मध्य प्रदेश की राजव्यवस्था MCQ
(a) 2 अक्टूबर, 1961
(b) 2 नवंबर, 1861
(c) 2 दिसंबर, 1961
(d) 2 जनवरी, 1861
व्याख्या: (b) स्वतंत्रता पूर्व 2 नवंबर, 1861 को नागपुर और उसके अधीनस्थ क्षेत्रों को सम्मिलित करके एक केंद्रीय क्षेत्र का गठन किया गया था, जिसे केंद्रीय प्रांत / मध्य प्रांत (Central Province) नाम प्रदान किया गया। इसके पश्चात 24 अक्टूबर, 1936 को केंद्रीय प्रांत में बरार प्रांत का विलय करके संयुक्त क्षेत्र सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार का गठन किया गया। सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार का विस्तार 1747 से 24°27 उत्तरी अक्षांश एवं 76 से 81° पूर्वी देशांतर के मध्य था। सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार का कुल क्षेत्रफल लगभग 131,000 वर्ग किमी. अर्थात ब्रिटिश कालीन भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 7.3 प्रतिशत था।
टिप्पणी: सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार को राजनीतिक व प्रशासनिक रूप से 18 केंद्रीय प्रांत वाले जिले (Central Provinces British Districts) 4 बरार प्रांत वाले जिले (Districts of Berar) एवं 15 सामंती राज्य (Feudatory States) को विभिन्न प्रभागों में विभाजित किया गया तथा नागपुर को संयुक्त रूप से राजधानी बनाया गया था।
(a) वर्ष 1936
(b) वर्ष 1939
(c) वर्ष 1910
(d) वर्ष 1909
व्याख्या: (d) पं. मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अंतर्गत वर्ष 1909 में मध्य प्रांत एवं बरार प्रांत ने विधानसभा गठित करने का प्रस्ताव रखा गया था। इस परिप्रेक्ष्य में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने वर्ष 1912 में भारत शासन अधिनियम पारित कर गवर्नर जनरल को चीफ कमिश्नरों के प्रांत में विधानसभा गठित करने का अधिकार दिया था। तदनुसार वॉयसराय लार्ड हार्डिज ने 13 दिसंबर, 1912 को नागपुर में विधानसभा भवन की नींव रखी थी तथा 8 नवंबर, 1913 को मध्य प्रांत (Central Province) और बरार की प्रथम विधानसभा का विधिवत गठन किया गया था।
(a) पं. रविशंकर शुक्ल
(b) श्री घनश्याम सिंह गुप्त
(c) श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र
(d) श्री डी. के. मेहता
व्याख्या: (a) 19 सितंबर, 1945 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत में केंद्रीय व प्रांतीय विधान मंडलों के लिए वर्ष 1945-46 के शीतकाल में आम चुनाव कराने की घोषणा की थी, जिसके परिणामस्वरूप 9 जनवरी, 1946 को केंद्रीय प्रांत एवं बरार में विधानमंडल की 112 सीटों पर चुनाव संपन्न हुए थे, जिसमें कांग्रेस को 84 सीटें प्राप्त हुई थी। 26-27 अप्रैल, 1946 को पं. रविशंकर शुक्ल सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। पं. रविशंकर शुक्ल के नेतृत्व में गठित मंत्रिमंडल में द्वारका प्रसाद मिश्र, डी. के. मेहता, आर. के. पाटिल, रामेश्वर अग्निभोज, एस. व्ही. गोखले, डॉ. डब्ल्यू. एस. बारलिंगे और डॉ. एम. हसन शामिल हुए।
टिप्पणी: श्री घनश्याम सिंह गुप्त को विधानसभा अध्यक्ष एवं पं. द्वारका प्रसाद मिश्र को गृहमंत्री बनाया गया था।
(a) 1 फरवरी, 1948
(b) 1 जनवरी, 1948
(c) 1 मार्च, 1948
(d) 1 अप्रैल, 1948
व्याख्या: (a) वर्तमान हरदा जिले में स्थित मकड़ई को सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार में 1 फरवरी, 1948 को सम्मिलित किया गया था किंतु सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार में बस्तर, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, रायगढ़, कांकेर, सक्ती, छुईखदान, राजनांदगांव, कवर्धा, उदयपुर, सारंगढ़, खैरागढ़ और चांगबखार रियासतों को जनवरी, 1948 से सम्मिलित किया गया था।
टिप्पणी: सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार के अंतर्गत नर्मदा घाटी प्रभाग में वर्तमान मध्य प्रदेश के जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, सागर, दमोह आदि जिले सम्मिलित थे। होशंगाबाद जिले के अंतर्गत तत्कालीन सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार की एकमात्र रियासत मकड़ई मध्य प्रदेश में सम्मिलित है, जो वर्तमान में हरदा जिला मुख्यालय से 37 किमी. दूर तथा भिरंगी रेलवे स्टेशन से 24 किमी. दूर अवस्थित है।
(a) नागपुर
(b) बम्बई
(c) वर्धा
(d) त्रिपुरी
व्याख्या: (a) मध्य प्रांत (Central Province) में राष्ट्रीयता के विकास की दृष्टि से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 7वां अधिवेशन 18 से 30 दिसंबर, 1891 तक नागपुर में संपन्न हुआ था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता मद्रास के वकील पी. आनंदाचालु ने की थी। नागपुर के 7वें अधिवेशन में पारित प्रस्तावों में से प्रमुख प्रस्ताव यह था कि जब तक विधानसभाओं में भारतीय प्रतिनिधि नहीं होंगे तब तक भारत का शासन न्यायपूर्वक नहीं चल सकेगा तथा जनता समृद्ध और संतुष्ट नहीं होगी।
अन्य प्रस्तावों में मांग की गई कि प्रशासन के खर्च में कटौती की जाए, भू-राजस्व कम किया जाए, सार्वजनिक सेवाओं की परीक्षाएं भारत में हों, न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक किया जाए तथा नमक कर, आयकर तथा अन्य करों में कमी की जाए। इस अवसर पर स्थानीय बुनकरों द्वारा निर्मित वस्त्रों की एक स्वदेशी दुकान खोली गई थी तथा महादेव गोविंद रानाडे के नेतृत्व में समाज सुधार सम्मेलन भी हुआ, जिसका उद्देश्य अंतर्जातीय विवाह, सहभोजन तथा छुआछूत की समस्या का समाधान था।
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6
व्याख्या: (b) वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार और मध्य भारत, विंध्य प्रदेश व भोपाल राज्य एवं विभिन्न रियासतों को समाहित करते हुए भाग क, ख, ग (Part- A, B, C) के राज्यों के रूप में विभक्त किया गया। पार्ट- A के अंतर्गत ब्रिटिश शासन वाले क्षेत्र (सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार एवं महाकौशल व तत्कालीन छत्तीसगढ़ की रियासतें), पार्ट- B के अंतर्गत मध्य भारत (राज्य विधानमंडल के साथ-साथ शाही शासन वाला क्षेत्र) तथा पार्ट-C के अंतर्गत विंध्य प्रदेश व भोपाल (ब्रिटिश भारत के मुख्य आयुक्त के शासन एवं शाही शासन वाला क्षेत्र) राज्य को सम्मिलित किया गया था। हालांकि वर्तमान मध्य प्रदेश के 4 क्षेत्र क्रमशः मध्य भारत, भोपाल, विंध्य प्रदेश एवं महाकौशल तत्कालीन मध्य प्रदेश की प्रशासनिक इकाई के रूप में सम्मिलित थे।
(a) 28 मई, 1948
(b) 28 अप्रैल, 1948
(c) 28 जून, 1948
(d) 28 मार्च, 1948
व्याख्या: (a) वर्ष 1947 में ब्रिटिश इंडिया की मालवा एजेंसी का मध्य भारत में विलय किया गया था तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात श्री वी.पी. मेनन के प्रयासों से सरदार वल्लभ भाई पटेल की सहमति के पश्चात 22 अप्रैल, 1948 को मध्य भारत की 25 रियासतों के नरेशों ने राज्य एकीकरण (मालवा यूनियन के) अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे। जिसके परिणामस्वरूप 28 मई, 1948 को मध्य भारत राज्य का गठन किया गया और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने इसका उद्घाटन जयविलास महल, ग्वालियर में किया था। मध्य भारत के गठन के समय मध्य भारत को “यूनाइटेड स्टेट ऑफ ग्वालियर इंदौर और मालवा" नाम से जाना जाता था किंतु 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान के लागू होने के पश्चात इसका नाम परिवर्तित करके मध्य भारत रखा गया।
टिप्पणी: ग्वालियर के शासक जीवाजीराव सिंधिया को मध्य भारत का राजप्रमुख तथा इंदौर के शासक यशवंतराव होल्कर द्वितीय को वरिष्ठ उपराजप्रमुख नियुक्त किया गया था। इसके अतिरिक्त धार एवं खिलचीपुर के शासक कनिष्ठ उपराजप्रमुख बनाए गए थे।
विशेष: सहज एवं सुदृढ़ प्रशासनिक सुविधा के दृष्टिकोण से 6 माह ग्वालियर तथा 6 माह इंदौर को मध्य भारत की राजधानी बनाकर समस्त प्रशासनिक कार्य संपन्न किये जाते थे तथा 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के समय मध्य भारत के तत्कालीन मुख्यमंत्री तख्तमल जैन थे।
(a) 12 मार्च, 1948
(b) 4 अप्रैल, 1948
(c) 14 अप्रैल, 1949
(d) 25 जनवरी, 1950
व्याख्या: (a) ब्रिटिश काल के सेंट्रल इंडिया पूर्व और पूर्वोत्तर विभाग के बघेलखंड तथा बुंदेलखंड में सम्मिलित 35 रियासतों का विलय करके राज्य मंत्रालय के सचिव वी.पी. मेनन की उपस्थिति में 12 मार्च, 1948 को विंध्य प्रदेश का गठन किया गया था एवं रीवा को मुख्य राजधानी व नौगांव (छतरपुर) को उप-राजधानी बनाया गया था। 12 मार्च, 1948 को विंध्य प्रदेश के गठन के समय उसे पार्ट -B में सम्मिलित किया गया था किंतु 1 जनवरी, 1950 को विंध्य प्रदेश को पार्ट -C में शामिल किया गया। विंध्य प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 71,365 वर्ग किमी. था।
टिप्पणी: 4 अप्रैल, 1948 को विंध्य प्रदेश का उद्घाटन एन. वी. गाडगिल द्वारा किया गया था तथा रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव को राजप्रमुख नियुक्त किया गया था। इसके अतिरिक्त कप्तान अवधेश प्रताप सिंह को बघेलखंड (रीवा) एवं श्री कामताप्रसाद सक्सेना को बुंदेलखंड (नौगांव) का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था किंतु जुलाई, 1948 में दोनों मंत्रिमंडलों को संयुक्त कर कप्तान अवधेश प्रताप सिंह को विंध्यप्रदेश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। 14 अप्रैल, 1949 को तत्कालीन सरकार के मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया, जिसके पश्चात 1 मई, 1949 श्रीनाथ मेहता के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ।
(a) श्री शिवानंद जी
(b) पं. शंभूनाथ शुक्ला
(c) श्री लालाराम वाजपेयी
(d) श्रीनिवास तिवारी
व्याख्या: (b) वर्ष 1951 में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना के लिए गवर्नर ऑफ पार्ट-C स्टेट्स एक्ट पारित किया गया था, जिसके आधार पर वर्ष 1952 में विंध्यप्रदेश में 60 प्रतिनिधियों की निर्वाचित सभा गठित हुई थी। 2 अप्रैल, 1952 को मुख्यमंत्री पं. शम्भूनाथ शुक्ला (शहडोल निवासी) के नेतृत्व में विंध्य प्रदेश की विधानसभा का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष के रूप में सतना जिले के निवासी श्री शिवानंद जी को विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस मंत्रिमंडल में लालाराम वाजपेयी (गृहमंत्री), महेंद्र कुमार 'मानव' (शिक्षा मंत्री), दान बहादुर सिंह (उद्योग मंत्री) तथा गोपाल शरण सिंह (न्याय मंत्री) थे। चीफ कमिश्नर के स्थान पर कस्तूरी संस्थानम लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त हुए, जिन्होंने 2 अक्टूबर, 1952 को विंध्य सामुदायिक विकास योजना के अंतर्गत सोहावल विकास केंद्र का उद्घाटन कर इस योजना का सूत्रपात विंध्य प्रदेश में किया था।
(a) 30 अप्रैल, 1949
(b) 1 जून, 1949
(c) 22 मार्च, 1952
(d) 15 अगस्त, 1947
व्याख्या: (b) भारत की स्वतंत्रता के पश्चात भोपाल राज्य के विलीनीकरण के लिए सरदार पटेल के नेतृत्व में आंदोलन भी व्यापक स्तर पर हुए, जिसके उपरांत जनता के दबाव व सरदार पटेल के हस्तक्षेप के कारण 30 अप्रैल, 1949 को भोपाल के शासक नवाब हमीदुल्ला खान ने भोपाल राज्य के भारत संघ में विलय समझौते पर हस्ताक्षर किये थे और 1 जून, 1949 को भोपाल पार्ट -C में सम्मिलित किया गया। इस प्रकार भोपाल भारत का आखरी राज्य था, जो 1 जून, 1949 को भारतीय संघ में विलीन हुआ। उसके पश्चात श्री एन.बी. बैनर्जी भोपाल के मुख्य आयुक्त नियुक्त हुए थे और 20 मार्च, 1952 को डॉ. शंकर दयाल शर्मा भोपाल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। डॉ. शंकर दयाल शर्मा के नेतृत्व में गठित मंत्रिमंडल में मौलाना इनायतुल्लाह खां तरजी मशरिकी एवं श्री उमराव सिंह भी सम्मिलित थे।
टिप्पणी: 1723-24 ई. में अफगान सिपाही दोस्त मोहम्मद खान द्वारा स्थापित भोपाल केंद्रीय भारत की एक प्रमुख मुस्लिम रियासत थी, जो 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी एक स्वतंत्र राज्य था। भोपाल रियासत का क्षेत्रफल 17,883 वर्ग किमी. अर्थात 6902 वर्ग मील था, जिसका विस्तार 22°32' से 24°4' उत्तरी अक्षांश और 76°28 से 78°52' पूर्वी देशांतर के मध्य था।
(a) वर्ष 1956
(b) वर्ष 1976
(c) वर्ष 1972
(d) वर्ष 1984
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के राज्य पुनर्गठन (1 नवंबर, 1956) के समय भोपाल सीहोर जिले की एक तहसील था, जिसे 13 सितंबर, 1972 को राजपत्र अधिसूचना क्रमांक 2477/1977/एस.ए./1 के आधार पर सीहोर जिले से पृथक कर जिले का दर्जा प्रदान किया गया था।
टिप्पणी: विंध्यांचल पर्वत की अत्यंत सुरम्य उपकत्याओं में 7 पहाड़ियों के मध्य भारत के हृदय प्रदेश में स्थित भोपाल राज्य का वर्ष 1951 की जनगणना के अनुसार क्षेत्रफल 6921 वर्ग किमी. तथा जनगणना 8,38.107 थी। प्रशासनिक दृष्टि से भोपाल राज्य को रायसेन व सीहोर जिले में विभक्त किया गया था, जिसमें 14 तहसीलें क्रमश: भोपाल, सीहोर, रायसेन, आष्टा, इछावर, नसरुल्लागंज, बेरसिया, गोहरगंज, बुधनी, बरेली, गैरतगंज, बेगमगंज, सिलवानी, उदयपुरा सम्मिलित थी। इसके अतिरिक्त भोपाल रियासत के अंतर्गत 3 निजामत (अनुभाग) क्रमश: निजामत-ए-मशरिक, निजामत-ए-मघरिब एवं निजामत-ए-जुनूब सम्मिलित थे।
(a) 2 नवंबर, 1861
(b) 24 अक्टूबर, 1936
(c) 12 मार्च, 1948
(d) 6 अप्रैल, 1903
व्याख्या: (a) 1857 ई. के महान विप्लव के दमन के 3 वर्ष पशात 2 नवंबर, 1861 को औपचारिक रूप से मध्यप्रांत (Central Province) या केंद्रीय प्रांत की स्थापना की गई, जिसे नॉनरेग्युलेशन प्रांत के रूप में नागपुर स्थित ब्रिटिश चीफ कमिश्नर के अधीन रखा गया जो सर्वोच्च शासन के प्रति उत्तरदायी था। मध्यप्रांत में समाविष्ट किए गए जिले नागपुर क्षेत्र के अंतर्गत नागपुर, चांदा, भंडारा, छिंदवाड़ा, रायपुर व बस्तर (छत्तीसगढ़) तथा नर्मदा सागर क्षेत्र के अंतर्गत सागर, दमोह, जबलपुर, मंडला, सिवनी, बैतूल, नरसिंहपुर और होशंगाबाद सम्मिलित थे।
(a) 11 सितंबर, 1853
(b) 11 अक्टूबर, 1853
(c) 11 नवंबर, 1853
(d) 11 दिसंबर, 1853
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश राज्य के निर्माण एवं गठन की प्रक्रिया के परिपेक्ष्य में ब्रिटिशकालीन परिचयात्मक राजनैतिक व प्रशासनिक व्यवस्था की पृष्ठभूमि से स्पष्ट होता है कि 1817 ई. में तृतीय मराठा युद्ध में अप्पा साहब भोंसले की पराजय के परिणामस्वरूप नर्मदा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत 27 नवंबर, 1817 को मंडला सिवनी, बैतूल, जबलपुर, नरसिंहपुर व होशंगाबाद जिलें को नागपुर के अप्पा साहब भोंसले तथा सागर व दमोह जिले को पेशवा बाजीराव द्वितीय से प्राप्त कर ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया गया, जिसे 1820 ई. में नर्बुदा टैरिटरीज या सागर नर्मदा टैरिटरीज (नर्मदा सागर क्षेत्र) का नाम प्रदान किया गया और इसे जबलपुर में रहने वाले गवर्नर जनरल के एजेंट के अंतर्गत रख दिया गया, जो कलकत्ता में सुप्रीम गवर्मेट के प्रति प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी था। 26 जून, 1818 को रघुजी भोंसले तृतीय भोंसले राज्य के शासक के रूप में नियुक्त किया गया किंतु निःसंतान होने के कारण एवं उनकी मृत्यु के पश्चात ब्रिटिश शासन के समय 11 दिसंबर, 1853 में अंग्रेजों द्वारा नागपुर को अपने अधीन कर तत्कालीन मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग (हिंदी भाषी क्षेत्र की रियासतों को छोड़कर) में अधिकृत रूप से आधिपत्य स्थापित कर लिया गया था।
(a) धर आयोग
(b) जे.वी.पी. समिति
(c) राज्य पुनर्गठन आयोग
(d) हंटर आयोग
व्याख्या: (c) भारत के विभिन्न राज्यों में एकरूपता, अखंडता व प्रशासनिक सुविधा के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के दृष्टिकोण और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के उद्देश्य से न्यायमूर्ति सैयद फजल अली की अध्यक्षता में 29 दिसंबर, 1953 को राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। राज्य पुनर्गठन आयोग (State Reorganisation Commission-SRC) के अध्यक्ष श्री सैयद फजल अली (Saiyad Fajal Ali, at Present Governer of Orissa) एवं 2 अन्य सदस्य क्रमशः श्री हृदयनाथ कुंजरू (Hriday Nath Kunjru, Member of the Council of States) श्री केवलम माधवा पणिक्कर (Kavalam Madhava Panikkar, at present Ambassador of India in Egypt) ने 30 सितंबर, 1955 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
टिप्पणी: राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में मूल संविधान के अंतर्गत 4 आयामी राज्यों क्रमश: पार्ट- A, B, C, D व उनके क्षेत्रों के वर्गीकरण को समाप्त कर 16 नवीन राज्यों एवं 3 केंद्र शासित प्रदेशों के गठन का सुझाव दिया गया था। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर पार्ट A के राज्य के रूप में सम्मिलित पुराने मध्य प्रदेश (मध्य प्रांत) के दक्षिण भाग में सम्मिलित मराठी भाषी जिलों क्रमश: नागपुर, भंडारा, वर्धा, चांदा (चंद्रपुर), अकोला, अमरावती, बुलढाना और यवतमाल को मिलाकर विदर्भ राज्य एवं हिंदी भाषी क्षेत्रों को सम्मिलित कर मध्य प्रदेश के गठन की विशेष अनुशंसा की गई थी।
(a) 31 अगस्त, 1956
(b) 8 नवंबर, 1956
(c) 30 सितंबर, 1955
(d) 12 अक्टूबर, 1957
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश का गठन राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 और 7वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 का प्रतिफल है। राज्य पुनर्गठन आयोग अधिनियम, 1956 (अधिनियम संख्यक -37) 31 अगस्त, 1956 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की स्वीकृति के पश्चात लागू हुआ और परिणामस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को भारत के 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया। अंतत: 1 नवंबर, 1956 को हिंदी भाषी राज्य के रूप में मध्य प्रदेश पूर्ण रूप से अस्तित्व में आया इसी कारण प्रतिवर्ष 1 नवंबर को मध्य प्रदेश के स्थापना वर्ष को मध्य पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
(a) सिरोंज
(b) भोपाल
(c) विंध्य प्रदेश
(d) मध्य भारत
व्याख्या: (a) राज्य पुनर्गठन आयोग 1953 द्वारा तत्कालीन मध्य प्रदेश के हिंदी भाषी क्षेत्रों से मराठी भाषायी क्षेत्रों को पृथक कर 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश राज्य के गठन की अनुशंसा की गई थी। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के माध्यम से मध्य प्रदेश राज्य के गठन एवं उससे संबंधित विषयों का उपबंध अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (1) के खंड (ग) में उल्लेखित क्षेत्र (तत्कालीन राजस्थान राज्य के कोटा जिले का सिरोंज उपखंड) को छोड़कर विद्यमान मध्य प्रदेश राज्य के राज्यक्षेत्र को समाविष्ट किया गया था। इसके अतिरिक्त तत्कालीन मध्य प्रदेश के दक्षिण में स्थित मराठी भाषी क्षेत्र विदर्भ एवं नागपुर को महाराष्ट्र में सम्मिलित किया गया था।
टिप्पणी: राज्य पुनर्गठन आयोग 1953 व राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 द्वारा मध्य प्रदेश के गठन के संदर्भ में निम्नलिखित अनुशंसाएं की गई-
- (i) नवंबर, 1956 से एक नये राज्य का निर्माण होगा, जो मध्य प्रदेश राज्य कहलाएगा, जिसमें निम्न राज्य क्षेत्र समाविष्ट होंगे अर्थात:
- (क) धारा 8 की उपधारा (1) के खंड (ग) में उल्लेखित जिलों को छोड़कर विद्यमान मध्य भारत के राज्य क्षेत्र
- (ख) मंदसौर जिले के भानपुरा तहसील के सुनेल टप्पा को छोड़कर विद्यमान मध्य भारत राज्य के राज्य क्षेत्र
- (ग) विद्यमान राजस्थान राज्य के कोटा जिले का सिरोंज उपखंड
- (घ) विद्यमान भोपाल राज्य के राज्य क्षेत्र
- (ङ) विद्यमान विंध्य प्रदेश राज्य के राज्य क्षेत्र
- (ii) उक्त सिरोंज उपखंड नये मध्य प्रदेश राज्य के भिलसा (विदिशा) जिले में सम्मिलित होगा और उसका भाग होगा।
(a) मध्य प्रांत के अंतर्गत हिंदी भाषी क्षेत्र को मध्य प्रदेश के अंतर्गत रखा गया, परंतु महाकौशल के अकोला, अमरावती, बुलढाना, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, चांदा, भंडारा क्षेत्रों को महाराष्ट्र में सम्मिलित किया गया।
(b) मध्य भारत में विनिमय के अंतर्गत कोटा जिले की तहसील सिरोंज को विदिशा तथा मंदसौर जिले की तहसील भानपुरा के सुनेल टप्पा को राजस्थान के जोधपुर जिले में सम्मिलित किया गया।
(c) विंध्य प्रदेश तथा भोपाल अर्थात भाग-ग को मध्य प्रदेश में यथावत रखा गया।
(d) 1 नवंबर, 1956 को 74 देशी रियासतों को समाहित करके मध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया, जो क्षेत्रफल की दृष्टि से भारतवर्ष का सबसे बड़ा राज्य था।
व्याख्या: (b) 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश राज्य के पुनर्गठन एवं पूर्णरूप से अस्तित्व में आने के पश्चात महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए थे, जो निम्नलिखित है-
(क) मध्य प्रांत के अंतर्गत हिंदी भाषी क्षेत्र को मध्य प्रदेश के अंतर्गत रखा गया. परंतु महाकौशल के अकोला, अमरावती, बुलढाना, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, चांदा, भंडारा क्षेत्रों को महाराष्ट्र में सम्मिलित किया गया।
(ख) मध्य भारत में विनिमय के अंतर्गत कोटा जिले की तहसील सिरोंज को विदिशा तथा मंदसौर जिले की तहसील भानपुरा के सुनेल टप्पा को राजस्थान के कोटा जिले में सम्मिलित किया गया।
(ग) विंध्य प्रदेश तथा भोपाल अर्थात भाग-ग को मध्य प्रदेश में यथावत रखा गया।
(घ) 1 नवंबर, 1956 को 74 देशी रियासतों को समाहित करके मध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया, जो क्षेत्रफल की दृष्टि से भारतवर्ष का सबसे बड़ा राज्य था।
(a) 16 अक्टूबर, 1956
(b) 30 अक्टूबर, 1956
(c) 1 नवंबर, 1956
(d) 1 अक्टूबर, 1956
व्याख्या: (a) 16 अक्टूबर, 1956 को चारों राज्यों (मध्य भारत, भोपाल, विंध्य प्रदेश, सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार) के कांग्रेसी विधायकों की एक संयुक्त बैठक पं. कुंजीलाल दुबे की अध्यक्षता में नागपुर के दीक्षित सभा भवन में आयोजित की गई थी जिसमें 274 विधायकों में से 212 उपस्थित विधायकों ने पं. रविशंकर शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाये जाने की सर्वसम्मति प्रदान की थी। 31 अक्टूबर, 1956 की मध्य रात्री में मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश श्री एम. हिदायतउल्लाह ने मध्य प्रदेश के प्रथम राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमैय्या को मिन्टो हॉल (पुराना विधानसभा भवन) में राज्यपाल की शपथ ग्रहण करवाई थी तथा 1 नवंबर, 1956 को पं. रविशंकर शुक्ल को मिंटो हॉल में महामहीम राज्यपाल श्री पट्टाभि सीतारमैय्या ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करवाई थी।
टिप्पणी: भोपाल राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर दयाल शर्मा ने कांग्रेस दल के वरिष्ठ नेता पं. रविशंकर शुक्ल को नवगठित मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे मध्य भारत और विंध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों श्री तख्तमल जैन एवं पं. शंभूनाथ शुक्ल ने अनुमोदित किया था।
(a) भोपाल
(b) जबलपुर
(c) ग्वालियर
(d) इंदौर
व्याख्या: (a) भोपाल राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने वास्तविक रूप से भोपाल को स्वतंत्र इकाई होने के कारण उसे राजधानी बनाए जाने के लक्ष्य पर विशेष ध्यान केंद्रित किया था। मध्य प्रदेश की राजधानी के लिए 9 अक्टूबर, 1955 को साप्ताहिक समाचार पत्र प्रहरी में साक्षात्कार के माध्यम से डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने राज्य के प्रशासनिक कार्यों के संचालन, सचिवालय भवन आदि के क्रियांवयन हेतु भोपाल में सहज उपलब्ध इमारतों व प्रशासनिक खर्चों की बचत को आधार बनाते हुए राजधानी के रूप में भोपाल को प्राथमिकता प्रदान करने का सुझाव दिया था। डॉ. शंकर दयाल शर्मा के नेतृत्व में भोपाल को राजधानी बनाने के लिए 22 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल में पं. जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, पं. गोविंद वल्लभ पंत तथा तत्कालीन कांग्रेस के अध्यक्ष यू.एन. ढेवर से खान शाकिर अली खान के नेतृत्व में भेंट की थी और भोपाल को राजधानी बनाये जाने की दावेदारी प्रस्तुत की थी।
टिप्पणी: राज्य पुनर्गठन आयोग, 1953 में मध्य प्रदेश के केंद्रीय स्थल पर स्थित भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाये जाने का प्रस्ताव रखा था किंतु इंदौर और ग्वालियर की परंपरागत स्पर्धा के कारण तत्कालीन स्थानीय राजनेताओं द्वारा इंदौर और ग्वालियर को भी राजधानी बनाये जाने की मांग की गई थी।
