मध्य प्रदेश का भूगोल MCQ प्रश्न और उत्तर | MP Geography MCQ
byKartik Budholiya0
मध्य प्रदेश का भौगोलिक अध्ययन MCQ
"मध्य प्रदेश का भौगोलिक अध्ययन" पर आधारित यह MCQ सीरीज उन छात्रों के लिए उपयोगी है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे MPPSC, UPSC, और अन्य राज्य स्तरीय परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इस MCQ सेट में मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति, से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं। मध्य प्रदेश की स्थलाकृति और भूगोल के महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करते हुए, यह प्रश्न श्रृंखला परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रत्येक प्रश्न के साथ हिंदी में विस्तृत व्याख्या दी गई है, जो न केवल आपकी जानकारी को बढ़ाती है बल्कि परीक्षा की तैयारी को भी प्रभावी बनाती है।
मध्य प्रदेश के भौगोलिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए ये MCQs आपको बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद करेंगे।
1. भू-वैज्ञानिक दृष्टि से मध्य प्रदेश किस भाग का हिस्सा है?
(a) विंध्यन शैल का
(b) गोंडवाना लैंड का
(c) दक्कन ट्रैप का
(d) अंगारा लैंड का
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश भू-वैज्ञानिक दृष्टि से प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का हिस्सा है। गोंडवाना लैंड का विस्तार उत्तर व उत्तर-पूर्व की ओर अभिसरण (Convergence) से हुआ है, जो वर्तमान में दक्षिण भारत के प्रायद्वीपीय भाग के रूप में विस्तृत है। दक्षिण प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग में मध्य प्रदेश राज्य स्थित है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश एक स्थल बद्ध (Land Locked) राज्य है, क्योंकि इसकी भौगोलिक सीमाएं समुद्र तट व अंतर्राष्ट्रीय सीमा को स्पर्श नहीं करती हैं। टिप्पणी: गोंडवाना या गोंडवाना लैंड प्राचीन वृहत्त महाद्वीप पैन्जिया का दक्षिणी भाग था। उत्तरी भाग को लॉरेशिया कहा जाता है। गोंडवाना लैंड का नाम एडुअर्ड सुएस ने भारत के गोंडवाना क्षेत्र के नाम पर रखा था। नामकरण: गोंडवाना का नामकरण नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित प्राचीन गोंड राज्य के आधार पर किया गया है। अवयव: गोंडवाना काल में मुख्यतः मृत्तिका, शेलशिला (शैल), बलुआ पत्थर (sandstone), इत्यादि शिलाओं का निक्षेपण हुआ। स्वच्छ जल में इनका निर्माण होने के कारण इन शिलाओं में स्वच्छ जलीय एवं स्थलीय जीवों तथा वनस्पतियों के जीवाश्म की अधिकता है।
2. लोअर गोंडवाना शैल समूह को किस नाम से जाना जाता है?
(a) पंचमढ़ी
(b) तालचीर
(c) बाघ सीरीज
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (b) लोअर गोंडवाना शैल समूह को तालचीर के नाम से जाना जाता है। यह मुख्य रूप से सोहन महानदी घाटी में सतपुड़ा के क्षेत्रों में मिलते हैं। इनकी 10 से 122 मीटर मोटी बनावट से भू-वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि इनका परिवहन हिम तथा जंतुओं के द्वारा किया गया है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि उस काल में यह क्षेत्र सीट युक्त प्रभाव में था। क्विज घाटी तथा मोहपानी के कोयला क्षेत्र तालचीर शैल समूह के अंतर्गत ही आते हैं। विशेष: गोंडवाना समूह को मुख्यतः तीन वर्गों में विभाजित किया गया है:
1. लोअर गोंडवाना समूहः लोअर गोंडवाना समूह की चट्टानें सतपुड़ा क्षेत्र में विस्तृत हैं। मध्य प्रदेश के मोहपानी और पेंचघाटी कोयला क्षेत्र लोअर गोंडवाना समूह के अंतर्गत आते हैं।
2. मध्य गोंडवाना समूहः मध्य गोंडवाना के शैल पेंचघाटी, देनवा एवं पंचमढ़ी में विस्तृत हैं। इस शैल समूह में बालू के प्रस्तर मिलते हैं।
3. अपर गोंडवाना समूहः अपर गोंडवाना समूह की चट्टानें बघेलखंड एवं सतपुड़ा क्षेत्र में विस्तृत हैं। इन चट्टानों में कोयला, चूना पत्थर आदि खनिज पाए जाते हैं। सतपुड़ा क्षेत्र में इसे चौगान तथा अन्य क्षेत्रों में जबलपुर स्तर के नाम से जाना जाता है।
3. मध्य प्रदेश में प्रमुख रूप से किस प्रकार की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है?
