मध्य प्रदेश की मृदा MCQ प्रश्न और उत्तर | Soil of Madhya Pradesh MCQ
byKartik Budholiya0
मध्य प्रदेश की मृदा MCQ
"मध्य प्रदेश की मृदा" पर आधारित यह MCQ सीरीज उन छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो MPPSC, UPSC, और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस MCQ सेट में मध्य प्रदेश की प्रमुख मृदा प्रकारों, उनकी विशेषताओं, वितरण, उर्वरता, और कृषि के लिए उनके महत्व से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को शामिल किया गया है।
प्रत्येक प्रश्न के साथ हिंदी में विस्तृत व्याख्या दी गई है, जो आपकी समझ को गहराई प्रदान करेगी और आपकी परीक्षा की तैयारी को सशक्त बनाएगी।
मध्य प्रदेश की मृदा से संबंधित तथ्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए ये MCQs आपकी तैयारी को बेहतर बनाएंगे और आपको प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद करेंगे।
Soil of Madhya Pradesh MCQ
1. मध्य प्रदेश में कितने प्रकार की मिट्टियों (मृदा) का विस्तार पाया जाता है?
(a) 6
(b) 5
(c) 4
(d) 7
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में मुख्यत: 5 प्रकार की मिट्टियां (Soils) क्रमश: काली मृदा, जलोढ़ मृदा, लाल-पीली मृदा, लैटेराइट मृदा तथा मिश्रित लाल एवं काली मृदा पायी जाती हैं। मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में काली मृदा, उत्तर- पश्चिमी भाग में जलोढ़ मृदा, उत्तर-पूर्वी व दक्षिण भाग में मिश्रित लाल व काली मृदा, दक्षिण पूर्वी भाग में लाल-पीली मृदा तथा लैटेराइट मृदा का विस्तार मध्य प्रदेश के विभिन्न भागों में बिखरे रूप में पाया जाता है।
2. मध्य प्रदेश में किस मृदा को कपास मृदा के नाम से जाना जाता है?
(a) लैटेराइट मृदा
(b) जलोढ़ मृदा
(c) लाल-पीली मृदा
(d) काली मृदा
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पश्चिमी व उत्तर-पश्चिमी भाग में मालवा पठार के अंतर्गत काली मृदा का विस्तार पाया जाता है, जिसे रेगुर मृदा, करेल मृदा, चेयरनोजम मृदा व कपास मृदा (Cotton Soil) के नाम से जाना जाता है।
3. मध्य प्रदेश में मालवा पठार के अंतर्गत विस्तृत काली मिट्टी का निर्माण किसके द्वारा हुआ है?
(a) बाढ़ द्वारा
(b) भूकंप द्वारा
(c) ज्वालामुखी उद्गार
(d) सूखे द्वारा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में दक्कन ट्रैप की बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित मालवा पठार में काली मृदा का सर्वाधिक विस्तार पाया जाता है। काली मृदा का निर्माण दक्कन ट्रैप की बेसाल्ट चट्टानों के विघटन और वियोजन, कायांतरण और अवसादीकरण के फलस्वरूप मालवा पठारी क्षेत्र के ऊपरी संस्तर पर हुआ है।
4. मध्य प्रदेश में काली मिट्टी के क्षेत्र का विस्तार मालवा पठार के अतिरिक्त कहां पाया जाता है?
(a) छत्तीसगढ़ मैदान
(b) नर्मदा घाटी
(c) बुंदेलखंड क्षेत्र
(d) मध्य भारत क्षेत्र
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में काली मिट्टी का बाहुल्य मालवा पठार क्षेत्र के अंतर्गत मंदसौर, रतलाम, झाबुआ, धार, इंदौर, देवास, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, भोपाल, आगर-मालवा, नागदा (प्रस्तावित) आदि जिलों में विस्तृत है। इसके अतिरिक्त मालवा पठार के दक्षिणी भाग में स्थित नर्मदा घाटी के अंतर्गत होशंगाबाद, रायसेन, हरदा, नरसिंहपुर, सागर, दमोह तथा दक्षिण-पूर्वी व दक्षिण पश्चिमी भाग में सतपुड़ा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत खंडवा, खरगौन, छिंदवाड़ा, सिवनी व बैतूल जिले में पाया जाता है।
5. भारत के किस राज्य में सर्वाधिक काली मृदा की प्रचुरता उपलब्ध है?