विशेष: मध्य प्रांत, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल के पूर्व मुख्यमंत्रियों से विचार विमर्श कर कांग्रेस कार्यसमिति में भोपाल को नये मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने की अनुशंसा की, जिसके आधार पर केंद्र सरकार ने भोपाल को राजधानी बनाने का निर्णय लिया।
(a) अर्जुन सिंह
(b) दिग्विजय सिंह
(c) सुंदरलाल पटवा
(d) वीरेंद्र कुमार सकलेचा
व्याख्या: (b) 1 नवंबर, 2000 को मध्य प्रदेश के विभाजन के समय मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे। जिन्होंने कार्यकाल 7 दिसंबर, 1993 से 30 नवंबर, 1998 तथा 1 दिसंबर, 1998 से 8 दिसंबर, 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन नवंबर, 1956 के समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह एवं राज्यपाल डॉ. भाई महावीर थे तथा छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी के श्री अजीत जोगी एवं राज्यपाल दिनेश नन्दन सहाय नियुक्त किए गए थे।
(a) श्री रविंद्र चौबे
(b) श्री अजीत जोगी
(c) श्री नंदन सहाय
(d) श्री भाई महावीर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश से पृथक छत्तीसगढ़ राज्य गठित किये जाने का संकल्प प्रस्ताव सर्वप्रथम 18 मार्च, 1994 को तत्कालीन विधायक रविंद्र चौबे द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में रखा गया था, जिसे 25 मार्च, 1998 को तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायण ने संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए अपने अभिभाषण में छत्तीसगढ़ राज्य गठित किये जाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। जिसके पश्चात छत्तीसगढ़ संशोधन विधेयक-2000 प्रस्तुत किया गया था, जो 31 जुलाई, 2000 को लोकसभा तथा 9 अगस्त, 2000 को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हुआ था और 24 अगस्त, 2000 को राष्ट्रपति द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य गठित करने की स्वीकृति प्राप्त हुई थी।
(a) 31 अक्टूबर, 2000
(b) 1 नवंबर, 1956
(c) 1 नवंबर, 1999
(d) 30 अक्टूबर, 2001
व्याख्या: (a) राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 (84वां संविधान संशोधन) द्वारा अनुच्छेद-3 के अंतर्गत राज्यों का गठन के आधार पर मध्य प्रदेश राज्य से छत्तीसगढ़ राज्य को 31 अक्टूबर, 2000 को पृथक किया गया था। मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग के 3 संभाग क्रमशः रायपुर, बिलासपुर व बस्तर तथा 16 जिलों क्रमशः रायपुर, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, अंबिकापुर (सरगुजा) और कोरिया (बैकुंठपुर) को सम्मिलित करने के पश्चात 1 नवंबर, 2000 को भारत के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन मध्य प्रदेश से 1,35,133 वर्ग किमी. क्षेत्र को पृथक करके किया गया था, जो संपूर्ण भारत के कुल क्षेत्रफल का 4.14 प्रतिशत एवं संयुक्त क्षेत्र (मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़) के कुल क्षेत्रफल का 30.50 प्रतिशत है।
(a) 35
(b) 38
(c) 40
(d) 45
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश से पृथक राज्य छत्तीसगढ़ के पूर्व मध्य प्रदेश में लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 40 राज्यसभा सदस्यों की संख्या 16 एवं विधानसभा सदस्यों की संख्या 320 थी। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से 11 लोकसभा क्षेत्र (5 सामान्य, 4 अनुसूचित जनजाति, 2 अनुसूचित जाति) और 90 विधानसभा क्षेत्र (46 सामान्य, 4 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति) को पृथक करके छत्तीसगढ़ में सम्मिलित किया गया था।
(a) बहुजन समाज पार्टी
(b) समाजवादी पार्टी
(c) गोंडवाना गणतंत्र पार्टी
(d) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
व्याख्या: (c) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा आठ राजनीतिक दलों क्रमश: भारतीय जनता पार्टी (BJP-1980), बहुजन समाज पार्टी (BSP-1984), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-1925), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-1964), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC 1885), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-1999), ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC-1998), नैशनल पीपुल्स पार्टी (NPP-2013) को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी गई है। जबकि समाजवादी पार्टी एक राज्य स्तरीय पार्टी है, लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ऐसी पार्टी है, जिसे न तो राष्ट्रीय दल की मान्यता है और न मध्य प्रदेश राज्य के लिए मान्यता प्राप्त है।
(a) वर्ष 1993
(b) वर्ष 1998
(c) वर्ष 2003
(d) वर्ष 1985
व्याख्या: (c) 6 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी के भूतपूर्व जनसंघ घटक और अन्य दलों को सम्मिलित करके भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को अपनी स्थापना के प्रारंभिक समय में कम सफलता प्राप्त हुई किंतु वास्तविक सफलता वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव से प्राप्त हुई। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2021 तक की स्थिति में 5 विधानसभा चुनावों में अपना राजनैतिक सफर तय किया है। वर्ष 1952 में 5, वर्ष 1957 में 10, वर्ष 1977 में 230, वर्ष 1980 में 60, वर्ष 1990 में 220, वर्ष 2003 में 173 तथा वर्ष 2008 में 143 सीटें प्राप्त कर दूसरी बार सत्ता प्राप्त की थी। वर्ष 2013 में भाजपा ने 165 सीटें प्राप्त कर तीसरी बार सत्ता प्राप्त की। वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 109 सीटें प्राप्त हुई एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 114 सीटें प्राप्त हुई।
टिप्पणी: वर्ष 1952, वर्ष 1957 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी की पितृपार्टी जनसंघ तथा वर्ष 1977 का विधानसभा चुनाव जनता पार्टी ने लड़ा था। वर्ष 1980 में प्रथम बार भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भाग लिया था।
(a) वर्ष 1976
(b) वर्ष 1980
(c) वर्ष 1989
(d) वर्ष 1994
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में जनता दल का गठन जनवरी, 1989 में किया गया। उसका कोर ग्रुप बना जिसमें श्री विद्याचरण शुक्ल, यमुना प्रसाद शास्त्री, पुरुषोत्तम कौशिक व रघु ठाकुर आदि थे। मध्य प्रदेश में जनता दल के प्रथम अध्यक्ष श्री विद्याचरण शुक्ल बने। जनता दल के वोटों का आधार क्षेत्र दलित वर्ग, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक वर्ग है। वर्ष 1993 में दसवीं विधानसभा में जनता दल के 4 विधायक निर्वाचित हुए, जबकि फरवरी, 1990 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के 29 विधायक निर्वाचित हुए थे। वर्ष 1998 में विधानसभा में जनता दल का एक भी उम्मीदवार निर्वाचित नहीं हो पाया। वर्ष 2003 में जनता दल का एक प्रतिनिधि विधानसभा में निर्वाचित हुआ। वर्ष 2013 से वर्ष 2018 तक के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता दल एक भी सीट नहीं प्राप्त कर सकी है।
टिप्पणी: जनता दल पार्टी के उद्भव और विकास का संबंध वी. पी. सिंह से है तथा इसका गठन 11 अक्टूबर, 1988 को हुआ था।
(a) वर्ष 2014
(b) वर्ष 2016
(c) वर्ष 2012
(d) वर्ष 2013
व्याख्या: (b) सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक अधिकारी/कर्मचारी संस्था (सपाक्स) की स्थापना फरवरी, 2016 में फर्म एवं सोसायटी के रूप में हुई थी।
सपाक्स के उद्देश्य:
(I) सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों, कर्मचारियों के कार्मिक कार्य में गुणात्मक सुधार लाने हेतु कार्य करना एवं इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु ऐसे कार्मिकों को संगठित कर संस्था का सदस्य बनाना।
(ii) सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के शासकीय सेवकों का हितरक्षण करना।
(iii) सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के शासकीय सेवकों की सेवा/ कार्य / प्रशासन से संबंधित कठिनाइयों एवं समस्याओं के समाधान हेतु प्रयासरत रहना।
(a) वर्ष 1990
(b) वर्ष 1985
(c) वर्ष 2008
(d) वर्ष 1998
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ने सर्वप्रथम वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में रायपुर, सारंगगढ़, भिंड व रीवा लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किये थे किंतु इस चुनाव में पार्टी को सफलता प्राप्त नहीं हुई। वर्ष 1990 में संपन्न मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी तथा वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी को 2 सीटों पर विजय प्राप्त हुई।
टिप्पणी: बहुजन समाज पार्टी की स्थापना श्री कांशीराम जी के द्वारा 14 अप्रैल, 1984 को की गई थी तथा 25 नवंबर, 1997 को चुनाव आयोग द्वारा इसे राष्ट्रीय राजनैतिक दल का भी दर्जा प्रदान किया गया है।
(a) वर्ष 1990
(b) वर्ष 2013
(c) वर्ष 1998
(d) वर्ष 1962
व्याख्या: (a) भारत के अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश राज्य की विधानसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या कम रही है। हालांकि मध्य प्रदेश की राजनीति में सुश्री उमा भारती, विमला वर्मा, विजयाराजे सिंधिया, सुषमा स्वराज, उषा ठाकुर, सुमित्रा महाजन, रीति पाठक, विजय लक्ष्मी साधौ आदि ने महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है।
(a) न्यायमूर्ति एन. डी. ओझा
(b) न्यायमूर्ति पी. एन. दीक्षित
(c) न्यायमूर्ति जी. डी. दीक्षित
(d) न्यायमूर्ति जी. पी. सिंह
व्याख्या: (c) उपरोक्त विकल्पों में से न्यायमूर्ति जी. डी. दीक्षित मध्य प्रदेश के कार्यवाहक राज्यपाल नहीं रहे।
(a) मंगू भाई छगन भाई पटेल
(b) आनंदीबेन पटेल
(c) रामेश्वर ठाकुर
(d) रामनरेश यादव
व्याख्या: (a) श्री मंगू भाई छगन भाई पटेल को मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किये जाने की अधिसूचना 6 जुलाई 2021 को राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा जारी की गई है तथा 8 जुलाई 2021 को उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया। श्री मंगू छगन भाई पटेल गुजरात के नवसारी जिले की गांडेवी विधानसभा सीट से 5 बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हो चुके है। वर्ष 2013 में उन्हें गुजरात विधानसभा का डिप्टी स्पीकर भी नियुक्त किया गया था।
(a) छत्तीसगढ़
(b) हरियाणा
(c) गुजरात
(d) पंजाब
व्याख्या: (c) वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद को सुशोभित करने वाली महिला राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल राज्यपाल के पूर्व गुजरात राज्य की मुख्यमंत्री थी। श्री आनंदी बेन पटेल का जन्म 21 नवंबर, 1941 को गुजरात राज्य में खरोद, विजापुर तालुका, जिला मेहसाणा में हुआ था। ए मने हमेशा याद रहेशे (गुजराती संस्करण), प्रयास एवं प्रतिबिंब इनकी प्रसिद्ध पुस्तकें है।
टिप्पणी: श्रीमती आनंदी बेन पटेल का राजनैतिक जीवन-
वर्ष 1994-1998 राज्यसभा सदस्य रही हैं।
वर्ष 1998 मांडल विधानसभा क्षेत्र जिला अहमदाबाद से चुनकर विधायक बनी। वर्ष 1998 से 2002 शिक्षा (प्रारंभिक, माध्यमिक, वयस्क) एवं महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रही हैं।
पाटन विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2002 से दूसरी बार विधायक बनीं और गुजरात शिक्षा मंत्री लगातार चुनाव जीत नहीं पाते थे ऐसी मान्यताओं को गलत साबित किया। वर्ष 2002 से 2007 तक शिक्षा (प्रारंभिक, माध्यमिक, वयस्क ), उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, खेल, युवा एवं सांस्कृतिक गतिविधि मंत्री के पद पर रही हैं।
वर्ष 2007 में पाटन विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक बनीं। वर्ष 2007 से 2012 तक राजस्व, आपदा प्रबंधन, सड़क एवं भवन, राजधानी परियोजना, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रही हैं।
वर्ष 2012 में अहमदाबाद शहर के घाटलोडिया विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार लगातार विधायक बनीं तथा राज्य में सबसे अधिक वोटों से जीतीं।
वर्ष 2012 से 2014 तक राजस्व सूखा राहत भूमि सुधार, पुनर्वास, पुनर्निर्माण, सड़क एवं भवन, राजधानी परियोजना, शहरी विकास और शहरी आवास मंत्री रही हैं।
22 मई, 2014 से 7 अगस्त, 2016 तक गुजरात राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री रही हैं।
15 अगस्त 2018 से 28 जुलाई 2019 तक छत्तीसगढ़ की राज्यपाल रही हैं।
23 जनवरी 2018 से 28 जुलाई 2019 तक मध्य प्रदेश की राज्यपाल रही हैं।
29 जुलाई, 2019 से वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल हैं।
1 जुलाई, 2020 से 8 जुलाई, 2021 तक मध्य प्रदेश की कार्यवाहक राज्यपाल रही हैं।
(a) वर्ष 2016
(b) वर्ष 2017
(c) वर्ष 2014
(d) वर्ष 2015
व्याख्या: (a) श्री ओ. पी. कोहली का जन्म 9 अगस्त, 1935 को दिल्ली में हुआ था। वह हंसराज कालेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) पार्लियामेंट के पी. एम., दिल्ली विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स यूनियन (डूसू) की एक्जीक्यूटिव के सदस्य एवं लगातार तीन वर्ष तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए. बी. वी. पी) के अखिल भारतीय अध्यक्ष रहे हैं। इसके उपरांत 37 वर्ष तक हंसराज कालेज एवं देशबंधु कालेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में व्याख्याता रहे एवं वर्ष 1994 में रीडर पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्ष 1973-79 में दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) के अध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक एंड एक्जीक्यूटिव काउंसिल के निर्वाचित सदस्य तथा नैशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एन.डी.टी.एफ.) के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1994-2000 में राज्य सभा सदस्य निर्वाचित हुए और राज्य सभा की आवासीय समिति एवं पटल पर रखे गए पत्रों संबंधी समिति तथा शहरी और ग्रामीण विकास और वित्त संबंधी स्थायी समितियों के सदस्य रहे हैं। इसके उपरांत वर्ष 1991-95 एवं 2009-10 में भारतीय जनता पार्टी दिल्ली राज्य के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सचिव रहे हैं। 16 जुलाई, 2014 से गुजरात एवं 8 सितंबर, 2016 से 23 जनवरी, 2018 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल तथा दिनांक 16 मई, 2018 से 02 जून, 2018 तक मध्य प्रदेश के कार्यवाहक राज्यपाल रहे है।
(a) निर्मला बुच
(b) सरोजिनी नायडू
(c) सरोजिनी सक्सेना
(d) सरला ग्रेवाल
व्याख्या: (d) सरला ग्रेवाल का जन्म 4 अक्टूबर, 1927 को हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की थी। वर्ष 1952 में सरला ग्रेवाल ने 'भारतीय प्रशासनिक सेवा' में प्रवेश किया। वह उस समय भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने वाली भारत की दूसरी महिला अधिकारी थीं। इन्होनें पंजाब के अंतर्गत अनेक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। वर्ष 1956 में वह शिमला की डिप्टी कमिश्नर बनाई गई और भारत में इस पद का दायित्व निभाने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। सरला ग्रेवाल वर्ष 1962 में शिक्षा संचालक बनने वाली पहली IAS अधिकारी थीं। वर्ष 1963 में वे पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग की सचिव नियुक्त हुई थीं। इन्होनें पंजाब के विकास आयुक्त के रूप में वर्ष 1971 से वर्ष 1974 तीन वर्षों तक इस पद की जिम्मेदारी का निर्वहन किया था। इसके अंतर्गत कृषि और उससे संबंधित विभागों का दायित्व शामिल था। 14 फरवरी, 1985 में सरला ग्रेवाल 'स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय' की सचिव बनीं। 25 सितंबर 1985 को सरला ग्रेवाल प्रधानमंत्री की सचिव नियुक्त हुई तथा इस पद का दायित्व उन्होंने कुशलतापूर्वक निभाया। इसके बाद वह मध्य प्रदेश की राज्यपाल मनोनीत हुईं। सरला ग्रेवाल ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद को 31 मार्च, 1989 से 5 फरवरी, 1990 तक सुशोभित किया है।
टिप्पणी: विलक्षण प्रतिभा की धनी एवं उच्च पदों पर कार्य करने वाली सरला ग्रेवाल का निधन 29 जनवरी, 2002 को चंडीगढ़ (पंजाब) में हुआ था।
(a) श्री शंकरदयाल शर्मा
(b) श्री राजा नरेशचंद्र सिंह
(c) श्री द्वारिकाप्रसाद मिश्र
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
व्याख्या: (d) राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। भारतीय संविधान के अनुसार राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होती है। मध्य प्रदेश के पहले राज्यपाल डॉ. वी. पट्टाभि सीतारमैय्या थे तथा वर्तमान में मंगू भाई छगन भाई पटेल हैं। जबकि दिए गए विकल्पों में से श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र को मध्य प्रदेश में 5 वें क्रम के मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है तथा डॉ. शंकरदयाल शर्मा आंध्र प्रदेश, पंजाब तथा महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं भारत के उपराष्ट्रपति तथा राष्ट्रपति पद पर रहे थे।
(a) छत्तीसगढ़
(b) राजस्थान
(c) महाराष्ट्र
(d) उत्तर प्रदेश
व्याख्या: (d) श्री रामनरेश यादव का जन्म 1 जुलाई, 1928 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में ग्राम आंधीपुर (अंबाड़ी) में हुआ था। वह छात्र जीवन से समाजवादी विचारधारा से प्रभावित, चिंतामणि एंग्लो बंगाली इंटरमीडिएट कॉलेज, वाराणसी में तीन वर्ष तक एवं पट्टी नरेंद्रपुर इंटर कॉलेज जौनपुर में प्रवक्ता रहे हैं। वर्ष 1978-79, वर्ष 1985-88 एवं वर्ष 1996-2007 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे हैं एवं 23 जून 1977 से 15 फरवरी 1979 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष 1977 में छठी लोकसभा एवं वर्ष 1988-94 में राज्य सभा के सदस्य रहे हैं।
टिप्पणी: श्री रामनरेश यादव ने 8 सितंबर, 2011 से 7 सितंबर, 2016 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद को सुशोभित किया है। वह वर्ष 1977 के जनता पार्टी सरकार के आने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। बाद में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। उनका 22 नवंबर, 2016 को लखनऊ में निधन हुआ था।
(a) बी.डी. शर्मा
(b) चेंगल राव रेड्डी
(c) के. एम. चांडी
(d) बलराम जाखड़
व्याख्या: (a) श्री भगवत दयाल शर्मा (बी.डी. शर्मा) का जन्म हरियाणा के बेरो, जिला रोहतक में 26 जनवरी, 1918 को हुआ था। वह वर्ष 1962-66 में पंजाब विधानसभा के सदस्य तथा श्रम और सहकारिता के राज्यमंत्री रहे हैं। वर्ष 1966-67 में हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री तथा वर्ष 1968-74 में राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। श्री बी.डी. शर्मा वर्ष 1977 में छठवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे तथा 23 सितंबर, 1977 को उड़ीसा के राज्यपाल नियुक्त किये गये। श्री भगवत दयाल शर्मा ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में 3 बार क्रमश: 30 अप्रैल, 1980 से 25 मई, 1981 तथा 10 जुलाई, 1981 से 20 सितंबर, 1983 और 8 अक्टूबर, 1983 से 14 मई, 1984 तक कार्य किया है।
(a) आर.पी. गुप्ता
(b) बलराम जाखड़
(c) बी.डी. शर्मा
(d) के. सी. रेड्डी
व्याख्या: (b) श्री बलराम जाखड़ का जन्म 23 अगस्त, 1923 को पंजाब राज्य के पंजकोसी, जिला फिरोजपुर में हुआ था। वह वर्ष 1972 में पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित एवं मंत्रिमंडल में उपमंत्री रहे हैं। वर्ष 1977 में पुन: पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित होकर विपक्ष के नेता नियुक्त हुए थे। वह वर्ष 1980 एवं वर्ष 1984 में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए एवं लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 1984 में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की कार्यकारिणी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष 1991 में पुनः तीसरी बार लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर कृषि मंत्री रहे। वर्ष 1998 में पुनः लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। श्री बलराम जाखड़ ने 30 जून, 2004 से 29 जून, 2009 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद को सुशोभित किया।
टिप्पणी: श्री बलराम जाखड़ द्वारा लिखित 'पीपल, पार्लियामेंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन' और 'न्यू हॉरीजन्स इन एग्रीकल्चर इन इंडिया' नामक दो प्रसिद्ध पुस्तकें हैं।
(a) 4 बार
(b) 2 बार
(c) 5 बार
(d) 3 बार
व्याख्या: (d) राज्यपाल, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के उपरांत राष्ट्रपति से राज्य में संविधान के अनुच्छेद 356 के आधार पर संवैधानिक आपातकाल अर्थात राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए सिफारिश कर सकता है। अनुच्छेद 213 के अंतर्गत राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल की कार्यकारी शक्तियों का विस्तार राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में हो जाता है। अनुच्छेद- 365 के अनुसार यदि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिये गये संवैधानिक निर्देशों का पालन नहीं करती है, तो उस परिस्थिति में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। 30 अप्रैल, 1977 में मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम जनता पार्टी की बहुमत वाली सरकार के साथ अन्य 8 राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था।
(a) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
व्याख्या: (d) राष्ट्रपति, राज्यपाल की नियुक्ति करता है। राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है। संविधान के अनुच्छेद-156 के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति 5 वर्षों के लिए होती है, परंतु इससे पूर्व भी वह राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पद त्याग कर सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 157 व 158 के अंतर्गत किसी व्यक्ति में राज्यपाल पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएं निर्धारित की गई है -
- (i) वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
- (ii) उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
- (iii) पदग्रहण करते समय उसे निष्ठापूर्वक जनकल्याण हेतु कार्य करने तथा संविधान एवं कानून की रक्षा करने की शपथ लेनी पड़ती है। उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राज्यपाल को शपथ दिलवाता है।
- (iv) वह केंद्र अथवा राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण नहीं कर सकता।
- (v) राज्यपाल बनने के बाद वह संसद अथवा राज्य विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं रह सकता।
टिप्पणी: सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 के अनुसार एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है, अर्थात राज्यपाल पुनर्नियुक्ति के भी योग्य होता है।
विशेष: राज्यपाल से संबंधित प्रमुख अनुच्छेद-
- अनुच्छेद 153 - राज्यों के राज्यपाल
- अनुच्छेद 154 - राज्य की कार्यपालक शक्ति
- अनुच्छेद 155 - राज्यपाल की नियुक्ति
- अनुच्छेद 156 - राज्यपाल का कार्यकाल
- अनुच्छेद 157 - राज्यपाल के नियुक्त होने के लिए अर्हता
- अनुच्छेद 158 - राज्यपाल कार्यालय के लिए दशाएं
- अनुच्छेद 159 - राज्यपाल द्वारा शपथ ग्रहण
- अनुच्छेद 160 - कतिपय आकस्मिक परिस्थितियों में राज्यपाल के कार्य
(a) वर्ष 1980
(b) वर्ष 1967
(c) वर्ष 1972
(d) वर्ष 1977
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में अब तक 3 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम पांचवी एवं छटवीं विधानसभा अवधि के मध्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री श्यामाचरण शुक्ल एवं राज्यपाल श्री सत्यनारायण सिन्हा के कार्यकाल में 30 अप्रैल, 1977 से 25 जून, 1977 तक राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
टिप्पणी: 25-26 जून, 1975 को श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध राजनैतिक विरोध प्रारंभ हुआ था, जिसके कारण 16-20 मार्च, 1977 तक लोकसभा चुनाव संपन्न करवाये गये। जिसमें जनसंघ के तत्कालीन नेतृत्वकर्ता मोरारजी देसाई की अगुवाई में गठित जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ था। उसके पश्चात केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश.. राजस्थान आदि राज्यों की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया था।
