैं। उल्लेखनीय है, कि 26 जुलाई 1893 को एयाल गायक पं. शंकर राव के यहां पं. कृष्ण राव का जन्म ग्वालियर में हुआ था। इन्होंने अपने पिता शंकर राव एवं पिता के गुरू निसार खां से संगीत की शिक्षा प्राप्त करके प्रसिद्धि हासिल की। इन्होंने वर्ष 1907 में अपना पहला कार्यक्रम मंच पर प्रस्तुत किया। वर्ष 1913 में सतारा के महाराजा के यहां संगीत शिक्षक रहने के बाद ये लगभग पांच वर्षों तक ग्वालियर दरबार में संगीतज्ञ रहे। वर्ष 1919 में पं. कृष्ण राव को गांधी के समक्ष संगीत गायन प्रस्तुत करने का अवसर मिला। 96 वर्ष की उम्र में 22 अगस्त 1989 को इनका देहावसान हुआ। वर्तमान में लक्ष्मण कृष्ण राव, चंद्रकांत कृष्ण राव (पुत्र), पं. मीता (पौत्री) देश में ख्याति प्राप्त संगीतज्ञ हैं।
विशेष: स्वतंत्र गायक के रूप में पं. कृष्ण राव ने विशिष्ट ख्याति अर्जित की गायिकी तारतम्यता एवं जटिलता प्रमुख विशेषता रही। इन्हें वर्ष 1959 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1980 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तानसेन सम्मान तथा वर्ष 1973 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
उपाधियां: संगीत रत्नालंकार (ग्वालियर दरबार द्वारा ) गायक शिरोमणि (सरदार पटेल द्वारा), गायक महर्षि (संकेश्वर पीठ के शंकराचार्य द्वारा) आदि। पं. कृष्ण राव ने हारमोनियम, सितार, तबला और जलतरंग वादन की शिक्षा पर केंद्रित हारमोनियम वादन शिक्षा, सितार जलतरंग वादन शिक्षा, संगीत प्रवेश, संगीत सरगमसार आदि पुस्तकों की रचना की।
(a) बालकृष्ण आप्टेकर
(b) राजेन्द्र राव
(c) शंकर राव
(d) रविन्द्र आप्टेकर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 12 अगस्त 1882 को राजा भैया पूंछवाले का जन्म हुआ था। इनका वास्तविक नाम बालकृष्ण - आनंदराव आप्टेकर था। इनके पिताजी का नाम आनंदराव था, जिनसे इन्होंने सितार की शिक्षा ली। गुरू के रूप में लाला बुवा, वामन बुवा, बलदेव जी, पं. शंकर राव जी के संगीत गायन को सुन कर इन्होंने गायन सीखा। आगे चलकर वामन बुवा से इन्होंने ध्रुपद सीखकर एवं अपनी निष्ठा, लगन के बल पर ये पं. शंकर राव के अग्रणी शिष्य बने। पं. विष्णु नारायण भातखंडे से स्वरलिपि पद्धति सीखने के लिए राजा भैया पूंछवाले बंबई गए एवं भातखंडे जी की स्वरलिपि पद्धति ने राजा भैया को अखिल भारतीय प्रतिष्ठा दिलायी।
टिप्पणी: बुंदेलखंड में "पूंछ" नामक गांव में जागीर होने के कारण इनका घराना पूंछवाले (पूंछवाला घराना) के नाम से प्रसिद्ध है। शालेय संगीत के क्षेत्र में राजा भैया का नाम अग्रणी है। इनकी मृत्यु अप्रैल 1956 में हुई थी।
विशेष: भातखंडे जी के सहायक सात संगीतकारों के रूप में से एक राजा भैया पूंछवाले भी थे। रचनाएं - संगीतोपासना, तान मालिका, धुप्रद धमार गायकी, ठुमरी तरंगिनी।
उपाधियां: संगीताचार्य, संगीत रत्नाकर।
सम्मान: 1956 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार।
नोट: तानसेन सम्मान से सम्मानित 'बाला साहेब पूंछवाले' इनके सुपुत्र हैं।
(a) ग्वालियर घराने
(b) इंदौर घराने
(c) भेंडी बाजार घराने
(d) रायगढ़ घराने
व्याख्या: (b) उस्ताद अमीर खां का जन्म 15 अगस्त 1913 को इंदौर में हुआ। इंदौर घराने के वारिस होने के कारण संगीत इनको विरासत में प्राप्त मिली। इनके पिता शमीर खां ( शाहमीर खां ) वीणा एवं सरोद के ख्याति प्राप्त वादक थे। उस्ताद अमीर खां ने पिता के सानिध्य में इंदौर घराना, अब्दुल वहीद खां से किराना घराना तथा अमान अली खां से भेंडी बाजार (मुम्बई) घराना की संगीत शैलियों को सीखा। पिता के सुझाव के आधार पर वर्ष 1936 में रायगढ़ संस्थान में महाराज चक्रधर सिंह के यहां ये कार्यरत भी रहे। इनके पिता भेंडी बाजार घराने में सारंगी वादक रहकर होलकर दरबार (इंदौर) में सारंगी बजाया करते थे। इनके दादा चंगे खां बहादुरशाह जफर के दरबार में गायक थे। उस्ताद अमीर खां के संगीत में ध्रुपद एवं खयाल गायन का अनूठा चमकीलापन था। इनके प्रमुख शिष्यों में हृदयनाथ व अमरनाथ के नाम से उल्लेखित किये जाते हैं। इनका निधन 13 फरवरी 1974 को कलकत्ता में हुआ था।
