मध्य प्रदेश में लोक कला एवं लोक संस्कृति MCQ प्रश्न और उत्तर | Folk Art and Folk Culture in Madhya Pradesh MCQ
byKartik Budholiya0
मध्य प्रदेश में लोक कला एवं लोक संस्कृति MCQ
"मध्य प्रदेश में लोक कला एवं लोक संस्कृति" पर आधारित यह MCQ सीरीज उन छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे MPPSC, MPSI, MPPEB और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस MCQ सेट में मध्य प्रदेश की लोक कला और लोक संस्कृति से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है, जैसे राज्य की पारंपरिक नृत्य, संगीत, लोक कला रूप, हस्तशिल्प, त्योहार, और सांस्कृतिक धरोहर।
प्रत्येक प्रश्न के साथ हिंदी में विस्तृत व्याख्या प्रदान की गई है, जो आपकी जानकारी को गहराई और स्पष्टता प्रदान करेगी। यह सीरीज मध्य प्रदेश की लोक कला और संस्कृति के ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से लेकर समकालीन परिवर्तनों तक की पूरी जानकारी प्रदान करती है, जो परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मध्य प्रदेश की लोक कला एवं लोक संस्कृति से संबंधित यह MCQ सेट न केवल आपकी परीक्षा की तैयारी को अधिक प्रभावी बनाएगा, बल्कि आपको राज्य की सांस्कृतिक धरोहर की पूरी समझ और आत्मविश्वास भी प्रदान करेगा। इन प्रश्नों के माध्यम से आप प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकेंगे।
1. तमाशा लोकनाट्य मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a) निमाड़
(b) मालवा
(c) बघेलखंड
(d) बुंदेलखंड
व्याख्या: (c) तमाशा लोकनाट्य मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र से संबंधित है। प्रमुख रूप से तमाशा लोकनाट्य शहडोल, अनूपपुर में लोकप्रिय है। यह छोटी अलिखित कहानियों पर विशेष रूप से आशु प्रदर्शन होता है, जिसमें संवाद को तत्काल जोड़कर और गीतों में निर्गुणिया भजनों, ददरिया आदि का उपयोग किया जाता है। तमाशा लोकनाट्य का मंच प्रायः 4 खंबे गाड़कर निर्मित किया जाता है, जिसके ऊपर चादर से शामियाना चढ़ाया जाता है। प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल की मशाल होती है, जिसे भपका कहते हैं।
2. मध्य प्रदेश के राजकीय लोकनाट्य माच की उद्भव भूमि रही है?
(a) उज्जैन
(b) भोपाल
(c) ग्वालियर
(d) जबलपुर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के राजकीय लोकनाट्य माच की उद्भव भूमि उज्जैन रही है। मध्य प्रदेश के मालवांचल क्षेत्र का माच राज्य का शीर्ष प्रतिनिधि लोकनाट्य है। मालवा के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. रघुवीर सिंह के अनुसार ख्यालों को माचों का जनक माना है तथा माच शैली के प्रारंभकर्ता गुरू गोपाल जी को स्वीकार किया। माच के पारंपरिक संवाद पद्यबद्ध रहते हैं। पात्र प्रायः अपना परिचय और चरित्र पाठ, गीत, गजल, दोहा, कविता सवैया आदि छंदों के माध्यम द्वारा देते हैं, लेकिन बोलचाल में गद्य संवादों का भी प्रयोग किया जा सकता है। जब माच में गद्य संवाद किए जाते हैं तो उसे चबोला कहते हैं। सामान्य संवाद गीतमय होते हैं, जो बोल कहलाते हैं तथा माच में गद्य संवादों को वारता कहा जाता हैं।
3. मालवांचल के प्रमुख लोकनाट्य माच में अभिनय शैल मूलतः ढोलक वाद्य यंत्रों की तालों पर निर्भर होती है तथा गायक कलाकारों के साथ बैठे टेक झेलने वालों का सामूहिक स्वर क्या कहलाता है?
(a) सोहबत
(b) भ्रंकस
(c) झेला
(d) गुरूगादी
व्याख्या: (c) मालवांचल के प्रमुख लोकनाट्य माच में अभिनय शैल मूलत: ढोलक वाद्य यंत्रों की तालों पर निर्भर होती है तथा गायक कलाकारों के साथ बैठे टेक झेलने वालों का सामूहिक स्वर झेला कहलाता है। माच के मंगलाचरण में गणपति की वंदना का स्वांग किया जाता है तथा माच के विश्राम के मध्य मनोरंजन के लिए गम्मत खेल का अभिनय किया जाता है।
4. स्वांग लोकनाट्य के एक विशिष्ट रूप द्वारा द्वारी का प्रचलन मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र व मालवांचल में प्रचलित रहा है, जिसमें किसके चरित्र का अभिनय विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाता है?
(a) श्री राम
(b) श्री कृष्ण
(c) श्री गणेश
(d) भगवान शिव
व्याख्या: (b) स्वांग लोकनाट्य के एक विशिष्ट रूप ढारा-ढारी का प्रचलन मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र व मालवांचल में प्रचलित रहा है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का अभिनय विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाता है। जन्माष्टमी आदि पर्वों पर ढारी जनजाति के लोगों द्वारा किये जाने वाले इस लोकनाट्य में पुरुष अभिनेता नृत्य-गायन-अभिनय प्रभृति कलाओं के माध्यम से ढोल, सारंगी आदि वाद्य बजाते हुए कृष्णलीला, मलानूर आदि का प्रदर्शन करते हैं।
5. मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में पारसी शैली पर आधारित कंसवधोत्सव की परंपरा का निर्वहन गोवर्धन नाथ मंदिर के प्रांगण में किया जाता है, जिसका सर्वप्रथम सूत्रपात किसने किया था?
(a) सुमेर सिंह सुमन
(b) हफीज खान
(c) जगदीश धाकड़
(d) स्वर्गीय मोतीलाल मेहता
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में पारसी शैली पर आधारित कंसवधोत्सव की परंपरा का निर्वहन गोवर्धन नाथ मंदिर के प्रांगण में किया जाता है, जिसका सर्वप्रथम सूत्रपात स्वर्गीय मोतीलाल मेहता ने किया था। कंसवधोत्सव पर आधारित कंस लीला शाजापुर जिले में प्रमुख रूप से दीपावली के पश्चात आने वाले दशमी के दिन की जाती है, जिसमें श्रीकृष्ण व कंस के रूप में पात्रों में नोक-झोंक होती है और अंत में कंस के पुतले के वध की परंपरा है।
6. मध्य प्रदेश के मालवा तथा अन्य अंचलों में तुर्रा कलंगी एक अभूतपूर्व प्रचलित लोकनाट्य रहा है, जिसमें तुर्रा व कलंगी को किसका प्रतीक माना जाता है?
(a) शिव और शक्ति
(b) भक्ति और संगीत
(c) शिव और दानव
(d) भक्ति और शक्ति
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के मालवा तथा अन्य अंचलों में तुर्रा-कलंगी एक अभूतपूर्व प्रचलित लोकनाट्य रहा है, जिसमें तुर्रा व कलंगी को क्रमशः शिव और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। तमाशा, नौटंकी, माच व रामदंगल आदि के प्रदुर्भाव में तुर्रा-कलंगी लोकनाट्य विधा का विकास हुआ है, जिसमें प्रतिस्पर्धात्मक काव्य गायन शैली होती है। मध्य प्रदेश में इंदौर, उज्जैन, शाजापुर आदि जिलों में तुर्रा-कलंगी लोकनाट्य विशेष रूप से प्रचलित है।
7. मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र का पारंपरिक रूप से लोकनाट्य है?
(a) गम्मत
(b) रामदंगल
(c) चार-बैत
(d) माच
व्याख्या: (a) गम्मत मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र का प्रमुख रूप से पारंपरिक लोकनाट्य है। यह दो शब्दों क्रमशः गम अर्थात जाना और मत अर्थात विचार, सलाह से निर्मित है। गम्मत का शाब्दिक अर्थ विचार, सलाह, राय या सिद्धांत की तरफ जाना है। निमाड़ क्षेत्र में गम्मत लोकनाट्य विशेष रूप से 3 अवसरों क्रमशः दशहरे पूर्व की नवरात्रि, होली और गणगौर पर्व के अवसर पर किया जाता है। गम्मत में प्रमुख रूप से झांझ, मृदंग, ढोलक व तबला आदि वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है तथा इसकी कथावस्तु पारंपरिक व गीतों की रचना सामूहिक होती है। गम्मत प्रारंभ होने के पूर्व श्री कृष्ण और देवी सरस्वती का स्वांग लाया जाता है।
8. मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र का काठी एक सशक्त लोकनाट्य है, जिसका मुख्य स्वरूप कैसा होता है?
(a) संगीत प्रधान
(b) वाद्य प्रधान
(c) नृत्य प्रधान
(d) हास्य प्रधान
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र का काठी एक सशक्त लोकनाट्य है, जिसका मुख्य स्वरूप नृत्य प्रधान होता है। मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र के अतिरिक्त मालवा व नर्मदा सोन घाटी क्षेत्र (छिंदवाड़ा, होशंगाबाद) अंचलों में बलई समाज द्वारा प्रमुख रूप से काठी लोकनाट्य किया जाता है। काठीधारक को भगत कहते हैं। काठी का प्रारंभ देवप्रबोधिनी एकादशी से तथा समापन महाशिवरात्रि को होता है। काठी मातृ शक्ति पार्वती की पूजा का पर्व है, जिसमें ढांक काठी का मूल वाद्य यंत्र है। टिप्पणी: काठी के सभी पात्र पुरुष होते हैं। स्त्रियां काठी का बाना नहीं उठाती हैं। काठी की पारंपरिक प्रतिष्ठा पूजा प्रायः गांव की सुहागन स्त्रियों द्वारा की जाती है। काठी का मुख्य पात्र बड़ा भगत कहलाता है।
9. मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में पूर्णतः महिला-परक लोक प्रहसन कौन सा है?
(a) ठोठ्या
(b) फुटैया
(c) पाती स्वांग
(d) खमरास
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में पूर्णत: महिला-परक लोक प्रहसन ठोठ्या है। ठोठ्या की प्रस्तुति विवाह के अवसरों पर जब बारात घर से विवाह के लिए विदा होती है, तब घर में महिलाओं द्वारा रात्रि में ठोठ्या लोकनाट्य किया जाता है। परंपरागत इस लोकनाट्य की पात्र और दर्शक सिर्फ महिलाएं ही होती हैं। बच्चों व पुरुषों का ठोठ्या खेलना या देखना सर्वथा निषिद्ध है।
गीत और स्वांग ठोठ्या के प्रमुख तत्व हैं। इसके अतिरिक्त ढोलक इस लोकनाट्य का प्रमुख वाद्य यंत्र है। ठोठ्या के लोकगीत स्त्री-पुरुषों के संबंधों को लेकर शृंगारपरक होते हैं तथा इसमें पुरुषों के स्वभाव की नकल महिलाओं द्वारा स्वांग के रूप में की जाती है।
10. मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में कृष्णलीला आधारित प्रमुख लोकनाट्य है?
(a) नोटंकी
(b) जिंदवा
(c) हिंगाला
(d) मनसुखा
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में कृष्णलीला आधारित प्रमुख लोकनाट्य मनसुखा है। मनसुखा लोकनाट्य रास का बघेली रूपांतर है। इसमें 2 मंच और 2 पद होते हैं तथा मनसुख लालजी नामक विदूषक पात्र होता है, जिसकी गोप-गोपियों से भगवान श्री कृष्ण संबंधित नोक-झोंक होती है।
इस लोकनाट्य में किसी किशोर को श्रीकृष्ण की प्रतिकृति के रूप में अवतरित किया जाता है, जिसके सिर पर मोरपंख व हाथों में बांसुरी होती है।
11. मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में कौन सा जनजाति लोकनाट्य गोंड जनजाति द्वारा किया जाता है?
(a) नाचा
(b) हिंगाला
(c) छाहुर
(d) नौटंकी
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में हिंगाला लोकनाट्य गोंड जनजाति द्वारा किया जाता है, जिसमें किसी मंच की आवश्यकता नहीं होती है। इस लोकनाट्य में हिंगाला देवी का आह्वान किया जाता है तथा किसी कुंवारी लड़की को हिंगाला देवी का देवी स्वांग दिया जाता है। उत्साहपूर्वक गीतों में पात्रों के मध्य सवाल-जवाब होते हैं और अंत में हिंगाला देवी हार-जीत को बराबर हो जाने का आशीर्वाद देती हैं। इसके अतिरिक्त बघेलखंड क्षेत्र में गोंड जनजाति द्वारा विवाह के अवसर पर युवक-युवतियों द्वारा लकड़बग्घा लोकनाट्य भी किया जाता है।
12. भारत के हिंदी प्रदेशों में प्रथम रंग मंडल के रूप में भारत भवन के रंग मंडल की स्थापना कब हुई?
(a) 1 जुलाई, 1981
(b) 23 अगस्त, 1982
(c) 9 सितंबर, 1981
(d) 18 मई, 1982
व्याख्या: (a) भारत के हिंदी प्रदेशों में प्रथम रंग मंडल के रूप में भारत भवन के रंग मंडल की स्थापना 1 जुलाई, 1981 को हुई। भारत भवन में रंग मंडल की प्रस्तुति के लिए 4 रंग मंच क्रमशः बहिरंग, अंतरंग, पूर्वरंग और अभिरंग निर्मित किए गए हैं। बहिरंग नयनाभिराम दृश्य से जुड़ी हुई खुली रंग शाला है तथा पूर्वरंग का प्रयोग नाट्याभ्यास व प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।
13. मध्य प्रदेश के भोपाल में राष्ट्रीय एकता की भावना के प्रसार व शहीदों के बलिदान के प्रति जनता को जागरूक बनाने के उद्देश्य से स्वराज संस्थान संचालनालय की स्थापना कब की गई?
(a) 1 जून, 1998
(b) 1 मार्च, 1998
(c) 1 मई, 1998
(d) 1 अप्रैल, 1998
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के भोपाल में राष्ट्रीय एकता की भावना के प्रसार व शहीदों के बलिदान के प्रति जनता को जागरूक बनाने के उद्देश्य से स्वराज संस्थान संचालनालय की स्थापना 1 मई, 1998 को की गई। वर्ष 2005 में इस संस्थान द्वारा आदि विद्रोही नाट्य समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें निमाड़ के टंट्या भील के संघर्ष पर केंद्रित जनयोदा, घटोत्कच व जायज हत्यारे आदि नाटकों की प्रस्तुति की गई थी।
14. मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कालीदास समारोह स्वर्गीय पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण के प्रयासों से कब प्रारंभ किया गया?
(a) वर्ष 1948
(b) वर्ष 1958
(c) वर्ष 1968
(d) वर्ष 1978
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कालीदास समारोह स्वर्गीय पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण के प्रयासों से वर्ष 1958 में प्रारंभ किया गया, जिसका उद्घाटन भारत के प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद ने किया था तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉ. कैलाश नाथ काटजू ने राष्ट्रीय स्तर पर कालीदास सम्मान समारोह को स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए थे।
टिप्पणी: वर्ष 1958 से वर्तमान तक नियमित रूप से उज्जैन में कालीदास समारोह का आयोजन किया जाता है। किंतु वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध और वर्ष 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के कारण कालीदास समारोह का आयोजन संभव नहीं हो पाया।
विशेष: वर्ष 1974 से मध्य प्रदेश कला परिषद द्वारा इस समारोह के नाट्य संबंधित आयोजनों का संचालन अपने हाथ में ले लिया गया है।
15. मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के पश्चात वर्ष 1957 में प्रदेश में सर्वप्रथम किस फिल्म की शूटिंग की गई थी?
(a) भोपाल एक्सप्रेस
(b) सूरमा भोपाली
(c) डकैत
(d) नया दौर
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के पश्चात वर्ष 1957 में प्रदेश में सर्वप्रथम नया दौर फिल्म की शूटिंग की गई थी, जिसके प्रमुख अभिनेता दिलीप कुमार, वैजयंती माला, जानी वाकर आदि थे। यह फिल्म 15 अगस्त, 1957 को प्रसारित हुई थी तथा इस फिल्म की शूटिंग सीहोर जिले के बुधनी में हुई थी। इसके अतिरिक्त वर्ष 1999 में निर्देशक महेश मथई की फिल्म भोपाल एक्सप्रेस तथा वर्ष 1987 में निर्देशक राहुल रवैल की फिल्म डकैत की भी शूटिंग मध्य प्रदेश में हुई थी।
16. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बच्चे के जन्म के मांगलिक अवसर पर कौन सा लोकनृत्य किया जाता है?
(a) बधाई नृत्य
(b) राई नृत्य
(c) कनाडा नृत्य
(d) ढिमरियाई नृत्य
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बच्चे के जन्म के मांगलिक अवसर पर बधाई लोकनृत्य किया जाता है। बधाई नृत्य एक सांस्कारिक लोकनृत्य है, जिसके नाम में ही मांगलिकता समाविष्ट है। बच्चे के जन्म के अवसर पर मातृ पक्ष की ओर से कई रीति-रिवाज व प्रथाओं का निर्वहन किया जाता है तथा गुड़ के लड्डू बांधने की रस्म होती है। लड्डू समारोह पूर्वक प्रसूता के मायके भेजे जाते हैं फिर सवा महीने तक ससुराल पक्ष में उत्सव होता है, जिसमें सभी रिश्तेदार सगे-संबंधी सम्मिलित होते हैं। इस उत्सव को बधावा कहते हैं और इसी बधावे के समय बधाई नृत्य किया जाता है। बधाई उत्सव पर किये जाने पर इस उत्सव का नाम बधाई नृत्य पड़ा है। बधाई नृत्य में बधाई ताल बजाई जाती है, जो मूलतः ढपले और मिरधिंग पर बजाई जाती है।
17. बुंदेलखंड क्षेत्र में धोबी जनजाति द्वारा वैवाहिक अवसरों पर किया जाने वाला कनाडा नृत्य किस भगवान से संबंधित है?
(a) श्री हरदोल
(b) श्री कृष्ण
(c) श्री राम
(d) श्री विष्णु
व्याख्या: (b) बुंदेलखंड क्षेत्र में धोबी जनजाति के पुरुषों द्वारा वैवाहिक अवसरों पर किया जाने वाला कनाडा नृत्य भगवान श्री कृष्ण से संबंधित है। बृज में श्री कृष्ण को कानुड़ा कहते हैं, जिसके कारण बुंदेलखंड क्षेत्र में इस नृत्य का नाम कनाडा नृत्य पड़ा है। इस नृत्य को कानरा अथवा कांडरा नृत्य भी कहते हैं। इस लोकनृत्य में मृदंग, ककड़ी, कसावरी, बंजड़ी और लोटा आदि वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
18. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में नवरात्रि पर्व के अवसर पर कुंवारी कन्याओं द्वारा सुयोग्य वर की प्रार्थना हेतु कौन सा नृत्य किया जाता है?