विशेष: वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ (अविभाजित मध्य प्रदेश) की 40 लोकसभा सीटों में जनता पार्टी को 37 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी तथा कांग्रेस को एकमात्र सीट छिंदवाड़ा में विजय प्राप्त हुई थी।
(a) कैलाशनाथ काटजू
(b) द्वारका प्रसाद मिश्र
(c) विनायक सरवटे
(d) पट्टाभि सीतारमैय्या
व्याख्या: (d) पट्टाभि सीतारमैय्या महान देशभक्त, उत्कृष्ट विद्वान और उच्चकोटि के प्रशासक थे। वर्ष 1952 में पुराने मध्य प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त हुए तथा 1 नवंबर, 1956 से 13 जून, 1957 तक नये मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे हैं। पट्टाभि सीतारमैय्या वर्ष 1916 में चिकित्सीय कार्य छोड़कर वर्ष 1916 से वर्ष 1952 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे थे। उन्होंने वर्ष 1919 से अंग्रेजी साप्ताहिक 'जन्मभूमि' का प्रकाशन प्रारंभ किया। वर्ष 1936 में अखिल भारतीय देशी राज्य प्रजा परिषद के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और वर्ष 1946-47-48 में कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे थे। वर्ष 1948-50 में जयपुर के अखिल भारतीय अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और वर्ष 1946 से वर्ष 1949 तक संविधान सभा के सदस्य रहे थे।
टिप्पणी: पट्टाभि सीतारमैय्या का जन्म 24 नवंबर, 1880 तथा निधन 17 दिसंबर, 1959 को हैदराबाद में हुआ था। पट्टाभि सीतारमैय्या एक सिद्धहस्त लेखक भी थे, उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी थी।
(a) पंजाब
(b) महाराष्ट्र
(c) मध्य प्रदेश
(d) आंध्र प्रदेश
व्याख्या: (c) भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जन्म 9 अगस्त, 1918 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ था। वह वर्ष 1952-1956 तक भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं तथा वर्ष 1974-77 तक प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में संचार मंत्री भी रहे हैं। डॉ. शंकरदयाल शर्मा 2 बार क्रमश: वर्ष 1971 एवं वर्ष 1980 में भोपाल लोकसभा सीट से लोकसभा सदस्य भी निर्वाचित हुए हैं। डॉ. शंकर दयाल शर्मा सर्वप्रथम वर्ष 1984 में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल, वर्ष 1985 में पंजाब के राज्यपाल, वर्ष 1986 में महाराष्ट्र के राज्यपाल पद को सुशोभित किया है। उसके उपरांत वर्ष 1987 में भारत के उपराष्ट्रपति तथा वर्ष 1992 में राष्ट्रपति के पद को भी सुशोभित किया है।
(a) श्री लालजी टंडन
(b) श्री बी. डी. शर्मा
(c) श्रीमती आनंदीबेन पटेल
(d) श्री बलराम जाखड़
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल श्री लालजी टंडन की प्रसिद्ध पुस्तक अनकहा लखनऊ है। श्री लालजी टंडन ने 29 जुलाई, 2019 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की थी किंतु 21 जुलाई, 2020 को उनका उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में निधन हो गया। श्री लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 को चौक क्षेत्र, जिला लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था तथा वर्ष 1960 से उनकी राजनैतिक यात्रा प्रारंभ हुई। वह वर्ष 1978-84 एवं वर्ष 1990-96 में दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। श्री लालजी टंडन वर्ष 1996 से वर्ष 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। वह वर्ष 1991-92 में और वर्ष 1997-99 में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। श्री लालजी टंडन वर्ष 1997-2002 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सदन के नेता रहे। वह वर्ष 2009 में पंद्रहवीं लोकसभा के निर्वाचन में लखनऊ संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। श्री लालजी टंडन ने सर्वप्रथम 23 अगस्त, 2018 से 28 जुलाई, 2019 तक बिहार राज्य के महामहिम अर्थात राज्यपाल पद को सुशोभित किया।
(a) श्री के. सी. रेड्डी
(b) न्यायमूर्ति पुरुषोत्तम विनायक दीक्षित
(c) न्यायमूर्ति जी. पी. सिंहा
(d) न्यायमूर्ति एन. डी. ओझा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में राज्यपाल के रूप में सबसे छोटा कार्यकाल राज्य के प्रथम कार्यवाहक राज्यपाल श्री पुरुषोत्तम विनायक दीक्षित (न्यायमूर्ति पी. वी. दीक्षित) का रहा है, जिन्होंने तत्कालीन राज्यपाल के. सी. रेड्डी के विदेश यात्रा में जाने पर (3 फरवरी, 1966 से 9 फरवरी, 1966) केवल 7 दिनों तक राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की थीं। न्यायमूर्ति पुरुषोत्तम विनायक दीक्षित वर्ष 1948-56 में मध्य भारत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे तथा वर्ष 1949 में रतलाम इंसिडेंट्स इनक्वायरी कमीशन के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। वह वर्ष 1954 में मध्य भारत उच्च न्यायालय के कार्यकारी प्रधान न्यायाधीश तथा वर्ष 1956-59 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं और 22 सितंबर, 1959 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण किया था।
(a) न्यायमूर्ति पी. वी. दीक्षित
(b) न्यायमूर्ति एन. डी. ओझा
(c) श्री कृष्ण मोहन सेठ
(d) न्यायमूर्ति जी. पी. सिन्हा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में अब तक पांच बार कार्यवाहक राज्यपालों की नियुक्ति हो चुकी है, जिसमें न्यायमूर्ति जी. पी. सिन्हा दो बार कार्यवाहक राज्यपाल नियुक्त हुए हैं। मध्य प्रदेश के पांचवे कार्यवाहक राज्यपाल श्री कृष्ण मोहन सेठ थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल श्री राम प्रकाश गुप्ता के निधन के बाद 2 मई, 2004 से 29 जून, 2004 तक कुल 58 दिनों के लिए कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की, जो इस श्रेणी में सर्वाधिक लंबा कार्यकाल है।
(a) श्री बलराम जाखड़
(b) श्री राम नरेश यादव
(c) श्री हरिविनायक पाटस्कर
(d) श्री सत्यनारायण सिन्हा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के दूसरे क्रम के राज्यपाल श्री हरिविनायक पाटस्कर का कार्यकाल सर्वाधिक लंबा था। श्री हरिविनायक (14 जून, 1957 से 10 फरवरी, 1965 तक) कुल 7 वर्ष 7 माह 29 दिनों तक इस पद पर रहे। जबकि श्री सत्यनारायण सिन्हा (8 मार्च, 1971 से 13 अक्टूबर, 1977 तक) 6 वर्ष 7 माह 7 दिनों तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की थीं।
(a) श्री हरिविनायक पाटस्कर
(b) श्री कृष्ण मोहन सेठ
(c) भागवत दयाल शर्मा
(d) श्री बलराम जाखड़
व्याख्या: (a) श्री हरिविनायक पाटस्कर का जन्म 15 मई, 1852 को इन्द्रापुर (पुणे) में हुआ था। आप बम्बई उच्च न्यायालय और उसके बाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता रहे हैं। वर्ष 1920 से लगातार अनेक वर्षों तक आप अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे और वर्ष 1926 में बम्बई विधान परिषद के सदस्य बने तथा वर्ष 1930 में महात्मा गांधी के अवतरित होने पर सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। वर्ष 1921-37 में आप चालीसगांव नगरपालिका के अध्यक्ष रहे और वर्ष 1937-39 और वर्ष 1945-52 में बम्बई विधानसभा के सदस्य रहे। इसके उपरांत वर्ष 1947-50 तक संविधान सभा के सदस्य भी रहे हैं। वर्ष 1952 में भारत के प्रथम सामान्य निर्वाचन में लोकसभा के सदस्य के रूप में विजयी होकर वर्ष 1955 से वर्ष 1957 तक विधि एवं तदनंतर नागरिक उड्डयन विभाग के मंत्री पद को सुशोभित करते रहे। तत्पश्चात दिनांक 14 जून, 1957 से 10 फरवरी, 1965 तक मध्य प्रदेश के लोकप्रिय राज्यपाल के रूप में प्रजातांत्रिक परंपराओं का अनुसरण करते हुए मध्य प्रदेश की जनता और सरकार का मार्गदर्शन करते रहे। श्री हरिविनायक पाटस्कर मध्य प्रदेश में सबसे अधिक अवधि तक रहने वाले राज्यपाल है। राज्यपाल के पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात असम पर्वतीय सीमा आयोग के सभापति नियुक्त हुए थे। अपने जीवन के अंतिम समय में वर्ष 1967 से आप पूना विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद को गौरवांवित कर रहे थे।
आप जीवन काल में कई आयोगों तथा समितियों के अध्यक्ष रहे, उनमें गंभीरतम विवादों को हल करने की असाधारण क्षमता थी। श्री हरिविनायक पाटस्कर महाराष्ट्र - मैसूर सीमा विवाद संबंधी चार सदस्यीय समिति के सदस्य थे। आपने आंध्र और मद्रास के सीमा विवाद की भी मध्यस्थता की थी।
एक मूर्धन्य विधिवेत्ता के अतिरिक्त आप एक कुशल प्रशासक, महान शिक्षा शास्त्री तथा लेखक भी थे। इन्हीं महान गुणों के कारण भारत सरकार ने वर्ष 1963 में 'पद्म विभूषण' की उपाधि से अलंकृत किया था। श्री हरिविनायक पाटस्कर का 21 फरवरी, 1970 को पूना में स्वर्गवास हुआ था।
(a) 30 अप्रैल, 1977 से 25 जून, 1977
(b) 18 फरवरी, 1980 से 9 जून, 1980
(c) 15 दिसंबर, 1992 से 6 दिसंबर, 1993
(d) 14 मार्च, 1994 से 8 जुलाई, 1994
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में द्वितीय बार राष्ट्रपति शासन छठवीं एवं सातवीं विधानसभा के मध्य में 18 फरवरी, 1980 से 9 जून, 1980 तक लागू रहा। वर्ष 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लागू आपातकाल एवं इसके बाद जयप्रकाश नारायण की सर्वोदय क्रांति के बाद संपन्न वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस को हराकर सत्ता पाने वाली जनता पार्टी की सरकार में 18 महीने के भीतर बिखराव हो गया। वर्ष 1979 में राष्ट्रीय और भारतीय जनसंघ ने जनता पार्टी से समर्थन खींच लिया और जुलाई, 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने किंतु जल्द ही कांग्रेस सरकार ने चौधरी चरण सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद 22 अगस्त, 1979 को राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने लोकसभा भंग कर दी। जनवरी, 1980 को सातवीं लोकसभा के लिए मध्यावधि चुनाव संपन्न हुए। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जनता पार्टी शासित मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में 18 फरवरी, 1980 को इन राज्य सरकारों को निलंबित करते हुए अगले विधानसभा चुनाव होने तक राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।
(a) श्री के. एम. चाण्डी
(b) श्री निरंजन नाथ वांचू
(c) श्री के. सी. रेड्डी
(d) श्री कृष्ण मोहन सेठ
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री लेफ्टिनेंट जनरल श्री कृष्ण मोहन सेठ थे, जिनका जन्म 19 दिसंबर, 1939 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था। नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में आतंकवादी गतिविधियों पर प्रभावी रोकथाम के लिए वर्ष 1996 में परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM) से सम्मानित किया गया था। श्री कृष्ण मोहन सेठ भारतीय सेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एवं पूर्वोत्तर के विद्रोह उन्मूलन के विशेषज्ञ थे। आपने जिला उखरूल, मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए ब्रिगेड कमांडर के रूप में वर्ष 1983-86 तक अहम भूमिका निभाई। आपने मणिपुर, साऊथ असम, त्रिपुरा और मिजोरम विद्रोह के नियंत्रण अभियान में उल्लेखनीय जिम्मेदारी का निर्वाह किया तथा सेवानिवृत्त होने के पूर्व सेना में एडजुटेंट जनरल के रूप में कार्य किया। सेना में सभी क्षेत्रों में सर्वोत्तम योगदान देने और नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए आपको वर्ष 1996 में परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM) से सम्मानित किया गया। मणिपुर के उखरूल जिले में आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने पर वर्ष 1985 में आपको व्यक्तिगत योगदान के लिए अति सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय सेवाएं:
- सैनिक सामूहिक बीमा योजना के अध्यक्ष के रूप में सेना में रहते हुए प्रबंधकीय व्यवस्था का संचालन किया एवं 3500 करोड़ की निधि संग्रहित करने में सफलता पाई।
- आपने आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष के रूप में मुम्बई, चौन्नई, दिल्ली, बंगलौर, कोलकाता एवं सिकंदराबाद सहित 23 बड़े शहरों में एकीकृत गृह परियोजना की प्लानिंग की और दिशा निर्देश दिये।
- सेना में भ्रष्टाचार पर निगरानी एवं अनुशासन बनाए रखने में अहम भूमिका का निर्वाह किया।
- देश में 104 सैनिक पब्लिक स्कूलों तथा वोकेशनल ट्रेनिंग संस्थानों के माध्यम से मानव संसाधान के विकास में योगदान दिया।
- आपने 22 जून, 2000 को त्रिपुरा राज्य के राज्यपाल का कार्यभार संभाला तथा इस पद से 1 जून, 2003 को मुक्त हुए। राज्यपाल रहते हुए त्रिपुरा में मुख्य विद्रोही संगठन एन.एल.एफ.टी. के साथ शांति वार्ता प्रारंभ करने में आपकी व्यावहारिक कार्यप्रणाली कारगर रही।
- आपने दिनांक 2 जून, 2003 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के पद की शपथ ग्रहण की। ई-छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के साथ ही आपने 2 मई, 2004 से 29 जून, 2004 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार संभाला।
(a) 5 दिसंबर, 1992
(b) 15 नवंबर, 1992
(c) 15 सितंबर, 1992
(d) 16 दिसंबर, 1992
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में तृतीय एवं अंतिम बार राष्ट्रपति शासन नौंवी एवं दसवीं विधानसभा के मध्य 15 दिसंबर, 1992 को लागू हुआ, जो 6 दिसंबर, 1993 तक जारी रहा। यह मध्य प्रदेश में सर्वाधिक अवधि 11 माह 22 दिन का राष्ट्रपति शासन कहलाता है। 6 दिसंबर, 1992 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में आयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को लेकर संपूर्ण भारत में सम्प्रदाय दंगे हुए थे, जिसके कारण केंद्र में सत्तारुढ़ पी. वी. नरसिम्हा राव सरकार ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश व राजस्थान की भाजपा सरकारों को कानून व्यवस्था बिगड़ने के मुद्दे के कारण बर्खास्त कर दिया था।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश में अंतिम बार राष्ट्रपति शासन मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा व राज्यपाल श्री कुंवर महमूद अली खान के कार्यकाल में लागू हुआ था तथा उस समय भारत के राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा एवं प्रधानमंत्री श्री पी. वी. नरसिम्हा राव थे।
(a) डॉ. भाई महावीर
(b) श्री बलराम जाखड़
(c) श्री के. सी. रेड्डी
(d) श्री एम. एन. सिन्हा
व्याख्या: (a) डॉ. भाई महावीर का जन्म 30 अक्टूबर 1922 को पाकिस्तान देश के ग्राम करयाला, जिला जेहलम में हुआ था, जिन्होंने 22 अप्रैल, 1998 से 6 मई, 2003 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद को सुशोभित किया है। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के विभाजन के समय वह मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे। डॉ. भाई महावीर भारतीय जनसंघ के संस्थापक महासचिव थे तथा तद्नंतर जनसंघ के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष और वर्ष 1968-69 में दिल्ली के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय जनता पार्टी की स्थापना से उसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे हैं। वर्ष 1968 से वर्ष 1974 तक एवं वर्ष 1978 से वर्ष 1984 तक राज्य सभा के सदस्य तथा वर्ष 1996 से भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे हैं।
(a) अनुच्छेद-155
(b) अनुच्छेद-213
(c) अनुच्छेद-156
(d) अनुच्छेद-212
व्याख्या: (b) संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत राज्यपाल को विधानमंडल के विश्रान्तिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की शक्ति प्राप्त है। इसके अतिरिक्त संविधान के अनुच्छेद 164 के खंड-1 व खंड-2 के अनुसार मंत्रिपरिषद को बर्खास्त करने का अधिकार राज्यपाल को है। क्योंकि भारत में संसदात्मक शासन प्रणाली है, जिसके कारण राज्यपाल प्रायः इस शक्ति का प्रयोग मुख्यमंत्री के परामर्श से ही करता है।
(a) वर्ष 2010
(b) वर्ष 2005
(c) वर्ष 2013
(d) वर्ष 2008
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्वप्रथम 29 नवंबर, 2005 को मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। श्री शिवराज सिंह चौहान सर्वप्रथम वर्ष 1990 में 9वीं विधानसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। उसके उपरांत 6 मई, 2006 को संपन्न हुए विधानसभा उपचुनाव में विधानसभा सदस्य निर्वाचित होकर 10 मई, 2006 को 12वीं विधानसभा सदस्य के रूप में सदस्यता ग्रहण की।
(a) राजमाता सिंधिया
(b) सुमित्रा महाजन
(c) सुषमा स्वराज
(d) उमा भारती
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती थीं, जिनका जन्म 3 मई, 1959 को टीकमगढ़ जिले के डूंडा गांव में हुआ था। सुश्री उमा भारती वर्ष 1989 में सर्वप्रथम छतरपुर जिले की खजुराहो लोकसभा सीट से 9वीं लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुई थीं। उसके उपरांत खजुराहो लोकसभा सीट से वर्ष 1991, वर्ष 1996, एवं वर्ष 1998 तथा वर्ष 1999 में भोपाल लोकसभा सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं। सुश्री उमा भारती ने वर्ष 1998-99 में भारत सरकार में राज्यमंत्री के रूप में मानव संसाधन विकास एवं 13 अक्टूबर, 1993 से 2 फरवरी, 2000 तक राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पर्यटन के दायित्व का निर्वहन किया है। उसके उपरांत वर्ष 2003 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित होकर 8 दिसंबर, 2003 से 23 अगस्त, 2004 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के रूप में कार्य किया है।
(a) विशेषाधिकार समिति
(b) प्राक्कलन समिति
(c) लोक लेखा समिति
(d) सार्वजनिक उद्यम समिति
व्याख्या: (a) विशेषाधिकार समिति मध्य प्रदेश में प्रशासन पर वित्तीय और विधायी नियंत्रण नहीं रखती है, जबकि लोक लेखा, प्राक्कलन, तथा सार्वजनिक उद्यम समिति मध्य प्रदेश में प्रशासन पर वित्तीय और विधायी नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। जब संसद के किसी दल या सदन के किसी सदस्य के विशेषाधिकार के भंग होने का मामला उत्पन्न होता है, तो उसकी जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को निर्दिष्ट किया जाता है। संसद के दोनों सदनों में अध्यक्ष या सभापति द्वारा प्रतिवर्ष विशेषाधिकार समिति का गठन किया जाता है। लोकसभा की विशेषाधिकार समिति में 10 सदस्य होते हैं। समिति को गठित करते समय विभिन्न दलों तथा गुटों को उनकी संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। विशेषाधिकार के उल्लंघन के मामलों की जांच करके समिति उस पर अपनी रिपोर्ट देती है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर विशेषाधिकार का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को दंडित किया जाता है।
(a) श्री पी.सी. शर्मा
(b) श्री रामपाल सिंह
(c) श्री अजय विश्नोई
(d) श्री हरिशंकर खटीक
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के क्रमशः नियम 221 (3), 223 (1), 223-क (1), 234 क (1) तथा 234-ढ़ के अधीन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लोक लेखा समिति - श्री पी.सी. शर्मा, प्राक्कलन समिति - श्री रामपाल सिंह, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति - श्री गोरी शंकर चतुर्भुज विसेन, अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के कल्याण संबंधी समिति - श्री हरिशंकर खटीक, स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज लेखा समिति - श्री अजय विश्नोई को वर्ष 2020-21 की अवधि में 4 मार्च, 2021 को निर्विरोध निर्वाचित घोषित करके सभापति नियुक्त किया गया।
(a) श्री यशपाल सिंह सिसोदिया
(b) डॉ. राजेंद्र पांडे
(c) श्री जालम सिंह पटेल
(d) श्री केदारनाथ शुक्ल
व्याख्या: (a) 5 मई, 2021 को श्री यशपाल सिंह सिसोदिया को मध्य प्रदेश विधानसभा की याचिका समिति का सभापति नियुक्त किया गया।
मध्य प्रदेश विधानसभा समितियां और उनके सभापति:
समिति | सभापति |
---|---|
कृषि विकास समिति | श्री बहादुर सिंह चौहान |
आचरण समिति | श्री नागेंद्र सिंह (गुड़) |
एवं संदर्भ समिति | श्री केदारनाथ शुक्ल |
याचिका समिति | श्री यशपाल सिंह सिसोदिया |
नियम समिति | श्री गिरीश गौतम |
प्रत्यायुक्त विधान समिति | डॉ. राजेंद्र पांडे |
विशेषाधिकार समिति | श्री उमाकांत शर्मा |
शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति | श्री जालम सिंह पटेल |
गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयको तथा संकल्पों संबंधी समिति | श्री विजयपाल सिंह |
(a) 21
(b) 22
(c) 25
(d) 28
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश की 14वीं विधानसभा के लिए चुनाव 25 नवंबर, 2013 को संपन्न हुए, जिसके परिणाम 8 दिसंबर, 2013 को आए।
भाजपा ने 230 सीटों में से 165 सीटें जीतकर दोबारा सत्ता में वापसी की, जबकि कांग्रेस को 59 सीटों पर सफलता मिली।
इन चुनावों में प्रदेश की 22 महिलाएं निर्वाचित हुईं।
वर्तमान स्थिति: 15वीं मध्य प्रदेश विधानसभा के अंतर्गत कुल 19 महिला सदस्य निर्वाचित हुईं थीं, किंतु 2021 के उपचुनाव में सतना जिले की रैगांव विधानसभा से श्रीमती कल्पना वर्मा के निर्वाचित होने के बाद यह संख्या बढ़ गई।
(a) कैलाश चंद्र जोशी
(b) राम विलास पासवान
(c) ए. बी. वाजपेयी
(d) दिग्विजय सिंह
व्याख्या: (a) श्री कैलाश जोशी का जन्म 14 जुलाई, 1929 को देवास जिले के हाट पिपलिया में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री उमा शंकर जोशी था।
श्री कैलाश जोशी सर्वप्रथम वर्ष 1962 में बागली विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे थे।
वे मार्च, 1972 से 1977 तक नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहे। इसके उपरांत 26 जून, 1977 से 17 जनवरी, 1978 तक तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
अस्वस्थता के कारण मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया, परंतु बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
श्री कैलाश जोशी वर्ष 1985 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए और 23 मार्च, 1985 को भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गए।
वे मध्य प्रदेश की 9वीं और 10वीं विधानसभा के सदस्य रहे, साथ ही वर्ष 2000-04 तक राज्यसभा और 2004-14 तक लोकसभा के सदस्य भी रहे।
उनका निधन 24 नवंबर, 2019 को हुआ।
(a) इंदौर
(b) ग्वालियर
(c) भोपाल
(d) उज्जैन
व्याख्या: (a) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी, 1947 को इंदौर में हुआ था। हालांकि वह गुना जिले के राघवगढ़ निवासी हैं। श्री दिग्विजय सिंह 7 दिसंबर, 1993 से 1 दिसंबर, 1998 और 1 दिसंबर, 1998 से 7 दिसंबर, 2003 तक लगातार दो बार मध्य प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री रहे। श्री दिग्विजय सिंह ने बी. ई. मैकेनिकल तक शिक्षा प्राप्त की। उनका राजनीति सफर वर्ष 1969-71 में राघौगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष के तौर पर निर्वाचित होने के साथ प्रारंभ हुआ। वे मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के महासचिव के रूप में कार्यरत रहे। वर्ष 1977 में छठवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 1976-78 में केंद्रीय सहकारी बैंक, गुना के निदेशक बने। वर्ष 1980 में सातवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में सिंचाई, कृषि, मत्स्य तथा पशुपालन विभागों के राज्य मंत्री और मंत्री रहे। वर्ष 1984 में आठवीं एवं वर्ष 1991 में दसवीं लोकसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। प्रदेश कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष बने श्री दिग्विजय सिंह ने 7 दिसंबर 1993 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इसके साथ ही लोकसभा की सदस्यता से 21 फरवरी, 1993 को त्यागपत्र दे दिया और वर्ष 1994 के उपचुनाव में दसवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा 2 जून, 1994 को विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की। वर्ष 1998 में ग्यारहवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और 1 दिसंबर, 1998 से 7 दिसंबर, 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहे। वर्तमान में श्री दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश राज्य से राज्य सभा के सदस्य हैं।
(a) कमला बेनीवाल
(b) यशोदा देवी