विशेष: उस्ताद अमीर खां को ध्रुपद गायन, मंद गायन शैली, तराना गायन, खयाल गायिकी के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त है। शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ इन्होंने फिल्मी संगीत भी प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त इन्होंने झनक झनक पायल बाजे, बैजूबावरा, तानसेन, गूंज उठी शहनाई फिल्मों में अपना स्वर संगीत दिया।
सम्मान: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। महत्वपूर्ण तथ्य यह है, कि उस्ताद अमीर खां जी की स्मृति में उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी 'प्रतिवर्ष इंदौर में उस्ताद अमीर खां समारोह का आयोजन करवाती है।
(a) पद्मश्री
(b) शिखर सम्मान
(c) तानसेन सम्मान
(d) इनमें से कोई नहीं।
व्याख्या: (d) प्रसिद्ध ध्रुपद गायिका बेगम असगरी बाई का जन्म वर्ष 1918 में छतरपुर के बीजापुर में हुआ था। कुछ समय पश्चात उनकों अपनी मां नजीर बेगम के साथ टीकमगढ़ आना पड़ा, उनकी मां बिजावर के शाही परिवार की गायिका थीं एवं उनकी दादी बलायत बीबी अजयगढ़ रियासत में गाती थीं। असगरी बाई को न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत देश में ध्रुपद गायिका के रूप में ख्याति प्राप्त थी। बेगम असगरी बाई को दिसंबर, 1985 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तानसेन सम्मान, फरवरी, 1986 में शिखर सम्मान, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (फरवरी, 1987) तथा भारत सरकार द्वारा 24 मार्च, 1990 को पद्मश्री दिया गया। 88 वर्ष की आयु में 9 अगस्त, 2006 को टीकमगढ़ में इनका निधन हुआ।
विशेष: असगरी बाई ने गोहद (भिंड) निवासी उस्ताद जहूर खां को अपना गुरू बनाया था। ये टीकमगढ़ के राज दरबार में 35 वर्षो तक गायन करती रही, इन्होंने ओरछा राजवंश के लिए मुख्य गायक के रूप में ध्रुपद गायन में असाधारण प्रसिद्धि हासिल कर ली जिससे असगरी बाई के संगीत को सुनने के लिए कई शाही परिवारों को आमंत्रण भेजा था।
(a) शहनाई
(b) बांसुरी
(c) सितार
(d) सरोद
व्याख्या: (c) बचपन में गुलाम हुसैन खान ने बीन बजाते हुए संगीत की शुरुआत की, लेकिन धीरे-धीरे इन्हे आभास हुआ की भारत के बदलते संगीतमय माहौल में सितार वादन में बेहतर आशाजनक सफलता हासिल की जा सकती है अत: इन्होंने सितार वाद्ययंत्र को बजाने में निपुणता हासिल की।
विशेष: उस्ताद गुलाम हुसैन खान का जन्म इंदौर में वर्ष 1927 में हुआ था। उनके जन्म के कुछ समय बाद ही पिता के निधन के बाद इन्होंने अपने बड़े भाई उस्मान खान से संगीत की शिक्षा प्राप्त की। इनके सितार वादन की कला को 'बीनकार बाजल' की संज्ञा से नवाजा गया उस्ताद ने सितार पर ठुमरी, दादरा, खयाल एवं ध्रुपद गायन में ख्याति प्राप्त थी।
(a) शहनाई
(b) संतूर
(c) सितार
(d) सरोद
व्याख्या: (b) ओमप्रकाश चौरसिया संतूर वाद्य यंत्र का वादन करते थे। संतूर बजाने की प्रेरणा इन्हें इनके बनारस के गुरू पं. लालमणि मिश्र जी से मिली थी।
विशेष: 15 दिसंबर 1946 को भोपाल में ओमप्रकाश चौरसिया का जन्म हुआ था। मधुकली राग जिसका आविष्कार लालमणि मिश्र ने किया था इन्होंने इससे सम्बन्धित एक संस्था की स्थापना की जिसका नाम मधुकालीन (मधुकली ) था। इन्होंने संगीत रस परम्परा और विचार पुस्तक की रचना की। 5 मार्च 2017 को भोपाल में इनका निधन हो गया।
(a) अभिनव कुमार
(b) कमलेश्वर कुमार
(c) आभास कुमार
(d) दयाशंकर