(a) नौरता नृत्य
(b) बरेदी नृत्य
(c) लाकौर नृत्य
(d) रवाला नृत्य
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में नवरात्रि पर्व के अवसर पर कुंवारी कन्याओं द्वारा सुयोग्य वर की प्रार्थना हेतु नौरता नृत्य किया जाता है। नवरात्रि पर्व के अवसर पर सुआटा राक्षस के आतंक को तोड़ने के लिए कुंवारी कन्याएं शक्ति की अराधना, व्रत एवं नृत्य करती हैं। इनकी कोमल भावनाओं से ओत-प्रोत नौरता के गीत व नृत्य से प्रसन्न होकर पार्वती देवी कुंवारी कन्याओं को राक्षसी आतंक से दूर करती हैं तथा उन्हें बलशाली व सुयोग्य व सुंदर वर मिलने का वरदान देती हैं।
विशेष: नौरता एक अनुष्ठानिक नृत्य है, जो घट स्थापना के साथ प्रारंभ होता है। इस नृत्य में घर के आंगन पर रंगीन घेरेदार घाघरा व चुनरी पहन कर कुंवारी कन्याओं द्वारा नृत्य किया जाता है।
19. मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में विवाह के अवसर पर साजन-सजनाई नृत्य किया जाता है, जिसे अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) कहेरा नृत्य
(b) कलसा नृत्य
(c) केमाली नृत्य
(d) दादर नृत्य
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में विवाह के अवसर पर साजन-सजनाई नृत्य किया जाता है, जिसे केमाली नृत्य नाम से जाना जाता है। केमाली नृत्य में स्त्री-पुरुष दोनों सम्मिलित होते हैं तथा साजन पुरुष नृतक गीत में सवाल करता है और सजनाई स्त्री नृतकी उसका जवाब गीत के रूप में नृत्य करते हुए देती हैं। यह नृत्य बघेलखंड क्षेत्र में कोटवारों और चर्मकार समाज के लोगों द्वारा प्रमुख रूप से किया जाता है।
टिप्पणी: बघेलखंड क्षेत्र में बारी जनजाति द्वारा पुरुष प्रधान नृत्य केहरा सर्वाधिक लोकप्रिय है तथा वैवाहिक अवसरों पर बारात के स्वागत में कलश रखकर अहीर-गड़रिया समाज में कलसा नृत्य भी बघेलखंड क्षेत्र में किया जाता है।
20. मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में कुंवारी कन्याओं द्वारा ग्रीष्म ऋतु के समापन व वर्षा ऋतु के आगमन पर वर्षा बुलाने के उद्देश्य से कौन सा नृत्य किया जाता है?
(a) दौगरा नृत्य
(b) केमाली नृत्य
(c) कलसा नृत्य
(d) दादर नृत्य
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में कुंवारी कन्याओं द्वारा ग्रीष्म ऋतु के समापन व वर्षा ऋतु के आगमन पर वर्षा बुलाने के उद्देश्य से दौगरा नृत्य किया जाता है। इस नृत्य में इंद्रदेव की मनौती की जाती है। दौगरा नृत्य रीवा जिले के त्यौंथर तहसील में विशेष रूप से किया जाता है। इस नृत्य में कजली और हिंदुली गाकर इंद्रदेव के सम्मान में कुंवारी कन्याओं द्वारा ढोलक बजाकर नृत्य किया जाता है।
21. मध्य प्रदेश के ग्वालियर अंचल में पुरुष प्रधान लहंगी नृत्य किस माह में किया जाता है?
(a) श्रावण मास
(b) कार्तिक मास
(c) माघ मास
(d) फाल्गुन मास
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के ग्वालियर अंचल में पुरुष प्रधान लहंगी नृत्य श्रावण मास में रक्षाबंधन के दूसरे दिन भुजरिया पर्व के अवसर पर किया जाता है। लहंगी नृत्य भुजरिया पर्व पर लगभग सवा हाथ के डंडे लेकर नृतकों द्वारा गोल घेरा बनाकर किया जाता है। यह प्रमुख रूप से सहरिया जनजाति का लोकनृत्य है, जिसका मुख्य वाद्य यंत्र ढोलक होता है। लहंगी नृत्य रक्षाबंधन व भुजरिया पर्व के अतिरिक्त तेजाजी मेला व शरद पूर्णिमा के अवसर पर किया जाता है।
22. मध्य प्रदेश के मालवांचल में पुरुषपरक किसानों का प्रमुख लोकनृत्य है?
(a) गरबा नृत्य
(b) अन्ट्या नृत्य
(c) रजवाड़ी नृत्य
(d) छला नृत्य
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के मालवांचल में पुरुषपरक किसानों का प्रमुख लोकनृत्य अन्ट्या नृत्य है, जिसे डांड्या नाच भी कहा जाता है। अन्ट्या का अर्थ डंडा होता है, जो इस नृत्य में मुख्यतः बांस के होते है। अंट्या नृत्य मालवा में पुरुषों द्वारा धोती कुर्ता पहन कर ढोल की थाप पर किया जाता है। यह नृत्य दमखम्ब अर्थात प्रतिस्पर्धा का नृत्य है, जिसमें उत्साहपूर्वक सभी वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं।
23. मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में गणगौर नृत्य किस माह में किया जाता है?
(a) आषाढ़ माह
(b) चैत्र माह
(c) कुंवार माह
(d) पौष माह
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में गणगौर नृत्य चैत्र माह में किया जाता है। गणगौर पर्व निमाड़ क्षेत्र में चौत्र सुदी शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन गणगौर के रथ को सिंगारे (सजाने) के रूप में मनाया जाता है तथा इन्हीं रथों को सिर पर रखकर गणगौर नृत्य किया जाता है। गणगौर नृत्य के अंतर्गत प्रमुख रूप से 2 नृत्य क्रमश: झालरिया और झेला सम्मिलित होते हैं।
24. मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में काठी नृत्य जो देवी पार्वती की उपासना के उपलक्ष्य में किया जाता है, इसमें काठी माता की उपासना करने वाले को क्या कहा जाता है?
(a) खोरदार
(b) भगत
(c) मंडोला
(d) रजुल्ला
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में काठी नृत्य जो देवी पार्वती की उपासना के उपलक्ष्य में किया जाता है, इसमें काठी माता की उपासना करने वाले को रजुल्ला कहा जाता है। निमाड़ क्षेत्र में काठी पर्व देवप्रबोधनी एकादशी से प्रारंभ होकर महाशिवरात्री तक मनाया जाता है। काठी पर्व के अवसर पर काठी माता की काष्ठ मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है तथा काठी भगत अर्थात काठी नृत्य के नृतक व्रत उपवास करते हैं। रजुल्ला काठी माता की मूर्ति को कंधे पर रखकर ढोता है तथा वह सर्वप्रथम गांव के पटेल फिर विभिन्न यजमानों के घर काठी माता की मूर्ति स्थापित करता है। प्रत्येक घर में गृहिणी काठी माता की पूजा करती है और संध्या काल में नृतक काठी नृत्य करते हैं। ढांक काठी का मूल वाद्य यंत्र है।
25. मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र का वह लोकनृत्य जिसका नामकरण शहनाई से मिलते-जुलते फेफरया वाद्य यंत्र के आधार पर पड़ा है?
(a) फेफरया
(b) मांडल्या
(c) अन्ट्या
(d) गणगौर
व्याख्या: (a) फेफरया पारंपरिक समूह नाच है। इसे स्त्री और पुरुष युगल जोड़े के रूप में गोल घेरे में नाचते हैं। फेफरया वाद्य यंत्र के कारण इस नृत्य का नाम फेफरया पड़ा है। फेफरया एक प्रकार का बीन की आकृति का वाद्य यंत्र है, जिसकी आवाज शहनाई से मिलती जुलती है। फेफरया नृत्य में ढांक और थाली वाद्य यंत्र की गुंज पर स्त्री और पुरुष नृतक नृत्य करते हैं। यह नृत्य विवाह के अवसर पर किया जाता है।
26. मध्य प्रदेश में निवास करने वाली कोरकू जनजाति द्वारा चैत्र-वैशाख में किया जाने वाला सर्वप्रिय लोक नृत्य कौन सा है?
(a) मांडल्या नृत्य
(b) फेफरया नृत्य
(c) गरबा नृत्य
(d) ढांढल नृत्य
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में निवास करने वाली कोरकू जनजाति द्वारा चैत्र-वैशाख में किया जाने वाला सर्वप्रिय लोक नृत्य ढांढल नृत्य है। मुद्राओं के आधार पर ढांढल नृत्य 5 प्रकार क्रमशः टाड़ा या ढाकर ढांढल, पड़ोप ढांढल, भील ढांढल, सिडीकू ढांढल और चाचरीज ढांढल है।
27. मध्य प्रदेश में निवास करने वाली बैगा जनजाति द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य किया जाता है?
(a) ठाठ्या
(b) चाचरी
(c) गरबा नृत्य
(d) सैला नृत्य
व्याख्या: (d) सैला चांदनी रात में किया जाने वाला नृत्य है, खासकर अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की शरद पूर्णिमा की रात में प्रत्येक गांव या टोला में बैगा युवक-युवती सैला नृत्य करते हैं। हाथ में लगभग सवा हाथ के डंडे के कारण इसका नाम सैला पड़ा है। आदि देव को प्रसन्न करने के लिए सैला नृत्य का आयोजन होता है। ऐसा कहा जाता है कि सरगुजा (छत्तीसगढ़) की रानी से अप्रसन्न होकर आदि देव बघेसुर अमरकंटक (अनूपपुर) चले गये थे। वहां के बांसों को काटकर इस नृत्य का चलन हुआ है। सैला नृत्य के प्रमुख वाद्य मांदर और टिमकी होते हैं। इस नृत्य को कहीं-कहीं सैला-रीना भी कहते हैं। सैला नृत्य कई जनजातियों में प्रचलित है।
28. भील जनजाति द्वारा भगोरिया पर्व के अवसर पर भगोरिया हाटों में कौन सा नृत्य किया जाता है?
(a) फाग नृत्य
(b) सैला नृत्य
(c) भड़ौनी नृत्य
(d) डोहिया नृत्य
व्याख्या: (d) फाल्गुन माह में होली के पूर्व भीलांचल अर्थात अलीराजपुर-झाबुआ में भगोरिया पर्व मनाया जाता है, जिसमें हाट-बाजार लगते हैं। इन हाट-बाजारों में भील जनजाति के युवक-युवती ताड़ी का पान करने के पश्चात भगोरिया नृत्य के अतिरिक्त हाटों में डोहिया नृत्य करते हैं। डोहिया नृत्य में भील युवक-युवती आमने-सामने खड़े होकर विभिन्न प्रकार की मुद्राओं में अंग संचालन करते हुए कभी आगे कभी पीछे तो कभी दायीं-बायीं ओर झुककर नृत्य करते हैं।
विशेष- भील जनजाति द्वारा होली पर्व के अवसर पर गहर नृत्य जोगी की वेशभूषा में किया जाता है। इसके अतिरिक्त भील जनजाति द्वारा दीपावली पर्व पर गरबी नृत्य किया जाता है।
29. मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग अर्थात गोंडवांचल क्षेत्र में गोंड जनजाति द्वारा धान की फसल कटने के अवसर पर कौन सा नृत्य तोते को संबोधित गीतों पर किया जाता है?
(a) सुआ नृत्य
(b) बिरहा नृत्य
(c) सजनी नृत्य
(d) सैला नृत्य
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग अर्थात गोंडवांचल क्षेत्र में गोंड जनजाति द्वारा धान की फसल कटने के अवसर पर सुआ नृत्य तोते को संबोधित गीतों पर किया जाता है। इस नृत्य में गोंड जनजाति की कन्याएं दूसरे गांवों के घरों में नृत्य करती हैं और स्वागत का सामान लाती हैं। संपूर्ण सतपुड़ा अंचल व विंध्य क्षेत्र की गोंड जनजाति का सुआ नृत्य लोकप्रिय नृत्य है। यह नवीन फसल आने की प्रसन्नता के अवसर पर किया जाता है।
30. मध्य प्रदेश में कोल जनजाति का सर्वप्रिय लोकनृत्य है?
(a) सुआ नृत्य
(b) सजनी नृत्य
(c) बिलमा नृत्य
(d) कोलदहका नृत्य
व्याख्या: (d) कोल संगीत-नृत्य प्रिय जनजाति है। कोलदहका या कोलदहकी इनका सर्वप्रिय नृत्य है। कोलदहका का अर्थ है कोलों का दहकना अर्थात अति उत्साह, उमंग और आनंद के साथ कुशल हस्त-पद संचलन और अपनी आदिम ऊर्जा के साथ नृत्य करना। सगाई, विवाह, छठी आदि उत्सव, कोलदहका केहरा, दोतलिया और नारदी नृत्य के विशिष्ट अवसर होते हैं।
कोलदहका नृत्य: कोलदहका, कोल जनजाति का पारंपरिक नृत्य गीत है। इसे कोलहाई नाच भी कहते हैं। इस नृत्य में पुरुष वादक और गायक दोनों की भूमिका निभाते हैं। महिलाएं अपनी पारंपरिक वेशभूषा और गहने पहनकर पैरों में घुंघरू बांधकर नाचती हैं। पुरुषों का वेश साधारण रोजमर्रा का होता है। महिलाओं के चेहरे पर घूंघट होता है। कोलदहका नृत्य के अवसर पर जो गीत गाये जाते हैं, वे सवाल-जवाब वाले होते हैं। नृत्य करते-करते महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले सवाली गीतों का जवाब पुरुष गायकों को देना होता है।
विशेष: कोलदहका के केंद्र में महिलाओं का नृत्य और पुरुषों का ढोलक वादन है। इस नृत्य में तीन से लगाकर पांच-छह ढोलकें तीव्रता से बजायी जाती हैं, नगड़िया की संगत ढोलकों के बीच कुछ अलग ही समा बांध देती है।
31. मध्य प्रदेश के किस जिले में ढोकरा शिल्पकला प्रचलित है?
(a) बैतूल
(b) मंडला
(c) कटनी
(d) सीहोर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है, जहां विभिन्न कलाओं व संस्कृतियों का मिश्रण देखने को मिलता है। सभी प्रकार की कलाएं किसी-न-किसी रूप में इतिहास से जुड़कर अपनी गौरवशाली गाथा का बखान करती हैं। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में ढोकरा कला भी इन्हीं कलाओं में से एक है। इस कला का दूसरा नाम घढ़वा कला भी है। मध्य प्रदेश के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में यह कला प्राचीन होने के साथ-साथ असाधारण भी है। इस कला में तांबा, जस्ता व रांगा (टीन) आदि धातुओं के मिश्रण की ढलाई करके मूर्तियां, बर्तन, व रोजमर्रा के अन्य सामान बनाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में मधुमक्खी के मोम का इस्तेमाल होता है। इसलिये इसे मोम क्षय विधि (Wax Loss Process) भी कहते हैं। इस कला का उपयोग करके बनाई गई मूर्ति का सबसे पुराना नमूना मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त नृत्य करती हुई लड़की की प्रसिद्ध मूर्ति है।
32. अमेरिका में बिकने वाली मूर्ति रामदरबार के मूर्तिकार कौन हैं?
(a) मिथिलेश शुक्ल
(b) विनोद तिवारी
(c) मुकेश यादव
(d) दिनेश शर्मा
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के छतरपुर में रहने वाले मूर्तिकार दिनेश शर्मा द्वारा निर्मित 'रामदरबार' नामक प्रतिमा श्रीनगर के माध्यम से अमेरिका में बिकी है। दिनेश शर्मा द्वारा निर्मित पीतल की मूर्तियां भारत के कई विख्यात मंदिरों में स्थापित हैं और कई मूर्तियां ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में बिकी हैं। दिनेश इस क्षेत्र में कई पदक हासिल कर चुके हैं।
33. 'प्रेम और विरह में पड़ी स्त्री' का चित्र किन गुफाओं की चित्रकारी को दर्शाता है?
(a) उदयगिरि की गुफाएं
(b) मारा की गुफाएं
(c) बाघ की गुफाएं
(d) पांडव की गुफाएं
व्याख्या: (c) बाघ गुफाओं की चित्रकारी में स्त्री की विभिन्न अवस्थाओं का चित्रण किया गया है जिसमें 'प्रेम और विरह' में पड़ी स्त्री के चित्रों को विशेष सराहना प्राप्त हुई है। इनमें मुंह पर कपड़ा रखी शोकाकुल महिला के चित्र को बहुत प्रसिद्धि मिली है। जीवन के उल्लास और आनंद की अभिव्यक्ति बाघ गुफाओं में जितनी हुई है उतनी देश की अन्य गुफा चित्रकला में देखने को नहीं मिलती।
टिप्पणी: यह गुफाएं मध्य प्रदेश के धार जिले के कुक्षी तहसील में स्थित विंध्य पर्वत श्रेणी में है। इनका विवरण 1818 ई. में अंग्रेज अधिकारी डेंजरफील्ड ने प्रकाशित कराया था। बाघ में कुल 9 गुफाएं हैं, यह सभी विहार गुफाएं हैं। बाघ गुफाओं के चित्र अजंता की गुफा संख्या 1 और 2 की चित्रकलाओं के समान हैं।
34. बोधिसत्व पद्मापाणी का चित्र किन गुफाओं की विशेषता है?
(a) पांडव की गुफाएं
(b) मारा की गुफाएं
(c) बाघ की गुफाएं
(d) भेड़ाघाट की गुफाएं
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित बाघ गुफाओं की गुफा संख्या 2 का सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्र 'पद्मपाणी बौद्ध' का है। इस चित्र में मुखाकृति सौम्य तथा आभूषण व पुष्पों से शरीर के भाग सुसज्जित हैं।
टिप्पणी: बाघ गुफा संख्या 4 को रंग महल भी कहा जाता है। इसमें सुंदर अधोवस्त्र धारण किए नर्तकियों का घेरा बनाकर नृत्य करते हुए अंकित किया गया है। जुलूस का दृश्य भी गुफा नंबर 4 में ही अंकित है।
विशेष: बाघ गुफाओं की चित्रकारी में स्थानीय पत्रों से निर्मित रंगों का प्रयोग किया गया है। इन गुफाओं में घोड़ों तथा हाथियों पर सवार व्यक्तियों के जुलूस का दृश्य है। बाघ की चित्रकारी पर केवल धार्मिक प्रभाव ही नहीं वरन अलौकिक प्रभाव भी दिखाई देता है।
35. मध्य प्रदेश में भरथरी किस क्षेत्र का लोकगायन है?
(a) निमाड़
(b) बघेलखंड
(c) मालवा
(d) बुदेलखंड
व्याख्या: (c) मालवा क्षेत्र में प्रातः काल नाथ संप्रदाय के लोग एकल या सामूहिक रूप में विभिन्न वाद्य यंत्रों के साथ भरथरी कथा का गायन करते हैं। छत्तीसगढ़ में भरथरी गायन की परंपरागत लोक शैली प्रचलित है। भरथरी लोक गायन के अंतर्गत मालवा गांवों में आज भी नाथपंथी लोग गोरखवाणी, कबीर, मीरा, गोपीचंद कथा आदि भजन गाते हुए पाए जाते हैं।
प्रमुख वाद्य यंत्र:
तबला
सितार
चिकारा
टिप्पणी: चिकारा प्राचीनतम और पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो नारियल की नटी, बांस और घोड़े के बालों से निर्मित होता है।
36. सूरजबाई खांडे का संबंध किस लोकगायन से है?