(c) वसुंधरा देवी
(d) माया देवी
व्याख्या: (b) यशोदा देवी का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा में वर्ष 1927 में हुआ था। यशोदा देवी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर उम्मीदवार थीं। इन्हें राज्य की प्रथम विधान सभा की प्रथम महिला सदस्य बनने पर गौरव प्राप्त हुआ। इसी विधानसभा में जो दूसरी महिला पहुंची, वह कमला बेनीवाल थीं। यशोदा देवी वर्ष 1953 में पहुंची, वहीं कमला बेनीवाल वर्ष 1954 के उपचुनाव जीतकर विधायक बनीं।
(a) भोपाल के नवाब
(b) उज्जैन के राजा
(c) ग्वालियर के महाराजा
(d) इंदौर के पाणिकर
व्याख्या: (c) राजस्थान की भूतपूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे सिंधिया ग्वालियर के राजघराने से संबंधित हैं। उनका जन्म 8 मार्च, 1953 को मुंबई में हुआ था। वसुंधरा राजे सिंधिया के पिता ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया और माता विजया राजे सिंधिया हैं।
(a) अजय सिंह
(b) जमुना देवी
(c) सत्यदेव कटारे
(d) विक्रम वर्मा
व्याख्या: (c) वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश की 14वीं विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के नेता श्री सत्यदेव कटारे थे, जिनका जन्म 15 फरवरी 1955 को मध्य प्रदेश के भिंड जिले के मनेपुरा (अटेर) में हुआ था। किंतु 20 अक्टूबर, 2016 को सत्यदेव कटारे के निधन के पश्चात 14वीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में श्री अजय सिंह (राहुल भैया) ने 27 फरवरी, 2017 से 13 दिसंबर, 2018 तक कार्य किया।
(a) मोतीलाल वोरा
(b) दिग्विजय सिंह
(c) श्यामाचरण शुक्ल
(d) अर्जुन सिंह
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के चम्बल क्षेत्र से संबंधित विख्यात दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने वर्ष 1983 में आत्मसमर्पण किया था, उस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह एवं मुख्य सचिव श्री बीरबल थे। श्री अर्जुन सिंह 9 जून, 1980 से 10 मार्च, 1985 तक तथा 14 फरवरी, 1988 से 24 जनवरी, 1989 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं।
(a) मुख्यमंत्री
(b) राज्यपाल
(c) मुख्यमंत्री का सचिव
(d) मुख्य सचिव
व्याख्या: (b) संविधान के अनुच्छेद 154 (1) के अनुसार, राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
(a) अनुच्छेद-166
(b) अनुच्छेद-200
(c) अनुच्छेद-239
(d) अनुच्छेद-240
व्याख्या: (b) संविधान के अनुच्छेद-200 के अनुसार राज्य विधानमंडल के दोनो सदनों से पारित विधेयक राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने पर राज्यपाल उस पर अपनी सहमति देने या रोकने के अतिरिक्त विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित रख सकता है। संविधान के अनुच्छेद-201 में राष्ट्रपति ऐसे आरक्षित विधेयक पर विचार करता है तथा अपनी अनुमति देता है या रोक सकता है।
(a) श्री विश्वनाथ यादव राव तामस्कर
(b) श्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा
(c) श्री श्यामाचरण शुक्ल
(d) श्री बसंत सदाशिव प्रधान
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रथम नेता प्रतिपक्ष श्री विश्वनाथ यादव राव तामस्कर थे, जिनका जन्म 23 जुलाई, 1902 को हुआ था। श्री विश्वनाथ यादव राव तामस्कर मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा (1956-1956) के अंतर्गत नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किए गए थे। वह प्रजा समाजवादी दल के अध्यक्ष और कांग्रेस दल के सक्रिय सदस्य रहे हैं। श्री विश्वनाथ यादव राव तामस्कर वर्ष 1936 से वर्ष 1939 तक सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार विधानसभा के सदस्य, वर्ष 1952 से वर्ष 1956 तक पुराने मध्य- प्रदेश विधानसभा के सदस्य तथा वर्ष 1956 से वर्ष 1962 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में अविभाजित मध्य प्रदेश के दुर्ग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे तथा 7 सितंबर, 1969 को आपका देहावसान हो गया।
(a) 16 दिसंबर, 2003
(b) 11 दिसंबर, 2008
(c) 7 जनवरी, 2009
(d) 24 सितंबर, 2010
व्याख्या: (a) श्रीमती जमुना देवी का जन्म 19 नवंबर, 1929 को मध्य प्रदेश के धार जिले के सरदारपुर तहसील में हुआ था। वह वर्ष 1934 से वर्ष 1957 तक मध्य भारत विधानसभा की सदस्य रही हैं। इसके उपरांत वर्ष 1962-67 में लोकसभा सदस्य एवं वर्ष 1978-81 में राज्यसभा सदस्य रही हैं। श्रीमती जमुना देवी वर्ष 1985 में मध्य प्रदेश की 8वीं विधानसभा की सदस्य निर्वाचित होकर आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा कल्याण विभाग के राज्यमंत्री रही हैं। उसके उपरांत वर्ष 1993 में 10वीं विधानसभा की सदस्य निर्वाचित होकर महिला एवं बालविकास मंत्री तथा वर्ष 1998 में 11 वीं विधानसभा की सदस्य निर्वाचित होकर मध्य प्रदेश की उपमुख्यमंत्री रही हैं। वर्ष 2003 में 12वीं विधानसभा की सदस्य निर्वाचित होने के पश्चात 16 दिसंबर, 2003 से 11 दिसंबर, 2008 तक मध्य प्रदेश के प्रथम महिला नेता प्रतिपक्ष तथा वर्ष 2008 में 6वीं विधानसभा सदस्य निर्वाचित होकर 7 जनवरी, 2009 से 24 सितंबर, 2010 तक द्वितीय बार नेता प्रतिपक्ष नियुक्त हुई थीं।
(a) भारत का समेकित निधि
(b) मध्य प्रदेश राज्य की आकस्मिक निधि
(c) मध्य प्रदेश राज्य की समेकित निधि
(d) भारत तथा मध्य प्रदेश राज्य की समेकित निधि पर पचास-पचास प्रतिशत पर आधारित है।
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश राज्य की समेकित निधि या संचित निधि का वर्णन संविधान के अनुच्छेद-266 में ही किया गया है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल का वेतन राज्य की समेतिक निधि पर भारित होता है। यदि राज्यपाल दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल होता है तो दोनों राज्यों की संचित निधि या समेकित निधि से बराबर अनुपात में राज्यपाल का वेतन दिया जाता है, जबकि राष्ट्रपति का वेतन भारत की संचित निधि भारित होता है।
(a) दिग्विजय सिंह
(b) शिवराज सिंह चौहान
(c) बाबूलाल गौर
(d) कैलाश जोशी
व्याख्या: (c) सुश्री उमा भारती के पश्चात बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। सुश्री उमा भारती का शासन कार्यकाल 8 दिसंबर, 2003 से 23 अगस्त, 2004 तक था। उसके पश्चात 24 अगस्त, 2004 से श्री बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने, जिनका कार्यकाल 29 नवंबर, 2005 तक रहा है। श्री बाबूलाल गौर सर्वप्रथम वर्ष 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे। श्री बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून, 1929 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था तथा 21 नवंबर, 2019 को श्री बाबूलाल गौर का देहावसान हो गया। श्री बाबूलाल गौर ने 23 जुलाई, 1955 को भारतीय मजदूर संघ नामक केंद्रीय श्रमिक संगठन की स्थापना की थी।
(a) वर्ष 2015
(b) वर्ष 2016
(c) वर्ष 2017
(d) वर्ष 2014
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में विदेशी निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल के साथ 12 से 15 जनवरी, 2016 तक चार दिनों के लिए सिंगापुर यात्रा पर गए थे।
(a) खंडेव केशवराव रंगोली
(b) वी.वी. दुबे
(c) बी. जी. घाटे
(d) गोविंद नारायण सिंह
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में तीन चरणों क्रमश: 16, 17 व 20 फरवरी, 1967 को चतुर्थ विधानसभा के लिए चुनाव संपन्न हुए थे, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 167 सीटें, जनसंघ को 78 सीटें, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 9 सीटें, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को 10 सीटें, स्वतंत्र दल को 7 सीटें एवं निर्दलीय को 24 सीटें प्राप्त हुई थी। 23 फरवरी, 1967 को विधानसभा की प्रथम बैठक संपन्न हुई थी, जिसमें श्री काशी प्रसाद को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया था तथा 9 मार्च 1967 को कांग्रेस के मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी किंतु द्वारका प्रसाद मिश्र द्वारा राजघरानों के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी से गुना सीट से निर्वाचित कांग्रेस की सांसद विजया राजे सिंधिया सख्त नाराज हो गई और वहीं मंत्रिमंडल में सम्मिलित न किए जाने के कारण श्री गोविंद नारायण सिंह एवं 35 अन्य विधायकों ने तत्कालीन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके कारण 29 जुलाई, 1967 को श्री द्वारका प्रसाद मिश्र के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 4 महीने में ही गिर गई। कांग्रेस से पृथक होकर नाराज विधायकों ने लोकसेवा दल एवं राजमाता विजया राजे सिंधिया ने जनक्रांति नामक राजनैतिक दल बनाया था। इन दोनों दल के अतिरिक्त जनसंघ, वामदल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के संयुक्त गठबंधन से संयुक्त विधायक दल या संविद का गठन किया गया, जिसके तत्पश्चात मध्य प्रदेश में गोविंद नारायण सिंह के नेतृत्व में विजया राजे सिंधिया एवं बृजलाल शर्मा के सहयोग से 21 जुलाई, 1967 को 31 सदस्यीय मंत्रिमंडल गठित हुआ। तत्कालीन नवगठित विधानसभा के अंतर्गत गैर कांग्रेसी मंत्रिमंडल में 36 दल बदल करने वाले कांग्रेसी विधायकों में 19 लोगों को मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया था तथा जनसंघ पार्टी के 7 एवं जनक्रांति दल के 5 लोगों को मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ दिलवाई गयी थी तथा जनसंघ के प्रमुख राजनेता वीरेंद्र कुमार सखलेचा को उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था। किंतु राजमाता विजयाराजे सिंधिया की ओर से शासन में लगातार हस्तक्षेप के कारण श्री गोविंद नारायण सिंह ने 12 मार्च, 1969 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद श्री गोविंद नारायण सिंह पुनः : कांग्रेस में सम्मिलित हो गए थे।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश के प्रथम गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में विगत वर्ष की परीक्षाओं में अनेक बार पूछा जा चुका है, जिसका प्रश्न की प्रकृति व विकल्पों के आधार पर सटीकता के साथ अभ्यर्थियों द्वारा प्रदत्त किया जा सकता है।
(a) जबलपुर
(b) सतना
(c) मंडला
(d) शहडोल
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के प्रथम गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश के सतना (रामपुर बघेलान) निवासी श्री गोविंद नारायण सिंह का जन्म 25 जुलाई, 1920 को तथा 11 मई, 2005 को निधन हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अवधेश प्रताप सिंह और माता का नाम श्रीमती महाराज कुमारी था। श्री गोविंद नारायण सिंह वर्ष 1948 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हुए थे परंतु बाद में उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया। वर्ष 1952 के आम चुनाव में विंध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में चयनित हुए। वर्ष 1953 से 1967 तक विंध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में काम किया। इसके पश्चात मध्य प्रदेश के 8वें क्रम के मुख्यमंत्री के रूप में श्री गोविंद नारायण सिंह ने 30 जुलाई, 1967 से 12 मार्च, 1967 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया है। श्री गोविंद नारायण सिंह ने 26 फरवरी, 1988 से 24 जनवरी, 1989 तक बिहार के राज्यपाल के पद को भी सुशोभित किया। श्री गोविंद नारायण सिंह ने सामाजिक, आध्यात्मिक व राजनैतिक विषयों पर अनेक पुस्तकों की भी रचना की है, जिसमें सोशियोलिस्ट, आइडियोलाजी इन कांग्रेस, रिपब्लिक टुडे आदि प्रमुख है।
(a) श्यामा चरण शुक्ला
(b) उमा भारती
(c) भगवतराव मंडलोई
(d) मोतीलाल वोरा
व्याख्या: (b) 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश के गठन के पश्चात सिर्फ एक बार शपथ ग्रहण करने वाले मुख्यमंत्री क्रमशः श्री रविशंकर शुक्ल, श्री गोविंद नारायण सिंह, श्री राजा नरेशचंद्र सिंह, सुश्री उमा भारती, श्री बाबूलाल गौर और श्री कमलनाथ है। अतः उपरोक्त के विकल्पों के आधार पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में एक से अधिक बार शपथ न लेने वाली मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती है, जिनका कार्यकाल 8 दिसंबर, 2003 से 23 अगस्त, 2004 तक था।
(a) प्यार से
(b) दिल से
(c) मुख्यमंत्री की बात
(d) मन की बात
व्याख्या: (b) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 अक्टूबर, 2014 से प्रारंभ किए गए 'मन की बात' कार्यक्रम की तर्ज पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 13 अगस्त, 2017 को 'दिल से' कार्यक्रम का शुभारंभ किया था।
(a) वर्ष 1951 से वर्ष 1955 तक
(b) वर्ष 1953 से वर्ष 1957 तक
(c) वर्ष 1952 से वर्ष 1956 तक
(d) वर्ष 1950 से वर्ष 1954 तक
व्याख्या: (c) डॉ. शंकरदयाल शर्मा का जन्म मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ था तथा भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल वर्ष 1952 से वर्ष 1956 तक था। 20 मार्च, 1952 को डॉ. शंकरदयाल शर्मा भोपाल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। इसके अतिरिक्त डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने भारत के 8वें क्रम के उपराष्ट्रपति के रूप में वर्ष 1987-92 तथा 9वें क्रम के राष्ट्रपति के रूप में वर्ष 1992-97 तक कार्य किया है।
(a) कैलाशनाथ काटजू
(b) रविशंकर शुक्ला
(c) शिव बहादुर सिंह
(d) शंकर दयाल शर्मा
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाशनाथ काटजू का जन्म 17 जून, 1887 को मध्य प्रदेश में रतलाम जिले के जावरा में हुआ था। श्री कैलाशनाथ काटजू ने वर्ष 1907 में एम. ए. एलएल. बी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण की। वर्ष 1916 में एल. एल. एम. की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1919 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ की डिग्री से विभूषित हुए। सात वर्ष तक कानपुर में वकालत करते हुए वर्ष 1914 में इलाहाबाद म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष बने। वर्ष 1937 में श्री कैलाशनाथ काटजू ने वकालत छोड़कर उत्तर प्रदेश के न्याय, उद्योग एवं विकास मंत्री बने। वर्ष 1946 तक उत्तर प्रदेश प्रांतीय कांग्रेस कमेटी की काउंसिल तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। अप्रैल, 1946 से अगस्त, 1947 तक पुनः न्याय एवं विकास मंत्री बने। 15 अगस्त, 1947 से 20 जून, 1948 तक उड़ीसा के राज्य के राज्यपाल रहे। 21 जून, 1948 से वर्ष 1951 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। वर्ष 1951-52 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में गृह एवं विधि मंत्री बने। वर्ष 1952 से जनवरी, 1955 तक गृहमंत्री व वर्ष 1955 से जनवरी, 1957 तक केंद्रीय रक्षामंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। 31 जनवरी, 1957 से 11 मार्च, 1962 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। माई पेरेण्ट्स और रेमिनिसेसेज एंड एक्सपरिमेंट्स इन एडवोकेसी डॉ. कैलाश नाथ काटजू की प्रसिद्ध पुस्तकें है।
(a) द्वारका प्रसाद मिश्र
(b) पं. रविशंकर शुक्ल
(c) भगवतराव मंडलोई
(d) कैलाश नाथ काटजू
व्याख्या: (b) अविभाजित मध्य प्रदेश (1 नवंबर, 1956 मध्य प्रदेश के पुनर्गठन) के प्रथम मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल थे तथा ब्रिटिश कालीन मध्य प्रदेश अर्थात सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार के प्रथम मुख्यमंत्री एन.बी. खरे थे, जो 4 जुलाई, 1937 को नियुक्त हुए थे। उसके पश्चात 29 जुलाई, 1937 को पं. रविशंकर शुक्ल सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए तथा द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात 27 अप्रैल, 1946 को पं. रविशंकर शुक्ल दूसरी बार सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए। इसके अतिरिक्त भारत की स्वतंत्रता के पश्चात वर्ष 1952 में प्रथम विधानसभा चुनाव संपन्न करवाये गए थे, जिसमें पं. रविशंकर शुक्ल को पुराने मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था।
(a) 13 मार्च, 1969 से 25 मार्च, 1969
(b) 8 अप्रैल, 1969 से 17 अप्रैल, 1969
(c) 23 मई, 1969 से 9 जून, 1969
(d) 18 जून, 1969 से 29 जून, 1969
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के प्रथम आदिवासी मुख्यमंत्री श्री नरेश चंद्र सिंह (राजा) का जन्म 21 नवंबर, 1908 को एवं निधन 12 सितंबर, 1987 को हुआ था। इनकी शिक्षा वर्ष 1918 से 1929 तक राजकुमार महाविद्यालय, रायपुर में हुई। इनके पिता का नाम राजाबहादुर जवाहर सिंह था। यह गोंड राजवंश से संबंधित थे। इस राजवंश का शासन वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत आने वाली सारंगढ़ रियासत (उड़ीसा प्रांत से लगे हुए सीमांत क्षेत्र) में था। वर्ष 1948 में अपने राज्य का मध्य प्रदेश में विलय किया। वर्ष 1950-51 में रायपुर में हुए मध्य प्रदेश आदिवासी सम्मेलन तथा वर्ष 1952 में विधानसभा सदस्य तथा मंत्रिमंडल के सदस्य व वर्ष 1956 के चुनाव के पश्चात विधानसभा के सदस्य एवं कैबिनेट मंत्री रहे। श्री नरेश सिंह चतुर्थ विधानसभा (वर्ष 1967-72) में 13 मार्च, 1969 से 25 मार्च, 1969 तक मात्र 13 दिन के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इनके पश्चात श्री श्यामाचरण शुक्ल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
(a) वर्ष 1978
(b) वर्ष 1980
(c) वर्ष 1972
(d) वर्ष 1984
व्याख्या: (b) श्री अर्जुन सिंह ने मध्य प्रदेश की 7वीं विधानसभा (वर्ष 1980-85) के अंतर्गत सर्वप्रथम 9 जून, 1980 से 10 मार्च, 1985 तक मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया है। अर्जुन सिंह का जन्म 5 नवंबर, 1930 को मध्य प्रदेश में सीधी जिले के चुरहट में हुआ था। उनके पिता का नाम रावशिव बहादुर सिंह था। श्री अर्जुन सिंह की पत्नी का नाम सरोज सिंह तथा उनके पुत्र श्री अजय सिंह (राहुल भैया) वर्तमान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। 30 सितंबर, 1963 में राज्यमंत्री कृषि विभाग के रूप में कार्य किया। उसके बाद वे विभिन्न पदों पर रहते हुए 15 जुलाई, 1977 को मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नियुक्त हुए। इसके पश्चात श्री अर्जुन सिंह 9 जून 1980 को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2-3 दिसंबर, 1984 को अर्जुन सिंह जी के मुख्यमंत्री काल में ही भोपाल गैस त्रासदी जैसी दुर्घटना हुई तथा इन्हीं के कार्यकाल में 14 फरवरी, 1981 को हुए बेहमई कांड की प्रमुख फूलन देवी ने 13 फरवरी, 1983 को मध्य प्रदेश के भिंड जिले में आत्मसमर्पण किया था। वर्ष 1985 में कांग्रेस के पुनः विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बने, लेकिन अचानक हुए घटनाक्रम के बाद पंजाब के राज्यपाल नियुक्त कर दिए गए। इसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा। पंजाब का राज्यपाल रहते हुए इन्होंने पंजाब के विवाद को निपटाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। इसके बाद इन्हें वर्ष 1986 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। जहां अर्जुन सिंह केंद्रीय दूरसंचार और मानव संसाधन जैसे विभागों के मंत्री रहे तथा वर्ष 1991 में 10वीं लोकसभा सदस्य भी निर्वाचित हुए। इसके उपरांत वर्ष 2000 एवं वर्ष 2006 में राज्यसभा सदस्य नियुक्त किया गया। श्री अर्जुन सिंह को पुनः एक बार केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बनाया गया। श्री अर्जुन सिंह इस दौरान राज्यसभा के भी सदस्य रहे। 4 मार्च, 2011 को श्री अर्जुन सिंह का देहावसान हो चुका है।
(a) पं. रविशंकर शुक्ल
(b) श्री श्यामाचरण शुक्ल
(c) श्री सुंदरलाल पटवा
(d) श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री श्यामाचरण शुक्ल रायपुर से हिंदी में प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र 'महाकौशल' के संस्थापक व संपादक थे। श्री श्यामाचरण शुक्ल का जन्म 27 फरवरी, 1925 को रायपुर में हुआ था तथा इनके पिता पं. रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। श्री श्यामाचरण शुक्ल सर्वप्रथम वर्ष 1957 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। तदान्तर वर्ष 1962 वर्ष 1966 एवं वर्ष 1972 में भी विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। श्री श्यामाचरण शुक्ल मध्य प्रदेश की चतुर्थ विधानसभा (1967-1972) के अंतर्गत 26 मार्च, 1969 से 28 जनवरी, 1972 तक प्रथम बार तथा 23 दिसंबर, 1975 से 27 अप्रैल, 1977 तक और 9 दिसंबर, 1989 से 4 मार्च, 1990 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया।
टिप्पणी: श्री श्यामाचरण शुक्ल वर्ष 1990 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 5वीं बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित होकर 20 मार्च, 1990 को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त हुए थे तथा 14 फरवरी, 2007 को आपका देहावसान हो गया।
(a) श्री श्यामाचरण शुक्ल
(b) श्री गोविंद नारायण सिंह
(c) द्वारिका प्रसाद मिश्र
(d) श्री सुंदरलाल पटवा
व्याख्या: (d) श्री सुंदरलाल पटवा का जन्म 11 नवंबर, 1924 को मंदसौर जिले के कुकड़ेश्वर में हुआ था तथा आप वर्ष 1951 से जनसंघ के सक्रिय कार्यकर्ता थे। वर्ष 1957 से वर्ष 1967 तक मध्य प्रदेश विधानसभा सदस्य एवं विरोधी दल के मुख्य सचेतक थे। इसके उपरांत वर्ष 1967 से वर्ष 1974 तक जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष, मध्य प्रदेश जनसंघ पार्टी के कोषाध्यक्ष, और वर्ष 1977 में जनता पार्टी कार्य समिति के सदस्य रहे हैं। वर्ष 1977 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित होकर 20 जनवरी, 1980 से 17 फरवरी, 1980 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया है और वर्ष 1980 में पुनः सिहोर विधानसभा सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित होकर भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं सदन में विरोधी दल के नेता के रूप में उल्लेखनीय योगदान प्रदान किया। वर्ष 1990 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित होकर 5 मार्च, 1990 से 15 दिसंबर, 1992 तक द्वितीय बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है।
(a) श्री प्रकाशचंद्र सेठी
(b) श्री राजा नरेशचंद्र
(c) सुश्री उमा भारती
(d) श्री श्यामाचरण शुक्ल
व्याख्या: (a) श्री प्रकाशचंद्र सेठी का जन्म 19 अक्टूबर, 1920 को तथा 21 फरवरी, 1996 को देहावसान हुआ था। वह वर्ष 1961-64 में राज्यसभा सदस्य तथा वर्ष 1967 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। 9 जून 1962 से मार्च, 1967 तक केंद्रीय उपमंत्री तथा 13 मार्च, 1967 से राज्यमंत्री और 26 अप्रैल, 1968 से 23 फरवरी, 1969 तक केंद्रीय इस्पात खान और धातु मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभारी मंत्री रहे हैं। 14 फरवरी, 1968 को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व व व्यय मंत्री नियुक्त हुए। श्री प्रकाशचंद्र सेठी ने सितंबर, 1969 में बारबाडोस (वेस्टइंडीज) के राष्ट्र मंडलीय वित्त सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा अक्टूबर, 1969 में कोलम्बो योजना सम्मेलन के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया। इसके उपरांत एशियाई विकास बैंक, मनीला और अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक में भारत के गवर्नर मनोनीत हुए।
टिप्पणी: 27 जून, 1970 को श्री प्रकाशचंद्र सेठी भारत के प्रतिरक्षा उत्पादन मंत्री बने तथा 29 जनवरी, 1972 को विधानसभा सदस्य के लिए निर्वाचित हुए। विशेष- श्री प्रकाशचंद्र सेठी चतुर्थ विधानसभा (1967-1972) के अंतर्गत 29 जनवरी, 1972 से 22 मार्च, 1972 तथा पांचवी विधानसभा के अंतर्गत 23 मार्च, 1972 से 23 दिसंबर, 1975 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए।
(a) श्री द्वारिका प्रसाद मिश्र
(b) डॉ. कैलाशनाथ काटजू
(c) श्री गोविंद नारायण सिंह
(d) पं. रविशंकर शुक्ल
व्याख्या: (a) पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र को मध्य प्रदेश की राजनीति का चाणक्य माना जाता है। वे अपनी शर्तों पर राजनीति करते थे। इस कारण उन्हें कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व के कोप का भाजन भी बनना पड़ा परंतु बाद में नेतृत्व से सुलह के बाद उन्हें वर्ष 1963 में राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे पं. द्वारका प्रसाद मिश्र का जन्म 5 अगस्त, 1907 को हुआ था। वर्ष 1920 में महात्मा गांधी जी द्वारा विद्यार्थियों को किये गए आवाहन पर महाविद्यालय छोड़ा और अमृत बाजार पत्रिका, कलकत्ता में कार्य किया। वर्ष 1921 में प्रथम असहयोग आंदोलन के सिलसिले में गिरफ्तार हुए। वर्ष 1922 में जबलपुर से प्रकाशित पत्रिका " श्री शारदा" के संपादक रहे। माधवराव सप्रे के सहयोग से जबलपुर में साहित्यिक कार्यकलापों में सक्रिय भागीदारी की।