व्याख्या: (c) प्रसिद्ध पार्श्व गायक, कलाकार एवं अभिनेता किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुआ था। इनका मूल नाम (वास्तविक नाम) आभास कुमार गांगुली था। मुंबई में 13 अक्टूबर 1987 को मात्र 58 वर्ष की आयु में इनका आकस्मिक निधन हो गया था।
विशेष: किशोर कुमार, फिल्म अभिनेता अशोक कुमार के छोटे भाई थे। फिल्म अभिनेता के रूप में किशोर कुमार ने फिल्म (1946) से शुरुआत की. इस फिल्म में अशोक कुमार ने प्रमुख अभिनेता के रूप में भूमिका निभाई थी।
(a) भोपाल
(b) ग्वालियर
(c) मुंबई
(d) इंदौर
व्याख्या: (d) स्वर साम्राज्ञी लताजी मंगेशकर का जन्म इंदौर में 28 सितंबर 1929 में संगीत के शिक्षक दीनानाथ मंगेशकर के घर में हुआ था। आशा भोंसले, उषा मंगेशकर इनकी बहनें हैं।
विशेष: लता मंगेशकर को स्वर साम्राज्ञी, राष्ट्र की आवाज, सहस्राब्दी की आवाज, भारत कोकिला आदि नामों से भी जाना जाता है। इन्हें बचपन में हेमा नाम से पुकारा जाता था।
सम्मान: लता मंगेशकर जी को वर्ष 1969 में पद्म भूषण, वर्ष 1989 दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, वर्ष 1999 में पद्म विभूषण, वर्ष 2001 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। वर्ष 1974 में लता जी के नाम विश्व में सर्वाधिक गीत गाने वाली गायिका के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। लता मंगेशकर 20 से अधिक भाषाओं में गाने गा चुकी हैं।
(a) ग्वालियर
(b) भोपाल
(c) सांगली
(d) मुंबई
व्याख्या: (c) प्रसिद्ध पार्श्व गायिका आशा भोंसले का जन्म 8 सितंबर 1933 में सांगली (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके पिता संगीतज्ञ दीनानाथ मंगेशकर एवं लता मंगेशकर इनकी बड़ी बहन हैं।
विशेष: वर्ष 1948 में आशा भोंसले ने सावन आया फिल्म, चुनरिया के लिए गाकर अपने कैरियर की शुरुआत की थी। वर्तमान समय में हिंदी के अलावा 15 भाषाओं में लगभग 16 हजार फिल्मी और गैर फिल्मी गीत गाने का रिकार्ड बनाया है। इनका विवाह हिंदी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार राहुल देव बर्मन (आर. डी. बर्मन या पंचम) से हुआ था।
सम्मान: आशा भोंसले को भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2000 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार तथा मई 2008 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(a) गायन
(b) वादन
(c) चित्रकला
(d) अभिनय
व्याख्या: (c) चित्रकला में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं का आधुनिक प्रयोगों के लिए विष्णु चिंचलकर प्रसिद्ध हैं। इस चित्रकार का जन्म 5 सितंबर 1917 में देवास के पास एक गांव आलोट में हुआ था। विष्णु चिंचलकर मध्य प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में से एक हैं। उनका निधन 30 जुलाई 2000 को हृदय गति रुकने से हुआ था।
विशेष: इनकी शिक्षा इंदौर स्कूल ऑफ आर्ट्स से हुई है। एन. एस. बेंद्रे और एम. एफ. हुसैन जैसे कुशल चित्रकार इस संस्था में इनके वरिष्ठ थे। उन्होंने कुछ समय के लिए माइकल ब्राउन के साथ भी काम किया। इन्होंने इंदौर के कई चित्रकारों के साथ मिलकर फ्राइडे ग्रुप ऑफ आर्टिस्ट बनाया था। ये पोर्ट्रेट, लैंडस्केप, स्केचबुक, लिनोकट्स बनाने में पारंगत थे। इन्होंने प्रकृति से प्राप्त टहनियां, बांस, पत्ते, पत्थर आदि से कलात्मक वस्तुओं का निर्माण करने का भी हुनर प्राप्त किया था।
सम्मान: श्री विष्णु चिंचलकर को मध्य प्रदेश शिखर सम्मान (1984), इंदौर रत्न (1991) आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
(a) सरोद वादन के लिए
(b) चित्रकला के लिए
(c) ध्रुपद गायन के लिए
(d) तबला वादन के लिए