(a) निमाड़
(b) भरथरी
(c) बुंदेलखंड
(d) बघेलखंड
व्याख्या: (b) भरथरी गायन की पुरानी परंपरा को सूरजबाई खांडे ने रोचक लोक शैली में प्रस्तुत कर विशेष पहचान बनाई है। भरथरी गायन में हारमोनियम, बांसुरी, तबला, मंजीरा का प्रयोग होता है। भरथरी गायिका सूरजबाई खांडे का जन्म वर्ष 1949 में बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में हुआ था तथा 10 मार्च 2018 को निधन हुआ।
37. श्री प्रहलाद सिंह किस लोक गायन हेतु प्रसिद्द हैं?
(a) बरसाती बारता
(b) नाथपंथी गायन
(c) फाग गायन
(d) निर्गुणी गायन
व्याख्या: (d) प्रहलाद सिंह टिपानिया निर्गुणी लोक गायक हैं, जो मालवा की सर्वाधिक प्राचीन परंपरा है, जिसके अंतर्गत कबीर के भजन गाते हैं।
निर्गुणी गायन: निर्गुणी लोक गायन मालवा की सर्वाधिक प्राचीन परंपरा है, जिसमें कबीर के आध्यात्म की छाप होती है तथा नश्वर शरीर आत्मा की अमरता आदि की प्रतीकों के माध्यम से विवेचना होती है।
विशेष: निर्गुणी गायन को नारदीय भजन भी कहा जाता है। इस लोकगायन में कबीर, मीरा, रैदास आदि के भक्ति पदों का गायन किया जाता है।
टिप्पणी: प्रहलाद टिपनिया जी ने अपना जीवन यापन एक शिक्षक के रूप में प्रारंभ किया। वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया।
38. निम्न में से कौन सा लोक गायन मालवा क्षेत्र से संबंधित है?
(a) आल्हा गायन
(b) बसदेवा गायन
(c) गरबा-गरबी
(d) संजा गीत
व्याख्या: (d) मालवा क्षेत्र में संजा गीत किशोरियों की पारंपरिक गायन पद्धति है। यह पितृपक्ष में शाम के समय किशोरियों द्वारा गाया जाता है।
टिप्पणी: इसमें किसी प्रकार के वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं होता है।
39. मालवा क्षेत्र में हीड़ गायन की प्रथा किस माह में आयोजित होती है?
(a) श्रावण
(b) फाल्गुन
(c) भाद्रपद
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (a) हीड़ गायन मालवा क्षेत्र में श्रावण महीने की गायन प्रथा है, जो मुख्यतः अहीरों का लोक आख्यान है। हीड़ गायन होली, दीवाली, जन्माष्टमी नवरात्रि और गोवर्धन पूजा के समय किया जाता है।
नोट: इसमें कृषि संस्कृति तथा ग्यारस माता की कथा का वर्णन किया जाता है।
विशेष: हीड़ गायन निमाड़ क्षेत्र की ग्रामीण संस्कृति में भी दीवाली के पारंपरिक उत्सव के रूप में माना जाता है। ग्रामीण संस्कृति की गंध से सुवासित गीत इस दौरान गाये जाते हैं। इन लोकगीतों में पशुओं की खुशहाली के लिए ईशवंदना प्रमुख होती है।
40. निम्न में से कौन सा लोक गायन गद्य और पद्य दोनों शैली में गाया जाता है?
(a) बरसाती-बारता
(b) लोकगीत
(c) गरबा गरबा
(d) बिरहा गायक
व्याख्या: (a) बरसाती बारता ऋतु कथा गीत है, जो बरसात के समय गाया जाता है। इसलिए इसे बरसाती बारता भी कहा जाता है। यह चंपू काव्य शैली का लोकगायन है, जो गद्य और पद्य दोनों ही शैली में प्रयोग किया जाता है।
41. कलगी-तुर्रा लोक गायन मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र में गाया जाता है?
(a) बुंदेलखंड
(b) बघेलखंड
(c) निमाड़ी
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (c) निमाड़ क्षेत्र में कलगी तुर्रा प्रतिस्पर्धात्मक लोक गायन शैली है। यह एक प्राचीन लोक गायकी है जिसका प्रसार निमाड़ क्षेत्र से लेकर मालवा तक है।
टिप्पणी: यह रात्रि के समय लकड़ी एवं तारों से निर्मित वाद्य यंत्र जिसे चंग कहा जाता है, की थाप पर शिव की आराधना में गाया जाता है।
42. निम्न में से किस लोकगायन में अखाड़े होते हैं?
(a) नाथपंथी गायन
(b) संत सिंगाजी भजन
(c) कलगी-तुर्रा
(d) गरबा-गरबी
व्याख्या: (c) कलगी-तुर्रा लोकगायन में दो अखाड़े होते हैं जिसमें एक अखाड़ा कलगी तथा दूसरा अखाड़ा तुर्रा कहलाता है। प्रत्येक अखाड़े में गुरू की उपस्थिति होती है, जिसे उस्ताद कहा जाता है।
43. मृदंग और झांझ के साथ उच्च स्वर में गाया जाने वाला लोक गायन है-
(a) आल्हा गायन
(b) बिरहा गायन
(c) संजा गीत
(d) संत सिंगाजी भजन
व्याख्या: (d) 15वीं सदी में संत सिंगाजी एक प्रमुख निर्गुण संत कवि थे। उनके द्वारा प्रचलित निर्गुण पदों को आज भी भजन के रूप में गाया जाता है। यह भजन आध्यात्मिक साधना से युक्त हैं तथा निवाड एवं मालवा क्षेत्र में किसी भी अवसर पर गाए जाते हैं। इन भजनों को मृदंग और झांझ के साथ उच्च स्वर में गाया जाता है।
44. निम्न में से कौन सा लोक गायन निमाड़ क्षेत्र से संबंधित है?
(a) बसदेवा
(b) बिरहा
(c) नाथपंथी
(d) संजा
व्याख्या: (c) निमाड़ में नाथ जोगियों में यह अलग प्रकार की लोक गायन पद्धति है, जिसमें नाथ जोगी भगवा वस्त्र पहने हाथ में रेगड़ी पकड़े अथवा रुं-रूं बजाते हुए इस भजन को गाते हैं तथा लोगों से नेग लेते हैं।
टिप्पणी: इस गीत में प्राय: गोरख, कबीर अथवा भरथरी गाथा का गायन करते हैं।
45. निमाड़ क्षेत्र में गाया जाने वाला मसाण्या लोकगीत किस अवसर में गाया जाता है?
(a) विवाह
(b) उत्सव
(c) मृत्यु
(d) युद्ध
व्याख्या: (c) निमाड़ क्षेत्र में आत्मा की अमरता और शरीर की नश्वरता संबंधी पारंपरिक गीत को मसाण्या गीत कहा जाता है, यह गीत समूह में गाए जाते हैं।
टिप्पणी: निमाड़ में इन मृत्यु गीतों को कायाखोज भी कहा जाता है।
46. गरबा : गरबी लोक गायन किस क्षेत्र में प्रचलित है?
(a) बघेलखंड
(b) बुंदेलखंड
(c) मालवा
(d) निमाड़
व्याख्या: (d) गरबा निमाड़ क्षेत्र में स्त्रीपरक लोक गायन है, जबकि गरबी पुरुष प्रधान लोक गायन है। कभी-कभी स्त्री-पुरुष समूह में भी इस लोक गीत का गायन देवी-देवताओं की स्तुति में करते हैं।
47. आल्हा गायन के प्रमुख वाद्य यंत्र हैं?
(a) सितार-तबला
(b) बांस-चिकारा
(c) ढोलक-नगाड़े
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (c) आल्हा वीरगाथाओं के लेखन और गायन की एक शैली है। इसमें रचा गया परमाल रासो का आल्ह खंड बहुत लोकप्रिय हुआ। यह मुख्यत: एकल गायन शैली के रूप में वर्षा ऋतु में शाम के समय गाया जाता है।
टिप्पणी: इसकी विषय-वस्तु जग्निक द्वारा रचित है। इसके प्रमुख वाद्ययंत्र ढोलक नगाड़े हैं।
एक नजर इधर भी: आल्हा छंद में लिखी आल्हखंड की निम्न पंक्तियां आज भी नौजवानों की रंगों में अद्भुत जोश भर देती हैं:-
'बारह बरस लौ कूकर जीवै, अरु सोरह लौ जियै सियार।
बरस अठारह क्षत्री जीवै, आगे जीवन को धिक्कार'
48. बुंदेलखंडी लोकगीत 'लमटेरा' को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) भोलागीत
(b) बंबुलिया
(c) बिरहा
(d) (a) एवं (b) दोनों
व्याख्या: (a) बुंदेलखंड क्षेत्र में गाये जाने वाला लमटेरा लोकगीत को भोलागीत अथवा बंबुलिया के नाम से भी जाना जाता है। यह लोकगीत मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि एवं अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर स्त्री-पुरुष के समूह द्वारा गाए जाते हैं।
टिप्पणी: यह लोकगीत मुख्य रूप से शिव की शक्ति से संबंधित हैं तथा इन गीतों की प्रमुख विशेषता यह है कि ये प्रश्नोत्तर शैली में गाए जाते हैं। इन गीतों के गायन में किसी भी वाद्य यंत्र का प्रयोग नहीं किया जाता है।
49. निम्न में से किस लोकगीत में महाभारत की कथाएं गाई जाती हैं?
(a) जगदेव गायन
(b) देवारी गायन
(c) बैरायट गायन
(d) बसदेवा गायन
व्याख्या: (c) बैरायट गायन मुख्य रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र में गाया जाता है। यह कथा गायन की शैली है, जिसमे मुख्य रूप से महाभारत की कथाओं के साथ अनेक ऐतिहासिक चरित्रों एवं लोकनायकों की कथाएं गाई जाती हैं।
टिप्पणी: यह गीत मुख्यतः धार्मिक त्योहारों के अवसर पर रात्रि के समय गाया जाता है।
50. निम्न में से किस लोकगीत की विषय वस्तु राधा कृष्ण के प्रेम-प्रसंग में आधारित होती है?
(a) देवारी गायन
(b) बैरायट गायन
(c) बिरहा गायन
(d) बसदेवा गायन
व्याख्या: (a) देवारी गायन दोहों पर केंद्रित होता है। यह मुख्यतः दीपावली के अवसर पर गाया जाता है अहिर, गवली, घोसी, पाल आदि जातियों में देवारी गायन और नृत्य की परंपरा है। इस गायन परंपरा में ग्वालबाल सिर पर मोरपंख धारण करके गायन के साथ-साथ नृत्य भी करते हैं। देवारी के दोहों के विषय राधाकृष्ण के प्रेम-प्रसंग तथा भक्ति पर आधारित होते हैं। इस गायन में वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग किया जाता है।
51. निम्न में से कौन सा एक बुंदेलखंडी लोकगीत है?
(a) पंडवानी
(b) बांस गीत
(c) बरसाती बारता
(d) जगदेव का पुवारा
व्याख्या: (d) जगदेव का पुवारा एक बुंदेलखंडी लोकगीत है जो मुख्यतः चैत्र और आश्विन माह में गाया जाने वाला भजन शैली का लोकगीत है। इसमें देवी की स्तुति से संबंधित भजन गीत गाए जाते हैं।
52. फाग गीत किस क्षेत्र में प्रचलित है?
(a) बघेलखंड
(b) निमाड़
(c) बुंदेलखंड
(d) उपर्युक्त सभी
व्याख्या: (d) फाग होली के अवसर पर गाया जाने वाला एक लोकगीत है। यह मूल रूप से उत्तर प्रदेश का लोक गीत है तथा मध्य प्रदेश के बघेलखंड, बुंदेलखंड तथा निमाड़ क्षेत्र में भी प्रचलित है।
टिप्पणी: सामान्य रूप से फाग में होली खेलने, प्रकृति की सुंदरता और राधाकृष्ण के प्रेम का वर्णन होता है। इन्हें शास्त्रीय संगीत तथा उपशास्त्रीय संगीत के रूप में भी गाया जाता है।
53. हरदौल की मनौती लोकगीत किस क्षेत्र में प्रचलित है?
(a) बुंदेलखंड
(b) बघेलखंड
(c) मालवा
(d) (a) एवं (b) दोनों
व्याख्या: (d) हरदौल की मनौती बुंदेलखंड और बघेलखंड क्षेत्र में प्रचलित वीरता प्रधान गायन परंपरा है।
टिप्पणी: हरदौल भाभी की इज्जत बचाने के लिए खुद पान कर लिए थे जहर हरदौल, ओरछा के राजा वीर सिंह देव के बेटे थे। वीर सिंह देव ने अपने बड़े बेटे जुझार सिंह को ओरछा की राजगद्दी सौंपी और हरदौल को ओरछा का दीवान बनाया। जुझार सिंह कई बार मुगलों से उलझते रहते थे। ऐसे में रियासत का सारा काम हरदौल ही देखते थे। ओरछा के गजेटियर में इस बात का उल्लेख है कि हरदौल से जलकर किसी ने राजा जुझार सिंह से शिकायत कर दी कि उनकी पत्नी चंपावती और हरदौल सिंह के बीच अवैध संबंध है। इस पर राजा जुझार सिंह ने रानी चंपावती को अपने हाथों से हरदौल को जहर परोसने का आदेश दिया। रानी जब यह न कर सकी, तो हरदौल ने अपनी भाभी की प्रतिष्ठा के लिए खुद जहर पी लिया।
विशेष: समूचे बुंदेलखंड में लाला हरदौल को लोक देवता के रूप में माना जाता है। यहां पर किसी की भी शादी होने पर पहला निमंत्रण कार्ड लाल हरदौल को भेजा जाता है और महिलाएं विवाह को भली प्रकार से संपन्न कराने के लिए उनसे भात (चावल) मांगती हैं। ओरछा (निवाड़ी) स्थित लाला हरदौल के चबूतरे पर समूचे बुंदेलखंड से लोग कार्ड चढ़ाने के लिए आते हैं।
54. बघेलखंड में प्रचलित लोक गीत 'बसदेवा' किस जाति द्वारा गाया जाता है?
(a) मोरध्वज
(b) हरबोले
(c) मनौती
(d) भील
व्याख्या: (b) बसदेवा बघेलखंड का एक पारंपरिक गायन है जो हरबोले जाति द्वारा गाया जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति सिर पर रखकर और पीला वस्त्र धारण करके रामायण कथा श्रवण कुमार कथा एवं कर्ण कथा आदि का चरित्र कथा गायन किया जाता है।
55. मध्य प्रदेश में बिरहा गायन किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a) बुंदेलखंड
(b) बघेलखंड
(c) निमाड़
(d) मालवा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के बघेलखंड में बिरहा गायन सभी जातियों द्वारा गाया जाता है। यह प्रश्नोत्तर शैली में गाया जाने वाला लोकगीत है। इसमें स्त्री एवं पुरुष समूह में गायन करते हैं।
56. बघेलखंड में प्रचलित फाग गायन में मुख्य भागीदारी किसकी होती है?
(a) स्त्री
(b) पुरुष
(c) समूह
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (b) बघेलखंड में फाग गायन की परंपरा सबसे भिन्न और मौलिक है। यहां नगाड़ों के साथ फाग गायन किया जाता है। बघेलखंड के फाग गायन में पुरुषों की मुख्य भागीदारी होती है। सामूहिक स्वरों में फाग गीतों का गायन नगाड़ों की विलंबित ताल पर प्रारंभ होता है और धीरे-धीरे तीव्रता की ओर बढ़ता है। बघेलखंड में फाग गायन की अनेक लोक मंडलिया हैं।
57. मध्य प्रदेश में बांस लोकगीत किस क्षेत्र में गाया जाता है?
(a) बुंदेलखंड
(b) बघेलखंड
(c) मालवा
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (b) बघेलखंड क्षेत्र में बांस गीत लोक गाथाओं के रूप में गाया जाता है, इसमें गायक, रागी और वादक प्रमुख होते हैं।
टिप्पणी: बघेलखंड बांस गीत मोरध्वज एवं कर्ण की गाथाओं पर आधारित महिला केंद्रित गीत हैं, जिन्हें उच्च स्वर तथा कथात्मक गायन शैली में गाया जाता है।
58. निम्न में से कौन सा बघेलखंड में जनजातियों द्वारा गाया जाने वाला एक गीत है?
(a) फाग
(b) सीदेव
(c) बिरहा
(d) रेलो
व्याख्या: (b) सीदेव बघेलखंड में जनजातियों द्वारा गाया जाने वाला एक लोक गायन है। सीदेव लोकगायन में विभिन्न जनजातियां अपने पारंपरिक उत्सवों के अवसर पर विभिन्न वाद्य यंत्रों के साथ इस गीत का गायन करते हैं।
59. निम्न में से कौन सा लोकगीत बघेलखंड क्षेत्र संबंधित है?
(a) बरसाती-बारता
(b) बैरायट
(c) पंडवानी
(d) भरथरी
व्याख्या: (c) पंडवानी मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र का लोकगीत है, जिसमें पांडवों की एकल कथा गाई जाती है।
टिप्पणी: पंडवानी में अध्यात्म, धर्म, उद्देश्य, शौर्य, साहस, श्रृंगार सभी भाव सम्मिलित हैं। यह मध्य प्रदेश के गोंड आदिवासियों की परधान शाखा से संबंधित हैं।
60. प्रसिद्ध लोक गायक तीजनबाई का संबंध किस लोकगीत से है?
(a) आल्हा गायन
(b) बिरहा गायन
(c) पंडवानी
(d) घोटूल पाटा
व्याख्या: (c) पंडवानी मध्य प्रदेश के बघेलखंड एवं छत्तीसगढ़ का एकल नाट्य है, जिसका अर्थ है पांडव कथा, अर्थात महाभारत की कथा। तीजनबाई ने पंडवानी को देश और विदेश में ख्याति दिलाई।
टिप्पणी: तीजनबाई का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को दुर्ग जिले के गनियारी ग्राम (भिलाई) में हुआ था। तीजनबाई पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार हैं।
प्राप्त पुरस्कार:
वर्ष 1988 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार
वर्ष 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
वर्ष 2007 में नृत्य शिरोमणि पुरस्कार
वर्ष 2009 में कला के क्षेत्र में पद्मभूषण पुरस्कार
वर्ष 2019 में पद्मश्री
61. निम्न में से किस लोक गायक का संबंध पंडवानी लोकगीत से है?
(a) शांति बाई चेलकने
(b) उषा बाई बारले
(c) पुनिया बाई
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) शांति बाई चेलकने एवं उषा बाई बारले पंडवानी लोकगीत की कापालिक शैली की लोक गायिकाएं हैं। इसके अतिरिक्त पुनिया बाई भी पंडवानी लोकगीत की प्रसिद्ध गायिका हैं।
62. वेदमती शैली के लोकगीत का संबंध किस लोक गायन से है?