(a) आंध्रप्रदेश
(b) गुजरात
(c) राजस्थान
(d) मध्य प्रदेश
व्याख्या: (d) भारत में काली मिट्टी का विस्तार दक्कन पठार के उत्तर-पश्चिमी भाग में पाया जाता है, जिसका कुछ भाग मध्य प्रदेश में विस्तृत है। मध्य प्रदेश में सर्वाधिक काली मिट्टी का विस्तार पाया जाता है, जो राज्य के लगभग 43.44 प्रतिशत भू-भाग पर पायी जाती है। काली मिट्टी में मुख्य रूप से सोयाबीन, मूंगफली, कपास आदि फसलों की खेती की जाती है।
6. मध्य प्रदेश में गहरी काली मृदा का विस्तार किस जिले में नहीं पाया जाता है?
(a) होशंगाबाद
(b) हरदा
(c) उज्जैन
(d) सतना
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में गहरी काली मृदा का विस्तार नर्मदा घाटी और समीपतः मालवा व सतपुड़ा क्षेत्र के विस्तृत भागों में लगभग 16.21 मिलियन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाया जाता है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 36.5 प्रतिशत भू-भाग है। गहरी काली मृदा गेहूं, चना व सोयाबीन की कृषि के लिए सबसे उपयुक्त मृदा है।
7. मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में विस्तृत काली मृदा का रंग काला किस कारण होता है?
(a) नाइट्रोजन व चूने की उपस्थिति
(b) फास्फोरस व चूने की उपस्थिति
(c) लोहा व चूने की उपस्थिति
(d) एल्युमीनियम व चूने की उपस्थिति
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के पश्चिमी, दक्षिण-पश्चिमी व उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में विस्तृत काली मृदा का काला रंग प्रचुर मात्रा में लोहे की उपलब्धता के कारण होता है। काली मृदा की निर्माण की प्रक्रिया के दौरान बेसाल्ट के ऋतुक्षरण होने पर लोहे के कणों का ऑक्सीकरण (Oxidation) होता है और उस पदार्थ का रंग लाल होता है। इसके पश्चात निरंतर रासायनिक परिवर्तन तथा मृतिका (Clay) के एकत्रण से मिट्टी का रंग काला हो जाता है।
8. मध्य प्रदेश में पायी जाने वाली काली मृदा की प्रकृति कैसी होती है?
(a) उदासीन
(b) अम्लीय
(c) क्षारीय
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में विस्तृत काली मृदा की प्रकृति क्षारीय (Alkaline) है तथा इसका pH मान 7.5-8.6 के मध्य होता है। काली मृदा में नाइट्रोजन, फास्फोरस व जैविक पदार्थों का अभाव तथा चूना, मैग्नीशियम, एल्युमीनियम पोटाश एवं लोहे की अधिकता पायी जाती है।
9. मध्य प्रदेश में मध्यम एवं उथली काली मृदा का विस्तार मालवा पठार के अतिरिक्त किस क्षेत्र में पाया जाता है?
(a) निमाड़ क्षेत्र
(b) विंध्य क्षेत्र
(c) चम्बल क्षेत्र
(d) बुंदेलखंड क्षेत्र
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में मध्यम एवं उथली काली मृदा का विस्तार मालवा पठार के उत्तरी भाग के अतिरिक्त निमाड़ क्षेत्र तथा सतपुड़ा क्षेत्र में पाया जाता है। मध्य प्रदेश के बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी, नरसिंहपुर, खंडवा, खरगौन जिले के 3.06 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में मध्यम एवं उथली काली मृदा विस्तृत है, जो सम्पूर्ण राज्य के कुल क्षेत्रफल का 6.91 प्रतिशत है।
10. दक्षिणी बुंदेलखंड क्षेत्र साधारणतः निम्नलिखित में से किस प्रकार की मृदा पायी जाती है?