व्याख्या: (b) चित्रकला के लिए प्रसिद्ध सैयद हैदर रजा का जन्म 22 फरवरी 1922 को मंडला जिले के बाबरिया गांव में हुआ था। इनके पिता जिले के उपवन अधिकारी सैयद मोहम्मद रजा और मां ताहिरा बेगम ग्रहणी थीं। इन्होंने बम्बई के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 1950-53 तक की फ्रांस सरकार से छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद अक्टूबर, 1950 में ही पेरिस (फ्रांस) में उच्च शिक्षा के लिए चले गये। वर्ष 1956 में अपनी चित्रकारिता के प्रदर्शन पर इन्हें पेरिस में "प्रिक्स डे ला क्रिटिक पुरस्कार" से सम्मानित किया गया, इस सम्मान को प्राप्त करने वाले पहले गैर फ्रांसिसी कलाकार थे। इनकी मृत्यु 23 जुलाई 2016 को नई दिल्ली में हुई।
विशेष: प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रजा ने गहरे मखमली, चटकदार, समृद्ध रंग योजना से प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण अपने कैनवास पर उतारा है। इनके प्रमुख चित्रों में सफेद फूल, अनसुनी आवाज, अटल- शून्य की अनंतता, राजस्थान, मां, स्पंदन, नाग अंकुरण आदि प्रसिद्ध हैं।
सम्मान: सैयद हैदर रजा को वर्ष 1981 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, वर्ष 1992-93 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कालिदास सम्मान, वर्ष 2004 में ललित कला रत्न पुरस्कार, वर्ष 2007 में पद्म भूषण, वर्ष 2013 में पद्म विभूषण आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
(a) भोपाल
(b) इंदौर
(c) ग्वालियर
(d) देवास
व्याख्या: (c) प्रसिद्ध हिंदी फिल्मों के गीतकार, कवि और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। इनके पिता जां निसार अख्तर प्रसिद्ध उर्दू शायर, गीतकार, कवि और माता सफिया अख्तर उर्दू लेखिका एवं शिक्षिका थीं। फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी इनकी दूसरी पत्नी हैं। फिल्म जगत के फरहान अख्तर और जोया अख्तर इनके पुत्र एवं पुत्री हैं।
विशेष: जावेद अख्तर ने वर्ष 1971 में 'अंदाज' एवं 'हाथी मेरे साथी' फिल्म की पटकथा लिखकर अपने कैरियर की शुरुआत की थी।
सम्मान: जावेद अख्तर को वर्ष 1993 में पद्मश्री, वर्ष 2007 में पद्म भूषण तथा वर्ष 2004-05 में किशोर कुमार सम्मान से नवाजा गया है।
(a) भूषण डिके
(b) राम नरेश
(c) गंगाधर महादेव
(d) दिवाकर डिके
व्याख्या: (c) तपस्वी श्री बाबा डिके को गंगाधर महादेव अथवा बाबा साहेब डिके आदि नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 7 जून 1919 को मध्य प्रदेश के नीमच में हुआ था। बाबा डिके मध्य भारत में रंगकर्म के प्रति एक निष्ठ, समर्पित, कर्मठता और एक मजबूत इच्छाशक्ति की बेजोड़ मिसाल रहे।
विशेष: बाबा डिके ने वर्ष 1942 में सर्वप्रथम अखंड तांडव के नाट्य लेखन से अपने रंगकर्म कैरियर की शुरुआत की थी। बाबा डिके ने अपने जीवन का अधिकांश समय इंदौर-मुंबई में गुजारा। वर्ष 1955 में इन्होंने नाट्य भारती संस्था की स्थापना की। "शिक्षा किसी के भी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकती है", यह संदेश बाबा डिके द्वारा वर्ष 1978 में लिखे नाटक 'मयूरी' का है।
(a) मुंबई
(b) भोपाल
(c) ग्वालियर
(d) जबलपुर
व्याख्या: (d) फिल्म अभिनेत्री एवं राजनीतिज्ञ जया बच्चन (जया भादुरी) का जन्म 9 अप्रैल 1948 को जबलपुर में हुआ था। वर्ष 1963 में सत्यजीत रे की 'महानगर' फिल्म में बाल कलाकार के रूप में एवं मुख्य युवा भूमिका के रूप में वर्ष 1971 में 'गुड्डी' फिल्म से इन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की थी। वर्ष 1973 में इनका विवाह अभिनेता अमिताभ बच्चन से हुआ था। जया बच्चन वर्तमान में वर्ष 2004 से 4 कार्यकालों से समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद सदस्य रही हैं।
विशेष: जया बच्चन जी को वर्ष 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(a) सितार वादन