(a) आल्हा गायन
(b) निर्गुणी गायन
(c) पंडवानी
(d) घोटूल पाटा
व्याख्या: (c) बघेलखंड में प्रचलित पंडवानी लोकगीत की दो शैलियां कापलिक एवं वेदमती हैं।
टिप्पणी:
कापालिक: कापालिक शैली पंडवानी लोक गायन की एक विशिष्ट शैली है जिसमें गायक-गायिकाओं के 'कपाल' का प्रयोग होता है। कापालिक शैली की विख्यात गायिका हैं:
तीजनबाई
शांतिबाई चेलकने
उषा बाई बारले
वेदमती: वेदमती शैली वाचक पारंपरिक पर आधारित है। वेदमती शैली के गायक-गायिका वीरासन पर बैठकर पंडवानी गायन करते हैं। वेदमती शैली के प्रसिद्ध गायक गायिका हैं:
पुनाराम निषाद
रेवाराम
श्री झाडूराम देवांगन
पंचूराम
लक्ष्मी बाई
63. बघेलखंड का लोकगीत घोटूल-पाटा किस अवसर में गाया जाता है?
(a) विवाह
(b) उत्सव
(c) मृत्यु
(d) जन्म
व्याख्या: (c) घोटुल-पाटा मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में गोंड एवं मुड़िया जनजाति के लोगों के द्वारा मृत्यु के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है। इस लोकगीत में मुख्यतः राजा जोलोंग साय की कथा के साथ प्रकृति के अनेक जटिल रहस्यों का समाधान प्रस्तुत किया जाता है। यह लोकगीत मुख्यतः बुजुर्ग व्यक्तियों द्वारा गाया जाता है।
64. आड़ा-खड़ा व रजवाड़ी मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र का लोक नृत्य है?
(a) बुन्देलखंड
(b) बघेलखंड
(c) मालवा
(d) निमाड़ी
व्याख्या: (c) आड़ा-खड़ा व रजवाड़ी नृत्य की परंपरा किसी विशेष अवसर पर संपूर्ण मालवा क्षेत्र में देखी जा सकती है। यह नृत्य ढोल की पारंपरिक कहेरवा दादरा तालों पर किया जाता है। यह विशेषतः महिला प्रधान नृत्य है।
टिप्पणी: रजवाड़ी नृत्य साड़ी के पल्लू को पकड़कर तथा आड़ा नृत्य झुककर कहरवा की ताल पर किया जाता है।
65. मटकी नृत्य मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र का लोकनृत्य है?
(a) बुंदेलखंड
(b) बघेलखंड
(c) निमाड़
(d) मालवा
व्याख्या: (d) मटकी नृत्य मालवा, मध्य प्रदेश का परंपरागत नृत्य है। विभिन्न अवसरों पर मालवा के गांव की महिलाएं मटकी नृत्य करती हैं। ढोल या ढोलक की एक खास लय, जो मटकी के नाम से जानी जाती है, उसकी थाप पर महिलाएं नृत्य करती हैं। ढोल किमची और डंडे से बजाया जाता है।
टिप्पणी: मटकी नृत्य के प्रारंभ में पहले एक ही महिला नाचती है, जिसे 'झेला' कहा जाता है। महिलाएं अपनी परंपरागत मालवी वेशभूषा में चेहरे पर घूंघट डाले हुए नृत्य करती हैं। पहले नाचने वाली महिला गीत की कड़ी उठाती है, फिर आस-पास की महिलाएं भी समूह में इस कड़ी को दोहराती हैं। नृत्य में हाथ और पैरों का सुंदर संचालन दर्शनीय होता है। ढोल और मटकी इस नृत्य की मुख्य ताल है।
66. झोला तथा झालरिया मध्य प्रदेश के किस लोकनृत्य की शैलियां हैं?
(a) मटकी
(b) गणगौर
(c) दादर
(d) कलसा
व्याख्या: (b) गणगौर मालवा तथा निकटवर्ती राजस्थान का एक नृत्य एवं त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है। यह नृत्य ढोल और थाली की थाप पर किया जाता है। मध्य प्रदेश में झूला तथा झालरिया शैली के दो गणगौर किए जाते हैं।
टिप्पणी: इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलाएं शिवजी और पार्वती जी की पूजा करती हैं और पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए 'गोर गोर गोमती' गीत गाती हैं। इसकी विषय-वस्तु में भक्ति के रूप में धनियार, सूर्यदेव और रनुबाई की उपासना की जाती है।
67. ढाक वाद्ययंत्र का मध्य प्रदेश के किस लोक नृत्य में प्रयोग किया जाता है?
(a) माडल्या
(b) गणगौर
(c) काठी
(d) फेफरिया
व्याख्या: (c) काठी नृत्य मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल का प्रसिद्ध लोक नाट्य है। यह वलाही हरिजन समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है। नर्तकों की कमर में बंधे ढाक वाद्य यंत्र नृत्य की लय एवं संगीत को गतिमान बनाते हैं। नृत्य के पूर्व नर्तक काष्ठ निर्मित तथा वस्त्रों से सुसज्जित अपनी इष्ट देवी 'काठी' माता को पवित्र कर संस्कारानुसार पूजा करते हैं।
टिप्पणी: काठी माता के आराधक 'भगत' नाम से पुकारे जाते हैं। इस नृत्य के प्रमुख पात्र 'राजुल्या' काठी माता को हाथ में लिए रहते हैं तथा ‘खोरदार' थाली बजाकर इस नृत्य के संगीत को लय प्रदान करते हैं। काठी देवी के कारण ही इसे 'काठी नृत्य' के नाम से जाना जाता है, जबकि काठियावाड़ को इस नृत्य का जन्म स्थल माना जाता है।
68. माडल्या मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र का लोकनृत्य है?
(a) बुंदेलखंड
(b) मालवा
(c) बघेलखंड
(d) निमाड़
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र का माडल्या स्त्री प्रधान लोक नृत्य है, जिसमें पुरुषों द्वारा बजाए गए ढोल की थाप पर महिलाएं विभिन्न उत्सवों पर नृत्य करती हैं।
69. निमाड़ क्षेत्र का डंडा नाच मुख्यतः किसके द्वारा किया जाता है?
(a) महिलाओं
(b) अहीरों
(c) कृषकों
(d) व्यापारियों
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र एवं निकट स्थित राज्य छत्तीसगढ़ में चैत्र वैशाख माह में कृषकों द्वारा डंडा नृत्य किया जाता है। डंडा नृत्य के दौरान छल्ला या दोहा गाए जाते हैं।
70. मध्य प्रदेश में कानड़ा नृत्य किस जाति के लोगों द्वारा किया जाता है?
(a) अहीर
(b) बैगा
(c) धोबी
(d) तेली
व्याख्या: (c) बुंदेलखंड क्षेत्र का कानड़ा नृत्य धोबी जाति का परंपरागत नृत्य है। भगवान कृष्ण या कान्हा से संबंधित इस नृत्य को नया जीवन तथा नया संबल और पुनः प्रतिष्ठा दिलाने वाले नृत्य माना जाता है।
टिप्पणी: कानड़ा नृत्य में भक्ति आधारित गायन होता है जिसमें राम, कृष्ण तथा शिव की कथावस्तु का वर्णन होता है। वाद्य यंत्र: सारंगी, मृदंग, लोटा, झूला, कसावरी टिमकी और खजरी होते हैं। कानड़ा नर्तक की पैरों की थिरकन और कमर की लचक तथा नृत्य की वृत्तीय गतियां उत्कृष्ट कोटि की होती हैं। विशेष- मध्य प्रदेश के सागर जिले के लक्ष्मीनारायण रजक कानड़ा के दक्ष कलाकार हैं।
71. बधाई नृत्य मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र का लोक नृत्य है?
(a) मालवा
(b) बघेलखंड
(c) बुंदेलखंड
(d) निमाड़
व्याख्या: (c) बधाई नृत्य मध्य प्रदेश के बुन्देलखंड अंचल का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। पुरुष एवं महिलाओं द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य पुत्र जन्म और विवाह आदि के मांगलिक अवसरों पर शीतला माता की आराधना में किया जाता है।
टिप्पणी: बुंदेलखंड के लोगों की ऐसी मान्यता है कि प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा शीतला देवी करती है। देवी के आवाहन के साथ इस नृत्य नर्तक-नर्तकियां लोक वाद्यों की थाप पर वैविध्यपूर्ण पद संचालन के साथ इस नृत्य को करते हैं।
72. राई मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र का प्रसिद्ध लोकनृत्य है?
(a) मालवा
(b) बुन्देलखंड
(c) बघेलखंड
(d) निमाड़
व्याख्या: (b) राई नृत्य बुंदेलखंड के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है। यह नृत्य गुजरात के प्रसिद्ध गरबा नृत्य के समान ही प्रसिद्ध है। राई नृत्य बारहों महीने किया जाता है। बुंदेलखंडी जनमानस का हर्ष और उल्लास इस लोक नृत्य में अभिव्यक्तं होता है।
टिप्पणी: राई नृत्य में बेड़नियां नाचती हैं और बेड़नी के अभाव में स्त्री-वेशधारी पुरुष नाचते हैं। इस नृत्य के साथ फागें गाई जाती हैं। राई नृत्य के साथ यहां विशेषतः सुप्रसिद्ध लोक कवि ईसुरी की फागें गाई जाती हैं। ईसुरी की फागों को प्रसिद्धि गायक 'धीर पंडा' ने दिलाई थी।
73. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रचलित सैरा नृत्य है-
(a) स्त्री प्रधान
(b) पुरुष प्रधान
(c) समूह
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (b) सैरा नृत्य बुंदेलखंड के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। इसमें पुरुष नर्तक कृष्ण से संबंधित नृत्य करते हैं।
टिप्पणी: वाद्य यंत्रः ढोलक, टिमकी, मंजीरा आदि प्रमुख वाद्य यंत्र है। 'सैरा' नामक लोक गीतों के साथ नाचे जाने के कारण ही इसका नाम, सैरा नृत्य' पड़ा है। विशेष- इस नृत्य में सैरा गाने वालों के दल अपने हाथों में लकड़ी के छोटे-छोटे डंडे, जो इसी नृत्य के लिये बनाये जाते हैं, लेकर गोलाकार खड़े हो जाते हैं। मधुर लगने वाले सैरा गीत के साथ ही साथ नृत्य प्रारंभ होता है।
74. कत्थक के समान परिचालन मध्य प्रदेश के किस लोक नृत्य की विशेषता है?
(a) राई नृत्य
(b) गणगौर नृत्य
(c) ढिमराई नृत्य
(d) परधौनी नृत्य
व्याख्या: (c) ढिमराई नृत्य बुंदेलखंड के नर्तकों के द्वारा किया जाता है। ढिमराई नृत्य में नृत्य के साथ शृंगार और भक्ति गीत भी गाए जाते हैं। यह नृत्य विवाह या नवरात्रि के विशेष अवसरों पर किया जाता है। गीतों को भावनाओं के माध्यम से समझाने के लिए मुख्य नर्तक कत्थक के समान परिचालन करता है।
टिप्पणी: परिचालन 'ढिमराई नृत्य' की प्रमुख विशेषता है। इसमें ढोलक, टिमकी, मृदंग आदि वाद्य यंत्रो का प्रयोग होता है।
75. परधौनी नृत्य किस जाति के लोगों के द्वारा किया जाता है-
(a) मुड़िया
(b) बैगा
(c) गोंड
(d) भील
व्याख्या: (b) परधौनी नृत्य विशेष अवसरों पर मुख्यतः विवाह के समय बैगा आदिवासियों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में नवयुवक पोशाक पहनकर नृत्य करते हैं।
76. निम्न में से कौन सा लोक नृत्य बघेलखंड क्षेत्र में किया जाता है?
(a) बधाई
(b) मटकी
(c) दादर
(d) सैरा
व्याख्या: (c) दादर बघेलखंड का प्रसिद्ध नृत्य है। दादर नृत्य मुख्यत: पुरुषों के द्वारा खुशी के अवसर पर किए जाते हैं। कहीं-कहीं पुरुष नारी वेश में नाचते हैं। दादर कोल, कोटवार, कहार जनजातियों में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
वाद्य यंत्र: दादर लोकनृत्य में नगडिया, ढोल, ढोलक, उप और शहनाई प्रमुख वाद्ययंत्र हैं।
77. निम्न में से कौन से नृत्य की एक विशेष मुद्रा 'फुरहरी' है?
(a) कलसा
(b) दादर
(c) केहरा
(d) कानडा
व्याख्या: (c) बघेलखंड क्षेत्र का केहरा लोकनृत्य में स्त्री और पुरुष दोनों अलग-अलग शैली में नाचते हैं। इसकी मुख्य ताल कहरवा ताल है। इसके साथ बांसुरी की जब मधुर धुन चढ़ जाती है तब पुरुष नर्तकों के हाथ और पैरों की नृत्य गति असाधारण हो जाती है। महिलाओं के हाथों और पैरों की मुद्राओं का संचालन और गति उत्कृष्ट होती है।
फुरहरी: फुरहरी या फिरहरि केहरा की एक खास मुद्रा है और गोल घेरे में स्त्रियां एक दूसरे को हाथ देकर चकरी लेती हैं। अर्थात गोल घूमती है।
78. विवाह के समय बारात के स्वागत हेतु बघलेखंड क्षेत्र में किया जाने वाला लोकनृत्य है-
(a) दादर
(b) बिरहा
(c) मटकी
(d) कलसा
व्याख्या: (d) बारात की अगवानी में सिर पर कलश रखकर नाचने की परंपरा अहीरों, गड़रियों और गुप्ता जाति में समान रूप से प्रचलित है। बारात आगमन के बाद द्वार पर स्वागत की रस्म होने के पश्चात यह नृत्य शुरू होता है। नगडिया, ढोल, शहनाई की लोकधुन पर कलसा नृत्य चलता है।
वेशभूषा: कलसा नर्तक का कोई खास वेश नहीं होता, बल्कि परंपरागत धोती, बंडी, साफा पहन कर यह नृत्य किया जाता है। नर्तक पैरों में घुंघरू अवश्य बांधता है।
79. मध्य प्रदेश के किस नृत्य को अहिराई नृत्य भी कहा जाता है?
(a) बिरहा
(b) दादर
(c) मटकी
(d) कलसा
व्याख्या: (a) बिरहा नृत्य मुख्यतः अहीर लोग करते हैं तब वह 'अहीराई' कहलाता है। इसी प्रकार जिस जाति द्वारा यह नृत्य किया जाता है उसी जाति के नाम से यह जाना जाता है। बिरहा में सामान्य तौर पर पुरुष नाचते हैं। बघेलखंड में बिरहा नृत्य के साथ गायन भी होता है। बिरहा नृत्य का कोई समय निश्चित नहीं होता, किंतु विशेषकर शादी-विवाह, दीपावली में बिरहा नृत्य होता है। कभी-कभी स्त्रियां भी उसमें शामिल होती हैं और जब स्त्री-पुरुष नाचते हैं तब सवाल-जवाब होते हैं। बिरहा की दो पंक्तियां दोहे की तरह बघेली शैली में लंबी तान लेकर प्रमुख नर्तक गाता है और दोहे के अंत में नृत्य तीव्र गति से चलता है। गीत में सवाल-जवाब होते हैं यह क्रम पुरुष और महिलाओं के बीच चलता रहता है।
टिप्पणी: बिरहा नृत्य बघेलखंड में, अहीर, तेली, गडरिया, बारी जातियों में प्रचलित है।
80. मध्य प्रदेश के किस नृत्य को साजन सजना नृत्य भी कहते हैं?
(a) दादर नृत्य
(b) कलसा नृत्य
(c) केमाली नृत्य
(d) बिरहा नृत्य
व्याख्या: (c) केमाली नृत्य को साजन-सजना नृत्य भी कहते हैं। केमाली में स्त्री-पुरुष दोनों हिस्सा लेते हैं और यह नृत्य विवाह के अवसर पर किया जाता है।
टिप्पणी: केमाली के गीत सवाल-जवाब की शैली में होते हैं। साजन-सजनी गीत बड़े कर्णप्रिय और भावप्रवण होते हैं।
81. 'लोकनृत्यों का राजा' किसे कहा जाता है?
(a) बिरहा
(b) करमा
(c) रीना
(d) गरबी
व्याख्या: (b) करमा नृत्य एक पारंपरिक नृत्य है। जिसे करमा पर्व के अवसर पर नाचा जाता है। यह भादों, आश्विन, कार्तिक तक चलता है। करमा को लोकनृत्यों के राजा के नाम से भी जाना जाता है करमा नृत्य मंडला क्षेत्र में गोंड, बैगा, कोरकू, देवार, बिजवार तथा बिरहोर जनजाति द्वारा किया जाता है। इस नृत्य को लोक नृत्यों का राजा कहा जाता है।
82. निम्न में से कौन करमा नृत्य की शैली है-
(a) रागनी
(b) झूमर
(c) लंगड़ा
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) मंडला क्षेत्र में करमा नृत्य की सर्वाधिक शैलियां प्रचलित हैं, इसकी प्रमुख शैलियां करमा लंगड़ा, करमा झूमर, करमा लहकी, करमा रागिनी, करमा ठाढा तथा करमा झरनी है।
विशेष: बैगा जनजाति की चार शैलियां करमा खरी, करमा झूलनी, करमा खाय, करमा लहकी हैं।
टिप्पणी: यह नृत्य कर्म देवता को प्रसन्न करने के लिये किया जाता है। इसमें वाद्य यंत्र के रूप में 'मंदार' का इस्तेमाल होता है। प्रायः यह नृत्य विजयादशमी से प्रारंभ होकर अगली वर्षा ऋतु तक चलता है।
83. गिनीज बुक में शामिल होने वाला मध्य प्रदेश का पहला लोक नृत्य कौन सा है?
(a) पूजा नृत्य
(b) करमा नृत्य
(c) रीना नृत्य
(d) भड़म नृत्य
व्याख्या: (b) 11 अप्रैल, 2016 को आदि उत्सव के दौरान 3050 छात्र-छात्राओं द्वारा आयोजित करमा नृत्य को गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया।
84. निम्न में से कौन सा नृत्य मध्य प्रदेश की बैगा जनजाति द्वारा किया जाता है?
(a) भील
(b) गौंड
(c) बैगा
(d) कोरकू
व्याख्या: (c) बैगा जनजाति के युवाओं द्वारा किया जाने वाला दशहरा नृत्य आश्विन पंचमी से कार्तिक अमावस्या तक चलता है। सामाजिक सौहार्द्र और प्रेम-संबंध की भावना की अभिव्यक्ति से प्रेरित होकर यह नृत्य बैगा आदिवासियों द्वारा विजयदशमी के अवसर किया जाता है। मंडला, बालाघाट तथा खंडवा की बैगा जनजातियों में यह नृत्य वार्षिकोत्सव रूप में किया जाता है।
85. रीना नृत्य किस जनजाति का पारंपरिक नृत्य है?