(a) जलोढ़ मिट्टी
(b) लैटेराइट मिट्टी
(c) काली मिट्टी
(d) लाल मिट्टी
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के दक्षिणी बुंदेलखंड क्षेत्र में नर्मदा - सोन घाटी के अंतर्गत सागर, दमोह, नरसिंहपुर आदि जिलों में काली मिट्टी का विस्तार पाया जाता है। दक्षिणी बुंदेलखंड क्षेत्र में विस्तृत काली मिट्टी गेहूं, तिलहन, चना, ज्वार आदि की कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मिट्टी है।
11. मध्य प्रदेश में जलोढ़ मृदा का विस्तार किस भाग में पाया जाता है?
(a) उत्तरी भाग
(b) दक्षिणी भाग
(c) पश्चिमी भाग
(d) पूर्वी भाग
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में बुंदेलखंड नीस तथा चम्बल एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा निक्षेपित पदार्थ से निर्मित जलोढ़ मिट्टी का विस्तार पाया जाता है। जलोढ़ मिट्टी भिंड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी जिले के लगभग 3.35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में पायी जाती है, जो सम्पूर्ण राज्य के कुल क्षेत्रफल का 7.57 प्रतिशत है।
12. मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में विस्तृत जलोढ़ मृदा को किस नाम से जाना जाता है?
(a) मिश्रित मृदा
(b) दोमट मृदा
(c) कछारी मृदा
(d) विकल्प (b) और (c) दोनों
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के उत्तर व उत्तर पश्चिमी भाग में गंगा की सीमांत घाटी (गंगा-यमुना मैदानी क्षेत्र ) अर्थात चम्बल घाटी व उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में चम्बल नदी द्वारा बहाकर लाए गए अवसादों से कछारों का निर्माण होता है इसलिए जलोढ़ मृदा को कछारी मृदा कहा जाता है। इसके अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन की दृष्टि से सबसे उपयोगी व महत्वपूर्ण मृदा होने के कारण जलोढ़ मृदा को खाद्यान्न मृदा कहा जाता है तथा इसे दोमट मृदा के नाम से भी जाना जाता है।
13. मध्य प्रदेश के किस जिले में जलोढ़ मृदा का विस्तार नहीं पाया जाता है?
(a) मुरैना
(b) खरगोन
(c) भिंड
(d) श्योपुर
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भागों में स्थित भिंड, मुरैना, ग्वालियर, श्योपुर आदि जिलों में जलोढ़ मृदा का विस्तार पाया जाता है, जो सरसों, राई, जौ, गेहूं व चना की खेती के लिए उपयुक्त मृदा मानी जाती है।
14. कौन-से प्रकार का कटाव है जो मध्य प्रदेश की नदियों में से मिट्टी जो गहरे नालों का गठन करती है। इसकी ऊपरी परत हटाता है?
(a) नाले
(b) चद्दर कटाव
(c) नाली कटाव
(d) स्तरीकृत कटाव
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में मध्य भारत पठार के अंतर्गत चम्बल तथा उसकी सहायक नदियां अपने दोनों किनारों पर अत्याधिक गहरे गड्डों (उत्खात भूमि) का निर्माण करती है, जो इस क्षेत्र में गहरी नालियों अवनालिका अपरदन (Gully Erosion) का विकराल रूप धारण कर नाली कटाव के रूप में जलोढ़ मृदा का अपरदन करता है। मृदा अपरदन अर्थात मिट्टी के अवक्षरण को रेंगती हुई मृत्यु (Creeping Death) भी कहा जाता है।
15. मध्य प्रदेश के निम्नलिखित में से किस जिले में मृदा अपरदन (मिट्टी का कटाव) की समस्या है?
(a) मुरैना
(b) भोपाल
(c) खंडवा
(d) जबलपुर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित मुरैना जिला सर्वाधिक अपरदन की समस्या से ग्रस्त है। मुरैना जिले के अतिरिक्त भिंड, श्योपुर व ग्वालियर जिलों में चम्बल, सीप, बेसली, कूनों, पार्वती, सांक एवं सिंध नदी द्वारा भी बीहड़ क्षेत्र का निर्माण हुआ है।
नदियां
बीहड़ ग्रस्त क्षेत्रफल (हेक्टेयर)
चम्बल नदी
80,000
क्वारी नदी
75,000
आसन नदी
2036
सीप नदी
1100
कूनों नदी
8072
पार्वती नदी
700
सांक नदी
2122
सिंध नदी
2032
बेसली नदी
1000
16. मध्य प्रदेश में बीहड़ की समस्या के निदान के लिए केंद्र सरकार द्वारा सर्वप्रथम किस वर्ष कार्य योजना बनाई गई?