टिप्पणी: विद्यार्थी जीवन में ही वर्ष 1926 में तत्कालीन विधानसभा के लिए निर्वाचित। स्व. पंडित मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में स्व. रफी अहमद किदवई के साथ दल के सचेतक के रूप में कार्य किया। लाहौर लाठी-कांड में स्वर्गीय लाला लाजपतराय पर हुए नृशंस व्यवहार के लिए सदन में संकल्प द्वारा अंग्रेजों की आलोचना | वर्ष 1930 में पं. द्वारका प्रसाद मिश्र ने जबलपुर से समाचार-पत्र "लोकमत" को प्रारंभ किया। वर्ष 1932 में जेल में रहते हुए जबलपुर नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष 1936 में पुनः नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। भारत छोड़ो आंदोलन के समय पं. द्वारका प्रसाद मिश्र को जेल जाना पड़ा। वहीं वर्ष 1942 में उन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथ "कृष्णायन " की रचना जेल में की थी। वर्ष 1942 में साप्ताहिक "सारथी " प्रारंभ किया जो शासन के आदेश से वर्ष 1942 में बंद किया गया। वर्ष 1944 में कांग्रेस मंत्रिमंडल बनने पर भूतपूर्व मध्य प्रदेश के गृहमंत्री बने। वर्ष 1948 में सागर विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की।
विशेष: वर्ष 1950 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी और भारतीय संसद मंडल के सदस्य रहे तथा वर्ष 1956 में सागर विश्वविद्यालय के उप-कुलपति बने परंतु वर्ष 1962 में कुलपति के पद से त्यागपत्र दे दिया और केंद्रीय नागरिक परिषद के संबंध समिति के सभापति बने। मई, 1963 में कसडोल से मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके पश्चात 24 सितंबर, 1963 को कांग्रेस विधानसभा के नेता निर्वाचित हुए और 30 सितंबर, 1963 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 31 मई, 1988 को जबलपुर में पं. द्वारका प्रसाद मिश्र जी का देहावसान हो गया।
(a) श्री दिग्विजय सिंह
(b) श्री बाबूलाल गौर
(c) श्री मोतीलाल वोरा
(d) श्री कमलनाथ
व्याख्या: (d) भारत की शताब्दी इंडियास एनवायरनमेंटल कंसर्नस और इंडिया सेंचुरी नामक प्रसिद्ध पुस्तकें मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ द्वारा लिखी गई है। श्री कमलनाथ 17 दिसंबर, 2018 से 20 मार्च, 2020 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहे। श्री कमलनाथ का जन्म 18 नवंबर, 1946 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। कमलनाथ जी के पिता का नाम स्व. श्री महेंद्रनाथ और माता का नाम श्रीमती लीला नाथ है। वर्ष 1980 में पहली बार म.प्र. के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए। इसके उपरांत श्री कमलनाथ वर्ष 1985 में दूसरी बार आठवीं लोकसभा, वर्ष 1989 में नवीं लोकसभा के लिये तीसरी बार और वर्ष 1991 में दसवीं लोकसभा के लिये छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से ही चौथी बार निर्वाचित हुए। श्री कमलनाथ वर्ष 1991 से वर्ष 1995 की अवधि में केंद्रीय पर्यावरण और वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वर्ष 1995-96 में केंद्रीय वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद पर रहे। वर्ष 1998 में श्री कमलनाथ पुनः छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से पांचवी बार 12वीं लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए। श्री कमलनाथ वर्ष 1998 से वर्ष 1999 दौरान पेट्रोलियम और रसायन संबंधी स्थाई समिति, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना संबंधी समिति और विद्युत मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। श्री कमलनाथ वर्ष 1999 में छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से 13वीं लोकसभा के लिये लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए श्री कमलनाथ वर्ष 1999 से वर्ष 2000 की अवधि में वित संबंधी स्थाई समिति के सदस्य और वर्ष 2002-04 की अवधि में खान और खनिज मंत्रालय को परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। श्री कमलनाथ वर्ष 2001 से वर्ष 2004 की अवधि में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रहे और वर्ष 2004 में सांतवी बार 14वी लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। श्री कमलनाथ ने 23 मई, 2004 से वर्ष 2009 को अवधि में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री का दायित्व संभाला। श्री कमलनाथ वर्ष 2009 में छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से हो आठवीं बार 15वीं लोकसभा के लिये पुनः निर्वाचित हुए और वर्ष 2009 से 18 जनवरी, 2011 को अवधि में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे। इसके उपरांत कमलनाथ जी 19 जनवरी, 2011 से 26 मई, 2014 की अवधि में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री और 26 अक्टूबर, 2012 से 26 मई, 2014 की अवधि के लिये केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री भी रहे। श्री नाथ मई 2014 में छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से ही नौवीं बार 16वीं लोकसभा के लिये पुनः निर्वाचित हुए श्री कमलनाथ को 4 से 6 जून, 2014 की अवधि में लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाया गया। श्री कमलनाथ 1 सितंबर, 2014 से संसद की वाणिज्य संबंधी स्थाई समिति और वित्त तथा कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे।
टिप्पणी: श्री कमलनाथ अप्रैल, 2019 के उपचुनाव में पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे तथा 10 जून, 2019 को विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की थी।
(a) श्रीमती विजयरानी सिंधिया
(b) श्रीमती विजयाराजे सिंधिया
(c) श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया
(d) श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया
व्याख्या: (b) साधारणतः मुख्यमंत्री ही सदन का नेता होता है किंतु मध्य प्रदेश की चतुर्थ विधानसभा के अंतर्गत तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री गोविंद नारायण सिंह के कार्यकाल में सदन का नेता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया रही हैं। श्रीमती विजयाराजे सिंधिया का जन्म 12 अक्टूबर, 1919 को सागर जिले में हुआ था तथा प्राणिग्रहण संस्कार ग्वालियर के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया के साथ 21 फरवरी, 1941 को हुआ था। श्रीमती विजयाराजे सिंधिया वर्ष 1957, वर्ष 1962 तथा वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं थीं किंतु वर्ष 1967 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता छोड़कर एक साथ लोकसभा तथा राज्यविधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं। तत्पश्चात लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर राज्यविधानसभा की सदस्यता ग्रहण की थी। वर्ष 1967 में सविंद सरकार के गठन के समय उन्होंने मुख्यमंत्री पद स्वीकार नहीं किया था।
टिप्पणी: श्रीमती विजयाराजे सिंधिया चतुर्थ विधानसभा (1967-1972) के अंतर्गत 30 जुलाई, 1967 से 25 मार्च, 1969 तक सदन की नेता रही हैं। श्रीमती विजयाराजे सिंधिया का देहावसान 25 जनवरी, 2001 को हुआ था।
- विधानसभा का/की अध्यक्ष यदि विधानसभा का/की सदस्य नहीं रहता/रहती है तो अपना पद रिक्त कर दगा/देगी।
- जब कभी विधानसभा का विघटन किया जाता है, तो अध्यक्ष अपने पद को तुरंत रिक्त कर देगा/देगी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
व्याख्या: (a) संविधान के अनुच्छेद-179 के खंड (क) के अनुसार, विधानसभा का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूप में पद धारण करने वाला सदस्य यदि विधानसभा का सदस्य नहीं रहता है, तो अपना पद रिक्त कर देगा। क्योंकि अनुच्छेद-179 के दूसरे परंतुक के अनुसार जब कभी भी विधानसभा का विघटन किया जाता है, तो विघटन के पश्चात होने वाले पुनः निर्वाचित विधानसभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहले तक अध्यक्ष अपने पद को रिक्त नहीं करेगा।
(a) 91वां
(b) 93वां
(c) 95वां
(d) 97वां
व्याख्या: (a) वर्ष 2003 तक मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या के संबंध में संविधान में कोई उल्लेख नहीं था। यह प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर था, किंतु वर्ष 2003 में पारित 91वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद-75, अनुच्छेद-164 और 10वीं अनुसूची में संशोधन करके केंद्र में प्रधानमंत्री एवं राज्यों में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा अथवा विधानसभा की सदस्य संख्या के अधिकतम 15 प्रतिशत तक निर्धारित की गई है।
(a) राज्यपाल
(b) विधानसभा अध्यक्ष
(c) मुख्यमंत्री
(d) विधि मंत्री
व्याख्या: (a) संविधान के अनुच्छेद-174 (2) (क) के अनुसार, राज्य की विधानसभा के सत्रावसान का आदेश राज्यपाल द्वारा दिया जाता है। राज्यपाल, संविधान के अनुच्छेद-174 (2) (ख) के अनुसार, विधानसभा का विघटन भी कर सकेगा।
(a) 18 वर्ष
(b) 25 वर्ष
(c) 21 वर्ष
(d) कोई आयु सीमा नहीं
व्याख्या: (b) संविधान के अनुच्छेद-173 (ख) के अनुसार, विधानसभा (निम्न सदन) का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है, जबकि विधानपरिषद (उच्च सदन) की सदस्यता प्राप्त करने के लिए आयु कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए।
(a) 1 वर्ष
(b) 6 माह
(c) 3 माह
(d) अनिश्चित
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा के दो क्रमागत सत्रों के मध्य 6 माह से ज्यादा का समय अंतराल नहीं होना चाहिए। अर्थात, राज्य विधानसभा वर्ष में कम-से-कम दो बार मिलना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 175 के अनुसार, राज्यपाल सत्र की पहली बैठक और अंतिम बैठक में राज्य विधानसभा को संबोधित कर सकता है।
(a) 40 तथा 400
(b) 50 तथा 450
(c) 50 तथा 500
(d) 60 तथा 500
व्याख्या: (d) संविधान के अनुच्छेद-170 के अनुसार, किसी राज्य की विधानसभा में 500 से अधिक तथा 60 से कम सदस्य नहीं होंगे। संविधान के अनुच्छेद-171 (1) के अनुसार, विधानपरिषद की सदस्य संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी, लेकिन किसी भी दशा में 40 से कम नहीं होगी। संविधान के अनुच्छेद-182 के अनुसार विधानपरिषद के सभापति तथा उप-सभापति का निर्वाचन विधानपरिषद करती है।
(a) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(b) मध्य प्रदेश के राज्यपाल
(c) मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता
(d) मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव
व्याख्या: (c) संविधान के अनुच्छेद-165 में राज्य का महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) की नियुक्ति का प्रावधान है। महाधिवक्ता राज्य की सरकार का विधिक सलाहकार होता है। वह राज्य सरकार को कानूनी विषय पर परामर्श देता है। संविधान के अनुच्छेद-165 (1) के अनुसार प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखने वाले किसी व्यक्ति को महाधिवक्ता नियुक्त करता है। वह राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है।
(a) तीन सदस्य अथवा कुल सदस्य संख्या का दसवां भाग जो भी कम हो
(b) सदन की कुल सदस्य संख्या का आधा
(c) सदन की कुल सदस्य संख्या का दसवां भाग
(d) दस सदस्य अथवा सदन की कुल सदस्य संख्या का दसवां भाग जो भी अधिक हो
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश विधानसभा में गणपूर्ति के लिए कम-से-कम 1/10 सदस्यों का उपस्थित होना अनिवार्य है तथा यह संख्या किसी भी स्थिति में 10 से कम नहीं होनी चाहिए। विधानसभा का सत्र वर्ष में कम-से-कम दो बार आहूत किया जाना आवश्यक है तथा किन्हीं दो सत्रों के बीच 6 माह से अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए।
(a) जनवरी 2019
(b) सितंबर, 2018
(c) मार्च, 2019
(d) नवंबर, 2018
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश की 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 10 दिसंबर, 2013 से प्रारंभ हुआ था तथा जनवरी, 2019 में इसका कार्यकाल समाप्त होना नियत था। 15वीं विधानसभा का गठन 13 दिसंबर, 2018 को किया गया है, जिसका कार्यकाल वर्ष 2023 में समाप्त हो गया।
(a) समाजवादी पार्टी
(b) कांग्रेस
(c) बहुजन समाज पार्टी
(d) भारतीय जनता पार्टी
व्याख्या: (b) वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का 19 जनवरी, 2018 को निधन हो गया। वह स्वभाव से निर्भीक, गहरी राजनीतिक समझ, प्रभावी वक्ता, संसदीय ज्ञान, वचन के पक्के और समाजवाद के पोषक थे। उनका जन्म 17 सितंबर, 1926 को रीवा जिले के तिवनी ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंगलदीन तिवारी तथा माता कौशिल्या देवी थीं। इनका विवाह सतना जिले के झिरिया ग्राम के रामनिरंजन मिश्र की बेटी श्रवण कुमारी से हुआ था। श्रीनिवास तिवारी ने विद्यार्थी जीवन में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। वर्ष 1948 में विंध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी का गठन किया तथा वर्ष 1952 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में विध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 1972 में समाजवादी पार्टी से म.प्र. विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए तथा वर्ष 1973 में इंदिरा गांधी के कहने पर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। वह 1977, 1980, एवं 1990 में मनगवां क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा वर्ष 1980 में अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री रहे। उन्हें 22 मार्च, 1990 को विधानसभा का उपाध्यक्ष चुना गया। 24 दिसंबर, 1993 को पहली बार विधानसभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। 2 फरवरी, 1999 को दूसरी बार निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। मध्य प्रदेश विधानसभा में उन्होंने शून्यकाल एवं मुख्यमंत्री प्रहर की शुरुआत की थी और वर्ष 2003 तक मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष रहे। विंध्य क्षेत्र में अत्यधिक लोकप्रियता के कारण उन्हें व्हाइट टाइगर भी कहा जाता था।
(a) नीरू चड्डा
(b) सहिति पिंगली
(c) बसंत प्रताप सिंह
(d) राजा गिरींदर चारी
व्याख्या: (c) वर्ष 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी श्री बसंत प्रताप सिंह को मध्य प्रदेश में 30वें क्रम के मुख्य सचिव के रूप में 1 नवंबर, 2016 को श्री अन्टोनी जे. सी. डिसा के स्थान पर नियुक्त किया गया था, जिनका कार्यकाल 31 दिसंबर, 2018 तक था। मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बेस 24 मार्च, 2020 को मध्य प्रदेश के 33वें मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त हुए थे, जिनका कार्यकाल नवंबर 2022 तक रहा है।
(a) श्री के. सी. रेड्डी
(b) श्री भगवत दयाल शर्मा
(c) श्री राम प्रकाश गुप्ता
(d) श्री एन. डी. ओझा
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल श्री के. सी. रेड्डी जनवाणी समाचार पत्र के सम्पादक रहे हैं। श्री के.सी. रेड्डी वर्ष 1937-38 तथा वर्ष 1946-47 में मैसूर कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 1947-52 तक 3 बार मैसूर विधानसभा के सदस्य रहे तथा मैसूर राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय विधानसभा के वर्ष 1947-50 तक सदस्य रहे हैं तथा वर्ष 1952 से 1957 तक राज्यसभा सदस्य और वर्ष 1957-64 तक लोकसभा सदस्य रहे हैं।
टिप्पणी: श्री के.सी. रेड्डी का पूरा नाम क्यासम्बल्लि चेंगलराव रेड्डी था तथा वे स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के संस्थापक सदस्य थे। श्री के.सी. रेड्डी ने मध्य प्रदेश में राज्यपाल के रूप में क्रमश: 11 फरवरी, 1965 से 2 फरवरी, 1966 तथा 10 फरवरी, 1966 से 7 फरवरी, 1971 तक सेवा प्रदान की है।
(a) वर्ष 2015
(b) वर्ष 2016
(c) वर्ष 2017
(d) वर्ष 2014
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा प्रदेश में खुशी विभाग (आनंद विभाग) के गठन की स्वीकृति 15 जुलाई, 2016 को प्रदान की गई थी तथा 28 जुलाई, 2017 को भूटान देश की तर्ज पर आई.आई.टी खड़गपुर के सहयोग से हेप्पीनेस इंडेक्स जारी करने की पहल की गई। मध्य प्रदेश आनंद विभाग की स्थापना और हेप्पीनेस इंडेक्स जारी करने वाला प्रथम राज्य है।
(a) सर्वपल्ली राधाकृष्णन
(b) जवाहरलाल नेहरू
(c) अटल बिहारी वाजपेयी
(d) नरेंद्र मोदी
व्याख्या: (c) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर, 2014 को गुड गवर्नेस डे (सुशासन दिवस) के रूप में मनाने की घोषणा की थी। अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआ था। अटलजी की बी. ए. तक की शिक्षा ग्वालियर में संपन्न हुई। 16 मई, 1996 को उन्होंने सर्वप्रथम प्रधानमंत्री के पद की शपथ ग्रहण की थी, किंतु विपरीत परिस्थितियों के कारण 28 मई, 1996 को स्वयं त्यागपत्र दे दिया था। उसके पश्चात 19 मार्च, 1998 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की और 13 अक्टूबर, 1999 को अटल जी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
टिप्पणी: श्री अटल बिहारी वाजपेयी को 25 जनवरी, 1992 को पद्मविभूषण से अलंकृत किया गया। 28 सितंबर, 1992 को उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने हिंदी गौरव के सम्मान से सम्मानित किया। 20 अप्रैल, 1993 को उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय ने मानद डी. लिट की उपाधि प्रदान की। 1 अगस्त, 1994 को वाजपेयी को लोकमान्य तिलक सम्मान पारितोषिक प्रदान किया गया जो उनके सेवाभावी, स्वार्थत्यागी तथा समर्पणशील सार्वजनिक जीवन के लिए था। 17 अगस्त, 1994 को संसद ने उन्हें सर्वसम्मति से सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान दिया गया। वर्ष 2015 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। श्री अटल जी का 16 अगस्त, 2018 को देहावसान हो गया।
(a) उर्मिला सिंह
(b) निर्मला बुच
(c) शीतला सहाय
(d) सरोजनी सक्सेना
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में निर्मला बुच प्रथम महिला IAS अधिकारी एवं प्रथम महिला मुख्य सचिव थी, जिनका मुख्य सचिव के रूप में कार्यकाल 22 सितंबर, 1991 से 1 जनवरी, 1993 तक था। द लॉ ऑफ टू चाइल्ड नोर्म इन पंचायत निर्मला बुच की प्रसिद्ध पुस्तक है। निर्मला बुच का विवाह एम. एन. बुच से हुआ था, जो वर्ष 1957 में मध्य प्रदेश कैडर के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियुक्त हुए थे। एम.एन. बुच ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नैशनल सेंटर ऑफ ह्यूमन सेटलमेंटल एंड एन्वायरमेंट की स्थापना की थी। 6 अगस्त, 2019 को इनकी पुस्तक एन इंडिया रिइमेजिन्ड का विमोचन पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा किया गया।
(a) श्री बीरबल
(b) श्री एच. एस. कामथ
(c) श्री आर. पी. नरोन्हा
(d) श्री एम. पी. श्रीवास्तव
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में द्वितीय मुख्य सचिव आर. पी. नरोन्हा "ए टेल टोल्ड बाई एन इडियट" नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक हैं। आर. पी. नरोन्हा का पूरा नाम रोनाल्ड कार्लटन विवियन पियाडे नरोन्हा (Ronald Carlton Vivian Piadade Noronha) था। उन्हें वर्ष 1975 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था तथा वर्ष 2001 में उनकी स्मृति में मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अकादमी का नाम आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासनिक एवं प्रबंधकीय अकादमी रखा गया है। आर. पी. नरोन्हा मध्य प्रदेश के एकमात्र मुख्य सचिव हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश में सर्वाधिक लंबे कार्यकाल के रूप में 2 बार मुख्य सचिव पद को सुशोभित करने का गौरव प्राप्त हुआ है। प्रथम बार उनका कार्यकाल 25 नवंबर, 1963 से 1 फरवरी, 1968 तथा दूसरी बार 6 सितंबर, 1972 से 14 अप्रैल, 1974 तक था।
(a) आर.पी. नाइक
(b) बी. के. दुबे
(c) आर. एस. खन्ना
(d) पी. के. नरोन्हा
व्याख्या: (d) प्रश्न में दिए गए विकल्पों में से पी. के. नरोन्हा मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव पद पर नहीं रहे है, जबकि प्रदेश के दूसरे मुख्य सचिव आर. पी. नरोन्हा थे।
(a) निरंजन नाथ वान्चू
(b) राम प्रकाश गुप्ता
(c) गुरू प्रसन्न सिंह
(d) सत्य नारायण सिंह
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल श्री निरंजन नाथ वान्चू का जन्म 1 मई, 1910 को सतना में हुआ था तथा इन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर (पाकिस्तान) और किंग कॉलेज, केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात वर्ष 1934 में इंडियन सिविल सर्विस में प्रवेश किया। श्री निरंजन नाथ वाचू वर्ष 1948 में आयुध कंपनियों (ओर्डियन्स फैक्ट्रियों) के महानिर्देशक नियुक्त हुए। श्री निरंजन नाथ वान्चू वर्ष 1973-77 तक केरल तथा 14 अक्टूबर, 1977 से 16 अगस्त, 1978 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे हैं।
(a) राज्य विधान सभा का वर्तमान भवन
(b) पुराना विधानसभा भवन
(c) ग्वालियर का किला
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश राज्य के पुनर्गठन के कुछ समय पूर्व एक नई एकीकृत विधानसभा भवन के लिए भोपाल शहर की एक ऐतिहासिक इमारत मिंटो हॉल का चयन किया गया। मिंटो हॉल का निर्माण वर्ष 1909 में भोपाल की शासक नवाब सुल्तान जहां बेगम के द्वारा करवाया गया था एवं इस भवन का शिलान्यास भारत के वायसराय लॉर्ड मिंटो के द्वारा किया गया था। मिंटो हॉल का निर्माण कार्य ब्रिटिश इंजीनियर ए. सी. रवेन की देख रेख में प्रारंभ हुआ। 1 नवंबर, 1956 को यह भवन मध्य प्रदेश विधानसभा भवन के रूप में परिवर्तित हुआ। वर्ष 1956 से लेकर अगस्त, 1996 तक यह भवन मध्य प्रदेश की 40 वर्ष की संसदीय यात्रा और मध्य प्रदेश के लोकतांत्रिक इतिहास का साक्षी बना रहा।
(a) निर्वाचन भवन
(b) विंध्याचल भवन
(c) राज भवन
(d) मिंटो हॉल
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के प्रमुख भवन एवं कार्यालय
भवन का नाम | मुख्यालय |
---|---|
विंध्याचल भवन | राज्य योजना आयोग |
निर्वाचन भवन | राज्य निर्वाचन आयोग |
राजभवन | राज्यपाल निवास |
मिंटो हॉल | राज्य का पुराना विधान सभा भवन |
वल्लभ भवन | प्रशासनिक भवन |
(a) पं. कुंजीलाल दुबे
(b) तेजलाल टेम्भरे
(c) गुलशेर अहमद
(d) श्रीनिवास तिवारी
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश विधानसभा के सर्वप्रथम वक्ता अर्थात प्रथम विधानसभा अध्यक्ष पं. कुंजीलाल दुबे थे, जिनका जन्म 19 मार्च, 1896 को नरसिंहपुर जिले के आमगांव में हुआ था। पं. कुंजीलाल दुबे वर्ष 1935 में हितकारिणी विधि महाविद्यालय के आचार्य नियुक्त हुए थे किंतु वर्ष 1937 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर राजनैतिक जीवन में प्रवेश किया। पं. कुंजीलाल दुबे वर्ष 1939 में अखिल भारतीय कांग्रेस त्रिपुरी अधिवेशन (जबलपुर) के लिए गठित स्वागत समिति के सचिव नियुक्त किये गये थे तथा वर्ष 1941 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में सम्मिलित हुए। 8 अगस्त, 1942 को मुंबई के अधिवेशन में शामिल हुए किंतु अधिवेशन समाप्ति के पश्चात सहपुरा स्टेशन में उन्हें बंदी बनाकर जेल भेज दिया गया। जेल से छूटने के पश्चात प्रथम विधानसभा के चुनाव में जबलपुर से निर्विरोध निर्वाचित हुए और 2 अक्टूबर, 1946 के मंत्रिमंडल में मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किए गए। वर्ष 1946 में नागपुर विश्वविद्यालय में उपकुलपति भी नियुक्त किए गए।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश पुनर्गठन के पश्चात 1 नवंबर, 1956 को नवगठित मध्य प्रदेश में विधानसभा के अध्यक्ष नियुक्त हुए। वर्ष 1956 में जबलपुर विश्व विद्यालय विधेयक पारित हुआ था और पं. कुंजीलाल दुबे को फाउंडर वाइस चांसलर नियुक्त किया गया था। वर्ष 1959 में मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी पं. कुंजीलाल दुबे नियुक्त हुए थे तथा इस सम्मेलन का उद्घाटन पं. जवाहरलाल नेहरू ने किया था। वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव में जबलपुर से पुनः निर्वाचित होने के पश्चात पं. द्वारका प्रसाद मिश्र के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री नियुक्त हुए थे। वर्ष 1964 में पं. कुंजीलाल दुबे को पद्म भूषण, वर्ष 1965 में एल. एल. डी और वर्ष 1967 में विक्रम विश्व विद्यालय, उज्जैन से डी. लीट की उपाधि द्वारा सम्मानित किया गया था। पं. कुंजीलाल दुबे का देहावसान 2 जून, 1970 को हुआ था।