(b) रंगकर्म
(c) ध्रुपद गायन
(d) सरोद वादन
व्याख्या: (b) प्रसिद्ध रंगकर्मी बंसी कौल का जन्म 23 अगस्त 1949 को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हुआ था। इन्होंने एशियन रंग संस्थान एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की है। इन्होंने भारतीय नाट्य मंच के माध्यम से रंगकर्मक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है।
विशेष: रंगकर्म के क्षेत्र में लगातार सक्रिय भूमिका निभाते हुए, देश-विदेश के कई महत्वपूर्ण समारोह में शामिल होते हुये इन्होंने अपनी कर्मस्थली इन्दौर बनाई। वर्ष 1984 में बंसी कौल ने रंग विदूषक संस्था की स्थापना की थी।
सम्मान: वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार तथा वर्ष 2016-17 में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा उज्जैन में कालिदास सम्मान दिया गया।
(a) भोपाल
(b) इंदौर
(c) बिलासपुर
(d) रायपुर
व्याख्या: (d) प्रसिद्ध नाट्य कर्मी, अभिनेता, लेखक व कवि हबीब तनवीर का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में सितंबर 1923 को हुआ था। कैरियर के शुरुआती दौर में ये 'तखल्लुज' उपनाम से कविताएं लिखा करते थे। इसके अतिरिक्त इन्होंने वर्ष 1945 में मुंबई में ऑल इंडिया रेडियो में प्रोड्यूसर की नौकरी की। बहुमुखी प्रतिभावान प्रसिद्ध नाट्य कर्मी हबीब तनवीर का निधन 8 जून 2009 को भोपाल में हुआ था।
विशेष: हबीब तनवीर भारत भवन रंग मंडल के निदेशक भी रहे। इन्होंने वर्ष 1959 में भोपाल में नया थियेटर नामक नाट्य संस्था की स्थापना की थी। इनको छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हित में काम करने के लिए जाना जाता है।
इनके प्रमुख नाटक: आगरा बाजार, शतरंज के मोहरे, मिट्टी की गाड़ी, चरणदास चोर आदि है।
सम्मान: हबीब तनवीर को वर्ष 1969 में संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1983 में पद्मश्री, वर्ष 1984-85 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शिखर सम्मान, वर्ष 2002 में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया।
(a) वर्ष 1945
(b) वर्ष 1946
(c) वर्ष 1948
(d) वर्ष 1949
व्याख्या: (b) 18 जुलाई 1946 को डॉ. हरिसिंह गौर ने मध्य प्रदेश के सागर में प्रथम विश्वविद्यालय की स्थापना की। वर्ष 1921 में केंद्रीय सरकार द्वारा दिल्ली में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई एवं डॉ. हरिसिंह गौर प्रथम कुलपति नियुक्त हुए और वर्ष 1924 तक इस पद पर बने रहे।
विशेष: विश्व भर में ख्याति प्राप्त शिक्षा शास्त्री एवं समाज सुधारक डॉ. हरिसिंह गौर का जन्म 26 नवंबर 1870 को मध्य प्रदेश में सागर जिले के में हुआ था। साहित्यकार के रूप में उपन्यास, आत्मकथा, काव्य, निबंध-साहित्य के कई विभिन्न क्षेत्र उनकी लेखनी और प्रतिभा से भावस्कर हुए हैं।
रचनाएं: फैक्ट एंड फेन्सीज (बीइंग स्टडीज इन पॉप्युलर प्रोबलम्स), रेंडम राइम्स, स्प्रिट ऑफ बुद्धिज्म (बौद्ध धर्म पर आधारित)
(a) सिहोर
(b) भोपाल
(c) बड़वानी
(d) विदिशा
व्याख्या: (c) अनिल काकोदर का जन्म 11 नवंबर 1943 को बड़वानी जिले में हुआ था। ये एक भारतीय परमाणु भौतिक वैज्ञानिक एवं यांत्रिक अभियंता है।
विशेष: वर्ष 1996 से वर्ष 2000 तक भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुंबई के निदेशक तथा उसके बाद वर्ष 2009 तक भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2006-2015 तक आई.आई.टी. मुंबई के चैयरमेन बोर्ड में भी शामिल रहे।
सम्मान: पद्मश्री (1998), पद्म भूषण (1999), पद्म विभूषण (2009). एच. के. फिरोडिया पुरस्कार (1997), फिक्की पुरस्कार-नाभिकीय विज्ञान एवं तकनीकी में योगदान के लिए (1997-98 ) आदि पुरस्कारों से अनिल काकोदर को सम्मानित किया गया।