(a) वर्ष 1992
(b) वर्ष 1977
(c) वर्ष 1971
(d) वर्ष 1984
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में बीहड़ की समस्या से ग्रस्त क्षेत्रों में निदान के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1971 में बीहड़ सुधार योजना प्रारंभ की गई थी, जिसका उद्देश्य ₹1224 करोड़ की लागत से 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को बीहड़ मुक्त करना था। इसके अतिरिक्त वर्ष 1977-78 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया जिले में लाख हेक्टेयर बीहड़ क्षेत्र को सुधार कर कृषि योग्य भूमि बनाने की पहल की गई थी。
टिप्पणी: वर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा मध्य प्रदेश में चम्बल क्षेत्र को ग्रीन एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट में सम्मिलित कर बीहड़ समस्या के निदान व उन्मूलन के प्रयास किए जा रहे हैं।
17. मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में किस प्रकार की मिट्टी का विस्तार पाया जाता है?
(a) जलोढ़ मृदा
(b) काली मृदा
(c) लैटेराइट मृदा
(d) लाल-पीली मिट्टी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग विशेषकर बघेलखंड व बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग 36 प्रतिशत भू-भाग पर लाल-पीली मृदा का विस्तार पाया जाता है। मध्य प्रदेश के मंडला, बालाघाट, शहडोल, सीधी सिंगरौली, अनूपपुर जिले में लाल-पीली मिट्टी पाई जाती है किन्तु बीच-बीच में दोमट मिट्टी के प्रदेश भी मिलते हैं।
18. मध्य प्रदेश में धान की खेती के लिए सबसे उपयुक्त लाल-पीली मृदा का विस्तार किस जिले में पाया जाता है?
(a) खरगौन
(b) बालाघाट
(c) धार
(d) ग्वालियर
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित बालाघाट जिले के अंतर्गत लाल-पीली मृदा का विस्तार पाया जाता है, जो धान की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। बालाघाट जिले के अतिरिक्त डिंडोरी, मंडला आदि जिलों में भी लाल-पीली मृदा पायी जाती है।
रसायन
मात्रा प्रतिशत
क्ले (Clay)
6.3-5.3
नाइट्रोजन
0.04-0.13
कार्बन / नाइट्रोजन का अनुपात
4.8-17.6
एक्सचेंजियेबल कैल्शियम
9.6-44.0
चिकनी मिट्टी का अनुपात
1.6-2.1
(SiO2 R2 O3 ) pH अनुपात
6.0-8.2
19. मध्य प्रदेश में पायी जाने वाली लाल-पीली मृदा का रंग पीला क्यों होता है?
(a) नाइट्रोजन
(b) लौह ऑक्साइड
(c) फेरिक ऑक्साइड
(d) फॉस्फोरस
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में विस्तृत लाल-पीली मृदा का निर्माण आर्कियन, धारवाड़ तथा गोंडवाना शैल समूह की रवेदार और रूपांतरित चट्टानों (Metamorphic Rocks) के अपरदन से हुआ है। लाल-पीली मृदा में फेरिक ऑक्साइड के जलयोजन (Hydration) के कारण पीला रंग तथा फेरिक ऑक्साइड के ऑक्सीकरण के कारण लाल रंग पाया जाता है।
टिप्पणी: लाल-पीली मृदा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा ह्यूमस की कमी होती है तथा इसकी प्रकृति अम्लीय होती है।
20. मध्य प्रदेश में लैटेराइट मिट्टी का विस्तार किस जिले में पाया जाता है?
(a) छिंदवाड़ा
(b) मण्डला
(c) उज्जैन
(d) श्योपुर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा, बालाघाट व बैतूल जिले में लैटेराइट मिट्टी का अधिकांश भाग विस्तृत है। लैटेराइट मृदा को लाल बलुई मृदा तथा स्थानीय स्तर पर भाटा भी कहा जाता है। लैटेराइट मिट्टी का विस्तार अधिकांशतः उन क्षेत्रों में पाया जाता है, जहां वर्षा की मात्रा अधिक होती है।
21. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भैंसदेही पठार के अंतर्गत किस मृदा का विस्तार पाया जाता है?