(a) भील
(b) पनिका
(c) कोरकू
(d) गौंड
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति की स्त्रियों द्वारा रीना नृत्य किया जाता है। मध्य प्रदेश के विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत के पूर्वी क्षेत्र की गोंड जनजाति विभिन्न उत्सवों में इस नृत्य का प्रदर्शन करते हैं। रीना नृत्य में 'गिरजा उत्सव' मनाने की परंपरा है।
86. 'टिकोरा' वाद्य यंत्र किस लोकनृत्य में प्रयोग किया जाता है?
(a) सैला
(b) कहरवा
(c) डोहा नृत्य
(d) गरबी नृत्य
व्याख्या: (b) गोंड जनजाति के प्रमुख लोकनृत्य कहरवा में टिकोरा वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है। कहरवा नृत्य विवाह के अवसर पर रात्रि में गोंड जनजाति द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है। गौंड़ जनजाति द्वारा यह नृत्य वैवाहिक अवसरों के अतिरिक्त मृत्यु संस्कार में भी किया जाता है।
87. निम्न में से कौन सा लोकनृत्य एक पुरुष प्रधान लोक नृत्य है?
(a) रासलीला
(b) सैला
(c) रीना
(d) माडल्या
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में बैगा जनजाति द्वारा किए जाने वाले पुरुष प्रधान नृत्य को 'सैला नृत्य' कहा जाता है। यह पुरुषों का सर्वाधिक कलात्मक और समूह वाला नृत्य है।
टिप्पणी: डंडा नृत्य में ताल का विशेष महत्व होता है। डंडों की मार से ताल उत्पन्न होता है। यही कारण है कि इस नृत्य को मैदानी भाग में 'डंडा नृत्य' और पर्वती भाग में 'सैला नृत्य' कहा जाता है। सैला शैल का बदला हुआ रूप है, जिसका अर्थ 'पर्वतीय प्रवेश' से लगाया जाता है। सैला नृत्य की मुख्य विशेषता पद संचालन शैली है, जिसके द्वारा वीरता एवं ओज से परिपूर्ण नृत्य को प्रदर्शित किया जाता है।
88. निम्न में से कौन सा लोक नृत्य प्रकृति पूजा के अवसर में किया जाता है?
(a) पूजा नृत्य
(b) सैला नृत्य
(c) रीना नृत्य
(d) गरबी नृत्य
व्याख्या: (d) भील जनजाति में लोकप्रिय गरबी नृत्य प्रकृति पूजा के अवसर पर किया जाता है। साथ ही यह पितृपक्ष पर भी कहीं-कहीं देखने को मिलता है।
89. मध्य प्रदेश की जनजातियों में लोकप्रिय डोहा नृत्य किया जाता है?
(a) पुरुषों द्वारा
(b) स्त्रियों द्वारा
(c) पुरुष स्त्री के समूह द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (b) भील जनजाति द्वारा किए जाने वाले डोहा नृत्य को भील नृत्यों का गजरा भी कहा जाता है। डोहा नृत्य कार्तिक अमावस्या के दिन स्त्रियों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य की प्रमुख विशेषता यह है कि महिलाओं द्वारा किए गए नृत्य के विपरीत पुरुष अन्य प्रकार से नृत्य प्रदर्शन करते हैं।
90. मध्य प्रदेश की भारिया जनजाति का लोकप्रिय नृत्य कौन सा है?
(a) सैला
(b) रीना
(c) करमा
(d) भड़म
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातियां है। यहां 46 प्रकार की जनजातियां और प्रजातियां रहती हैं। भारिया जनजाति में भड़म नृत्य का प्रचलन है जो अपनी खुशी का इजहार करने के लिए करते हैं।
टिप्पणी: इस नृत्य के अन्य नाम भी हैं, जैसे- गुन्नू साही, भडनी, भडनई, भरनोटी अथवा भंगम नृत्य। भड़म नृत्य विवाह या किसी भी तरह की खुशी के अवसर पर सबसे प्रिय नृत्य माना जाता है।
विशेष: इस नृत्य में टिमकी वादक घेरा बनाकर खड़े होते हैं। घेरे के बीच का एक नर्तक लकड़ी उठाकर दोहरा (आदिवासी गाना) गाता है। दोहरे के अंतिम शब्द से वाद्य बजना शुरू हो जाता है और लय धुन तीव्रता से बढ़ता जाता है। नृत्य की गति वाद्यों के साथ बढ़ती है। ढोल वादकों का पैर समानांतर गति में धीरे-धीरे घूमते हैं तथा घेरे के बीच के नर्तक तेज गति से पैर, कमर और हाथों को लाकर नाचते हैं। बीच-बीच में किलकारी भी होती है। यही क्रम चलता रहता है।
91. निम्न में से कौनसा एक उरांव जनजाति का लोकनृत्य है?
(a) गरबी नृत्य
(b) करमा नृत्य
(c) पूजा नृत्य
(d) कहरवा नृत्य
व्याख्या: (c) पूजा नृत्य का आयोजन उरांव जनजाति द्वारा धार्मिक आस्था से प्रेरित होकर किया जाता है। मध्य प्रदेश के मंडला जिले की गोंड जनजाति द्वारा ज्येष्ठ माह में बिदरी पूजा का उत्साह एवं छत्तीसगढ़ के रायगढ़ क्षेत्र में उरांव जनजाति द्वारा साल पूजा नामक सार्वजनिक उत्सव मनाया जाता है।
92. मध्य प्रदेश के लोकनाट्य माच का प्रणेता किसे कहा जाता है?
(a) सुखराम यति
(b) मुकुन्दराम सेठ
(c) बालमुकुंद जी
(d) शिवरामजी
व्याख्या: (c) माच के प्रणेता उज्जैन के गुरू बालमुकुंद जी को माना जाता है। बालमुकुंद जयसिंहपुरा के निवासी थे। गुरू बालमुकुंद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने माच के 16 नाटकों की रचना की, जिसमें से 10 का प्रकाशन हो चुका है।
टिप्पणी: बालमुकुंद जी कुशल अभिनेता, गायक और निर्देशक थे। माच के खेलों के मुख्य पात्र की भूमिका वे स्वयं निभाते थे। गुरू बालमुकुंद ने अपने तांत्रिक मित्र सुखराम यति और मुकुंदराम सेठ के सहयोग से माच के खेलों को उत्कर्ष में पहुंचा दिया। उज्जैन, रतलाम, मंदसौर और शाजापुर शहरों में भी माच मंडलियां बन गईं। उज्जैन में ही उस्ताद कालूरामजी ने दौपतगंज वाले माच के अखाड़े की नींव डाली और 20 खेलों की रचना की जिनमें 12 खेलों का प्रकाशन हो चुका है।
93. मध्य प्रदेश की लोक कलाओं में भवई क्या है?
(a) लोकनृत्य
(b) लोकनाट्य
(c) लोकगायन
(d) चित्रकला
व्याख्या: (a) भंवाई अथवा भवई मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में मुख्यतः झाबुआ के आसपास भीलों द्वारा आयोजित किया जाता है। यह नृत्य अपनी चमत्कारिता के लिए प्रसिद्ध है।
टिप्पणी: भंवाई नृत्य राजस्थान के उदयपुर संभाग में भी अधिक प्रचलित है। इस नृत्य में घूंघट किये हुए नर्तकियां मुख्य भूमिका निभाती हैं। नर्तकियां सात अथवा आठ तांबे के घड़े सिर पर रखकर व उनका संतुलन रखते हुए नृत्य करती हैं। भवाई नृत्य करने वाली नृत्यांगनाएं किसी गिलास के ऊपर अथवा तलवार की धार पर अपने पैर के तलुओं को टिकाकर झूलते हुए नृत्य करती हैं।
विशेष: भारतीय लोक नृत्यों के विद्वान देवीलाल सांभर ने भवई को मालवा तथा राजस्थान की उत्पति बताया है।
94. गम्मत लोकनाट्य मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र से प्रचलित है?
(a) मालवा
(b) निमाड़
(c) बुंदेलखंड
(d) बघेलखंड
व्याख्या: (b) निमाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध गम्मत लोकनाट्य लोक जीवन पर आधारित है। गम्मत लोकनाट्य नवरात्रि, होली के पर्व पर किया जाता है। यह नाट्य विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में चौपालों पर गणेश और सरस्वती की वंदना के पश्चात किया जाता है।
टिप्पणी: वाद्ययंत्रः इस लोकनाट्य के प्रमुख वाद्ययंत्र मृदंग, ढोलक हैं जिसमें समसामयिक घटनाओं की अभिव्यक्ति भी की जाती हैं।
95. राधा-कृष्ण की प्रेम-क्रीड़ाओं का प्रदर्शन किस लोकनाट्य में होता है?
(a) भवई
(b) गम्मत
(c) निमाड़
(d) रासलीला
व्याख्या: (d) रासलीला लोकनाट्य का प्रमुख अंग है। भक्तिकाल में इसमें राधा-कृष्ण की प्रेम-क्रीड़ाओं का प्रदर्शन होता था, जिनमें आध्यात्मिकता की प्रधानता रहती थी। इनका मूलाधार सूरदास तथा अष्टछाप के कवियों के पद और भजन होते थे। उनमें संगीत और काव्य का रस तथा आनंद दोनों रहता था। लीलाओं में जनता धर्मोपदेश तथा मनोरंजन साथ-साथ पाती थी। इनके पात्रों- कृष्ण, राधा, गोपियों के संवादों में गम्भीरता का अभाव और प्रेमालाप का आधिक्य रहता है।
टिप्पणी: रासलीला के पात्रों में राधा-कृष्ण तथा गोपिकाएं रहती हैं। बीच-बीच में हास्य का प्रसंग भी रहता है। विदूषक के रूप में 'मनसुखा' रहता है, जो विभिन्न गोपिकाओं के साथ प्रेम एंव हंसी की बातें करके कृष्ण के प्रति उनके अनुराग को व्यंजित करता है।
96. भूरी भैंस, दाऊद, मरघट के मसान किस लोकनाट्य से संबंधित हैं?
(a) अखाड़ा
(b) स्वांग
(c) रासलीला
(d) मनसुखा
व्याख्या: (b) स्वांग बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नाट्य है जिसकी विषयवस्तु सामाजिक कुरीतियों एवं समसामयिक घटनाओं से संबंधित होती है। इसके अन्य नाम बच्चों के स्वांग होली के स्वांग बहुरूपिया स्वांग आदि हैं।
97. मध्य प्रदेश के किस लोक नाट्य में शारीरिक गतिवधियों का प्रदर्शन होता है?
(a) जिंदबा
(b) अखाड़ा
(c) मनसुखा
(d) रास
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड एवं बघेलखंड में अखाड़ा लोकनाट्य के प्रचलन में प्रमुख रूप से शारीरिक गतिविधियों का प्रदर्शन होता है। अखाड़ा शब्द दो अलग-अलग अर्थों में प्रयुक्त होता है। अपने पहले अर्थ में यह व्यायामशाला है जहां पहलवान कुश्ती आदि सीखते थे तथा दूसरे अर्थ अखाड़ा साधुओं का वह दल है जो शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहता है।
98. खम्ब स्वांग विशेष रूप से किस जनजाति का लोकनाट्य है?
(a) भील
(b) सहरीया
(c) कोरकू
(d) गोंड
व्याख्या: (c) खंब स्वांग का अर्थ है: खंबे के आसपास किया जाने वाले प्रदर्शन। खंब स्वांग का आरंभ और अंत अनुष्ठान से होता है। खंब स्वांग संगीत अभिनय और मंचीय दृष्टि से कोरकू आदिवासियों की संपूर्ण नाट्य किवंदती है जिसमें रावण पुत्र मेघनाथ ने कोरकुओं को एक बार बड़ी विपत्ति से बचाया था। उसी स्मृति में यह आयोजन किया जाता है।
टिप्पणी: प्रत्येक कोरकू गांव में एक मेघनाथ खंब होता है, क्वार की रात्रि से देव प्रबोधिनी एकादशी तक इसी के आसपास कोरकू प्रत्येक रात नए-नए स्वांग खेलते हैं।
99. स्वांग मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र का लोक नाट्य है?
(a) मालवा
(b) निमाड़
(c) विंध्य
(d) बुंदेलखंड
व्याख्या: (d) बुंदेलखंड में प्रचलित लोक नाट्यों में स्वांग सर्वाधिक प्रचलित एवं जन प्रिय नाट्य है। स्वांग प्रायः खुशी के अवसरों पर राई नृत्य के बीच में प्रदर्शित होता है। यह नौटंकी से अधिक प्राचीन है। स्वांग सामाजिक, सांस्कृतिक विसंगतियों से संबंधित होते हैं।
टिप्पणी: 1. स्वांग गेय और अभिनय दोनों होते हैं। 2. बुंदेलखंड में लड़के-लड़कियां जो स्वांग का अभिनय करते हैं, वह एकल होते हैं।
विशेष: स्वांग के विभिन्न क्षेत्रीय नाम हैं जैसे- रम्मत, माचा, ख्याल, तमाशा।
100. मनसुखा लोकनाट्य मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a) बुंदेलखंड
(b) निमाड़
(c) बघेलखंड
(d) मालवा
व्याख्या: (c) मनसुखा एक लोक प्रहसन है, यह रास लोकनाट्य का बघेली रूपांतर है। इसमें दो मंच और दो पदों का प्रयोग होता है साथ में सौंदर्य का स्थान भी होता है। मनसुख या विदूषक और गोपियों में नोक-झोंक चलती है, छेड़छाड़ भी होती है। मनसुख को गांव में मनसुखलाल भी कहते हैं।
टिप्पणी: मनसुखा लोकनाट्य मुख्यतः त्योहारों और विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। यह शृंगार पर आधारित होता है।
101. निम्न में से किस लोक नाट्य के प्रदर्शन हेतु मंच की आवश्यकता नहीं होती है?
(a) जिंदबा
(b) अखाड़ा
(c) छाहुर
(d) हिंगोला
व्याख्या: (d) हिंगोला एक मंच रहित सीधा और सरल नाट्य रूप है। इस लोक नाटक का प्रदर्शन करने हेतु सर्वप्रथम दो टीमों का गठन किया जाता है और दोनों दलों में गीत की प्रतियोगिता होती है। युवक-युवती नोकझोंक के साथ तरुणी गायन वादन करते हैं। प्रतियोगिता में जीता दल पराजित दल से तरह-तरह के काम लेता है और हास्य का अविर्भाव होता है।
102. बहलोल लोकनृत्य को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) जिंदबा
(b) लकड़बग्घा
(c) हिंगोला
(d) मनसुखा
व्याख्या: (a) जिंदबा लोकनाट्य को बहलोल भी कहा जाता है। यह बघेलखंड क्षेत्र का लोकनाट्य है। यह लोकनाट्य महिलाओं द्वारा विवाह के अवसर पर किया जाता है। शादी के शुभ अवसर पर जब लड़के की बारात कन्या पक्ष के घर चली जाती है, तो घर की महिलाओं द्वारा यह कृत्य किया जाता है और पुरुषों द्वारा देखने पर झाड़ू से पिटाई होती है। इसमें मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक की कथा होती है जिनमें नाटकीय तत्वों का समावेश होता है।
टिप्पणी: महाकौशल के आसपास के क्षेत्रों में इसे बाई-बाबा का खेल भी कहा जाता है।
104. निम्न में से किस नाट्य का प्रदर्शन मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में होता है?
(a) ढोला मारू
(b) पंडवानी
(c) लकड़बग्घा
(d) छाहुर
व्याख्या: (c) लकड़बग्घा लोकनाट्य मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र में आदिवासी युवक-युवतियों का लोकनाट्य है, जो खुले मंच पर अभिनीत होता है। इस लोकनाट्य में मुख्यतः पशु और मानव के परस्पर संयोग का अवसर प्रस्तुत किया जाता है। यह विवाह के बाद खेला जाता है, जिसमें लड़की को लकड़बग्घा उठा ले जाता है और लड़की करुण वंदन करती है। परिस्थितिवश लड़की लकड़बग्घा को प्रेम करने लगती है और बाद में साहचर्य प्रेम होता है। युवक लकड़बग्घा को तीर से आहत करते हैं, उसकी दर्द भरी चीखों को सुनकर वह उसकी सेवा करती है।
विशेष:
पंडवानी लोकनाट्य - पंडवानी मुख्यतः छत्तीसगढ़ का लोक नाट्य है, किंतु मध्य प्रदेश के शहडोल अनूपपुर बालाघाट जिले में भी यह लोक नाट्य देखने को मिलता है। यह शादी विवाह के अवसर पर आयोजित किया जाता है।
ढोला मारू की कथा लोकनाट्य - यह लोकनाट्य मध्य प्रदेश के राजस्थान से जुड़े सीमावर्ती क्षेत्र में प्रचलित है।
105. मध्य प्रदेश में किस लोकनाट्य की मुख्य विषय-वस्तु सामंती व्यवस्था को उजागर करना है?
(a) नौटंकी
(b) हिंगोला
(c) रास
(d) छाहुर
व्याख्या: (d) छाहुर मध्य प्रदेश के बघेलखंड का एक प्रसिद्ध नाट्य है, जो कृषक व अहीर संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। यह नाट्य दीपावली से प्रारंभ होकर अष्टमी तक अहीर एवं कुम्हार जाति के लोगों द्वारा किया जाता है। बघेली छाहुर शौर्य, प्रेम और श्रृंगार पर आधारित होता है एवं इसकी मुख्य विशेषता सामंती व्यवस्था को जनता के समक्ष प्रदर्शित करना है।
106. नौटंकी नामक लोकनाट्य में प्रमुख पात्र को क्या कहा जाता है?
(a) विदूषक
(b) रंगा
(c) गंगा
(d) मनसुखा
व्याख्या: (b) नौटंकी भारत के उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड एवं बघेलखंड क्षेत्र में लोकप्रिय नाट्य है। यह प्राचीनतम लोक नाट्य शैली है जिसमें धार्मिक एवं प्रेम प्रसंग केंद्र में रहते हैं।
टिप्पणी: नौटंकी लोकनाट्य में प्रमुख पात्र को सूत्रधार अथवा रंगा कहा जाता है जबकि इसका एक पात्र विदूषक होता है जो मुख्यतः हास्य कलाकार होता है। इस लोकनाट्य में गोपीचंद्र, पूरनभक्त, मोरध्वज आदि चरित्रों की रचना भी की जाती है।
विशेष: भगत लोकनाट्य को नौटंकी का पर्यायवाची माना जाता है। भगत-भगत शब्द बताता है कि यह कभी भक्ति की अभिव्यक्ति का माध्यम होगी, किंतु आज भगत में भक्ति का अथवा धार्मिक तत्व का स्थान उसके आरंभिक अनुष्ठानों में अथवा आरंभिक मंगलाचरण में रह गया है।
107. हाथरसी शैली का संबंध किस लोकनाट्य से है?