(a) गायक
(b) चित्रकार
(c) नाट्य कर्मी
(d) पुरातत्वविद
व्याख्या: (b) विश्व विख्यात चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1915 को सोलापुर (महाराष्ट्र) के पंढरपुर में हुआ था। इन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय इंदौर में गुजारा, इंदौर में ही प्रसिद्ध चित्रकार देवलालीकर जी से इन्होंने चित्रकला की बारीकियों को सीखा था। मकबूल फिदा हुसैन सुंदर पोर्ट्रेट तथा दृष्य चित्रांकन करने के अतिरिक्त घोड़ों को रेखांकित करने वाले प्रसिद्ध कलाकार थे। इनकी मृत्यु 9 जून 2011 को लंदन में हुई।
विशेष: इन्होने इंदौर को अपनी कर्मस्थली के रूप में चुना। एम. एफ. हुसैन को भारत का पिकासो भी कहा गया एवं वर्ष 1947 मे द प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप ऑफ बॉम्बे को स्थापित किया। इन्हें वर्ष 1966 में पद्मश्री, वर्ष 1973 में पद्म भूषण, वर्ष 1987-88 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कालिदास सम्मान प्रदान किया गया।
(a) रसायनज्ञ
(b) संगीतज्ञ
(c) अभिनेता
(d) गणितज्ञ
व्याख्या: (d) प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ नरेंद्र कृष्ण करमकर का जन्म वर्ष 1957 को ग्वालियर में हुआ था। इनके द्वारा किया गया शोध कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र भी बहुत सहायक रहा है।
विशेष: इन्होंने गणित के ऐल्गोरिथम सूत्र तथा करमाकर ऐल्गोरिथम का प्रतिपादन किया। अमेरिकन वैज्ञानिक रिचर्ड एम. कार्प इनके मार्गदर्शक रहे हैं।
(a) झाबुआ
(b) अलीराजपुर
(c) इलाहाबाद
(d) झांसी
व्याख्या: (c) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद (चंद्रशेखर तिवारी) का जन्म 23 जुलाई 1906 को अलीराजपुर जिले के भाबरा गांव में हुआ था। इनके पिता पं. सीताराम तिवारी एवं माता जगरानी देवी थी। इनका पैतृक गांव बदरका, उन्नाव जिला (उत्तर प्रदेश) था। इलाहाबाद में अंग्रेजों के विरुद्ध गोलीबारी में खुद की कनपटी पर गोली मार कर 27 फरवरी, 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में शहीद हुए।
विशेष: चंद्रशेखर आजाद के सम्मान में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2011 इनकी जन्म स्थली भावरा का नाम चंद्रशेखर आजाद नगर रखा गया है।
(a) इंदौर
(b) ग्वालियर
(c) खंडवा
(d) जबलपुर
व्याख्या: (c) फिल्म अभिनेता अशोक कुमार का जन्म 13 अक्टूबर 1911 को खंडवा जिले में हुआ था। इन्होंने फिल्म "नैया" से अपने कैरियर की शुरुआत की थी।
टिप्पणी: अशोक कुमार द्वारा प्राप्त पुरस्कार निम्नलिखित हैं-
वर्ष 1988 में इन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1999 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
(a) गुना
(b) विदिशा
(c) उज्जैन
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (a) सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश रमेश चंद्र लाहोटी का जन्म नवंबर 1940 को गुना में हुआ था। इन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के 35वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में वर्ष 2004 से 2005 तक अपनी सेवायें प्रदान की।
(a) रीवा
(b) सतना
(c) इंदौर
(d) बड़वानी
व्याख्या: (b) सर्वोच्च न्यायालय के 27वें मुख्य न्यायाधीश एवं भूतपूर्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जे.एस. वर्मा का जन्म 18 जनवरी 1933 को सतना जिले में हुआ था।
टिप्पणी: 25 मार्च 1977 से 17 जनवरी 1988 तक सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।
वर्ष 2013 में उन्हें 'मरणोपरांत पद्मभूषण' पुरस्कार प्रदान किया गया।
(a) इंदौर
(b) उज्जैन
(c) भोपाल
(d) धार