(a) लाल-पीली मृदा
(b) जलोढ़ मृदा
(c) लैटेराइट मृदा
(d) काली मृदा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भैंसदेही पठार के अंतर्गत लैटेराइट मृदा (Laterite Soil) का विस्तार पाया जाता है, जिसमें कॉफी (कहवा) की खेती की जाती है।
टिप्पणी: बैतूल जिले के भैंसदेही तहसील के अंतर्गत कुकरु ग्राम में लगभग 110 हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी का उत्पादन होता है, इस क्षेत्र में कॉफी उत्पादन प्रारम्भ करने का श्रेय ब्रिटिश नागरिक सेंट विल्फोर्ड को प्रदान किया जाता है।
22. मध्य प्रदेश में मिश्रित मृदा का विस्तार किस क्षेत्र में पाया जाता है?
(a) मालवा
(b) बुंदेलखंड
(c) निमाड़
(d) सतपुड़ा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के बघेलखंड व बुंदेलखंड क्षेत्र में लाल-पीली मृदा तथा काली मृदा के मिश्रित रूप का विस्तार पाया जाता है। मिश्रित मृदा का विस्तार प्रमुख रूप से रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, शिवपुरी, गुना आदि जिलों में पाया जाता है, जिसमें प्रमुख रूप से ज्वार, बाजरा व अन्य मोटे अनाजों की खेती की जाती है।
23. निम्न में से कौन सी मृदा मध्य प्रदेश में नहीं मिलती है?
(a) शुष्क मृदा
(b) लाल मृदा
(c) लैटेराइट मृदा
(d) काली मृदा
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में काली मृदा मालवा क्षेत्र में, लाल-पीली मृदा बघेलखंड क्षेत्र में, जलोढ़ मृदा मध्य प्रदेश के उत्तरी भूभाग के (भिंड, मुरैना, शिवपुरी एवं ग्वालियर) जिले में प्राप्त होती है, जबकि कछारी मिट्टी मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में उपलब्ध होती है। शुष्क मृदा मध्य प्रदेश में नहीं पाई जाती है।
24. निम्न में से किसे काली मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है?
(a) रेगुर मिट्टी
(b) बांगर मिट्टी
(c) खावर मिट्टी
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (a) काली मिट्टी का निर्माण चट्टानों के 2 वर्ग दक्कन ट्रैप एवं लौहमय नीस और सिस्ट से हुआ है। काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी या काली कपास मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। यह मिट्टी मुख्यत: दक्षिणी प्रायद्वीप पठार क्षेत्र में पाई जाती है। मध्य प्रदेश के संदर्भ में यह मिट्टी पश्चिमी क्षेत्र के मालवा के पठाल में प्रचुरता से उपलब्ध है।
25. मध्य प्रदेश की उत्खात भूमि (बेडलैंड) किसका परिणाम है?
(a) अवनालिका अपरदन
(b) पवन अपरदन
(c) अति चारण
(d) वायु अपरदन
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश की उत्खात भूमि अवनालिका अपरदन का परिणाम है। मध्य प्रदेश की चंबल नदी द्वारा बनाए गए बड़े-बड़े गड्डे एवं चंबल की सहायक नदियों के किनारों पर एक चौड़ी पेटी अत्यधिक गहरे गड्डे में परिवर्तित हो गई है। विगत वर्षों की कृषि रिपोर्ट के आधार पर 6.5 लाख एकड़ बहुमूल्य कृषि भूमि का इन गड्डों में परिवर्तित हो जाना ही अवनालिका अपरदन का विकराल रूप है। मध्य प्रदेश के भिंड एवं मुरैना जिले अवनालिका अपरदन से सर्वाधिक रूप से प्रभावित हैं।
26. निम्न में से किस मिट्टी की प्रकृति उदासीन होती है?