(a) लकड़बग्घा
(b) नौटंकी
(c) मनसुखा
(d) हिंगोला
व्याख्या: (b) नौटंकी की दो शैलियां है पहली हाथरसी और दूसरी कानपुरी। तुलनात्मक दृष्टि से कानपुरी नौटंकी में गायकी कोमल स्वरों में है और नाटकीयता अधिक है तो हाथरसी शैली में गायकी उत्तम कोटि की है, साथ ही नृत्य व अभिनय भी बेहद अच्छा है।
108. कालिया नाग प्रसंग का प्रदर्शन किस लोकनाट्य में किया जाता है?
(a) हिंगोला
(b) रास
(c) स्वांग
(d) गम्मत
व्याख्या: (b) बघेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में राधाः कृष्ण और गोपियों के प्रसंगों को रास-नाट्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इन प्रसंगों में मुख्यतः वैद्यलीला, गेंद लीला, कालिया नाग का प्रदर्शन किया जाता है।
109. संजा चित्रकला किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a) निमाड़
(b) बुंदेलखंड
(c) बघेलखंड
(d) मालवा
व्याख्या: (d) संजा चित्रकला मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र से संबंधित है जिसमें युवतियां श्राद्ध पक्ष में गोबर अथवा पत्तियों से 16 दिनों तक अलग-अलग पारंपरिक आकृतियां बनाती है।
टिप्पणी: संजा चित्रकला फूल, सूर्य, चंद्रमा आदि को चित्रित करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाता है।
110. 'जलेबी की जोड़' का संबंध मध्य प्रदेश की किस चित्रकला से है?
(a) दिवासा
(b) मांडना
(c) संजा
(d) पागल्या
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की चित्रकला संजा में 16 दिनों तक अलग-अलग पारंपरिक आकृतियां बनाई जाती हैं जिसमें से दसवें दिन जलेबी की जोड़ आकृति का निर्माण किया जाता है।
विशेष: सोलह दिन में निर्मित आकृतियां-
पहले दिन - पंखा
दूसरे दिन - बीज का बिजौरा
चौथे दिन - चौपड़
पांचवे दिन - कुंवारा-कुंवारी
छठवें दिन - छाबड़ी
सातवें दिन - सातिया
आठवें दिन - आठ पंखड़ी का फूल
नवमें दिन - डोकरा डोकरी
दसवें दिन - जलेबी की जोड़
ग्यारहवे दिन - केल
बारहवें दिन - बंदरवाल
13वें दिन से 16वें दिन तक क्रमशः तीन दिन किलाकोट आकृतियां बनाई जाती हैं।
111. निम्न में से किस चित्रकला का उद्देश्य घर में आने वाली बाधाओं और संकटों को रोकना है?
(a) पगल्या
(b) सवनाही
(c) मोरधन
(d) सुरैती
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र एवं समीपस्थ राज्य छत्तीसगढ़ में महिलायें श्रावण माह की अमावस्या के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर से सवनाही का अंकन करती हैं। गोबर को हाथ में लेकर चार उंगलियों के सहारे घर की चारों दीवारों को मोटी रेखा से घेर दिया जाता है तथा मुख्य द्वार के दोनों ओर की दीवारों पर मानव तथा पशुओं की आकृति का अंकन किया जाता है। इसमें शेर की शिकार का चित्र प्रमुखता से बनाया जाता है। यह चित्र जादू टोना की मान्यता को ध्यान में रखते हुए गृह में आने वाले संकट एवं बाधाओं से बचाव के लिए बनाई जाती है।
112. त्रिभुज, चतुर्भुज तथा व्रत आकृतियों का अंकन किस चित्रकला में पाया जाता है?
(a) दिवासा
(b) मांडना
(c) सवनाही
(d) चित्रावण
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में प्रचलित मांडना चित्रकला स्वतंत्र और पूर्ण कला विधा है जिसके चिंह सिंधु घाटी की प्राचीन सभ्यताओं के नगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में पाए गए हैं। मांडनों को श्री और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह माना जाता है कि जिसके घर में इसका सुंदर अंकन होता रहता है, वहां माता लक्ष्मी निवास करती हैं। मांडना की पारंपरिक आकृतियों में ज्यामितीय एवं पुष्प आकृतियों के साथ ही त्रिभुज, चतुर्भुज, वृत्त, कमल, शंख, घंटी, स्वास्तिक, शतरंज पट का आधार, कई सीधी रेखाएं, तरंग की आकृति आदि मुख्य हैं। हवन और यज्ञों में वेदी का निर्माण करते समय भी मांडने बनाए जाते हैं। घर-आंगन में मांडने बनाकर अति अल्प मात्रा में मूंग, चावल, जौ व गेहूं जैसी मांगलिक वस्तुएं फैला दी जाती हैं।
विशेष: मांडना को 64 कलाओं में शामिल किया गया है जिसे 'अल्पना' कहा गया है। यह चित्रकला का एक अंग है। भारत में मांडना विशेषतः पर होली, दीपावली, नवदुर्गा उत्सव, महाशिवरात्रि और संजा पर्व पर मनाया जाता है।
113. निम्न में से कौन मध्य प्रदेश की एक भित्ति चित्रकला है?
(a) थापा
(b) मोरधन
(c) दिवासा
(d) तिलंगा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में सवनाही, मांडना, दिवासा एवं चित्रावण प्रमुख चित्र कलाए हैं। दिवासा चित्रकला मालवा क्षेत्र में प्रचलित एक भित्ति चित्रकला है जो युवतियों द्वारा श्राद्ध पक्ष में अंकित की जाती हैं।
114. चित्रावण चित्रकला मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र संबंधित है?
(a) मालवा
(b) बघेलखंड
(c) निमाड़
(d) बुंदेलखंड
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में विवाह के अवसर पर व्यावसायिक रंगकर्म का कार्य चितेरे जाति के लोग करते हैं तथा इस जाति के लोगों द्वारा दीवारों पर उत्कीर्ण चित्र चित्रावण कहलाते हैं। चित्रावण में पौराणिक मिथकीय चित्रों के अलावा सामाजिक संबंधों पर आधारित विभिन्न आकृतियों का अंकन चितेरे जाति के लोग करते हैं।
115. मध्य प्रदेश में पगल्या किस अंचल की लोकचित्र कला हैं?
(a) बुन्देलखण्ड
(b) निमाड़
(c) मालवा
(d) बघेलखण्ड
व्याख्या: (b) निमाड़ में नवजात शिशु के जन्म के अवसर पर पगल्या चित्र बनाकर भेजे जाने का रिवाज है। इस चित्रकला में सर्वप्रथम लाल या गुलाबी रंग से कागज पर सुंदर किनारा बनाकर फूल, पत्तियों से आलेखन किया जाता है। मध्य भाग में बच्चे के पदचिंह प्रतीकात्मक रूप से बनाए जाते हैं। भारत में पदचिंह पूजने की परंपरा प्राचीनकाल से ही प्रचलित है। लोकचित्रों को बनाने की शैलियां पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक जैसी होती है और चित्रों में एक संतुलन बना होता है।
116. निमाड़ अंचल की किस प्रसिद्ध चित्रकला में चांद, सूरज एवं स्वास्तिक की आकृतियां बनाई जाती हैं?
(a) मोरधन
(b) कंचाली
(c) जिरोती
(d) थापा
व्याख्या: (c) निमाड़ की सांस्कृतिक लोक चित्रकला में जिरोती का विशेष महत्व है। जिरोती को हरियाली अमावस्या के दिन बहुरंगों से बनाने की परंपरा है जिसमें दीवार में चित्रों को एक अथवा दो रंगों से बनाया जाता है। चित्र में रंगों के स्थान भी निश्चित होते हैं। जिरोती देवी की प्रतिष्ठा हेतु पैर के नीचे सिंहासन, देवी की पांच आकृतियां, ऊपर के कोने में रसोईघर, चांद-सूरज, 'छोटे-छोटे बालक, तुलसी, स्वास्तिक, देवी के आभूषण आदि का चित्रण होता है।
117. निम्न में से कौन सी चित्रकला निमाड़ अंचल से संबंधित है?
(a) ईरत
(b) मोरधन
(c) कंचाली भरना
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) निमाड़ चित्रकला कल्पना की सौंदर्यात्मक अभिव्यक्ति है जो लोक व आदिवासी अंचलों में पारंपरिक रूप से प्रचलित है। निमाड़ क्षेत्र में कंचाली भरना, थापा, ईरत, मोरधन प्रमुख चित्र कलाएं हैं।
ईरत: निमाड़ में विवाह के समय कुलदेवी का भित्ति चित्र बनाकर इनकी पूजा की जाती है, इसे ईरत चित्रकला कहा जाता है।
मोरधन: निमाड़ क्षेत्र में यह चित्र दीपावली के अवसर पर बनाए जाते हैं।
कंचाली भरना: निमाड़ क्षेत्र में विवाह के अवसर पर दूल्हा-दुल्हन के मस्तिष्क पर कंचाली भरी जाती है एवं शगुन के तौर पर कुछ रूपए दिए जाते हैं।
118. निम्न में से क्या एक लोक चित्रकला है?
(a) अखाड़ा
(b) थापा
(c) कंघी
(d) मटकी
व्याख्या: (b) थापा निमाड़ अंचल की एक लोक चित्रकला है, जबकि कंघी मध्य प्रदेश की एक शिल्प कला है। मटकी प्रदेश का एक नृत्य हैं एवं अखाड़ा उत्तरप्रदेश राज्य का एक लोकनाट्य है।
119. निम्न में से मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की लोक चित्रकला है-
(a) थापा
(b) दिवासा
(c) सुरैती
(d) तिलंगा
व्याख्या: (c) सुरैती बुंदेलखंड का पारंपरिक भित्तिचित्र है। दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजा के समय सुरैती का रेखांकन महिलाओं द्वारा किया जाता है। सुरैती जी का जालीनुमा अंकन बुंदेली महिलाओं की कल्पनाशीलता की कलात्मक परिणीति है। इस चित्र में देव लक्ष्मी की आकृतियों भरी जाती हैं, वही भगवान विष्णु का आलेखन किया जाता है। सुरैती का रेखांकन गेरू से किया जाता है तथा पूजा के पश्चात लक्ष्मी जी की कथा कही जाती है। सुरैती की लोकप्रिय कला की दृष्टि से बुंदेलखंड का सर्वश्रेष्ठ प्रतीकात्मक चित्र है।
120. नौरता मध्य प्रदेश के किस अंचल की लोक चित्रकला है?
(a) बघेलखंड
(b) बुंदेलखंड
(c) मालवा
(d) निमाड़
व्याख्या: (b) नौरता बुंदेलखंड क्षेत्र में नवरात्रि के समय कुंवारी कन्याओं द्वारा बनाया जाने वाला चित्र है जो मिट्टी, गेरू, हल्दी, छुई आदि से बनाया जाता है।
121. गोधन: गोवर्धन संबंधी बुंदेलखंड क्षेत्र की आकृति किस पर्व से संबंधित है?
(a) होली
(b) दशहरा
(c) दीपावली
(d) रक्षाबंधन
व्याख्या: (c) गोधन: गोवर्धन की आकृति गोबर से बनाई जाती हैं। दीपावली पड़वा पर इसकी पूजा की जाती है।
122. मध्य प्रदेश की कला के संबंध में 'मामूलिया' क्या है?
(a) लोकनाट्य
(b) लोकनृत्य
(c) लोकचित्र
(d) शिल्पकला
व्याख्या: (c) मामूलिया बुंदेलखंड की एक चित्र कला है। यह चित्र बुंदेलखंड में नवरात्रि के समय कुंवारी कन्याओं द्वारा गोबर से बनाए जाते हैं।
123. निम्न में से कौन सा विकल्प बघेलखंड अंचल की चित्रकला को दर्शाता है?
(a) कोहबर
(b) सुरैती
(c) थापा
(d) दिवासा
व्याख्या: (a) कोहबर मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र एवं उत्तरी मध्य भारत और इससे संलग्न नेपाल के तराई क्षेत्र में प्रचलित चित्रकारी की एक विधा है।
124. निम्न में से कौनसा विकल्प बघेलखंड की चित्रकला से संबंधित है?
(a) छठी चित्र
(b) तिलंगा चित्र
(c) नेऊरा नमें
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) छठी चित्र, तिलंगा चित्र, नेऊरा नमें बघेलखंड की प्रसिद्ध लोक चित्रकला है।
तिलंगा: बघेलखंड की लोक चित्रकला जिसमें कोयले में तिल्ली के तेल को मिलाकर तिलंगा का भित्ति में चित्र बनाया जाता है।
छठी चित्र: बघेलखंड शिशु जन्म के छठवें दिन छठी माता का गेरू से चित्र बनाया जाता है।
125. मध्य प्रदेश के किन जिलों में मिट्टी शिल्प बनाए जाते हैं?
(a) धार
(b) झाबुआ
(c) शहडोल
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों की मिट्टी शिल्प कला की ख्याति सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहुंची हुई है। मिट्टी में मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ, शहडोल के शिल्पकला के द्वारा सुंदर कलात्मक बारीक अलंकरण का कार्य किया जाता है। झाबुआ, मंडला और बैतूल आदि के मिट्टी शिल्प निजी विशेषताओं के कारण महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। विभिन्न लोक-अंचलों की पारंपरिक मिट्टी शिल्प कला का वैभव पर्व त्योहारों पर देखा जा सकता है।
126. मध्य प्रदेश में काष्ठ शिल्प की समृद्ध परंपरा रही है-
(a) मंडला
(b) बैतूल
(c) होशंगाबाद
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में काष्ठ शिल्प की परंपरा बहुत प्राचीन और समृद्ध है। प्रदेश के मंडला, बैतूल, होशंगाबाद, धार, झाबुआ में लकड़ी के विभिन्न रूपांतरों को उतारने की कोशिश मनुष्य ने आदिम युग से शुरू कर दी थी जब से मानव ने मकान में रहना सीखा। लकड़ी के पहियों, देवी-देवताओं की मूर्तियां, घरों के दरवाजे, पाटों तिपाही के मुखोटे आदि वस्तुओं में काष्ठ कला का उत्कर्ष प्राचीन समय से देखा जा सकता है।
127. बटहोली नामक प्रसिद्ध पात्र किस धातु के बने होते हैं?
(a) चांदी
(b) तांबा
(c) कांसा
(d) पीतल
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के सतना जिले के उचेहरा में कांसे के बटहोली नामक प्रसिद्ध पात्र बनाए जाते हैं। प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के चीचली में पीतल एवं तांबे से कलात्मक वस्तुएं बनाई जाती हैं।
128. मध्य प्रदेश में टरोकोटा शिल्प के लिए प्रसिद्ध है-
(a) रीवा
(b) सतना
(c) जबलपुर
(d) मंडला
व्याख्या: (d) मंडला जिले में निवास करने वाली पुनिया और अरहरिया जनजातियां टेराकोटा शिल्प के शिल्पी होते हैं। इस शिल्प में धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं में काम आने वाली प्रतिमाओं का निर्माण होता है। इसमें बड़ी देवी, फुलवारी देवी की प्रतिमाएं प्रसिद्ध हैं। इस शिल्प में तरह-तरह के खिलौने, सजावटी सामान और गमले का निर्माण भी होता है।
129. मध्य प्रदेश में लाख शिल्प हेतु प्रसिद्ध है?
(a) रतलाम
(b) मंदसौर
(c) महेश्वर
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में वृक्ष के गोंदिया रस से लाख बनाई जाती है। लाख को गर्म करके उसमें विभिन्न रंगों को मिलाकर अलग-अलग रंगों के फूल बनाए जाते हैं। लाख के चूड़े, कलात्मक खिलौने, सिंगार डिब्बियां, लाख के अलंकृत पशु-पक्षी आदि कलात्मक वस्तुएं बनाई जाती हैं। उज्जैन, इंदौर, रतलाम, मंदसौर, महेश्वर लाख शिल्प के परंपरागत केंद्र हैं।
टिप्पणी- लाख का काम करने वाली एक जाति का नाम ही लाख है। लाख कलाकार जाति के स्त्री-पुरुष दोनों पारंपरिक रूप से लाख कर्म में दक्ष होते हैं।
130. मध्य प्रदेश में चंदेरी प्रसिद्ध है-
(a) आभूषण हेतु
(b) बर्तनों हेतु
(c) साड़ियों हेतु
(d) दरवाजे हेतु
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले का चंदेरी क्षेत्र रेशमी तथा सूती दोनों प्रकार की साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। मध्य प्रदेश में महेश्वरी साड़ी को स्थापित करने का श्रेय होल्कर वंश की महारानी अहिल्याबाई को प्राप्त है।
चंदेरी साड़ी- साड़ी की बुनाई के लिए सबसे पहले करघे पर धागा चढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया को नाल फेरना कहा जाता है। शुरू करने के लिए सबसे पहले साड़ी की बूटी, बॉर्डर और किनारी के अनुपात में अलग-अलग रंगों के धागे चुनकर करघे पर चढ़ा दिए जाते हैं और बुनाई पूरी होने के बाद साड़ी को बड़ी सावधानी से करघे से अलग किया जाता है।
131. मध्य प्रदेश में बुधनी घाट किस कला हेतु प्रसिद्ध है?
(a) छीपा शिल्प
(b) हस्त शिल्प
(c) खराद शिल्प
(d) बांस शिल्प
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में खराद पर लकड़ी को सुडौल रूप देने की कला अतिप्राचीन है। इस कला में खिलौने और सजावट की सामग्री तैयार करने की अनंत संभावनाएं होती हैं और खराद कलाकार परंपरागत होते हैं। राज्य के श्योपुर, बुधनी घाट, रीवा, मुरैना की खराब कला ने प्रदेश ही नहीं बल्कि प्रदेश के बाहर भी प्रसिद्धि पाई है।
132. मध्य प्रदेश में गुड़िया शिल्प हेतु कौन सा नगर प्रसिद्ध है?
(a) सागर
(b) ग्वालियर
(c) छतरपुर
(d) पन्ना
व्याख्या: (b) नई पुरानी रंगीन चिंदियों और कागजों से गुड़िया बनाने की परंपरा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सदियों पुरानी है। ग्वालियर अंचल में कपड़े, लकड़ी और कागज से बनाई जाने वाली गुड़ियों की परंपरा अनुष्ठानिक है। टिप्पणी: इस शिल्पकला में गुड्डा: गुड़िया का ब्याह रचाया जाता है और उनके नाम से व्रत पूजा की जाती है। ग्वालियर अंचल के अतिरिक्त प्रदेश में झाबुआ, गुड़िया शिल्प का केंद्र बन गया है।
133. उज्जैन का छीपा शिल्प वस्तुतः क्या कहलाता है?
(a) कागज पर हल्दी के द्वारा उकेरा गया शिल्प
(b) हाथ के द्वारा कपड़े पर उकेरा गया शिल्प
(c) साड़ी पर विभिन्न प्रकार के प्रकृति संबंधी शिल्प
(d) पीतल एवं तांबे से निर्मित कलात्मक वस्तुएं
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश का उज्जैन जिला छीपा शिल्प हेतु प्रसिद्ध है। कपड़े पर हाथ से बनाए जाने वाले छीपा शिल्प में विभिन्न विचारों को उकेरा जाता है। इनमें भील आदिवासियों के विभिन्न जातीय प्रतीकों का समावेश होता है। आज भी अधिकांश भील आदिवासियों द्वारा इन्हीं वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। पिछले वर्षों में छीपा शिल्प कला ने एक व्यावसायिक उद्योग का रूप ले लिया है। विशेष: कुक्षी, मनावर, खिराला उज्जैन छीपा शिल्प के पारंपरिक केंद्र हैं। उज्जैन का छीपा शिल्प 'भेरूगढ़' के नाम से देश तथा विदेश में विख्यात है।
134. मध्य प्रदेश में महेश्वरी साड़ी को स्थापित करने का श्रेय किसे दिया जाता है?