विशेष: पं. कुंजीलाल दुबे ने मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा (1956-1957), द्वितीय विधानसभा (1957-1962) एवं तृतीय विधानसभा (1962-1967) में लगातार 3 बार विधानसभा अध्यक्ष पद को सुशोभित किया।
(a) श्री काशीप्रसाद पांडे
(b) श्री रत्नाकर झा
(c) श्री अर्जुन सिंह
(d) श्री रघुनाथ सिंह
व्याख्या: (a) श्री काशीप्रसाद पांडे को भारत की विधानसभाओं में सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के नाते विधानसभा का जनक निरोपित किया जाता है। श्री काशीप्रसाद पांडे ने मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा के अंतर्गत सामयिक अध्यक्ष के रूप में 29 नवंबर, 1956 से 18 दिसंबर, 1956 तक द्वितीय विधानसभा के अंतर्गत 29 जून, 1957 से 2 जुलाई, 1957 तक तथा तृतीय विधानसभा के अंतर्गत 13 मार्च, 1962 से 27 मार्च, 1962 तक पद को सुशोभित किया। इसके उपरांत मध्य प्रदेश की चतुर्थ विधानसभा में 24 मार्च, 1967 से 24 मार्च, 1972 तक अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
टिप्पणी: श्री काशीप्रसाद पांडे को लोकप्रिय व आदरणीय संबोधन के रूप में 'काका' के नाम से पुकारा जाता था।
(a) डॉ. सीताशरण शर्मा
(b) श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति
(c) श्री रामेश्वर शर्मा
(d) श्री गिरीश गौतम
व्याख्या: (d) वर्तमान में मध्य प्रदेश की 15वीं विधानसभा के अंतर्गत 22 फरवरी, 2021 को श्री गिरीश गौतम को विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। श्री गिरीश गौतम का जन्म 28 मार्च, 1953 को रीवा जिले के करोंदी गांव में हुआ था। श्री गिरीश गौतम सर्वप्रथम वर्ष 2003 में 12वीं विधानसभा के सदस्य, वर्ष 2008 में 13वीं विधानसभा के सदस्य, वर्ष 2013 में 14वीं विधानसभा के सदस्य और वर्ष 2018 में चौथी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए हैं।
(a) के.एम. चाण्डी
(b) चेप्पुदिरा मुथाना
(c) के.सी. रेड्डी
(d) निरंजन नाथ वाचू
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल प्रोफेसर के. एम. चाण्डी भारत में प्राकृतिक रबर के अध्ययन, उत्पादन व अनुसंधान में उल्लेखनीय योगदान प्रदान किया है। उन्होंने वर्ष 1966 में भारतीय रबर उत्पादन संघ की स्थापना की थी। वर्ष 1972 में उन्हें रबर बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। प्रो. के. एम. चाण्डी का जन्म केरल राज्य के कोट्टयम जिले में हुआ था। वह वर्ष 1949 में मीनाचिल तालुका सहकारी संघ के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे तथा मीनाचिल सहकारी लैंड मार्गेज बैंक की स्थापना की थी। इसके अतिरिक्त के. एम. चाण्डी ने तोझिलालली नामक साप्ताहिक समाचार पत्र का संपादन व प्रकाशन भी किया था।
विशेष: श्री के. एम. चाण्डी ने 15 मई, 1982 को पांडीचेरी के उपराज्यपाल का पद ग्रहण किया था। उसके पश्चात 6 अगस्त, 1983 को गुजरात राज्य के राज्यपाल नियुक्त हुए थे। मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में के. एम. चाण्डी का कार्यकाल 15 मई, 1984 से 30 नवंबर, 1987 तक था।
(a) न्यायाधीश जी. पी. भट्ट
(b) न्यायाधीश पी. वी. दीक्षित
(c) न्यायाधीश एम. हिदायतुल्लाह
(d) न्यायाधीश ए. एम. खानविलकर
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी, जिसका मुख्यालय जबलपुर में स्थित है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश बनने का गौरव एम. हिदायतुल्लाह को है, जिनका कार्यकाल 11 नवंबर, 1956 से 12 दिसंबर, 1958 तक था। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय के पहले मुस्लिम न्यायधीश एम. हिदायतुल्लाह ने भारत के छठवें उपराष्ट्रपति के रूप में 20 अगस्त, 1977 से 20 अगस्त, 1982 तक अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन किया। उपराष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल के समय भारत के राष्ट्रपति, नीलम संजीव रेड्डी तत्पश्चात ज्ञानी जेल सिंह थे। जस्टिस एम. हिदायतुल्लाह ने 20 जुलाई, 1969 से 24 अगस्त, 1969 तक भारत के दूसरे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की थी।
(a) वर्ष 1913
(b) वर्ष 1937
(c) वर्ष 1939
(d) वर्ष 1935
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश राज्य की विधायिका का विकास क्रम वर्ष 1913 में प्रारंभ होता है, क्योंकि 8 नवंबर, 1913 को मध्य प्रांत विधान परिषद का गठन किया गया। इसके उपरांत भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत सेंट्रल प्रोविन्स लेजिसलेटिव असेम्बली का प्रथम चुनाव वर्ष 1937 में हुआ था। इस चुनाव में 4 जुलाई, 1937 को डॉ. एल.पी. खरे के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रांत एवं बरार के प्रथम मंत्रिमंडल का गठन किया गया, जिसमें घनश्याम सिंह गुप्त को व्यवस्थापिका सभा का अध्यक्ष तथा पं. रविशंकर शुक्ल को शिक्षा मंत्री बनाया गया था किंतु दल में नीतिगत मतभेद होने के कारण डॉ. एल.पी. खरे ने त्यागपत्र दे दिया था। इसके पश्चात 29 जुलाई, 1937 को पं. रविशंकर शुक्ल ने मुख्यमंत्री का कार्यभार ग्रहण किया। वर्ष 1939 में सभी कांग्रेसी मंत्रिमंडलों ने त्यागपत्र दे दिया। इसके उपरांत पं. रविशंकर शुक्ल ने 27 अप्रैल, 1946 को दूसरी बार सेंट्रल प्रोविंस एवं बरार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी।
(a) 1 नवंबर, 1956
(b) 31 अक्टूबर, 1956
(c) 5 मार्च, 1957
(d) 17 दिसंबर, 1956
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा का गठन 1 नवंबर, 1956 को किया गया था, जिसका विघटन 5 मार्च, 1957 को हुआ। प्रथम विधानसभा का प्रथम और अंतिम अधिवेशन 17 दिसंबर, 1956 से 17 जनवरी, 1957 के मध्य संपन्न हुआ था। मध्य प्रदेश की द्वितीय विधानसभा का गठन 1 अप्रैल, 1957 को हुआ, जिसे 7 मार्च, 1962 को विघटित कर दिया गया।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा विधायिनी नामक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है।
(a) श्री राम प्रकाश गुप्ता
(b) श्री राम नरेश यादव
(c) डॉ. बलराम जाखड़
(d) डॉ. भगवत दयाल शर्मा
व्याख्या: (a) श्री राम प्रकाश गुप्ता का जन्म 26 अक्टूबर, 1923 को बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ था। वह वर्ष 1964 में उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य निर्वाचित हुए थे तथा जनसंघ पार्टी की ओर से संसदीय कार्य मंत्री भी रहे हैं। वर्ष 1967 में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री तथा वर्ष 1977 में लखनऊ विधानसभा से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हो जाने के पश्चात उद्योग मंत्री नियुक्त हुए थे। इसके अतिरिक्त 11 मार्च, 1998 से उत्तर प्रदेश राज्य योजना मंडल के उपाध्यक्ष तथा वर्ष 1993 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। श्री राम प्रकाश गुप्ता 7 मई, 2003 से 1 मई, 2004 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे हैं।
(a) 230 + 1 (आंग्ल भारतीय सदस्य)
(b) 228 + 2 (आंग्ल भारतीय सदस्य)
(c) 235 + 5 (आंग्ल भारतीय सदस्य)
(d) 238 + 3 (आंग्ल भारतीय सदस्य)
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में विधानसभा सदस्यों की संख्या वर्तमान में 230 + 1 (आंग्ल भारतीय) है। मध्य प्रदेश विधानसभा में संविधान के अनुच्छेद-333 के तहत राज्यपाल के द्वारा आंग्ल भारतीय समुदाय के एक सदस्य को मनोनित किए जाने का प्रावधान है। इसी प्रकार संविधान के अनुच्छेद-332 के अंतर्गत मध्य प्रदेश विधानसभा में अनुसूचित जातियों के लिए 35 सीट एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए 47 सीट अर्थात कुल 82 स्थान आरक्षित किए गए हैं।
टिप्पणी: 104वां संविधान संशोधन (2019) इस संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद-334 (क) में संशोधन करते हुए लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण संबंधी प्रावधान को वापस से आगामी 10 वर्षों के लिए बढ़ाते हुए इसे 26 जनवरी, 2030 तक प्रभावी किया है।
(a) 109
(b) 94
(c) 114
(d) 120
व्याख्या: (c) 15वीं विधानसभा के विधानसभा चुनाव वर्ष 2018 में संपन्न हुए थे, जिसमें कुल 230 सीटों में से 114 सीटों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की और श्री कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में सरकार का गठन हुआ तथा भारतीय जनता पार्टी को कुल 109 सीटों पर जीत प्राप्त हुई परंतु मार्च, 2019 में कांग्रेस पार्टी के कुछ विधायकों ने दल परिवर्तन कर लिया और भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गए, जिसके कारण कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई और भाजपा ने सबसे बड़े दल होने के कारण मध्य प्रदेश में श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाई।
(a) पं. रविशंकर शुक्ल
(b) डॉ. शंकर दयाल शर्मा
(c) सुल्तान मोहम्मद खां
(d) लक्ष्मीनारायण अग्रवाल
व्याख्या: (d) प्रथम आम चुनाव (वर्ष 1952) के पूर्व तक भोपाल राज्य केंद्र शासन के अंतर्गत मुख्य आयुक्त द्वारा शासित होता रहा। भोपाल राज्य को 1 जून, 1949 को भारत संघ में सम्मिलित करते हुए पार्ट-C श्रेणी के राज्य का दर्जा प्रदान किया गया और विधानसभा हेतु 30 सीटें निर्धारित की गई 30 सदस्यों में 6 सदस्य अनुसूचित जाति और सदस्य, अनुसूचित जनजाति से तथा 23 सामान्य क्षेत्रों से चुने जाते थे।
टिप्पणी: भोपाल की प्रथम विधानसभा का कार्यकाल मार्च, 1952 से अक्टूबर, 1956 तक लगभग साढ़े चार वर्ष रहा, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. शंकरदयाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष श्री सुल्तान मोहम्मद खां एवं विधानसभा उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल थे।
(a) श्री बलराम जाखड़
(b) डॉ. शंकरदयाल शर्मा
(c) श्रीमती इंदिरा गांधी
(d) अर्जुन सिंह
व्याख्या: (b) 14 मार्च, 1981 को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष श्री बलराम जाखड़ द्वारा नए विधानसभा भवन का शिलान्यास हुआ। भोपाल की अरेरा पहाड़ी पर बिड़ला मंदिर और राज्य मंत्रालय के मध्य 17 सितंबर, 1984 को इस नए भवन का निर्माण प्रारंभ किया गया, जिसका उद्घाटन 3 अगस्त, 1996 भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा के द्वारा किया गया। इस भवन का नाम भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नाम पर इंदिरा गांधी विधानसभा भवन रखा गया। इस भवन का डिजाइन प्रसिद्ध वास्तुविद् चार्ल्स कोरिया ने तैयार किया था।
नवीन विधानसभा भवन के प्रवेश द्वार पर 'जीवन वृक्ष' नामक एक विशाल पेन्टिंग निर्मित की गई है, जिसमें मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों को प्रदर्शित किया गया है। इसके मुख्य द्वार पर कुंड की संरचना निर्मित है, जिसकी भित्तियों पर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध आदिवासी चित्रकार जनगण सिंह श्याम द्वारा चित्रांकन किया गया है। इस नवीन विधानसभा भवन को वास्तुकला के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध आगा खां अवॉर्ड भी प्राप्त हो चुका है।
(a) गुलशेर अहमद
(b) श्री सीताशरण शर्मा
(c) श्रीनिवास तिवारी
(d) डॉ. राजेन्द्र सिंह
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश विधानसभा के भूतपूर्व अध्यक्ष गुलशेर अहमद सतना जिले में स्थित महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति रहे है। इसके अतिरिक्त 30 जून, 1993 से नवंबर, 1993 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे है। श्री गुलशेर अहमद का जन्म वर्ष 1921 में सतना जिले में हुआ था तथा वह वर्ष 1952 में विंध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। वर्ष 1962 में मध्य प्रदेश विधानसभा के सर्वप्रथम सदस्य निर्वाचित हुए थे और वर्ष 1972 के पांचवी विधानसभा में निर्वाचित होने के पश्चात 14 अगस्त, 1972 से 14 जुलाई, 1977 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे है।
(a) श्री एफ. ए. लेमस
(b) श्री मेजर पी. बर्नार्ड फ्लेरियो
(c) श्री मेजर एच.डी. वाइस
(d) श्रीमती जून चौधरी
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा 1 नवंबर, 1956 से 5 मार्च, 1957 तक अस्तित्व में थी, जिसमें एंग्लो इंडियन विधायक के रूप में श्री मेजर पी. बर्नार्ड फ्लेरियो को मनोनीत किया गया था। मेजर पी. बर्नार्ड ही द्वितीय विधानसभा के लिए भी एंग्लो-इंडियन सदस्य के रूप में राज्यपाल के द्वारा नामनिर्दिष्ट सदस्य थे।
टिप्पणी: संविधान के अनुच्छेद-333 के अनुसार यदि राज्यपाल को लगता है कि विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, तो वह इस वर्ग के एक व्यक्ति को मनोनीत कर सकता है।
(a) श्री एफ. ए. लेमस
(b) श्री बी. ए. ग्रेगोरी
(c) श्रीमती ई. लेमोस
(d) श्री मेजर पी. बर्नार्ड
व्याख्या: (b) भारतीय संविधान के अनुच्छेद-333 के अनुसार यदि राज्यपाल को लगता है कि विधानसभा में आंग्ल भारतीय (एंग्लो इंडियन) सदस्यों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, तो इस समुदाय के एक सदस्य का नाम निर्दिष्ट कर सकता है।
प्रथम और द्वितीय विधानसभा - श्री मेजर पी. बर्नार्ड
तृतीय एवं चतुर्थ विधानसभा - एफ. ए. लेमस
पंचम विधानसभा - फ्लोरेंस सेंट क्लेयर वाटकिंस
छटवीं विधानसभा - श्री बी. ए. ग्रेगोरी
सातवीं विधानसभा - फ्लोरेंस सेंट क्लेयर वाटकिस
आठवीं विधानसभा - मेजर एच.डी. वाइस
नवमी विधानसभा - श्रीमती ई. लेमोस
दसवीं एवं ग्यारहवीं विधानसभा - श्रीमती जून चौधरी
बारहवीं, तेरहवीं एवं चौदहवीं विधानसभा - श्रीमती लारेन बी. लोबो
पंद्रहवीं विधानसभा (वर्तमान) - जोनिफर मसाइस
(a) 2
(b) 10
(c) 12
(d) 20
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश की स्थापना के पश्चात वर्ष 1957 में विधानसभा का गठन हुआ। इस विधानसभा में सदस्यों की संख्या 218 थी, जिसमें 43 सीटें अनुसूचित जाति तथा 53 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी। मध्य प्रदेश राज्य के विधानसभा चुनाव 1957 में अखिल भारतीय जनसंघ पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी जैसे राष्ट्रीय दल ने भाग लिया एवं अखिल भारतीय हिन्दु महासभा, अखिल भारतीय राम-राज्य परिषद और ऑल इंडिया सेड्युल कास्ट फेडरेशन जैसे राज्य स्तरीय दल इस चुनाव में सम्मिलित हुए। प्रथम विधानसभा चुनाव 1957 में अखिल भारतीय जनसंघ पार्टी को 10 सीटें, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 2 सीटें, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 232 सीटें जबकि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीटें प्राप्त हुई। राज्य स्तर की अन्य पार्टी को 12 सीटें एवं निर्दलीय सदस्य रूप में 20 सदस्यों का चुनाव हुआ।
(a) 15
(b) 36
(c) 24
(d) 8
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के प्रथम विधानसभा चुनाव में वर्ष 1957 में कुल 36 महिला उम्मीदवारों ने भाग लिया था, जिसमें से 15 सीटों पर महिला उम्मीदवार निर्वाचित होकर मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा में शामिल हुई।
(a) श्री विष्णु विनायक सरवटे
(b) श्री अनंत सदाशिव पटवर्धन
(c) श्री राम किशोर शुक्ला
(d) श्री राम चंद्र महेश्वरी
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा (वर्ष 1956-57) के उपाध्यक्ष श्री विष्णु विनायक सरवटे थे, जिनका जन्म 25 अगस्त, 1906 को नीमच जिले में हुआ था। श्री विष्णु विनायक सरवटे वर्ष 1939 से 1965 तक इंदौर नगर म्युनिसिपल काउंसिल के सदस्य रहे हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष 1952 में मध्य भारत विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश के पुनर्गठन के पश्चात 24 दिसंबर, 1956 को मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित होते हुए 5. मार्च, 1957 तक आसीन रहे। वर्ष 1958 से वर्ष 1964 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे है तथा 3 अप्रैल, 1995 को उनका देहावसान हुआ था।
(a) अनुच्छेद-214
(b) अनुच्छेद-231
(c) अनुच्छेद-230
(d) अनुच्छेद-234
व्याख्या: (a) संविधान के अध्याय-5 में अनुच्छेद 214 से 232 में राज्यों के उच्च न्यायालय के बारे में प्रावधान किया गया है। उच्च न्यायालय राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय होता है। संविधान के अनुच्छेद-214 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा किंतु संविधान के अनुच्छेद-231 के तहत संसद को दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय स्थापित करने का अधिकार दिया गया है। उच्च न्यायालय का गठन संविधान के अनुच्छेद 216 के तहत किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय की भांति उच्च न्यायालय को भी अभिलेख न्यायालय घोषित किया गया है।
(a) 2 जनवरी, 1936
(b) 2 फरवरी, 1936
(c) 2 मार्च, 1926
(d) 2 अप्रैल, 1947
व्याख्या: (a) वर्तमान मध्य प्रदेश के गठन से पूर्व का प्रांत नागपुर उच्च न्यायालय के क्षेत्र में आता था। नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना 2 जनवरी, 1936 को गवर्नमेन्ट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 की धारा-108 के अंतर्गत जार्ज पंचम के आदेश से सेंट्रल प्रोविन्सेस के लिये की गयी थी। 26 जनवरी, 1950 से भारत का संविधान लागू होने के पश्चात संविधान के अनुच्छेद-225 और अनुच्छेद-372 के प्रावधानों के अनुसार निरंतरता प्रदान की गयी।
(a) जबलपुर
(b) भोपाल
(c) इंदौर
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (a) 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ। उसी समय 1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश राज्य की स्थापना के साथ ही राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 49 की उपधारा-1 के तहत मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को नागपुर से जबलपुर प्रतिस्थापित किया गया। इस तरह मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही 1 नवंबर, 1956 को जबलपुर में उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश की स्थापना हुई थी। इसी दिन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के आदेश से इस न्यायालय की एक-एक अस्थायी खंडपीठ इंदौर तथा ग्वालियर में स्थापित की गयी। बाद में 28 नवंबर, 1968 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा-51 की उपधारा (2) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन दोनों शाखाओं को स्थायी स्वरूप प्रदान किया था। जबकि प्रस्तावित तीसरी खंडपीठ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थापित की जाएगी। मध्य प्रदेश में वर्तमान में 52 जिले है, इन जिलों का अधिकार क्षेत्र अलग-अलग खंडपीठ न्यायालय में कर दिया गया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद हिदायतुल्ला थे जिन्होने 1 नवंबर, 1956 से 12 दिसंबर, 1958 तक अपनी सेवाएं दी थीं।
(a) न्यायमूर्ति ए. के. पटनायक
(b) न्यायमूर्ति आर. बी. रविंद्रन
(c) न्यायमूर्ति एस. के. झा
(d) न्यायमूर्ति ए. के. माथुर
व्याख्या: (c) न्यायमूर्ति एस. के. झा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 13वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश थे, जिनका कार्यकाल 27 अक्टूबर, 1979 से 15 दिसंबर, 1993 तक था किंतु वह भारत के उच्चतम न्यायालय (सर्वोच्च न्यायालय) के कभी भी न्यायाधीश नहीं रहे हैं।
(a) हेनरी इरविन
(b) राजा गोकुलदास
(c) चार्ल्स कोरिया
(d) पी. वी. नावलेकर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर का भवन पाश्चात्य शैली में निर्मित है तथा इस भवन की डिजाइन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी हेनरी इरविन ने बनायी थी। यह विशाल भवन राजा गोकुलदास ने वर्ष 1899 में कुल तीन लाख रूपए में बनवाया था। भवन स्थापत्य कला की एक बहुत ही सुंदर कृति है। इस भवन में मध्य प्रदेश के न्यायमूर्तिगण और अधिवक्ता न्यायदान की प्रक्रिया संचालित करते हैं।
(a) डॉ. मोहम्मद सफी कुरैशी
(b) कुंवर महमूद अली खां
(c) श्री चेप्पुदिरा मुथाना
(d) श्री के. एम. चाण्डी
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल डॉ. मोहम्मद सफी कुरैशी जम्मू एवं कश्मीर नैशनल कांग्रेस तथा क्रिसेन्ट एजूकेशन सोसायटी नई दिल्ली के संस्थापक व अध्यक्ष थे। डॉ. मोहम्मद सफी कुरैशी का जन्म 24 नवंबर, 1929 को श्रीनगर में हुआ था। डॉ. मोहम्मद सफी कुरैशी वर्ष 1965-67 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। उसके पश्चात चौथी लोकसभा के अंतर्गत वर्ष (1967-70) लोकसभा सदस्य, पांचवीं लोकसभा (वर्ष 1971-77) में लोकसभा सदस्य एवं वर्ष 1977-79 में छठवीं लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे।
टिप्पणी- डॉ. सफी मोहम्मद कुरैशी 28 जनवरी, 1966 से 14 फरवरी, 1969 तक वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार में उपमंत्री, 15 फरवरी, 1969 से 2 मई, 1971 तक इस्पात और भारी इंजिनियरिंग में उपमंत्री, वर्ष 1974-77 में केंद्रीय रेल (राज्यमंत्री) तथा 31 जुलाई, 1979 को नागरिक उड्डयन तथा पर्यटन मंत्री नियुक्त हुए थे।
विशेष - डॉ. मोहम्मद सफी कुरैशी ने 19 मार्च, 1991 से 13 अगस्त, 1993 तक बिहार के राज्यपाल और साथ-साथ 2 बार पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का दायित्व निर्वाहन किया था तथा 24 जून, 1993 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त हुए थे, जिनका कार्यकाल 21 अप्रैल, 1998 तक था।
(a) भारत की समेकित निधि से
(b) मध्य प्रदेश की समेकित निधि से
(c) भारत की आकस्मिकता निधि से
(d) मध्य प्रदेश की आकस्मिकता निधि से
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन एवं भत्ते संविधान के अनुच्छेद-202 (3, घ) के अनुसार, राज्य की संचित (समेकित) निधि से दिए जाते है, किंतु संविधान के अनुच्छेद-112 (3, घ) के तहत इन्हें पेंशन भारत सरकार की संचित निधि से दी जाती है।
(a) न्यायमूर्ति आर. एम. लोढा
(b) न्यायमूर्ति जे. एस. वर्मा
(c) न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर
(d) न्यायमूर्ति रंग नाथ मिश्र
व्याख्या: (b) जे.एस. वर्मा का जन्म मध्य प्रदेश के सतना जिले में 18 जनवरी, 1933 को हुआ भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश जे. एस. वर्मा, वर्ष 1973 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश और वर्ष 1986 में मुख्य न्यायाधीश बने। इसके बाद वर्ष 1989 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और वर्ष 1997 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति जे. एस. वर्मा (वर्ष 1999-2003) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तीसरे अध्यक्ष भी रहे है। 22 अप्रैल, 2013 को जे. एस. वर्मा का निधन हो गया। वर्ष 2013 में ही इन्हें मरणोपरांत पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। भोपाल गैस त्रासदी (2-3 दिसंबर, 1984) के समय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री जी. एल. ओझा थे जबकि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ थे।
(a) टी.टी. कृष्णामाचारी
(b) वी. टी. कृष्णामाचारी
(c) एच.सी. मुखर्जी
(d) फ्रेन्क एंथोनी
व्याख्या: (d) संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 को संपन्न हुई थी, जिसमें डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष चुना गया था तथा उनके आग्रह पर फ्रेन्क एन्थोनी को उपसभापति मनोनीत नियुक्त किया गया था। किंतु 11 दिसंबर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष और एस.सी. मुखर्जी को उपाध्यक्ष तथा सर बी. एन. राव को संविधान का सलाहकार नियुक्त किया गया था।
टिप्पणी: फ्रेन्क एंथोनी (Frank Anthony) एंग्लो इंडियन नेता थे, जिनका जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में 25 सितंबर, 1908 को हुआ था।
(a) अनुच्छेद-230
(b) अनुच्छेद-231
(c) अनुच्छेद-232
(d) अनुच्छेद-233
व्याख्या: (d) भारतीय संविधान के भाग-VI के अध्याय-6 के अनुच्छेद-233 में जिला न्यायाधीश शब्द का उल्लेख किया गया है, जिसके अंतर्गत जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद-233 में किया गया है। इसमें कहा गया है कि किसी राज्य में जिला न्यायाधीश की नियुक्ति, पदस्थापन तथा पदोन्नति उस राज्य के राज्यपाल द्वारा उस राज्य के उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात किया जाएगा। कोई व्यक्ति जिला न्यायाधीश के पद पर तभी नियुक्त किया जाएगा, जबकि वह पहले से ही संघ या राज्य की न्यायिक सेवा में हो या कम-से-कम 7 वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में कार्य किया हो और उसकी नियुक्ति की उच्च न्यायालय ने सिफारिश की हो।