व्याख्या: (c) भारतीय अर्थशास्त्री एवं भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर रघुराम राजन का जन्म 3 फरवरी 1963 को भोपाल में हुआ था। वर्ष 2003-06 तक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के निदेशक तथा वर्ष 2013-16 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे।
विशेष: 'सेविंग कैपिटलिज्म फ्रॉम कैपिटलिस्ट' इनके द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक है।
इन्हें वर्ष 2014 में 'सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंक गवर्नर' पुरस्कार प्राप्त हुआ। यह पुरस्कार रघुराम राजन को भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कठोर मौद्रिक उपाय करने के लिए प्रदान किया गया था।
(a) आर्यभट्ट
(b) वराहमिहिर
(c) चरक
(d) महर्षि पतंजलि
व्याख्या: (b) महान ज्योतिषाचार्य एवं खगोल शास्त्री वराहमिहिर का जन्म पांचवी शताब्दी में उज्जैन के निकट कपित्थ (कायथा) नामक स्थान पर हुआ था। वराहमिहिर ने सर्वप्रथम सूर्य सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। इन्होंने जल विज्ञान, भूविज्ञान, गणित और पारिस्थितिकी के क्षेत्र में महान योगदान दिए।
वराहमिहिर की प्रमुख पुस्तकें:
- पंचसिद्धांतिका
- बृहज्जातकम
- लघुजातक
- वृहत्संहिता
(a) जनरल टेलर
(b) वी.एस. वाकणकर
(c) टी. एस. वर्ड
(d) वीर सिंह बुंदेला
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के प्रमुख पुरातत्वविद एवं इतिहासकार विष्णु श्रीधर वाकणकर का जन्म 4 मई, 1919 को नीमच जिले में हुआ था, उन्होंने वर्ष 1957-58 में भीमबेटका की खोज की थी।
टिप्पणी: प्रदेश के विभिन्न स्थानों में उत्खनन एवं सर्वेक्षण का कार्य किया एवं उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए वर्ष 1975 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया। वी. एस. वाकणकर को हरिभाऊ के उपनाम से भी जाना जाता है।
विशेष: भीमबेटका मध्य प्रदेश में प्रागैतिहासिक स्थल भीमबेटका भोपाल से दक्षिण-पूर्व दिशा में लगभग 45 कि.मी. दूरी पर रायसेन जिले के अंतर्गत भियांपुर ग्राम के निकट स्थित है। भीमबेटका को भीम का निवास भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि, यह गुफाएं महाभारत के चरित्र भीम से संबंधित हैं और इसी से इसका नाम 'भीमबेटका' पड़ा। वर्ष 2003 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सम्मिलित किया गया।
(a) भोपाल
(b) ग्वालियर
(c) उज्जैन
(d) इंदौर
व्याख्या: (a) भारत के 9वें राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त, 1918 को भोपाल में हुआ था। इन्होंने वर्ष 1942 में महात्मा गांधी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 26 दिसंबर 1999 को इनका निधन हो गया।
टिप्पणी: शंकर दयाल शर्मा वर्ष, 1952 से 1956 तक भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री थे। श्री शंकर दयाल शर्मा वर्ष 1992-1997 की अवधि तक भारत के राष्ट्रपति रहे। केंद्र सरकार में संचार मंत्री के रूप में (वर्ष 1974-1977) की अवधि में अपनी सेवाएं दी। श्री शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष वर्ष 1972-1974 की अवधि में रहे। इनकी समाधि - कर्मभूमि में स्थित है।
(a) इंदौर
(b) सीहोर
(c) उज्जैन
(d) खंडवा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पत्रकार एवं लेखक प्रभाष जोशी का जन्म 15 जुलाई, 1936 को सीहोर जिले के आष्टा में हुआ था। 5 नवंबर 2009 को उनका निधन हो गया।
टिप्पणी: प्रभाष जोशी ने इंदौर से प्रकाशित 'नई दुनिया' और 'जनसत्ता समाचार' पत्र के संपादक का कार्य किया। वर्ष 2013 में उनकी स्मृति में मध्य प्रदेश राज्यकीय खेल पुरस्कार प्रारंभ किया गया है।
(a) प्रभाष जोशी
(b) अनिल काकोडकर
(c) डॉ. भीमराव अंबेडकर
(d) कैलाश सत्यार्थी