(a) ताराबाई
(b) कन्नाबाई
(c) कुटोबाई
(d) अहिल्याबाई
व्याख्या: (d) महेश्वरी साड़ियां अपनी बनावट, सजावटी रंग और कलात्मकता के लिए भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी सराही जाती हैं। महेश्वर के पारंपरिक बुनकरों द्वारा बनाई गई सूती और रेशमी साड़ियां सुंदर, टिकाऊ एवं पक्के रंग की होती हैं, जिन पर जरी और केले के धागों से छोटे बेल-बूटे जोड़े जाते हैं। महेश्वरी साड़ी का उद्योग को स्थापित करने का श्रेय प्रसिद्ध शासिका आहिल्याबाई को जाता है। टिप्पणी: महेश्वरी साड़ी की प्रमुख विशेषता चोखाड़ा, चौकड़ी कलात्मक किनारा, मनमोहक पल्लू, सोने के रंगों में जरी रेशम के हथकरघा की कढ़ाई है। महेश्वरी साड़ी पूर्णता देशी वास्तुकला की देन है। यह कला महेश्वर में जन्मी, पनपी और विस्तारित हुई है।
135. मध्य प्रदेश में शिल्पकला एवं उसके प्रसिद्ध केंद्र का चुनाव कीजिए-
(a) पीतल शिल्प- नरसिंहपुर
(b) धातु शिल्प- सतना
(c) सुपारी शिल्प- रीवा
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश का नरसिंहपुर जिला पीतल शिल्प हेतु एवं सतना जिला धातु शिल्प हेतु प्रसिद्ध है, जबकि प्रदेश का रीवा जिला सुपारी शिल्प हेतु विशेष स्थान रखता है। विशेष: पीतल शिल्प: पीतल एवं तांबे से नरसिंहपुर जिले (चिंचली) में कलात्मक वस्तुएं बनाई जाती हैं। यहां प्रमुख रूप से बर्तन बनाने का काम होता है जिसमें परात, डेचकी व गंज शामिल हैं। धातु शिल्प: सतना के उचेहरा कस्बे में कांसे के प्रसिद्ध बटलोही नामक पात्र बनाए जाते हैं। सुपारी शिल्प: रीवा में सुपारी पर मूर्तियां बनाई जाती हैं। खिलौना शिल्प: सीहोर जिले की बुधनी तहसील काष्ठ कला कृतियों के लिए प्रसिद्ध है, यहां पर लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं।
136. भरेवा शिल्प हेतु मध्य प्रदेश का कौन सा जिला प्रसिद्ध है?
(a) होशंगाबाद
(b) नरसिंहपुर
(c) खंडवा
(d) बैतूल
व्याख्या: (d) भरेवा शिल्प के अंतर्गत प्रदेश के बैतूल आदिवासियों द्वारा धातु से दैनिक उपयोग की कलात्मक वस्तुएं तथा देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं तथा यहां ठोकरा शिल्पकला भी प्रसिद्ध है।
137. मध्य प्रदेश में कंघी कला आविष्कारक जनजाति मानी जाती है-
(a) मुड़िया
(b) भील
(c) बंजारा
(d) कोरकू
व्याख्या: (c) कंघी बनाने का श्रेय बंजारा जाति को है तथा मालवा में कंघी बनाने का कार्य उज्जैन, रतलाम, नीमच में होता है। कंघीकला के रूप में संपूर्ण भारत के ग्रामीण समाज में और आदिवासी समाज में अनेक प्रकार की कधियों का प्राचीन काल से ही प्रचलन चला आ रहा है।
138. मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से किसानों का पर्व कौन सा है?
(a) दीपावली
(b) दशहरा
(c) हरेली
(d) गंगादशमी
व्याख्या: (c) हरेली या हरीरी कृषकों का विशेष उत्सव है। किसानों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। वे इस दिन अपने कृषि उपयोग में आने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। श्रावण माह की अमावस्या को यह पर्व मनाया जाता है। टिप्पणी: मंडला जिले में यह पर्व श्रावण की पूर्णिमा को तथा मालवा क्षेत्र में अषाढ़ के महीने में मनाया जाता है। मालवा में इसे धर्यागोधा कहते हैं। स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं।
139. निम्न में से कुंवारी लड़कियों द्वारा कौन सा पर्व मनाया जाता है?
(a) विवाह उत्सव
(b) संजा व मामुलिया
(c) नवरात्रि
(d) लारूकाज
व्याख्या: (b) संजा व मामुलिया अविवाहित युवतियों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है। संजा पर्व: संजा आश्विन माह में 16 दिन तक चलने वाला कुंवारी लड़कियों का उत्सव है। लड़कियां प्रति दिन दीवार पर नई-नई आकृतियां बनाती हैं और सायं एकत्र होकर गीत गाती हैं। मामुलिया पर्व: बुन्देलखंड क्षेत्र की लड़कियों का ऐसा ही एक पर्व मामुलिया है, जिसमें अविवाहित युवतियां किसी वृक्ष की टहनी या झाड़ी (विशेषकर नींबू) को रंगीन कुर्ता या ओढ़नी पहनाकर उसमें फूलों को उलझाया जाता है। संध्या यमय में लड़कियां इस डाली को गीत गाते हुए किसी नदी या जलाशय में विसर्जित कर देती हैं।
140. भील जनजाति के युवक-युवतियां किस पर्व में अपना जीवन साथी का चुनाव करते हैं?
(a) मेघनाथ
(b) होली
(c) भगोरिया
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (c) फाल्गुन माह में मालवा क्षेत्र के भीलों का भगोरिया पर्व एक प्रिय उत्सव है जो होली का ही एक रूप है। यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल (धार, झाबुआ, अलिराजपुर आदि) के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। टिप्पणी: इस पर्व की विशेष बात यह है कि इस पर्व में आदिवासी युवक-युवतियों को अपना जीवन साथी का चुनाव करने का अवसर मिलता है।
141. नयी फसल पकने में कौन सा पर्व मनाया जाता है?
(a) नोरता
(b) हरेली
(c) नवान्न
(d) गणगौर
व्याख्या: (c) नवान्न पर्व नई फसल पकने पर दीपावली के बाद यह मनाया जाता है। कहीं-कहीं यह छोटी दीपावली कहलाती है।
142. संजा (मामूलिया) कुंवारी लड़कियों का उत्सव है, यह कितने दिनों तक चलने वाला पर्व है?
(a) 9 दिन
(b) 11 दिन
(c) 13 दिन
(d) 16 दिन
व्याख्या: (d) संजा अश्विन माह में 16 दिन तक चलने वाला अविवाहित कन्याओं का उत्सव है। लड़कियां प्रति दिन दीवार पर नई-नई आकृतियां बनाती हैं और सायं एकत्र होकर गीत गाती हैं।
143. शबरी कुंभ उत्सव का आयोजन किस नदी से संबंधित है?
(a) ताप्ती
(b) चंबल
(c) नर्मदा
(d) शक्कर
व्याख्या: (c) शबरी कुंभ उत्सव समारोह प्रतिवर्ष नर्मदा नदी के तट पर अमरकंटक तथा अनूपपुर में आयोजित किया जाता है।
144. मध्य प्रदेश में किस जनजातीय समूह द्वारा मेघनाद पर्व मनाया जाता है?
(a) गोंड आदिवासी
(b) भील आदिवासी
(c) बेगा आदिवासी
(d) कोरकू आदिवासी
व्याख्या: (a) फाल्गुन के पहले पक्ष में यह पर्व गोंड आदिवासी मनाते हैं। इसकी कोई निर्धारित तिथि नही है। चार खंबों पर एक तख्त रखा जाता है जिसमें एक छेद कर एक खंभा लगाया जाता है और इस खंबे पर एक बल्ली आड़ी लगाई जाती है। यह बल्ली गोलाई में घूमती है। इस घूमती बल्ली पर आदिवासी रोमांचक करतब दिखाते हैं। नीचे बैठे लोग मंत्रोच्चारण या अन्य विधि से पूजा कर वातावरण बनाकर अनुष्ठान करते हैं। टिप्पणी: कुछ जिलों में इस पर्व को खंडेरा या खट्टा नाम से भी पुकारते हैं। मेघनाद: गोंड जनजाति के सर्वोच्च देवता हैं।
145. मध्य प्रदेश में गोवर्धन पूजा कब की जाती है?
(a) दीपावली के 1 दिन पहले
(b) दीपावली के दिन
(c) दीपावली के 2 दिन पहले
(d) दीपावली के दूसरे दिन
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में कार्तिक माह में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है। यह पूजा गोवर्धन पर्वत और गौधन से संबंधित है। महिलाएं गोबर से पर्वत और बैलों की आकृतियां बनाती हैं। मालवा में भील आदिवासी पशुओं के सामने 'होड़' गीत गाते हैं। टिप्पणी: पशु पालक अहीर इस दिन खेरदेव की पूजा करते हैं। चंद्रावली नामक कथागीत भी इस अवसर पर गाया जाता है।
146. गणगौर पर्व पर किस देवी-देवता की पूजा की जाती है ?
(a) ब्रह्मा और सरस्वती की
(b) विष्णु और लक्ष्मी की
(c) शिव और पार्वती की
(d) कृष्ण और राधा की
व्याख्या: (c) शिव और पार्वती की पूजा वाला गणगौर पर्व मध्य प्रदेश में वर्ष में दो बार मनाया जाता है। यह महिलाओं का पर्व है। चैत्र (मार्च-अप्रैल) तथा भादों माह में स्त्रियां शिव-पार्वती की प्रतिमाएं बनाती हैं तथा पूजा करती हैं, पूजा के दौरान महिलाएं नृत्य करती हैं। विभिन्न भागों में इस पर्व से संबंधित अनेक जनश्रुतियां हैं। टिप्पणी: मालवा में इसे दो बार मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में इसे गौर कहते हैं और कार्तिक में मनाते हैं।
147. निम्नलिखित युग्मों में से कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है?
(a) घडल्या-अविवाहित युवक
(b) घड़ल्यां-अविवाहित युवतियां
(c) नीरजा स्त्री-पुरुष
(d) आखातीज-अविवाहित युवतियां
व्याख्या: (c) नीरजा नौ दिन तक चलने वाला महिलाओं का उत्सव है, जिसे दशहरे के पूर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर स्त्रियां मां दुर्गा की पूजा करती हैं। 'मालवा' के कुछ क्षेत्रों में गुजरात के 'गरबा उत्सव' को कुछ स्थानीय विशेषताओं के साथ इन दिनों में मनाते हैं।
148. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा कथन असत्य है?
(a) नीरजा त्योहार दशहरा के पूर्व 9 दिन तक मनाया जाता है।
(b) नीरजा त्यौहार में दुर्गा की पूजा की जाती है।
(c) सुआरा मालवा का प्रमुख त्योहार है।
(d) घड़ल्यां पर्व नीरजा के 9 दिन में के बीच मनाया जाता है।
व्याख्या: (c) बुंदेलखंड क्षेत्र का 'सुआरा' पर्व मालवा के घड़ल्या की तरह ही है। दीवार से लगे एक चबूतरे पर एक राक्षस की प्रतिमा बैठाई जाती है। राक्षस के सिर पर शिव-पार्वती की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। दीवार पर सूर्य और चंद्र बनाए जाते हैं। इसके बाद लड़कियां पूजा करती हैं और गीत गाती हैं।
149. मध्य प्रदेश में करमा किस जनजाति का त्योहार है?
(a) उरांव
(b) बैगा
(c) भील
(d) बंजारा
व्याख्या: (a) हरियाली आने की खुशी में करमा त्योहार मुख्य रूप से उरांव जनजाति के लोग मनाते हैं। जब धान रोपने के लिए तैयार हो जाते हैं, तब यह उत्सव मनाया जाता है और करमा नृत्य किया जाता है।
150 रनोता किस जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है?
(a) भील
(b) गोंड
(c) बैगा
(d) कोरकू
व्याख्या: (c) यह बैगा आदिवासियों का प्रमुख त्योहार है। इस पर्व का संबंध नागा वेगा से है, इस अवसर पर मधुमक्खियों की पूजा की जाती है।
151. गोंड जनजाति का नारायण देव के सम्मान में मनाया जाने वाला कौन सा पर्व सुअर के विवाह का प्रतीक माना जाता है?
(a) आखातीज
(b) संजा
(c) लारुकाज
(d) सुआरा
व्याख्या: (c) लारूकाज, गोंडों का नारायण देव के सम्मान में मनाया जाने वाला पर्व है जो सुअर के विवाह का प्रतीक माना जाता है। आजकल यह पर्व धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है। इस उत्सव में सुअर की बलि दी जाती है। परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए इस तरह का आयोजन एक निश्चित अवधि के बाद करना आवश्यक होता है।
152. मध्य प्रदेश में नागाजी का मेला मध्य प्रदेश में कहां भरता है?
(a) गुना
(b) भिंड
(c) मुरैना
(d) शिवपुरी
व्याख्या: (c) अकबर के समय से संत नागाजी की स्मृति में नवंबर-दिसंबर के दौरान इस मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला मुरैना जिले के पोरसा गांव में तकरीबन एक महीने के लिए लगता है। पहले यहां बंदरों को बेचा जाता था, लेकिन अब अन्य घरेलू पशुओं को भी यहां बेचा जाने लगा है।
153. निम्न में से कौनसा अबूझमाड़िया आदिवासियों का प्रमुख पर्व है?
(a) मामुलिया
(b) काकसार
(c) लारूकाज
(d) गणगौर
व्याख्या: (b) काकसार स्त्री व पुरुषों को एकांत प्रदान करने वाला पर्व है जो अबूझमाड़िया आदिवासियों द्वारा मनाया जाता है। इसकी विशेष बात यह है कि युवा लड़के-लड़कियां एक-दूसरे के गांवों में नृत्य करते हुए पहुंचते हैं। वर्षा की फसलों में जब तक बालियां नहीं फूटतीं, अबूझमाड़िया स्त्री-पुरुषों में एकांत में मिलना वर्जित होता है। काकसार उनके इस व्रत को तोड़ने का उपयुक्त अवसर होता है। काकसार में लड़के और लड़कियां अलग-अलग घरों में रात भर नाचते और खुशी मनाते हैं।
टिप्पणी: कई अविवाहित युवक-युवतियों को अपने लिए श्रेष्ठ जीवन साथी का चुनाव करने में यह पर्व सहायक सिद्ध होता है।
154. ध्रुपद समारोह मध्य प्रदेश में कहां आयोजित होता है?
(a) ग्वालियर
(b) भोपाल
(c) सागर
(d) छतरपुर
व्याख्या: (b) ध्रुपद समारोह भोपाल में आयोजित किया जाता है। यह संगीत की ध्रुपद विधा को बढ़ावा देने के लिए गुरू-शिष्य परंपरा के आधार पर आयोजित किया जाता है।
टिप्पणी: यह समारोह वर्ष 1981 से आयोजित किया जा रहा है।
155. मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाला उस्ताद अलाउद्दीन खां समारोह किससे संबंधित है?
(a) नृत्य
(b) नाट्य
(c) संगीत
(d) साहित्य
व्याख्या: (c) उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत समारोह मैहर में आयोजित किया जाता है। यह बाबा अलाउद्दीन संगीत की विविधता पूर्ण प्रस्तुति होती है। इसका मुख्य आकर्षण अलाउद्दीन खां द्वारा स्थापित मैहर बैंड है।
नोट: यह समारोह मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा वर्ष 1976 से आयोजित किया जा रहा है।
टिप्पणी: उस्ताद अलाउद्दीन खां एक बहुप्रसिद्ध सरोद वादक थे, साथ ही अन्य वाद्ययंत्रों को बजाने में भी पारंगत थे। वह एक अतुलनीय संगीतकार और बीसवीं सदी के सबसे महान संगीत शिक्षकों में से एक माने जाते हैं।
156. मध्य प्रदेश में तानसेन समारोह किस जिले में आयोजित किया जाता है?
(a) शिवपुरी
(b) रतलाम
(c) इंदौर
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (d) तानसेन समारोह, तानसेन की स्मृति में ग्वालियर में आयोजित किया जाता है। यह शास्त्रीय संगीत का एक प्रतिष्ठित समारोह है। इसमें देश के शीर्ष संगीतज्ञ, गायक एवं वादक शामिल होते हैं।
नोट: तानसेन समारोह मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा वर्ष 1980 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है जिसमें देश के शीर्ष संगीतज्ञ, गायक एवं वादक सम्मिलित होते हैं।
टिप्पणी: तानसेन या मियां तानसेन या रामतनु पांडेय हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के एक महान ज्ञाता थे। इन्हें सम्राट अकबर के नवरत्नों में भी गिना जाता है। संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर के लिए कहावत प्रसिद्ध है कि 'यहां बच्चे रोते हैं, तो सुर में और पत्थर लुढ़कते हैं तो ताल में'।
157. मध्य प्रदेश में खजुराहो नृत्य समारोह किस वर्ष प्रारंभ हुआ था?
(a) वर्ष 1974
(b) वर्ष 1976
(c) वर्ष 1978
(d) वर्ष 1952
व्याख्या: (b) खजुराहो नृत्य समारोह छतरपुर जिले के खजुराहो में आयोजित किया जाता है। इसका प्रारंभ वर्ष 1976 में हुआ है। इसमें भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली के सभी प्रतिष्ठित कलाकार शामिल होते हैं। यह मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत का सबसे बड़ा नृत्य समारोह है।
टिप्पणी: खजुराहो नृत्य समारोह मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम और मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है।
नोट: 20-26 फरवरी, 2022 में 48वां खजुराहो नृत्य समारोह संपन्न हुआ था।
158. कालिदास समारोह मध्य प्रदेश के किस जिले में मनाया जाता है?
(a) सागर
(b) उज्जैन
(c) छतरपुर
(d) रतलाम
व्याख्या: (b) कालिदास अकादमी द्वारा उज्जैन में कालिदास समारोह आयोजित किया जाता है। इसमें परंपरागत रंग मंचन, परिसंवाद, वाद विवाद, नाट्य, चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। यह समारोह भी एक सप्ताह तक चलता है।
विशेष: 4 नवंबर, 2022 से 10 नवंबर, 2022 तक 7 दिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 संपन्न हुआ।
नोट: कालिदास समारोह वर्ष 1958 में प्रारंभ किया गया था। यह समारोह राज्य पर्यटन विकास निगम के सहयोग से आयोजित किया जाता है। वर्ष 1958 में कालिदास समारोह का उद्घाटन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था।
159. मध्य प्रदेश समारोह कहां मनाया जाता है?