(a) आर्कियन
(b) विंध्यन
(c) गोंडवाना
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में आर्कियन (आद्य महाकल्प), धारवाड़, कुड़प्पा, विंध्यन, गोंडवाना क्रम की चट्टानों के निक्षेप पाए जाते हैं तथा मध्य प्रदेश की भूगर्भिक संरचना का निर्माण आर्कियन काल से लेकर क्वार्टनरी काल तक की चट्टानों से हुआ है। मध्य प्रदेश में आर्कियन, विंध्यन एवं दक्कन ट्रैप की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार पाया जाता है। टिप्पणी: चट्टानों का प्राचीनतम समूह जो कि आर्कियन (कायांतरित) तथा प्रोटेरोजोइक (जीवन के प्रारंभिक समय में विकसित) चट्टानों से मिलकर बना है, जिससे मध्य प्रदेश के लगभग 45 प्रतिशत क्षेत्र का निर्माण हुआ है। मध्य प्रदेश में इस युग की चट्टानें बुंदेलखंड क्षेत्र में बुंदेलखंड नीस के रूप में मिलती हैं। इसके अतिरिक्त कार्बोनिफोरस से लेकर क्रेटेशियस काल की चट्टानों से मिलकर गोंडवाना शैल समूह का निर्माण हुआ है, जिससे मध्य प्रदेश का लगभग 10 प्रतिशत क्षेत्र एवं क्रेटेशियस एवं पैलिओसिन द्वारा निर्मित दक्कन ट्रैप की बेसाल्ट चट्टानों से मध्य प्रदेश के 38 प्रतिशत क्षेत्र का निर्माण हुआ है।
4. मध्य प्रदेश में आर्कियन चट्टानों का विस्तार किस भाग में पाया जाता है?
(a) उत्तर-पश्चिमी भाग
(b) उत्तरी भाग
(c) पूर्वी भाग
(d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: (d) आर्कियन (आद्य महाकल्प) की चट्टानों को सर्वाधिक प्राचीन चट्टानें माना जाता है, जिसके कारण इन्हें पैतृक व प्राथमिक चट्टानें भी कहा जाता है। आर्कियन चट्टानों का विस्तार मध्य प्रदेश के उत्तर, उत्तर-पश्चिम एवं पूर्वी भाग में पाया जाता है तथा इनके संदर्भ में सर्वप्रथम जे.डी. डाना ने परिचय करवाया था।
पृथ्वी के ठंडा होने पर सर्वप्रथम इन चट्टानों का निर्माण हुआ। ये चट्टानें अन्य प्रकार की चट्टानों हेतु आधार का निर्माण करती हैं। विशेष: आर्कियन क्रम की चट्टानों की विशेषता है, कि ये रवेदार होती हैं। परंतु इसमें जीवाश्मों का सर्वथा अभाव होता है, क्योंकि आंतरिक शक्तियों का काफी प्रभाव इन चट्टानों पर पड़ा है।
5. मध्य प्रदेश में धारवाड़ क्रम की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार किन जिलों में पाया जाता है?
(a) बालाघाट एवं छिंदवाड़ा
(b) बालाघाट एवं खरगोन
(c) बालाघाट एवं सिवनी
(d) खरगोन एवं छिंदवाड़ा
व्याख्या: (a) धारवाड़ क्रम की चट्टानों का निर्माण आर्कियन चट्टानों के अपरदन व निक्षेपण से हुआ है। धारवाड़ चट्टानों में जीवाश्म की अनुपस्थिति होती है तथा इनमें ग्रेनाइट, नीस, स्लेट, फेल्सफर, क्वार्टजाइट, माइका, शिस्ट, फाइलाइट आदि के निक्षेप पाये जाते हैं। मध्य प्रदेश में धारवाड़ क्रम की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित बालाघाट एवं छिंदवाड़ा जिले में पाया जाता है। टिप्पणी: भारत में पायी जाने वाली समस्त चट्टानों में आर्थिक दृष्टि से यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण चट्टान है। भारत में उपलब्ध लगभग सभी धातुएं इन्हीं चट्टानों की देन हैं। शिस्ट, स्लेट, क्वाटूजाइट और कांग्लोमेरेट इसी वर्ग की चट्टानें हैं। इस शैल समूह में सोना, मैगनीज-अयस्क, लौह-अयस्क, क्रोमियम, तांबा, यूरेनियम, थोरियम और अभ्रक जैसे खनिज पाए जाते हैं। ग्रेनाइट, संगमरमर, क्वार्टजाइट और स्लेट जैसी चट्टानों के रूप में भवन निर्माण सामग्री भी इनमें उपलब्ध है।
6. मध्य प्रदेश में धारवाड़ क्रम की चट्टानों के रूप में चिल्पी क्रम से किस खनिज की प्राप्ति होती है?