(a) न्यायमूर्ति ए. के. पटनायक
(b) न्यायमूर्ति ए. के. माथुर
(c) न्यायमूर्ति आर. वी. रविंद्रन
(d) न्यायमूर्ति एस. के. झा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति आर.वी. रविंद्रन ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद पर आसीन रहते हुए कृष्णा-गोदावरी बेसिन विवाद, ओ.बी.सी. आरक्षण और वर्ष 1993 के बॉम्बे ब्लास्ट आदि के संदर्भ में महत्वपूर्ण निर्णय प्रदान करते हुए अभूतपूर्व न्यायाधीश की भूमिका का निर्वहन किया है। श्री आर.वी. रविंद्रन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 18वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश थे, जिनका कार्यकाल 8 जुलाई, 2004 से 8 सितंबर, 2005 तक था। वर्ष 2005 में आर. बी. रविंद्रन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे।
टिप्पणी: Anomalies in Law and Justice सेवा निवृत्त न्यायाधीश आर. वी. रविंद्रन की पुस्तक है।
(a) 65 वर्ष
(b) 60 वर्ष
(c) 62 वर्ष
(d) 58 वर्ष
व्याख्या: (c) संविधान के अनुच्छेद-217 के अनुसार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय या अन्य उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है। संविधान के अनुच्छेद-217 (1) में 15वें संविधान संशोधन, 1963 (तब 60 वर्ष थी) द्वारा यह उम्र सीमा निर्धारित की गई है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने हेतु 114वां संविधान संशोधन विधेयक संसद के विचाराधीन है।
(a) न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक
(b) न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव
(c) न्यायमूर्ति अनिल वर्मा
(d) न्यायमूर्ति रवि मलिकमठ विजयपुर
व्याख्या: (d) श्री न्यायमूर्ति रवि मलिकमठ विजयकुमार को 14 अक्टूबर, 2021 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 30वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसके पूर्व, न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के रूप में कार्यवाहक नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति रफीक ने 26वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और उन्होंने 3 जनवरी, 2021 को शपथ ली थी।
न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक का जन्म 25 मई, 1960 को राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ में हुआ था। उन्होंने बी.कॉम (1980), एल.एल.बी. (1984) और एम.कॉम (1986) राजस्थान विश्वविद्यालय से की थी। 8 जुलाई, 1984 को बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में नामांकित होने के बाद वे अधिवक्ता के रूप में कार्यरत रहे।
(a) न्यायमूर्ति विशाल धगत
(b) न्यायमूर्ति अनिल वर्मा
(c) न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार सिंह
(d) न्यायमूर्ति दीपक कुमार
व्याख्या: (b) न्यायमूर्ति अनिल वर्मा का जन्म 16 मार्च, 1964 को अविभाजित मध्य प्रदेश के विलासपुर में हुआ था तथा वह अपने पिता श्री के.के. वर्मा (सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश) से प्रेरित होकर वर्ष 1987 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में सम्मिलित हुए।
(a) श्री अरविंद शुक्ला
(b) श्री मोहम्मद रफीक
(c) श्री ऋषि कुमार शुक्ला
(d) श्री पुरुषेंद्र कौरव
व्याख्या: (d) 26 मार्च, 2020 को श्री पुरुषेंद्र कौरव को द्वितीय बार मध्य प्रदेश का महाधिवक्ता पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पूर्व जून, 2017 से दिसंबर, 2018 तक मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया था। 13 अक्टूबर 2021 को 19वें क्रम के महाधिवक्ता के रूप में श्री प्रशांत सिंह को नियुक्त किया गया है। महाधिवक्ता (Advocate General) किसी राज्य का उच्च विधि अधिकारी होता है। महाधिवक्ता की नियुक्ति का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 165 के अंतर्गत किया गया है। राज्य के राज्यपाल द्वारा महाधिवक्ता की नियुक्ति की जाती है।
(a) राम प्रकाश गुप्ता
(b) राम नरेश यादव
(c) डॉ. बलराम जाखड़
(d) डॉ. भगवत दयाल शर्मा
व्याख्या: (d) डॉ. भगवत दयाल शर्मा का जन्म 26 जनवरी, 1918 को हरियाणा राज्य के रोहतक (बेरो) में हुआ था। वर्ष 1941-46 तक आप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित रहे तथा वर्ष 1959-65 में भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। डॉ. भगवत दयाल शर्मा वर्ष 1962-66 में पंजाब विधानसभा के सदस्य तथा श्रम और सहकारिता राज्य मंत्री रहे उसके पश्चात जब हरियाणा राज्य का गठन हुआ तब वर्ष 1966-67 में हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री नियुक्त हुए।
टिप्पणी: डॉ. भगवत दयाल शर्मा वर्ष 1968-74 में राज्य सभा सदस्य तथा वर्ष 1977 में 6वीं लोकसभा के सदस्य भी रहे हैं। 23 सितंबर, 1977 को सर्वप्रथम उड़ीसा राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उसके पश्चात 30 अप्रैल, 1980 से 25 मई, 1981 तक तथा 10 जुलाई, 1981 से 14 मई, 1984 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल पद को सुशोभित किया है।
विशेष: डॉ. भगवत दयाल शर्मा ने वर्ष 1957 और 1958 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (जिनेवा, स्विट्जरलैंड में भारतीय श्रमिकों का 2 बार प्रतिनिधित्व किया है।
(a) न्यायमूर्ति श्री गुरू प्रसन्न सिंह
(b) न्यायमूर्ति श्री एन. डी. ओझा
(c) न्यायमूर्ति श्री कृष्ण मोहन सेठ
(d) न्यायमूर्ति पी. वी. दीक्षित
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व कार्यवाहक राज्यपाल न्यायमूर्ति श्री गुरू प्रसन्न सिंह का जन्म विंध्य प्रदेश के अंतर्गत रीवा जिले के रायपुर ग्राम में 3 जनवरी, 1922 को हुआ था। न्यायमूर्ति श्री गुरू प्रसन्न सिंह ने वर्ष 1944 में रीवा से वकालत प्रारंभ की थी तथा वर्ष 1946-56 में ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय (TRS), रीवा में सिविल लॉ के अंशकालिक व्याख्याता रहे। वर्ष 1954 में विंध्य प्रदेश के न्यायिक कमिश्नर्स कोर्ट में अधिवक्ता रहे तथा वर्ष 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के पश्चात जबलपुर उच्च न्यायालय में वकालत प्रारंभ की थी। उसके पश्चात वर्ष 1967 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में अतिरिक्त न्यायाधीश तथा वर्ष 1968 में न्यायाधीश नियुक्त हुए।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश के भूतपूर्व कार्यवाहक राज्यपाल न्यायमूर्ति श्री गुरू प्रसन्न सिंह ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में 8वें क्रम 'मुख्य न्यायाधीश के रूप में 27 जुलाई, 1978 से 3 जनवरी, 1984 तक कार्य किया है तथा मध्य प्रदेश के राज्यपाल के संदर्भ में 10वें क्रम के राज्यपाल के रूप में 26 मई, 1981 से 9 जुलाई, 1981 तक आसीन रहे हैं।
विशेष: न्यायमूर्ति श्री गुरू प्रसन्न सिंह (जी. पी. सिंह) मध्य प्रदेश के राज्यपाल के संदर्भ में प्रदेश के दूसरे कार्यवाहक राज्यपाल रहे है। न्यायमूर्ति श्री गुरू प्रसन्न सिंह की Principles of Statutory Interpretation प्रसिद्ध पुस्तक है तथा 5 अक्टूबर, 2013 को आप का देहावसान हुआ था।
(a) न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबड़े
(b) न्यायमूर्ति आर. सी. लाहोटी
(c) न्यायमूर्ति जे. एस. वर्मा
(d) न्यायमूर्ति मोहम्मद हिदायतुल्लाह
व्याख्या: (b) वर्ष 2022 तक की स्थिति में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 3 न्यायमूर्ति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
(a) उत्तर प्रदेश
(b) झारखंड
(c) कर्नाटक
(d) छत्तीसगढ़
व्याख्या: (c) श्री रामेश्वर ठाकुर का जन्म 28 जुलाई, 1937 को झारखंड के मोड्डा में हुआ था तथा वर्ष 1942 के भारत छोड़ों आंदोलन में सक्रिय भागीदारी एवं संथाल परगना (झारखंड) के राज महाल हिल्स में लगभग 6 माह तक भूमिगत रहे थे। वर्ष 1984-90 एवं वर्ष 1990-96 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे तथा वर्ष 1991 से वर्ष 1994 तक केंद्र सरकार में वित्त (राजस्व), ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे हैं। उसके पश्चात सर्वप्रथम 17 नवंबर, 2004 को उड़ीसा के राज्यपाल नियुक्त हुए थे तथा 29 जनवरी, 2006 से 21 अगस्त, 2007 तक आंध्र प्रदेश के कार्यवाहक राज्यपाल एवं 21 अगस्त, 2007 से 29 जून, 2009 तक कर्नाटक के राज्यपाल रहे हैं। भूतपूर्व राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर 30 जून, 2007 को मध्य प्रदेश में राज्यपाल नियुक्त होने के पूर्व कर्नाटक राज्य के राज्यपाल थे। मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में श्री रामेश्वर ठाकुर का कार्यकाल 30 जून, 2009 से 7 सितंबर, 2011 तक था।
(a) श्री राम नरेश यादव
(b) श्रीमती आनंदीबेन पटेल
(c) श्री भगवत दयाल शर्मा
(d) श्री ओम प्रकाश कोहली
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल श्री राम नरेश यादव का जन्म 1 जुलाई, 1928 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था। श्री राम नरेश यादव सर्वप्रथम वर्ष 1978-79 वर्ष 1985-88 एवं वर्ष 1996 से 2007 तक उत्तर प्रदेश के विधानसभा सदस्य रहे तथा 23 जून 1977 से 15 फरवरी, 1979 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 1977 में 6वीं लोकसभा के सदस्य एवं वर्ष 1988-94 में राज्यसभा के सदस्य हुए थे। श्री राम नरेश यादव ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में 8 सितंबर, 2011 से 7 सितंबर 2016 तक पद को सुशोधित किया।
(a) केंद्र और राज्यों के बीच के विवाद
(b) राज्यों के परस्पर विवाद
(c) मूल अधिकारों का संरक्षण
(d) संविधान के उल्लंघन के संरक्षण
व्याख्या: (c) मूल अधिकारों का संरक्षण उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों की अधिकारिता में आते हैं। अतः इस हेतु उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद-32 के अंतर्गत एवं उच्च न्यायालय को अनुच्छेद 226 के 'अंतर्गत रिट जारी करने की शक्ति दी गई है। इसके तहत उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा निम्न प्रकार की रिट जारी की जा सकती है:
- 1. बंदी प्रत्यक्षीकरण
- 2. परमादेश
- 3. प्रतिषेध
- 4. उत्प्रेषण
- 5. अधिकार पृच्छा
(a) कुंवर महमूद अली खां
(b) डॉ. मोहम्मद सफी कुरैशी
(c) डॉ. भाई महावीर
(d) श्री निरंजन नाथ वान्चु
व्याख्या: (a) कुंवर महमूद अली खां का जन्म 16 जून, 1920 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था तथा उनके पूर्वज राजपूत (परमार वंश) मुस्लिम राजा भोज और उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य तथा पूर्व काल की धारा नगरी (धार जिला ) के कल्याण सिंह के वंशज थे। कुंवर महमूद अली खां के पूर्वज राव मोजी सिंह ने विक्रम संवत-1411 में फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। कुंवर महमूद अली खां सर्वप्रथम वर्ष 1957 में उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के दासना विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे। वर्ष 1967 में चौधरी चरण सिंह के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़कर जिला जन कांग्रेस बाद में भारतीय क्रांति दल के संस्थापक अध्यक्ष और जन कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने थे।
टिप्पणी: कुंवर महमूद अली खां वर्ष 1968 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य नियुक्त किये गए थे तथा 6 फरवरी 1990 से 23 जून, 1993 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में आसीन थे। कुंवर महमूद अली खां मध्य प्रदेश के प्रथम मुस्लिम समुदाय से संबंध रखने वाले राज्यपाल थे।
(a) 16 अक्टूबर, 2012 से 11 अप्रैल, 2013
(b) 16 नवंबर, 2011 से 14 मार्च, 2012
(c) 8 अप्रैल, 2012 से 23 मार्च, 2013
(d) 24 दिसंबर, 2011 से 10 नवंबर, 2012
व्याख्या: (a) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना एवं गठन का प्रावधान है। न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबड़े ने 18 नवंबर, 2019 को भारत के क्रम के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होकर 24 अप्रैल, 2021 तक सेवा प्रदान की। न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबड़े इससे पूर्व मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (16 अक्टूबर, 2012 से 11 अप्रैल, 2013) रह चुके है तथा वे मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रह चुके है। हीरालाल जी कानिया भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे।
(a) 48
(b) 56
(c) 53
(d) 46
व्याख्या: (c) भारतीय संविधान के अनुच्छेद-214 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीशों के कुल 53 पद स्वीकृत है। 25 जून, 2021 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 6 न्यायमूर्तियों क्रमशः न्यायमूर्ति अनिल वर्मा, न्यायमूर्ति अरुण शर्मा, न्यायमूर्ति सत्येंद्र सिंह, न्यायमूर्ति सुनीता यादव, न्यायमूर्ति दीपक अग्रवाल, न्यायमूर्ति राजेन्द्र वर्मा की नियुक्ति की गई है, जिनकों सम्मिलित करते हुए मुख्य न्यायाधीश सहित वर्तमान में कार्यरत कुल न्यायाधीशों की संख्या 35 है तथा 18 पद रिक्त है।
(a) न्यायमूर्ति नंदिता दुबे
(b) न्यायमूर्ति अंजली पालो
(c) न्यायमूर्ति सुनीता यादव
(d) न्यायमूर्ति सरोजनी सक्सेना
व्याख्या: (c) न्यायमूर्ति सुनीता यादव मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 25 जून, 2021 को नियुक्त हुई है। वह 7 सितंबर, 1987 को अविभाजित मध्य प्रदेश के रायपुर (वर्तमान छत्तीसगढ़) से मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में सम्मिलित हुई थी। न्यायमूर्ति सुनीता यादव ने भोपाल गैस पीड़ित में उप कल्याण आयुक्त तथा दिल्ली विद्युत नियमक आयोग ने कार्यकारी निर्देशक (कानून) के रूप में कर्त्तव्यों का निर्वहन किया है। न्यायमूर्ति सुनीता यादव का विवाह भारतीय वन सेवा के अधिकारी श्री एस.पी. यादव से हुआ था, जो वर्तमान में प्रोजेक्ट टाइगर के अतिरिक्त महानिदेशक है।
टिप्पणी: न्यायमूर्ति अंजली पालो एवं नंदिता दुबे भी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं, जो 17 मार्च, 2018 से स्थायी न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। वर्तमान में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अंतर्गत 3 महिला न्यायाधीश क्रमशः न्यायमूर्ति अंजली पालो, न्यायमूर्ति नंदिता दुबे एवं न्यायमूर्ति सुनीता यादव पदस्थ हैं।
विशेष: न्यायमूर्ति सरोजनी सक्सेना मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की प्रथम महिला न्यायाधीश थीं।
(a) न्यायमूर्ति एम. हिदायतुल्लाह
(b) न्यायमूर्ति जी. पी. भट्ट
(c) न्यायमूर्ति यू. एल. भट्ट
(d) न्यायमूर्ति पी. के. तारे
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय के पहले मुस्लिम न्यायाधीश एम. हिदायतुल्लाह ने भारत के छठवें उपराष्ट्रपति के रूप में 20 अगस्त, 1977 से 20 अगस्त, 1982 तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उपराष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल के समय भारत के राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी तत्पश्चात ज्ञानी जेल सिंह थे।
टिप्पणी: न्यायमूर्ति एम. हिदायतुल्लाह ने 20 जुलाई, 1969 से 24 अगस्त, 1969 तक भारत के दूसरे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की।
(a) मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
(b) इलाहाबाद हाईकोर्ट
(c) मद्रास हाईकोर्ट
(d) छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
व्याख्या: (a) वर्ष 2017-18 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट भारत का पहला डिजिटल हाईकोर्ट बन गया है, जिससे न्यायालय पक्षकारों, वकीलों को उनके मामलों की तारीख, वर्तमान स्थिति, कोर्ट के आदेश ऑनलाइन उपलब्ध करा रहा है। न्यायालय में उपलब्ध सॉफ्टवेयर लिस्टिंग नीति के अंतर्गत श्रेणियों के लिहाज से स्वतः समुचित खंडपीठ के समक्ष सूचीकरण कर अगली सुनवाई की तारीख नियत कर देता है।
(a) न्यायमूर्ति श्यामल कुमार सेन
(b) न्यायमूर्ति संजय यादव
(c) न्यायमूर्ति रविशंकर झा
(d) न्यायमूर्ति एस. के. सेठ
व्याख्या: (a) न्यायमूर्ति श्यामल कुमार सेन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नहीं रहे हैं किंतु उन्होंने उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय, प्रयागराज में 37वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश के रूप में 8 मई, 2000 से 24 नवंबर, 2002 तक अपनी सेवाएं प्रदान की।
(a) इंदौर
(b) भोपाल
(c) जबलपुर
(d) सागर
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में पर्यावरण न्यायालय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना प्रदेश की राजधानी भोपाल में की गई है। पर्यावरण संबंधी कानूनों के प्रभावी कार्यांवयन व पर्यावरण के अधिकारों की सुरक्षा के लिए 'राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण' अक्टूबर, 2010 में अस्तित्व में आ गया। इसके गठन की अधिसूचना 18 अक्टूबर, 2010 को जारी की गई। इस हेतु आवश्यक विधेयक संसद के दोनों सदनों में मई, 2010 में पारित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण का अध्यक्ष दिसंबर, 2012 में नियुक्त किया गया है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली तथा क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, कलकत्ता, चेन्नई व पुणे में स्थित है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के वर्तमान अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश श्री आदर्श कुमार गोयल है।
टिप्पणी: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के किसी भी निर्णय से व्यथित कोई व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय में 90 दिन के भीतर अपील दायर कर सकता हैं।
(a) भोपाल
(b) इंदौर
(c) ग्वालियर
(d) रीवा
व्याख्या: (a) ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 के अंतर्गत मध्य प्रदेश का पहला ग्राम न्यायालय भारत सरकार के प्रयासों से 2 अक्टूबर, 2009 को भोपाल के बेरसिया में स्थापित किया गया है, जिसका उद्घाटन महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश श्री अनंत कुमार पटनायक ने किया था।
टिप्पणी: विधि एवं न्याय मंत्रालय ने न्याय प्रणाली को आम जन मानस के निकट ले जाने के लिये 'ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008' संसद में पारित किया। इसके तहत 2 अक्टूबर, 2009 से मध्य प्रदेश में ग्राम न्यायालय, भोपाल (बैरसिया) कार्य करने लगा। ग्राम न्यायालय में प्रथम श्रेणी में मजिस्ट्रेट स्तर का न्यायाधीश होता है, जिसे 'न्यायाधिकारी' कहा जाता है। इसकी नियुक्ति संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार करती है।
(a) जबलपुर
(b) नीमच
(c) कटनी
(d) खरगोन
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश ग्राम न्यायालय अधिनियम, 1997 24 अप्रैल, 1997 तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा की मंजूरी के पश्चात 19 मई, 1997 को प्रकाशित हुआ, जिसके प्रावधानों के अनुसार मध्य प्रदेश में पहला ग्राम न्यायालय 11 दिसंबर, 2001 को नीमच जिले के ग्राम झांतला में स्थापित किया गया। ध्यातव्य हो कि बैरसिया (भोपाल) ग्राम न्यायालय की स्थापना भारत सरकार तथा झांतला ग्राम न्यायालय की स्थापना मध्य प्रदेश सरकार के प्रयास से की गई है।
(a) वर्ष 1993
(b) वर्ष 1999
(c) वर्ष 2001
(d) वर्ष 2003
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में लंबित पड़े आपराधिक मामलों को त्वरित रूप से निपटाने के लिए 11 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर 1 अप्रैल, 2001 में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की गई। राज्य में कुल 85 फास्ट ट्रैक न्यायालय स्थापित हैं। महिलाओं से संबंधित मामलों के लिए प्रदेश की राजधानी भोपाल में फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रस्तावित है।
(a) जिला मुख्यालयों में
(b) संभागीय मुख्यालयों में
(c) विकासखंड मुख्यालयों में
(d) राज्य की राजधानी में
व्याख्या: (b) कुटुम्ब न्यायालय पारिवारिक विवादों के निराकरण के लिए गठित विशेष प्रकार के न्यायालय हैं संक्षिप्त में, यह न्यायालय विवाह विवाद, तलाक, भरणपोषण, संरक्षण एवं पति-पत्नी की सम्पत्ति से संबंधित वादों का निराकरण करते हैं। इनका गठन कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम, 1984 (अधिनियम संख्या 83) के अंतर्गत किया गया है। इस अधिनियम द्वारा न्यायालय को पारिवारिक विवादों में मैत्रीपूर्ण समझौतों को बढ़ावा देने के लिए स्वविवेक का प्रयोग करने का अधिकार दिया गया है। विवाद की सच्चाई पता लगाने के लिए न्यायालय अपनी प्रक्रिया स्वयं निर्धारित कर सकता है। सामान्यत: विवादों में वकीलों की उपस्थित नहीं होती, लेकिन जटिल विषयों पर वकीलों को प्रस्तुत होने की अनुमति दी जा सकती है। विभिन्न विषयों पर निर्णय करते समय कुटुम्ब संबंधों और परामर्शदाताओं की सेवाएं ली जा सकती हैं। उच्च न्यायालय में कुटुम्ब न्यायालयों के निर्णयों एवं आदेशों के विरुद्ध अपील की जा सकती है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद-106 के तहत उच्चतम न्यायालय में भी अपील की जा सकती है। सर्वप्रथम भारत में पारिवारिक न्यायालय की स्थापना राजस्थान के जयपुर में की गई थी। भारत में विधि आयोग की 59वीं रिपोर्ट में कुटुम्ब न्यायालय के गठन की सिफारिश की गई थी।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की अनुशंसा पर मध्य प्रदेश कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम, 1984 (1984 का संख्यक 66) की धारा-4 सहपठित मध्य प्रदेश कुटुम्ब न्यायालय नियम, 2002 के नियम-3 के अंतर्गत उच्चतम न्यायिक सेवा के न्यायिक अधिकारीगण को कुटुम्ब न्यायालयों में प्रधान-अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की जाती है। मध्य प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों में कुटुम्ब न्यायालय (परिवार न्यायालय) की स्थापना की गई है।
(a) 17 अगस्त, 1993
(b) 17 अगस्त, 1994
(c) 17 सितंबर, 1993
(d) 17 सितंबर, 1994
व्याख्या: (a) राष्ट्रीय न्यायिक प्रशिक्षण अकादमी भोपाल के स्थापना की स्वीकृति 17 अगस्त, 1993 को प्रदान की गई थी। राष्ट्रीय न्यायिक प्रशिक्षण अकादमी भोपाल की स्थापना का सुझाव वर्ष 1994 में सर्वप्रथम मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम. एन. वेंकटचलैया के समक्ष प्रस्तुत किया था। राष्ट्रीय न्यायिक प्रशिक्षण अकादमी भोपाल का शिलान्यास 11 सितंबर, 1994 को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. एन. वेंकटचलैया तथा उद्घाटन 5 सितंबर, 2002 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने किया था।
(a) ग्वालियर
(b) भोपाल
(c) इंदौर
(d) जबलपुर
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में राज्य अधीनस्थ न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए प्रशिक्षण संस्थान बनाने का सर्वप्रथम विचार वर्ष 1974 में रखा गया था तथा वर्ष 1989 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अधीन जबलपुर में प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसे वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश उल भट्ट के अथक प्रयासों के कारण राज्य न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने के लिए सर्वसम्मति प्रदान की गई। मध्य प्रदेश सरकार के आदेश क्रमांक F17 (E) 2/88 / 21-B (1) द्वारा 23 मार्च, 1994 को जबलपुर में न्यायिक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी (MPSJA) की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त मध्य प्रवेश अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान (JOTI) की भी स्थापना जबलपुर में की गई है।
विशेष: मध्य प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर के गोहरबाग में घामापुर रोड के समीप स्थापित की गई है, जिसके प्रथम पूर्व न्यायाधीश प्रभारी न्यायमूर्ति श्री उल भट्ट तथा प्रथम निर्देशक श्री बी. के. श्रीवास्तव थे। वर्तमान में इसके निर्देशक श्री प्रदीप कुमार व्यास हैं।
(a) माधवराव सिंधिया
(b) कल्याण कुमार
(c) प्रमोद महाजन
(d) पृथ्वीराज चौहान