व्याख्या: (c) भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को इंदौर (महू) में हुआ था। श्री अंबेडकर जी को 29 अगस्त 1947 को गठित संविधान की मसौदा समिति (प्रारूप समिति) का अध्यक्ष चुना गया था, संविधान के निर्माण में इस भूमिका के अतिरिक्त इनकी अनेक स्थानों में महत्वपूर्ण भूमिका थी। 6 दिसंबर 1956 को इनका निधन हो गया।
टिप्पणी: श्री भीमराव अंबेडकर को वर्ष 1990 में भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
विशेष: भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें निम्नानुसार है:
- कास्ट इन इंडिया
- एनहिलेशन ऑफ कास्ट
- द बुद्धा
- कार्ल्स मार्क्स
(a) शहडोल
(b) टीकमगढ
(c) खरगोन
(d) जबलपुर
व्याख्या: (c) कांतोबेन त्यागी एक समाज सेविका हैं, जिनका संबंध खरगोन जिले से है। वर्ष 1998 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त इन्हें वर्ष 2002 में 'जानकी देवी बजाज' पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया।
(a) जबलपुर
(b) इंदौर
(c) भोपाल
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (d) बॉलीवुड की पाश्र्व गायिका ममता शर्मा का जन्म ग्वालियर में हुआ था। उनके गाने बॉलीवुड में काफी प्रसिद्ध हुए हैं। उन्होंने "मुन्नी बदनाम हुई," "फेविकोल से," "टिंकू जिया," "अनारकली डिस्को चली" जैसे कई गानों को आवाज दी है।
(a) सुमित्रा महाजन
(b) आदित्य जोशी
(c) वाजिद खान
(d) मीरा कुमार
व्याख्या: (c) वाजिद खान को नाखून पेंटिंग के लिए ए. पी. जे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित किया गया। ध्यातव्य हो कि वाजिद खान एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त 'आयरन नेल आर्टिस्ट पेटेंटधारक' और आविष्कारक हैं।
(a) शबाना बेगम
(b) शबनम बानो
(c) मुस्कान बेगम
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (b) शबनम बानो मध्य प्रदेश के शहडोल अनुपपुर जिले के सोहागपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गयी विधायक थीं। शबनम ने मात्र दो वर्ष प्राथमिक शिक्षा अर्जित की, किंतु उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान 12 भाषाओं को सीखा। विधानसभा सदस्य के रूप में उन्होंने अपने एजेंडे में निर्वाचन क्षेत्र में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी और भूख से लड़ना आदि शामिल किया।
टिप्पणी: शबनम मौसी ने "असेंबली का दौरा करो" के अंतर्गत अपने पद का इस्तेमाल करके किन्नरों के प्रति भेद-भाव के खिलाफ बोलने के साथ-साथ एच.आई.वी. और एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करना शुरू किया।
(a) सागर
(b) कटनी
(c) जबलपुर
(d) छतरपुर
व्याख्या: (c) मशहूर फिल्म अभिनेता अर्जुन रामपाल का जन्म मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में हुआ।
(a) मूर्तिकला
(b) चित्रकला
(c) संगीत कला
(d) नृत्य कला
व्याख्या: (c) उस्ताद नासिर हुसैन मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के निवासी थे, जो एक प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक थे। विरासत से संगीत कला को प्राप्त करने वाले उस्ताद नासिर हुसैन ग्वालियर घराने से संबंधित थे। उल्लेखनीय है कि शास्त्रीय संगीत की गुरू-शिष्य परंपरा में प्रत्येक गुरू एवं उस्ताद अपने हाव-भाव, कला अपने शिष्यों को देता जाता है।
(a) मूर्तिकला
(b) चित्रकला
(c) संगीत कला
(d) नृत्य कला
व्याख्या: (c) हद्दू खां, हस्सू खां और नत्थू खां तीनों सगे भाई एवं कादिर बख्श के पुत्र थे, जो प्रसिद्ध ख्याल गायक हैं और ग्वालियर घराने से संबंधित हैं। इन्हें इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है। ग्वालियर घराना हिंदुस्तानी संगीत का सबसे प्राचीन घराना है।
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