(a) बॉक्साइड
(b) हीरा
(c) मैंगनीज
(d) रॉक फॉस्फेट
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में धारवाड़ क्रम की चट्टानों के रूप में चिल्पी क्रम का विस्तार बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर जिले में पाया जाता है, जिससे मैंगनीज, क्वार्टजाइट, कॉपर के पाइराइट आदि खनिजों की प्राप्ति होती है। बालाघाट जिले में चिल्पी क्रम की चट्टानों में बैहर नीस, चौरिया नीस आदि के निक्षेप पाये जाते हैं।
7. मध्य प्रदेश के किस जिले में मलाजखंड रीफ स्थित है?
(a) छिदवाड़ा
(b) सिवनी
(c) बालाघाट
(d) बैतूल
व्याख्या: (c) टेक्टोनिक प्लेट विवर्तनिक के कारण बालाघाट जिले में ग्रेनाइट चट्टानों में दरारें उत्पन्न हुई, जिनमें क्वार्टज रीफ एवं वीन्स जमा हुई। जिसे मलाजखंड रीफ कहा जाता है तथा तांबे का जमाव इस रीफ में सर्वाधिक हुआ है। मलाजखंड रीफ निर्माण के पश्चात मलाजखंड रीफ में पाइराइट एवं मालीबीडेनाइट जमा हुए, जिसके परिणामस्वरूप दरारें उत्पन्न हुई और इन दरारों में बड़ी मात्रा में चालकोपायराइडस चालकोसाइड एवं स्वेरेलाइट जमा हुए थे। अस्थाई रूप से बेसीकडाइक्स के इन्क्लूजन के पश्चात कुछ समय उपरांत चिल्पी क्रम की चट्टानों का जमाव कांग्लोमरेट की परत में हुआ, जिससे बालाघाट जिले में बैहर पठार के अंतर्गत स्थित मलाजखंड खदान से तांबे के वृहद भंडारों की प्राप्ति होती है।
8. पृथ्वी की प्रारंभिक चट्टान मध्य प्रदेश में कौन-सी है?
(a) धारवाड़ समूह
(b) आद्य महाकल्प
(c) आर्य समूह
(d) पुराना संघ
व्याख्या: (b) आद्य महाकल्प (आर्कियन) की चट्टानें पृथ्वी की प्रथम कठोर चट्टानें हैं। प्रारंभिक चट्टानों में जीवाश्म के अवशेष नहीं मिलते हैं क्योंकि तत्कालीन समय में पृथ्वी पर जीवन का विकास नहीं हुआ था। मध्य प्रदेश में इस युग की चट्टानें बुंदेलखंड क्षेत्र में बुंदेलखंड नीस के रूप में मिलती हैं। इस क्षेत्र में आद्य महाकल्प की चट्टानों के साथ लंबी संकरी पहाड़ियों में गुलाबी ग्रेनाइट सील एवं सिल, डाइक के रूप में पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश में स्थित आद्य महाकल्प चट्टानों का निर्माण किस तरह के तरल लावा के ठंडे होने से हुआ है। इस प्रकार की चट्टानों का प्रादेशिक एवं तापीय कायांतरण अधिक होने के कारण इनका विभेदीकरण कठिन है।
9. मध्य प्रदेश में पायी जाने वाली धारवाड़ क्रम की चट्टानों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है-
(a) चिल्पी क्रम की चट्टानों में बालाघाट व छिंदवाड़ा जिले से मैंगनीज व ताम्र खनिज की प्राप्ति होती है।
(b) सकोली क्रम की चट्टानों में जबलपुर व कटनी जिले से अभ्रक व संगमरमर की प्राप्ति होती है।
(c) सौसर क्रम की चट्टानों का विस्तार महाराष्ट्र के नागपुर से मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले तक एक पट्टी के रूप में पाया जाता है।
(d) सकोली व सौसर क्रम की चट्टानों से हीरे व बॉक्साइड की प्राप्ति होती है।