व्याख्या: (d) कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चौहान का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में 17 मार्च, 1946 को हुआ था। उन्होंने महाराष्ट्र में 17वें क्रम के मुख्यमंत्री के रूप में 11 नवंबर, 2010 से 26 सितंबर, 2014 तक कार्य किया है। वह 13 मार्च, 2002 से 20 सितंबर, 2010 तक राज्यसभा सदस्य तथा 3 मई, 1991 से 20 जून, 1999 तक लोकसभा सदस्य भी रहे।
(a) इंदौर
(b) भोपाल
(c) जबलपुर
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश औद्योगिक अधिनियम, 1996 की धारा- 9 के अंतर्गत प्रदेश में औद्योगिक न्यायालय स्थापित किये गये हैं, जिसका मुख्यालय इंदौर में स्थित है तथा 4 अन्य खंडपीठें क्रमशः जबलपुर, ग्वालियर, रीवा एवं भोपाल में स्थापित की गई हैं। औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा- क के अंतर्गत औद्योगिक न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में भी नियुक्त हैं।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश औद्योगिक अधिनियम, 1960 की धारा 8, सहपठित औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 7 के अंतर्गत 25 श्रम न्यायालय गठित है, जिनमें से 23 न्यायालय नियमित रूप में कार्यरत हैं।
विशेष: मध्य प्रदेश में औद्योगिक स्वास्थ्य केंद्र एवं विज्ञान प्रयोगशाला इंदौर में स्थित है, जिसका एक उपक्षेत्रीय कार्यालय मंदसौर में भी स्थापित किया गया है।
(a) 21 सीट
(b) 22 सीट
(c) 25 सीट
(d) 20 सीट
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश का विभाजन कर 1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया, इस विभाजन के पश्चात वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में कुल 29 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को 25 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 16, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 12 और बसपा को 1 सीट पर जीत प्राप्त हुई। वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हुए। इस चुनाव मध्य प्रदेश की कुल 29 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को 27 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 2 सीटें (छिंदवाड़ा व गुना संसदीय सीट) प्राप्त हुई। वर्ष 2018 में 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हुए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने देश के साथ मध्य प्रदेश में भी ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 28 सीटें और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एकमात्र छिंदवाड़ा संसदीय सीट से जीत प्राप्त हुई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार श्री नकुलनाथ ने इस सीट से विजय प्राप्त की।
टिप्पणी: वर्ष 2014 के 16वीं लोकसभा के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 27 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 2 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी परंतु आम चुनाव के कुछ समय पश्चात मध्य प्रदेश राज्य के शहडोल और झाबुआ संसदीय क्षेत्र में वहां से चुने हुए सांसदों के दिवंगत हो जाने के कारण पुन: उपचुनाव संपन्न हुए। इसमें झाबुआ संसदीय सीट से कांग्रेस के कांतिलाल भुरिया ने और शहडोल (अ.ज.जा.) संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के श्री ज्ञानसिंह ने जीत दर्ज की। इस प्रकार 16वीं लोकसभा में 26 सीटें भारतीय जनता पार्टी की व 3 सीटें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की थी। 2 मार्च, 2021 को मध्य प्रदेश के खंडवा लोकसभा सीट से निर्वाचित श्री नंदकुमार चौहान के निधन के पश्चात वर्तमान में 1 लोकसभा सीट रिक्त है।
(a) यमुना देवी
(b) राधा देवी
(c) संपतिया उइके
(d) कविता उड़के
व्याख्या: (c) केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन के पश्चात 31 जुलाई, 2017 को संपन्न हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की आदिवासी नेता श्रीमती संपतिया उड़के को राज्यसभा सदस्य चुना गया था, जिनका कार्यकाल 29 जून, 2022 तक है। संपतिया उइके ने 3 अगस्त, 2017 को उच्च सदन (राज्यसभा) की सदस्यता की शपथ ग्रहण की थी। संपतिया उइके मंडला जिला पंचायत से 3 बार जिला अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो चुकी तथा उन्हें वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया था किंतु वह चुनाव हार गई थी।
(a) 20
(b) 15
(c) 11
(d) 09
व्याख्या: (c) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा के गठन का प्रावधान है। राज्यसभा संसद का उच्च सदन है, जबकि लोकसभा संसद का निम्न सदन है। राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है। वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य है, जिसमें से 229 सदस्य राज्य का प्रतिनिधित्व करते है, 4 संघ राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनित किए जाते हैं। संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यसभा के लिए राज्यों व संघराज्य क्षेत्रों के लिए सीटों के आवंटन का वर्णन किया गया है। मध्य प्रदेश में राज्य सभा सीटों की कुल संख्या 11 है।
(a) 04
(b) 05
(c) 06
(d) 07
व्याख्या: (c) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81 में लोकसभा के संघटन का प्रावधान किया गया है। लोकसभा में राज्यों के प्रतिनिधि राज्यों के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। लोकसभा की अधिकतम संख्या 552 निर्धारित की गई है। इसमें से 530 राज्यों के प्रतिनिधि, 20 संघराज्य क्षेत्र के प्रतिनिधि होते हैं। वर्तमान में लोकसभा में 545 सदस्य हैं, इसमें से 530 सदस्य राज्य से 13 सदस्य संघराज्य क्षेत्र से और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद-331 के अंतर्गत आंग्ल भारतीय समुदाय से नामित होते हैं। मध्य प्रदेश लोकसभा सीटों की कुल संख्या 29 है, जिसमें अनारक्षित लोकसभा क्षेत्र 19 तथा आरक्षित लोकसभा क्षेत्र कुल 10 (अनुसूचित जाति-4 एवं अनुसूचित जनजाति-6) है।
(a) 48
(b) 38
(c) 35
(d) 29
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं और 16वीं लोकसभा के लिए वर्ष 2014 में चुनाव संपन्न करवाए गए थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी को 27 तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 2 सीटें (छिंदवाड़ा व गुना) प्राप्त हुई थीं। वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा क्षेत्र के लिए मध्य प्रदेश में संपन्न चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को 28 सीटें तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एकमात्र सीट छिंदवाड़ा (श्री नकुलनाथ) से विजय प्राप्त हुई।
(a) शहडोल
(b) रतलाम
(c) मंडला
(d) बैतूल
व्याख्या: (c) श्री फग्गन सिंह कुलस्ते का जन्म 18 मई, 1959 को मंडला जिले के बड़बती में हुआ था। वह सर्वप्रथम वर्ष 1990-92 में मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य एवं वर्ष 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुए थे। उसके पश्चात वर्ष 1998 में 12वीं लोकसभा सदस्य, वर्ष 1993 में 13वीं लोकसभा सदस्य, वर्ष 2004 में 14वीं लोकसभा सदस्य, वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा सदस्य, वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए मंडला लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। इसके अतिरिक्त श्री फग्गन कुलस्ते वर्ष 2012 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए बवेलिया विकास खंड की स्थापना की है। वर्ष 2021 में श्री फग्गन सिंह कुलस्ते को केंद्रीय मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री इस्पात एवं ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी प्रदान की गई है।
(a) बालाघाट
(b) भोपाल
(c) देवास
(d) इंदौर
व्याख्या: (d) श्रीमती सुमित्रा महाजन भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ महिला राजनेत्री हैं, जिनका जन्म 14 अप्रैल, 1943 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था तथा 29 जनवरी, 1965 को इंदौर निवासी श्री जयंत महाजन से विवाह हुआ था। श्रीमती सुमित्री महाजन सर्वप्रथम वर्ष 1989 में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराकर 9वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। 18 मई, 2014 को 16वीं लोकसभा सदस्य निर्वाचित होकर लोकसभा अध्यक्ष नियुक्त होने वाली भारत की दूसरी महिला हैं। सुमित्रा महाजन इंदौर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से लगातार 8 बार (वर्ष 1989 वर्ष 1991, वर्ष 1996, वर्ष 1998, वर्ष 1999, वर्ष 2004 वर्ष 2009, वर्ष 2014) लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने वाली मध्य प्रदेश की प्रथम महिला हैं।
टिप्पणी: सुमित्रा महाजन को सुमित्रा दीदी (सुमित्रा ताई) के नाम से भी जाना जाता है तथा उन्होंने होल्कर राजवंश की महारानी अहिल्या बाई के व्यक्तित्व व कृतित्व मातोश्री नामक प्रसिद्ध पुस्तक का भी लेखन किया है।
विशेष: श्रीमती सुमित्रा महाजन वर्ष 1982-85 में इंदौर नगर निगम की पार्षद तथा वर्ष 1984-85 में उपमहापौर निर्वाचित हुई थीं।
(a) विदेशी मामले
(b) वित्त
(c) रक्षा
(d) रेलवे
व्याख्या: (a) एम.जे. अकबर (मोब्बशर जावेद अकबर) वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश राज्यसभा से सदस्य निर्वाचित होकर विदेश मंत्रालयों के राज्य मंत्री नियुक्त हुए। एम.जे. अकबर लिविंग मीडिया समूह द्वारा प्रकाशित इंडिया टुडे नामक समाचार पत्रिका के संपादकीय निदेशक रह चुके हैं तथा उन्होंने वर्ष 2010 में साप्ताहिक समाचार पत्र द संडे गार्जियन का प्रकाशन प्रारंभ किया था। वह दक्षिण भारत की प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्रिका एशियन एज के संस्थापक भी हैं तथा उन्होंने पं. जवाहर लाल नेहरू की जीवनी पर आधारित 'द मेकिंग ऑफ इंडिया', जम्मू-कश्मीर पर आधारित 'द सीज विदिन' नामक पुस्तकें भी लिखी हैं। इसके अतिरिक्त 'द शेड ऑफ शोर्ड', 'ए कोहेसिव हिस्ट्री ऑफ जिहाद', 'ब्लड ब्रदर्स', 'टिंडरबॉक्स. द पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान' नामक अन्य उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं।
टिप्पणी: एम. जे. अकबर सर्वप्रथम वर्ष 1989 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की ओर से बिहार राज्य के किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे तथा वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी के राजनेता के रूप में उन्होंने सदस्यता ग्रहण की थी।
(a) मंदसौर
(b) खंडवा
(c) विदिशा
(d) सीधी
व्याख्या: (c) भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ महिला नेत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 अम्बाला में हुआ था तथा इनका विवाह वर्ष 1975 में श्री स्वराज कौशल जी से हुआ था। स्वर्गीय सुषमा स्वराज सर्वप्रथम वर्ष 1977-82 एवं वर्ष 1987-90 में हरियाणा विधानसभा की सदस्य निर्वाचित हुई थीं। उसके पश्चात वर्ष 1990 में राज्यसभा सदस्य एवं वर्ष 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुई थीं। उन्होंने 16 मई, 1996 से 1 जून, 1996 तक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सूचना और प्रसारण के दायित्वों का निर्वहन करते हुए फिल्मों को औद्योगिक दर्जा प्रदान किया था। इसके पश्चात पुन: वर्ष 1998 में 12वीं लोकसभा सदस्य निर्वाचित होकर 19 मार्च, 1998 से 12 अक्टूबर, 1998 तक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सूचना और प्रसारण का पदभार ग्रहण किया था। 13 अक्टूबर, 1998 से 3 दिसंबर, 1998 तक दिल्ली के 5वें क्रम की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था। वर्ष 2000 एवं वर्ष 2006 में राज्यसभा सदस्य तथा वर्ष 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित होकर 21 दिसंबर, 2009 से 26 मई, 2014 तक विपक्ष की नेता रही हैं। वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश के विदिशा लोकसभा संसदीय क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुई थीं। सुषमा स्वराज ने 27 मई, 2014 से 30 मई, 2019 तक विदेश मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री रही हैं। 6 अगस्त, 2019 को सुषमा स्वराज का देहावसान हुआ।
(a) 70.56 प्रतिशत
(b) 71.10 प्रतिशत
(c) 72.25 प्रतिशत
(d) 69.45 प्रतिशत
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में लोकसभा निर्वाचन, 2019 में कुल 71.10 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो अब तक प्रदेश में हुए पिछले सभी लोकसभा चुनावों का सर्वाधिक मतदान है। इस चुनाव में 73.54 प्रतिशत पुरुष और 68.64 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। मध्य प्रदेश में 16वीं लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान कुल 61.57 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस प्रकार 17वीं लोकसभा चुनाव में 16वीं लोकसभा चुनाव की तुलना में 9.53 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ है।
(a) श्री नकुल कमलनाथ
(b) श्री राव उदय प्रताप सिंह
(c) श्री प्रहलाद पटेल
(d) श्री फग्गन सिंह कुलस्ते
व्याख्या: (b) लोकसभा चुनाव 2019 के अंतर्गत मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी जीत भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार श्री राव उदय प्रताप सिंह ने हासिल की। होशंगाबाद - नरसिंहपुर संसदीय सीट से श्री राव उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी दीवान शैलेंद्र सिंह को 553682 मतों से पराजित किया।
टिप्पणी: लोकसभा चुनाव 2019 में मध्य प्रदेश में सबसे छोटी जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के नकुल कमलनाथ रहे, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नथनशाह कवरेती को 37536 मतों से पराजित किया।
(a) 7 दिन
(b) 14 दिन
(c) 1 माह
(d) 6 माह
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश विधानसभा एक सदनीय सदन है। इस सदन का अध्यक्ष विधानसभा अध्यक्ष कहलाता है। संविधान के अनुच्छेद-179 के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद हटाया जाएगा और इस तरह का कोई प्रस्ताव केवल 14 दिन की पूर्व सूचना के बाद ही लाया जा सकता है।
(a) सेठ गोविंद दास
(b) विद्याचरण शुक्ल
(c) मोतीलाल बोरा
(d) सेठ गोकुलदास
व्याख्या: (a) सेठ गोविंद दास (1896-1974) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता तथा हिंदी के साहित्यकार थे। गोविंद दास ने 21 अप्रैल, 1957 को कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद संभाला था। वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे।
(a) कमलनाथ
(b) डॉ. वीरेंद्र कुमार
(c) डॉ. गोविंद सिंह
(d) राव उदय प्रताप सिंह
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार को 17वीं लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया।
टिप्पणी: टीकमगढ़ लोकसभा सीट वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आयी तथा यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। इससे पूर्व वर्ष 2009 एवं वर्ष 2014 में डॉ. वीरेंद्र कुमार टीकमगढ़ सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं।
विशेष: डॉ. वीरेंद्र कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले में 27 फरवरी, 1954 को हुआ था। उन्होंने वर्ष 1977-79 में सागर जिले से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी) के संयोजक के रूप में राजनीतिक कैरियर प्रारंभ किया। सर्वप्रथम वर्ष 1996 में 11 वीं लोकसभा के लिए सागर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2021 में उन्हें सामाजिक न्यायिक एवं अधिकारिता मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री नियुक्त किया गया है।
(a) सामाजिक न्याय मंत्रालय
(b) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
(c) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
(d) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय
व्याख्या: (c) 17वीं लोकसभा के मध्य प्रदेश की मुरैना संसदीय सीट से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर कैबिनेट मंत्री केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग है। नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म 12 जून, 1957 को ग्वालियर के मुरार में हुआ था। वह सर्वप्रथम वर्ष 1998 में मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुए थे तथा वर्ष 2003 से वर्ष 2007 तक मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे है। उसके पश्चात वर्ष 2009 में मुरैना लोकसभा सीट तथा वर्ष 2014 में ग्वालियर लोकसभा सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित होकर कैबिनेट मंत्री के रूप में खनन, इस्पात, श्रम, रोजगार और ग्रामीम विकास एवं पंचायती राज जैसे मंत्रालयों का दायित्व निर्वहन किया है।
(a) श्री शिवराज सिंह चौहान
(b) श्री कमलनाथ
(c) श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
(d) श्री नरेंद्र सिंह तोमर
व्याख्या: (b) इंडियास एनवायरनमेंटल कंसर्टस नामक प्रसिद्ध पुस्तक मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ द्वारा लिखी गई है। श्री कमलनाथ का जन्म 18 नवंबर, 1946 को कानपुर में हुआ था। श्री कमलनाथ मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा संसदीय सीट से वर्ष 1980 में 7वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुए थे। श्री कमलनाथ ने 17 दिसंबर, 2018 को मध्य प्रदेश में 18वें क्रम के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था।
टिप्पणी- मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ 16वीं लोकसभा (वर्ष 2014-19) हेतु 4 जून, 2014 से 6 जून, 2014 तक लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर (अस्थायी अध्यक्ष) चुने गए थे तथा उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने शपथ दिलवाई।
(a) हीना लिखीराम कावरे
(b) नंदनी मरावी
(c) इमरती देवी
(d) मीना सिंह
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश की 15वीं विधानसभा में बालाघाट के लांजी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित सुश्री हीना लिखीराम कावरे को वर्ष 2018 में विधानसभा उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जिनका कार्यकाल 10 जनवरी, 2019 से 24 मार्च, 2020 तक था। इसके अतिरिक्त वर्ष 2018 में श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति को 15वीं विधानसभा के लिए विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जिनका कार्यकाल 8 जनवरी 2019 से 23 मार्च, 2020 तक था किंतु 23 मार्च, 2020 को मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की पुनः सरकार का गठन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में किया गया, जिसके पश्चात श्री गिरीश गौतम 22 फरवरी, 2021 को विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त हुए है।
(a) 24
(b) 26
(c) 28
(d) 22
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश राज्य के गठन (वर्ष 1956) के पश्चात वर्ष 1957 में संपन्न लोकसभा चुनाव में कुल 27 सीटों में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 26 सीट और हिंदू महासभा ने 1 सीट पर विजय प्राप्त की थी। इसके पश्चात वर्ष 1962 में संपन्न लोकसभा चुनाव में कुल 36 सीटों में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 24 सीट, जनसंघ ने 3 सीट और अन्य दलों ने 9 सीटों पर विजय प्राप्त की। वर्ष 1967 में संपन्न लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कुल 37 सीटों में से 24 सीटों पर जनसंघ ने 10 और अन्य ने 3 सीटों पर विजय प्राप्त की। वर्ष 1971 में संपन्न लोकसभा चुनाव में भी कुल 37 सीटों में से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 21 सीट, जनसंघ ने 11 और अन्य ने 5 सीटों पर विजय प्राप्त की थी।
(a) 28
(b) 32
(c) 35
(d) 39
व्याख्या: (d) वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटें जनता पार्टी के समर्थन वाली भारतीय लोक दल को एवं 1 सीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को प्राप्त हुई। मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से श्री गिरजा शंकर रामकृष्ण मिश्रा एकमात्र उम्मीदवार थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए विजय प्राप्त की। वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में इस बार पुनः परिवर्तन हुआ और इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 35 एवं भारतीय जनता पार्टी ने 4 और अन्य ने सीट पर विजय प्राप्त की थी।
टिप्पणी: वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार मध्य प्रदेश की सभी 40 सीटों पर विजय प्राप्त की थी।
(a) श्रीमती अनसुइया बाई बोरकर
(b) श्रीमती सरला ग्रेवाल
(c) श्रीमती मैमूना सुल्तान
(d) श्रीमती सहोदरा बाई
व्याख्या: (c) वर्ष 1952 में भारत के प्रथम लोकसभा चुनाव में पुराने मध्य प्रदेश के नागपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की ओर से श्रीमती अनसुइया बाई बोरकर एवं जांजगीर- बालोदा बाजार (वर्तमान छत्तीसगढ़) संसदीय क्षेत्र से श्रीमती मिनिमाता अगम दास गुरू महिला लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुई थी। मध्य प्रदेश पुनर्गठन के पश्चात वर्ष 1957 के द्वितीय लोकसभा चुनाव में भोपाल संसदीय सीट से पहली लोकसभा सदस्य एवं मध्य प्रदेश में मुस्लिम समुदाय से संबंधित प्रथम महिला लोकसभा सदस्य श्रीमती मैमूना सुल्तान निर्वाचित हुई थीं।
टिप्पणी: वर्ष 1957 के द्वितीय लोकसभा चुनाव में श्रीमती मिनिमाता अगम दास गुरू (जांजगीर), श्रीमती विजयाराजे सिंधिया (गुना), श्रीमती केसर कुमारी देवी रानी (रायपुर), श्रीमती सहोदरा बाई (सागर) और श्रीमती मैमूना सुल्तान (भोपाल) महिला सदस्य निर्वाचित हुई थीं।
विशेष: प्रथम लोकसभा का कार्यकाल 17 अप्रैल, 1952 से 4 अप्रैल, 1957 तथा द्वितीय लोकसभा का कार्यकाल 5 अप्रैल, 1957 से 31 मार्च, 1962 तक था।
(a) 29
(b) 30
(c) 35
(d) 27
व्याख्या: (b) लोकसभा चुनाव में वर्ष 1952 से वर्ष 2019 तक मध्य प्रदेश से कुल 30 महिला लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुई है। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से निर्वाचित होने वाली महिला सदस्य क्रमशः सुश्री उमा भारती, श्रीमती केसर कुमारी देवी रानी, श्रीमती गिरिजा कुमारी, श्रीमती विद्यावती चतुर्वेदी, श्रीमती जमुना देवी, श्रीमती सावित्री ठाकुर, श्रीमती ज्योति धुर्वे, कुमारी मीनाक्षी नटराजन, श्रीमती अलका नाथ, श्रीमती छबीला अरविंद नेताम, श्रीमती नीता पटोरिया, श्रीमती पद्मावती देवी, श्रीमती रीती पाठक, श्रीमती जयश्री बैनर्जी, श्रीमती अनसुइया बाई बोरकर, श्रीमती सुमित्रा महाजन, श्रीमती मिनिमाता अगम दास गुरू, श्रीमती मैमूना सुल्तान, श्रीमती रजनी देवी, श्रीमती सहोदराबाई राय, कुमारी विमला वर्मा, श्रीमती श्याम कुमारी देवी, श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, श्रीमती विजया राजे सिंधिया, कुमारी पुष्पा देवी सिंह, श्रीमती राजेश नंदिनी सिंह, श्रीमती सुषमा स्वराज, श्रीमती संध्या राय, श्रीमती हिमाद्री सिंह एवं सुश्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर है।
(a) रामकिशोर शुक्ला
(b) कुंजीलाल दुबे
(c) काशीप्रसाद पाण्डे
(d) तेजलाल टेंभरे
व्याख्या: (a) श्री राम किशोर शुक्ला का जन्म 24 सितंबर, 1923 को शहडोल जिले के व्यौहारी में हुआ था। वे मध्य प्रदेश समाजवादी दल के प्रांतीय अध्यक्ष रहे तथा वर्ष 1964 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1934 से 1972 तक विधायक तथा वर्ष 1968 से 1972 तक विधान सभा के उपाध्यक्ष रहे। लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष तथा अनेक समितियों के सदस्य रहे तथा पूर्व विंध्य प्रदेश विधान सभा में विरोधी दल के नेता थे। मध्यप्रदेश विधान सभा में समाजवादी विधायक दल के नेता भी रहे हैं। वर्ष 1980 में व्यौहारी क्षेत्र से पुन: विधायक निर्वाचित हुए तथा 16 सितम्बर, 1980 से 3 मार्च, 1984 तक विधान सभा के उपाध्यक्ष रहे। तदनंतर वे 5 मार्च, 1984 से 11 मार्च, 1985 तक विधान सभा के अध्यक्ष रहे है। वर्ष 1985 में अष्टम् विधान सभा के सदस्य निर्वाचित एवं वित्त, पृथक आगम, विधि विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग के मंत्री तथा वर्ष 1993 में दसवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
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