(a) भोपाल
(b) दिल्ली
(c) इंदौर
(d) मुंबई
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश समारोह दिल्ली में आयोजित किया जाता है। इसमें मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत की झलकियां प्रस्तुत की जाती हैं। इसमें गायन, नृत्य एवं वादन, चित्र आदि का आयोजन किया जाता है। यह समारोह एक सप्ताह तक चलता है।
नोट: यह समारोह मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा वर्ष 1982 में प्रारंभ किया गया था। इस समारोह में प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत की झलकियां प्रस्तुत की जाती हैं।
160. मालवा उत्सव का आयोजन कब से प्रारंभ हुआ?
(a) वर्ष 1989
(b) वर्ष 1991
(c) वर्ष 1993
(d) वर्ष 1995
व्याख्या: (b) मालवा उत्सव मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा वर्ष 1991 से प्रतिवर्ष इंदौर, उज्जैन एवं मांडू में आयोजित किया जाता है। इसमें मालवी शैली के नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। हस्तशिल्प के मेले भी आयोजित किए जाते हैं।
161. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' समारोह कहां आयोजित किया जाता है?
(a) उज्जैन
(b) भोपाल
(c) शाजापुर
(d) इंदौर
व्याख्या: (c) बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' समारोह शाजापुर में आयोजित किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक समारोह आयोजित किए जाते हैं।
162. ओरछा उत्सव मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र में आयोजित किया जाता है?
(a) बुंदेलखंड
(b) बघेलखंड
(c) मालवा
(d) निमाड़
व्याख्या: (a) यह उत्सव बुंदेलखंड क्षेत्र में निवाड़ी में आयोजित किया जाता है। इसमें बुन्देलखंड के कलाकारों का नृत्य, गायन एवं वादन आयोजित किया जाता है।
163. आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आयोजन मध्य प्रदेश के किस जिले में होता है?
(a) जबलपुर
(b) बालाघाट
(c) भोपाल
(d) मुरैना
व्याख्या: (c) आलमी तब्लीगी इज्तिमा भोपाल में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर के रूप में मनाया जाता है। इज्तिमा हर साल आयोजित किया जाता है और उसके साथ एक मेला भी लगता है। संपूर्ण भारत वर्ष के मुसलमानों के 'जामात' (श्रद्धालुओं के समूह) यहां पहुंचते हैं।
टिप्पणी: रूस, कजाकिस्तान, फ्रांस, इंडोनेशिया, मलेशिया, जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, इराक, सऊदी अरब, यमन, इथियोपिया, सोमालिया, तुर्की, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों के 'जामाती' तीन दिनों के शिविर के लिए यहां आते हैं और अच्छे मूल्यों का पालन करते हुए अनुशासित जीवन जीने के लिए इस्लामी विद्वानों की पवित्र उपदेश सुनते हैं।
164. जागेश्वरी देवी का मेला मध्य प्रदेश में कहां लगता है?
(a) मुक्तागिरी
(b) चंदेरी
(c) महेश्वर
(d) धुआंधार
व्याख्या: (b) अति प्राचीन काल से अशोकनगर जिले के चंदेरी में जागेश्वरी देवी मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले के संबंध में एक किस्सा बताया जाता है, जिसके अनुसार चंदेरी के शासक जागेश्वरी देवी के भक्त थे। उन्हें कुष्ठ रोग था।
टिप्पणी: किंवदंती के अनुसार कुष्ठ रोग से पीड़ित होने के बाद जोगेश्वरी देवी ने उन्हें 15 दिनों के बाद एक जगह पर आने के लिए कहा, लेकिन राजा तीसरे दिन ही वहां आ गये। उस समय देवी का केवल सिर ही दिखाई दिया। राजा का कुष्ठ ठीक हो गया और उसी दिन से इस मेले का आरंभ हुआ।
165. पीर बुधान का मेला कब आयोजित किया जाता है?
(a) जनवरी-फरवरी
(b) मार्च-अप्रैल
(c) जून-जुलाई
(d) अगस्त-सितंबर
व्याख्या: (d) पीर बुधान का मेला, शिवपुरी जिले के सनवारा में मुस्लिम संत पीर बुधान की कब्र के पास आयोजित किया जाता है। अगस्त-सितंबर महीने में इस मेले का आयोजन किया जाता है।
166. मध्य प्रदेश में तुलसी उत्सव का आयोजन किया जाता था?
(a) सतना
(b) रीवा
(c) ग्वालियर
(d) इंदौर
व्याख्या: (a) तुलसी समारोह प्रतिवर्ष मध्य प्रदेश तुलसी अकादमी द्वारा धनतेरस से दीपावली तक सतना जिले के चित्रकूट में मंदाकिनी तट पर आयोजित किया जाता था। धनतेरस से दीपावली तक अनगिनत आदिवासी ग्रामवासी अपने आराध्य राम जी के साथ दीपावली मनाने के लिए हर साल गाते बजाते इस समारोह में शामिल होते हैं।
विशेष: तुलसी साहित्य अकादमी का 22वां अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन एवं समारोह 2022 भोपाल के गांधी भवन में आयोजित हुआ।
167. मध्य प्रदेश में कालिदास समारोह की शुरुआत किनके प्रयासों से शुरू हुई?
(a) डॉ. शंकरदयाल शर्मा
(b) राजेंद्र प्रसाद
(c) जवाहरलाल नेहरू
(d) रविशंकर शुक्ल
व्याख्या: (a) गुप्त काल के महान नाटककार कालिदास के सम्मान में यह समारोह बड़े उत्साह के साथ प्रतिवर्ष उज्जैन में मनाया जाता है। इस समारोह में विश्व भर के संस्कृत विद्वान सम्मिलित होते हैं। समारोह की शुरुआत भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा के विशेष प्रयासों से हुई थी।
168. किशोर कुमार समारोह किस जिले में मनाया जाता है?
(a) रतलाम
(b) खरगोन
(c) खंडवा
(d) मंदसौर
व्याख्या: (c) किशोर कुमार समारोह मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध पार्श्व गायक किशोर कुमार की स्मृति में खंडवा जिले में आयोजित किया जाता है। 13 अक्टूबर, 2022 को किशोर कुमार समारोह खांडवा में आयोजित हुआ, जिसमें क्रमश: वर्ष 2019, 2020 और 2021 के श्री अशोक मिश्रा, अमिताभ भट्टाचार्य एवं विवेक रंजन को किशोर कुमार अलंकरण प्रदान किया गया।
169. मध्य प्रदेश में रतनगढ़ का मेला कहां पर लगता है?
(a) भांडेर दतिया
(b) सोनगिरी-दतिया
(c) रतनगढ़-दतिया
(d) सेवड़ा: दतिया
व्याख्या: (c) यह मेला दीपावली की दूज के दिन रतनगढ़ (दतिया) में लगता है।
टिप्पणी: रतनगढ़ माता को सर्पदंश पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली माता माना जाता है। रतनगढ़ माता और कुंवर बाबा का मेला साथ में लगता है।
170. मध्य प्रदेश में चंडी देवी का मेला कहां लगता है?
(a) चंदेरी (अशोकनगर)
(b) घेघरा गांव (सीधी)
(c) उदयपुरा (रायसेन)
(d) सनावत गांव (गुना)
व्याख्या: (b) चंडी देवी का मेला मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाले प्रमुख मेलों में से एक है। मध्य प्रदेश राज्य के सीधी जिले के घोघरा गांव में चंडी देवी का मंदिर है, जिन्हें देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। 'चंडी देवी का मेला' प्रत्येक वर्ष मार्च-अप्रैल में लगता है।
171. मध्य प्रदेश में मठ घोघरा का मेला कहां लगता है?
(a) पिपलिया (खरगोन)
(b) सनावद गांव (गुना)
(c) भैरवनाथ (सिवनी)
(d) पोरसा (मुरैना)
व्याख्या: (c) माघ घोघरा या मठ घोघरा का मेला मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में आयोजित होता है। सिवनी जिले के भैरवनाथ में यह मेला 'शिवरात्रि' के पावन अवसर पर लगता है।
टिप्पणी: यह प्रसिद्ध मेला पंद्रह दिनों तक चलता है। मेला स्थल के नजदीक ही एक प्राकृतिक झील और गुफा भी है, जो यहां की सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
172. गधों का मेला मध्य प्रदेश में किस जिले में लगता है?
(a) जबलपुर
(b) ग्वालियर
(c) इंदौर
(d) सतना
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के सतना (चित्रकूट) में तीन दिवसीय ऐतिहासिक गधों का मेला लगता है। चित्रकूट के मंदाकिनी किनारे क्योट्रा में लगे मेले में सैकड़ों गधों की खरीद फरोख्त होती है। जिनकी कीमत एक हजार से लेकर ₹50 हजार तक की होती है।
टिप्पणी: यह मेला मुगल शासक औरंगजेब ने शुरू करवाया था जिसकी परंपरा आज भी चली आ रही है।
विशेष: चित्रकूट (सतना) के अतिरिक्त, मध्य प्रदेश के उज्जैन और राजस्थान के पुष्कर में भी गधों का मेला लगता है।
173. मध्य प्रदेश में कान्हाबाबा का मेला कहां लगता है?
(a) होशंगाबाद
(b) हरदा
(c) नरसिंहपुर
(d) रीवा
व्याख्या: (b) हरदा जिले की रहटगांव तहसील के सोडलपुर में कान्हा बाबा का मेला वर्ष में एक बार लगता है।
नोट: सोडलपुर को धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है। इंदौर-बैतूल राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर यह गांव स्थित है।
174. निम्नलिखित कथनों में से सत्य कथन है-
(a) चरण पादुका मेला दमोह में लगता है।
(b) चरण पादुका मेला मकर संक्रांति के दिन लगता है।
(c) इस मेले को जलविहार मेला भी कहते हैं।
(d) उपरोक्त में से सभी ।
व्याख्या: (b) चरण पादुका मेला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में लगता है। सामान्य तौर पर यह मेला 14 जनवरी के दिन मकर संक्रांति के अवसर में आयोजित होता है। हालांकि जल विहार मेला भी छतरपुर में लगता है।
175. मध्य प्रदेश के किस जिले में हीरा भूमिया मेला लगता है?
(a) दतिया
(b) मुरैना
(c) सीहोर
(d) गुना
व्याख्या: (d) मेलों में भारतीय संस्कृति की झलक पाई जाती है। इन मेलों में सामाजिकता, संस्कृति आदि का अद्वितीय सम्मिलन होता है। मध्य प्रदेश में 1,400 स्थानों पर मेले लगते हैं। उज्जैन जिले में सर्वाधिक 227 मेले और होशंगाबाद जिले में न्यूनतम 13 मेले आयोजित होते हैं। मार्च, अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा मेले लगते हैं, इसका कारण ये हो सकता है कि इस समय किसानों के पास कम काम होता है। जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में नहीं के बराबर मेले लगते हैं। इस समय किसान सबसे अधिक व्यस्त होते हैं और बारिश का मौसम भी होता है।
176. निम्न में से कौन सा मेला छतरपुर जिले में आयोजित होता है?
(a) सोनागिरी का मेला
(b) जलविहार का मेला
(c) शारदा मां का मेला
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (b) जलविहार का मेला छतरपुर जिले में आयोजित होता है।
टिप्पणी:
1. सोनागिरी का मेला चैत्र माह में सोनागिरी (दतिया) में लगता है।
2. शारदा मां का मेला सतना जिले के मैहर में लगता है।
177. मध्य प्रदेश में उन्नान का मेला कहां लगता है?
(a) उज्जैन
(b) खंडवा
(c) दतिया
(d) टीकमगढ़
व्याख्या: (c) उन्नान या उनाव का मेला मध्य प्रदेश के दतिया जिले में बालाजी मंदिर के निकट लगता है।
टिप्पणी: उन्नाव बालाजी सूर्य मंदिर मध्य प्रदेश में दतिया जिले के उनाव में स्थित है। यह मंदिर ऐतिहासिक होने के साथ ही प्राचीन भी है। साथ ही यह अपने साथ कई किंवदंतियों को समेटे हुए है। मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि किसी भी प्रकार के असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति यदि स्नान करने के बाद बालाजी मंदिर में सूर्य देव की प्रतिमा पर जल चढ़ाता है तो उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
178. बाबा शहाबुद्दीन औलिया का उर्स कहां आयोजित होता है?
(a) मंदसौर
(b) रतलाम
(c) नीमच
(d) उज्जैन
व्याख्या: (c) शहाबुद्दीन औलिया बाबा का उर्स मध्य प्रदेश के नीमच जिले में फरवरी माह में मनाया जाता है। यह प्रसिद्ध उर्स चार दिनों तक चलता है। यहां बाबा शहाबुद्दीन की मजार है।
179. पालतू जानवर मध्य प्रदेश के किस मेले में बेचे जाते हैं?
(a) बरमान का मेला
(b) नागाजी का मेला
(c) सिंगाजी का मेला
(d) तेजाजी का मेला
व्याख्या: (b) नागाजी का मेला राज्य के मुरैना जिले में लगभग 30 दिनों के लिए लगता है। मुगल बादशाह अकबर के समय के संत नागाजी की स्मृति में इस मेले का आयोजन किया जाता है।
टिप्पणी: नागाजी का मेला प्रतिवर्ष नवंबर-दिसंबर के माह में लगता है। पहले इस मेले में बंदरों को बेचा जाता था, लेकिन अब पालतू पशुओं को भी यहां बेचा जाने लगा है।
180. मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला कहां लगता है?
(a) जबलपुर
(b) ग्वालियर
(c) भोपाल
(d) इंदौर
व्याख्या: (b) वर्ष 1904 में प्रारंभ हुए ग्वालियर व्यापार मेले को तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया ने शुरू कराया था। ग्वालियर व्यापार मेला देश के सबसे बड़े और वैभवशाली मेलों में शामिल होता है। एक पशु मेले के रूप में शुरू हुआ मेला किस तरह व्यापार मेले के रूप में खुद को स्थापित करता है, वो अद्वितीय है।
नोट: ग्वालियर व्यापार मेला का मैदान वर्तमान में 104 एकड़ क्षेत्र में फैला है। इसमें प्रवेश के लिए आठ प्रवेश द्वार हैं।
181. सनकुआ का मेला मध्य प्रदेश के किस जिले में लगता है?
(a) ग्वालियर
(b) दतिया
(c) भिंड
(d) शिवपुरी
व्याख्या: (b) सनकुआ का मेला कार्तिक पूर्णिमा से 15 दिन तक दतिया जिले के सेवड़ा नामक कस्बे के सनकुआ नामक स्थान पर सिंध नदी के तट पर लगता है, जबकि बड़ौनी का मेला शिवरात्रि के दिन बरौनी में योगेश्वर पहाड़ी (दतिया) पर लगता है।
182. मध्य प्रदेश के समारोह एवं उत्सवों के संबंध में सत्य कथन का चुनाव कीजिए-
(a) निमाड़ उत्सव प्रतिवर्ष राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित किया जाता है।
(b) सुभद्रा कुमारी चौहान समारोह जबलपुर में आयोजित किया जाता है।
(c) ध्रुपद समारोह की शुरुआत वर्ष 1981 में हुई थी।
(d) उपरोक्त सभी कथन सत्य है।
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में सुभद्रा कुमारी चौहान समारोह वर्ष 1982 से जबलपुर में आयोजित किया जा रहा है, जबकि निमाड़ उत्सव राज्य के खरगोन जिले के महेश्वर एवं खंडवा एवं बड़वानी जिलों में वर्ष 1994 से आयोजित किया जा रहा है।
183. मध्य प्रदेश के उत्सव एवं समारोह के विषय में सत्य युग्म का चुनाव कीजिए-
(a) टेपा समारोह भोपाल
(b) लोकरंग समारोह उज्जैन
(c) अनुगूंज उज्जैन
(d) रामलीला उत्सव सागर
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में टेपा समारोह उज्जैन में लोकरंग समारोह भोपाल में एवं रामलीला उत्सव का आयोजन भोपाल में होता है।
184. मध्य प्रदेश के किस जिले में गाजी मियां का मेला लगता है?
(a) अशोक नगर
(b) भोपाल
(c) विदिशा
(d) सिवनी
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के अशोकनगर में स्थित चंदेरी के निकट शहजादी का रोजा नामक स्थान स्थित है, जहां ज्येष्ठ माह के आखिरी सप्ताह में गाजी मियां का मेला लगता है। यह मेला नव विवाहितों हेतु विशेष महत्व रखता है। इस मेले में पतंगबाजी उत्सव होता है। मेले के प्रथम दिवस में पत्नी पति को परमेश्वर ताल सहरा बांधती है और द्वितीय दिवस में वधु पक्ष, वर पक्ष को आमंत्रित करते हैं।
185. सरहुल किस जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है?
(a) भील
(b) कोरकू
(c) गौंड
(d) उरांव
व्याख्या: (d) सरहुल उरांव जनजाति का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस अवसर पर प्रतीकात्मक रूप से सूर्य देव और धरती माता का विवाह रचाया जाता है। मुर्गे की बलि दी जाती है। अप्रैल के आरंभ में साल वृक्ष के फलने पर यह त्योहार मनाया जाता है।
186. छला उत्सव किनके द्वारा मनाया जाता है?
(a) अविवाहित स्त्रियां
(b) अविवाहित पुरुष
(c) विवाहित स्त्रियां
(d) विवाहित पुरुष
व्याख्या: (b) अविवाहित युवक एक उत्सव 'छला' के रूप में मनाते हैं जबकि नीरजा के नौ दिनों में अविवाहित युवतियां घड़ल्या मनाती हैं। समूह 1. में लड़कियां, एक लड़की के सिर पर छिद्रयुक्त घड़ा रखती हैं जिसमें दीपक जल रहा होता है, फिर दरवाजे दरवाजे जाती हैं और अनाज या पैसा एकत्र करती हैं।
187. निम्न में से कौन सा उत्सव वर्ष में दो बार मनाया जाता है?
(a) आखातीज
(b) भाईदूज
(c) करवाचौथ
(d) नीरजा
व्याख्या: (b) भाईदूज पर्व वर्ष दो बार मनाया जाता है। एक चैत माह में होली के उपरांत तथा दूसरी कार्तिक में दीपावली के बाद। यह रक्षाबंधन की तरह ही है। बहनें भाई को कुमकुम, हल्दी, चावल से तिलक करती हैं तथा भाई, बहनों को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
विशेष: इस पर्व से संबंधित एक प्रचलित कथा है- यमुना (नदी), यमराज (मृत्यु के देवता) की बहन थी। एक बार यमराज भाईदूज के दिन बहन से टीका कराने कुछ उपहार आदि लेकर पहुंचे तो यमुना ने उपहार लेने से इंकार कर दिया और कहा है भाई ! मृत्यु के स्वामी ! मुझे वचन दो कि आज के दिन जो भाई बहिन से टीका कराएगा, उसकी उम्र में एक दिन बढ़ जाएगा। यमराज ने कहा 'तथास्तु'। इस तरह की अनेक कहानियां इस संबंध में प्रचलित हैं।
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