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में धारवाड़ क्रम की चट्टानों के रूप में चिल्पी क्रम की चट्टानों का विस्तार बालाघाट, छिंदवाड़ा जिले में पाया जाता है, जिसमें मैंगनीज व तांबे के भंडार पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त जबलपुर, कटनी जिले में सकोली क्रम की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है, जिसमें अभ्रक व सर्वोच्च गुणवत्ता वाले संगमरमर के निक्षेपों की प्राप्ति होती है। धारवाड़ क्रम की चट्टानों के सौसर क्रम का विस्तार महाराष्ट्र के नागपुर से लेकर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले तक एक सकरी पट्टी के रूप में पाया जाता है, जिसमें मैंगनीज व अभ्रक की अधिकता पायी जाती है।
टिप्पणी: प्रायद्वीप और बाह्य प्रायद्वीप की धारवाड़ चट्टानों में काफी भिन्नताएं देखने को मिलती हैं। प्रायद्वीपीय चट्टानों का रूपांतरण बहुत ज्यादा हुआ है जबकि बाह्य प्रायद्वीपीय चट्टानों का अपेक्षाकृत कम। प्रायद्वीपीय चट्टानों के अत्यधिक रूपांतरित होने के कारण उनमें खनिज पदार्थ अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं। कहीं-कहीं ये चट्टानें एक साथ काफी दूर के क्षेत्रों में व्याप्त मिलती हैं। इसके विपरीत बाह्य प्रायद्वीप में धारवाड़ क्रम की चट्टानें अधिकतर गहरी गर्तों और घाटियों में मिलती हैं या कहीं ऊंचे स्थान पर इसका मुख्य कारण यह है कि इन प्रदेशों का धरातल निर्माण के बाद ऊपर उठा है और इस पर अधिक जमाव नहीं हो पाया है। कहीं यदि जमाव हुआ भी है तो वह सही रूप में नहीं है।
10. मध्य प्रदेश में कुडप्पा क्रम की चट्टानों को ग्वालियर संभाग में किस नाम से जाना जाता है?
(a) ग्वालियर सीरीज
(b) कैमूर सीरीज
(c) भांडेर सीरीज
(d) तालचेर सीरीज
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में निचले कुडप्पा क्रम की चट्टानों के रूप में ग्वालियर, पन्ना व छतरपुर जिले में कुडप्पा चट्टानों का विस्तार पाया जाता है, जिन्हें ग्वालियर संभाग में ग्वालियर सीरीज के नाम से जाना जाता है। ग्वालियर सीरीज का विस्तार ग्वालियर के दक्षिण से उत्तर-पूर्व में दतिया जिले की सेंवढ़ा तहसील तक पाया जाता है। ग्वालियर सीरीज की ऊपरी चट्टानों को मोरार तथा निचली चट्टानों को पार कहा जाता है।
आंध्र प्रदेश के कुडप्पा जिले के नाम पर इस चट्टान समूह का नामकरण किया गया है। कुडप्पा जिले में यह चट्टान अर्द्धचंद्राकार स्वरूप में एक विशाल क्षेत्र में पाई जाती है, जिसकी ऊंचाई लगभग 6,000 मीटर है। अब तक इन चट्टानों में जीवाश्मों का रूप प्राप्त नहीं किया जा सका है जबकि उस समय पृथ्वी पर जीवन का आविर्भाव हो चुका था। सामान्यतः ये चट्टानें निचली कुडप्पा चट्टानें और ऊपरी कुडप्पा चट्टानें नामक दो वर्गों में विभाजित हैं।
11. मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में हीरे की प्राप्ति किस प्रकार की चट्टानों से होती है?