(a) जलोढ़
(b) काली
(c) कछारी
(d) दोमट
व्याख्या: (a) जलोढ़ मिट्टी की प्रकृति उदासीन होती है, क्योंकि इस मिट्टी का pH मान 7 होता है।
टिप्पणी: यदि मृदा का pH मान 7 से अधिक हो तो ऐसी मृदा की अभिक्रिया क्षारीय होती है। यदि मृदा का pH 7 से कम हो तो मृदा की अभिक्रिया अम्लीय होती है। मृदा में अत्यधिक अम्लीय और क्षारीय दोनों ही प्रकार की अभिक्रिया से फसल की वृद्धि रुक जाती है। इसलिए इष्टतम फसल उत्पादन के लिए ऐसी मृदा का उपचार किया जाना चाहिए। अत्यधिक अम्लीय अर्थात 4.5 से कम pH वाली मृदाओं में सूक्ष्म पादपों की वृद्धि क्षीण पड़ जाती है। और लोहा, तांबा और एल्युमीनियम जैसे तत्वों की विषाक्तता बढ़ जाती है।
27. मध्यम अम्लीय मृदा का पीएच (ph) मान कितना होता है?
(a) 3.5-4.5
(b) 4.5-5.5
(c) 5.5-6.5
(d) 5.2-6.2
व्याख्या: (b) अम्लीय मृदा को मोटे तौर पर 3 श्रेणियों में बांटा जा सकता है। pH के आधार में मृदा को कम अम्लीय मृदाएं (pH 5.5 से 6.5 तक), मध्यम अम्लीय मृदाएं (pH 4.5-5.5 तक) और अत्यधिक अम्लीय मृदाएं (pH 4.5 से कम) में वर्गीकृत किया जाता है।
टिप्पणी: फसल उत्पादन की दृष्टि से इनमें से कम अम्लीय मृदा में कम समस्या होती है। इस प्रकार की मृदा में फॉस्फेट के स्थिरीकरण की समस्या होती है, जिसे जैविक सामग्री और रॉक फॉस्फेट का मिश्रण तथा सुपर फॉस्फेट को मिलाकर सुरक्षित ढंग से ठीक किया जा सकता है। वास्तविक रूप से समस्या उस अम्लीय मृदा का उपचार करने में आती है, जिसकी pH (pH) 5.5 से कम होती है। अम्लीय मृदाएं अवसादी (Sedimentary) प्रकृति की होती हैं। ये लेटेराइट, लौहमय लाल और अन्य लाल मृदा समूह की मृदाएं होती हैं।
28. मध्य प्रदेश के कुल कितने भू-भाग में अम्लीय मृदा का विस्तार है?
(a) 8.9 मिलियन हेक्टेयर
(b) 9.9 मिलियन हेक्टेयर
(c) 10 मिलियन हेक्टेयर
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली मृदा के सापेक्ष में 5.9 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल पर अम्लीय प्रकृति की मिट्टी पाई जाती है। भारत में सर्वाधिक अम्लीय प्रकृति की मृदा का विस्तार जम्मू एवं कश्मीर राज्य में (15 मिलियन हेक्टेयर) में विस्तृत है।
29. अगर मिट्टी अम्लीय है तो सुधार के लिए किसका प्रयोग लाभदायक होगा?
(a) चूने का प्रयोग
(b) जिप्सम का प्रयोग
(c) कीटनाशक प्रयोग
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (b) अम्लीय मृदा का पीएच मान 7 से कम होता है अतः इसमें सुधार के लिए चूने का प्रयोग करना लाभदायक होता है। यदि मिट्टी क्षारीय है तो सुधार के लिए जिप्सम का प्रयोग किया जाता है। अम्लीय मृदा चाय बागानों के लिए उपयुक्त होती है।
30. मध्य प्रदेश मे कितने प्रतिशत भाग मे जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं?
(a) 34%
(b) 2%
(c) 3%
(d) 11%
व्याख्या: (c) जलोढ़ मिट्टी मध्य प्रदेश के लगभग 3% भू-भाग में पाई जाती है। मध्य प्रदेश के उत्तरी पश्चिमी भाग मुख्यतः मुरैना, भिंड, ग्वालियर तथा शिवपुरी जिले में यह मिट्टी पाई जाती हैं। जलोढ़ मिट्टी में बालू, सिलका तथा मृतिका का समुचित अनुपात पाया जाता है। बालू की अधिकता के कारण इसमें अपरदन अपेक्षाकृत कम होता है।
31. निम्न में से कौन सा काली मिट्टी का एक प्रकार है?