(a) धारवाड़ चट्टानें
(b) आर्कियन चट्टानें
(c) कुडप्पा चट्टानें
(d) गोंडवाना चट्टानें
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के पन्ना एवं छतरपुर जिले में निचले कुडप्पा क्रम की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है, जिसे बिजावर सीरीज के नाम से जाना जाता है। कुडप्पा चट्टानों की बिजावर सीरीज में ज्वालामुखी विभेदो (बेसाल्ट चट्टानों की परत) में हीरे के निक्षेप प्राप्त होते हैं। हीरे के अतिरिक्त बिजावर सीरीज से बलुआ पत्थर, क्वार्टजाइट, चूना पत्थर, हेमेटाइट व हार्नस्टोन के निक्षेपों की प्राप्ति होती है।
टिप्पणी- कुडप्पा शैल समूह विंध्यन की अपेक्षा प्राचीन है। कुडप्पा शैल समूह की चट्टानें अत्यधिक टूटी एवं कायांतरित हैं। यह चट्टानें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के मैदान में पाई जाती हैं, परंतु मध्य प्रदेश के बिजावर, पन्ना तथा ग्वालियर में विभिन्न प्रकार का विस्तार देखने को मिलता है, अतः यह चट्टानें मध्य प्रदेश की उत्तर पश्चिमी सीमा पर सेल, जैस्पर, होर्नस्टोन तथा पोर्सस्टोन के रूप में पाई जाती हैं।
नोट: कुडप्पा एवं विध्यन क्रम की चट्टानों से ही मध्य प्रदेश में सर्वाधिक हीरे की प्राप्ति होती है।
12. मध्य प्रदेश में कुडप्पा क्रम की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार किस क्षेत्र में पाया जाता है?
(a) उत्तर-पूर्वी
(b) उत्तर-पश्चिमी
(c) दक्षिण-पूर्वी
(d) विकल्प (a) एवं (b) दोनों
व्याख्या: (d) कुडप्पा क्रम की चट्टानों का निर्माण प्री-क्रेम्बियन युग में आर्कियन व धारवाड़ चट्टानों के अनाच्छदन और अपरदन के कारण हुआ है। कुडप्पा चट्टानें प्राचीन अवसादी व कायांतरित चट्टानें हैं, जिनका सर्वाधिक विस्तार मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी भाग में पाया जाता है।
टिप्पणी: ये चट्टानें मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा हिमालय के कुछ क्षेत्रों में स्थित हैं। आर्थिक दृष्टि से कुडप्पा चट्टानें धारवाड़ चट्टानों से कम महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें खनिज पदार्थ अपेक्षाकृत कम मात्रा में मिलते हैं। हालांकि इन चट्टानों से हमें तांबा, निकेल, कोबाल्ट, लोहा, मैंगनीज, संगमरमर, जास्पर, एस्बेस्टस, हीरे, चूना पत्थर, बालुका पत्थर और सीसा आदि प्राप्त होते हैं।
13. मध्य प्रदेश में विंध्यन क्रम की चट्टानों के लाल बलुआ पत्थर से किस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण हुआ है?
(a) नचना कुठार मंदिर
(b) भोजपुर शिवलिंग मंदिर
(c) पशुपतिनाथ मंदिर
(d) सांची का स्तूप
व्याख्या: (d) विंध्यन क्रम की चट्टानों से प्राप्त लाल बलुआ पत्थर द्वारा रायसेन जिले में अवस्थित सांची के स्तूप, सतना जिले के भरहुत स्तूप व ग्वालियर के किले का निर्माण किया गया है। विंध्यन क्रम की चट्टानों से उच्च कोटि के सजावटी पत्थर, बहुमूल्य रत्न, चूना पत्थर व लाल रंग के बलुआ पत्थर की प्राप्ति होती है।
टिप्पणी: विंध्यन चट्टानों का निर्माण कुडप्पा चट्टानों के बाद हुआ है। इसका नामकरण विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के नाम पर किया गया है। जल निक्षेपों के द्वारा निर्मित ये परतदार चट्टानें हैं। विध्यन चट्टानों से बलुआ पत्थर प्राप्त हुआ है, जो इस बात का सूचक है कि जिन निक्षेपों से इन चट्टानों का निर्माण हुआ है, वह छिछले सागर में ही एकत्र हुए थे।
14. मध्य प्रदेश में विंध्यन क्रम की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार नर्मदा सोन घाटी के किस भाग में पाया जाता है?