(a) गहरी काली मिट्टी
(b) साधारण काली मिट्टी
(c) छिछली काली मिट्टी
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) काली मिट्टी को विभिन्न खनिजों की मात्रा, गठन, संरचना, रंग, जल की मात्रा, सरंध्रता के आधार से तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है -
गहरी काली मिट्टी: मध्य प्रदेश के 3.5% भू-भाग में नर्मदा सोन घाटी, मालवा, सतपुड़ा क्षेत्र में पाई जाती है।
साधारण काली मिट्टी: मध्य प्रदेश के 33% भू-भाग में विशेषतः मालवा पठार के क्षेत्र में पाई जाती है।
छिछली काली मिट्टी: मध्य प्रदेश के 7% भू-भाग में सतपुड़ा-मैकाल क्षेत्र तथा बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी जिले क्षेत्र में पाई जाती है।
32. मध्यप्रदेश का उत्तर-पश्चिमी भाग गंगा की घाटी का सीमांत है, वहां प्रमुख रूप से किस प्रकार की मिट्टी पायी जाती है?
(a) काली मिट्टी
(b) जलोढ़ मिट्टी
(c) पीली मिट्टी
(d) लाल मिट्टी
व्याख्या: (b) मध्यप्रदेश का उत्तरी-पश्चिमी भाग गंगा की घाटी का सीमांत है। अतः यहां जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है, यह मुरैना, भिंड, ग्वालियर तथा शिवपुरी जिलों में पड़ता है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 30 लाख एकड़ है।
इस मिट्टी का जनक पदार्थ बुंदेलखंड नीस तथा चंबल द्वारा निक्षेपित पदार्थ है। भिंड तथा मुरैना जिलों में मिट्टी का रंग पीलापन लिए भूरा है, जिसमें बीच-बीच में राख का रंग भी मिलता है। मुरैना के अन्य भागों में गहरे भूरे रंग की मिट्टी पायी जाती है। सतह पर बलुई दोमट तथा चिकनी दोमट है। निचली तहों में अपेक्षाकृत महीन कणों का पदार्थ पाया जाता है।
पी. एच. (pH) उदासीन से क्षारीय तक पाया जाता है। जिस भाग में भूमिगत जल सतह के निकट है वहां मिट्टी में लवणों की मात्रा अनावश्यक रूप से अधिक पायी जाती है। कार्बोनेट भी बड़ी मात्रा में मिलते है, जो निचली सतहों में संचित हो जाते है। यह साधारणत: सूखे प्रदेशों की मिट्टी की विशेषता होती है।
इस मिट्टी में नाइट्रोजन, जैव तत्व तथा फास्फोरस की कमी है, जो वनस्पति का पोषक पदार्थ है।
37. मध्य प्रदेश में किस नदी की घाटी गहरी खड्डभूमि (Ravines) के लिए विख्यात है?
(a) नर्मदा
(b) सोन
(c) चम्बल
(d) ताप्ती
व्याख्या: (c) मानसूनी वर्षा तथा त्रुटिपूर्ण भूमि उपयोग के संयोजन से मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में भिंड मुरैना जिले में मृदा अपरदन एक गंभीर समस्या है। चम्बल की घाटी का भूमि अपरदन मध्य प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की समस्या है। इस घाटी में महीन चिकनी अथवा दोमट मिट्टी पायी जाती है।
अर्द्ध शुष्क जलवायु के कारण वनस्पति भी अधिक नहीं है। कृषि प्रदेशों में यह और भी कम होती जाती है। पशुपालन से विस्तृत प्रदेश की वनस्पति समाप्त हो गयी है। अतः चम्बल तथा उसकी सहायक नदियों के दोनों किनारों पर एक चौड़ी पेटी अत्यधिक गहरे गड्डों में परिवर्तित हो गयी है तथा ये गड्डे अच्छी भूमि का ग्रास करते जाते हैं।
टिप्पणी: इसी प्रकार का भूमि अपरदन नर्मदा नदी के किनारों पर भी हो रहा है। यदि इसकी रोकथाम व्यवस्थित तरह से तत्काल नहीं की गई तो निकट भविष्य में यह एक गंभीर समस्या हो जायेगी।
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