(a) पूर्वी भाग
(b) उत्तरी भाग
(c) पश्चिमी भाग
(d) दक्षिणी भाग
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में विंध्यन क्रम की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार नर्मदा-सोन घाटी के उत्तरी भाग में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त उत्तर-पूर्वी भाग व सोनार घाटी क्षेत्र में भी विध्यन क्रम की चट्टानों का पर्याप्त विस्तार पाया गया है।
टिप्पणी: कुडप्पा चट्टानों की भांति इन चट्टानों को भी दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- निचली विंध्यन चट्टानें और ऊपरी विध्यन चट्टानें। निचली विंध्यन चट्टानें उन निक्षेपों द्वारा बनी हैं जो समुद्र में काफी मोटी परत में जमे हुए थे। ये चट्टानें अधिकतम प्रायद्वीपीय भारत में पायी जाती हैं। निचली विंध्यन चट्टानें मुख्य रूप से पांच प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जहां इन्हें भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। सोन नदी की घाटी में सेमरी श्रेणी, आंध्र प्रदेश के दक्षिण पश्चिमी भाग में करनूल श्रेणी, भीमा नदी की घाटी में भीमा श्रेणी, राजस्थान के जोधपुर तथा चित्तौड़गढ़ में पलनी श्रेणी तथा ऊपरी गोदावरी घाटी एवं नर्मदा घाटी के उत्तर में मालवा व बुंदेलखंड में इन चट्टानों की विभिन्न श्रेणियां मिलती हैं। इन चट्टानों से सेलखड़ी, चूना पत्थर तथा क्वार्टजाइट आदि प्राप्त होता है। ऊपरी विध्यन चट्टानें नदियों की घाटी में होने वाली निक्षेप से बनी हैं। ये चट्टानें प्रायद्वीपीय भारत के साथ-साथ बाह्य प्रायद्वीपीय भागों में भी पाई जाती हैं।
15. मध्य प्रदेश में विंध्यन क्रम की चट्टानों के कितने प्रकार पाये जाते हैं?
(a) 1
(b) 3
(c) 2
(d) 5
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में विंध्यन क्रम की चट्टानों के रूप में निचले विंध्यन क्रम व ऊपरी विध्यन क्रम की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है। निचले विंध्यन क्रम की चट्टानों का विस्तार मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्व में तथा ऊपरी विंध्यन क्रम की चट्टानों का विस्तार उत्तर-पूर्व व उत्तर-पश्चिमी भाग में पाया जाता है।
मध्य प्रदेश में विंध्यन शैल समूह का वर्गीकरण:
उपक्रम
स्टेज
ऊपरी विंध्यन
भांडेर उपक्रम
अपर भांडेर बलुआ पत्थर, सिरबू शेल, लोअर भांडेर बलुआ पत्थर, भांडेर चूने का पत्थर, कांग्लोमरेट की परत
रीवा उपक्रम
अपर रीवा बलुआ पत्थर, झिरि शेल, लोअर रीवा बलुआ पत्थर, पन्ना शेल, कांग्लोमरेट की परत
16. मध्य प्रदेश में निचले विंध्यन क्रम की चट्टानों के रूप में सेमरी उपक्रम (Semri Series) का विस्तार किस नदी घाटी क्षेत्र में पाया जाता है?
(a) सोन नदी घाटी
(b) ताप्ती नदी घाटी
(c) चम्बल नदी घाटी
(d) पेंच नदी घाटी
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्व में निचले विंध्यन क्रम की चट्टानों के रूप में सेमरी उपक्रम (Semri Series) का सर्वाधिक विस्तार पाया जाता है, जिसमें बलुआ पत्थर, चूना पत्थर तथा शैल के निक्षेप प्राप्त होते हैं। निचले विंध्यन क्रम की चट्टानों का अधिकांश विस्तार नर्मदा नदी के उत्तर में पूर्व से पश्चिम तक तथा सोन नदी एवं भीमा घाटी क्षेत्र में विस्तृत है।
17. मध्य प्रदेश में ऊपरी विंध्यन क्रम की चट्टानों को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया है?
(a) 4
(b) 2
(c) 3
(d) 5
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में ऊपरी विंध्यन क्रम की चट्टानों का निर्माण निम्न प्रोटोरोजोइक काल से लेकर ऊपरी प्रोटोरोजोइक तथा निम्न कैम्ब्रियन काल में हुआ है। ऊपरी विंध्यन क्रम की चट्टानों का विस्तार नर्मदा-सोन घाटी क्षेत्र के उत्तरी भाग में प्राप्त होता है, जिसे कैमूर उपक्रम (Kaimur Series), रीवा उपक्रम (Rewa Series) व भांडेर उपक्रम (Bhander Series) के रूप में विभक्त किया गया है। नर्मदा सोन घाटी के अतिरिक्त सोनार घाटी क्षेत्र में भी ऊपरी विंध्यन क्रम की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है।
18. मध्य प्रदेश में पायी जाने वाली विंध्यन क्रम की चट्टानों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है-
(a) कैमूर उपक्रम की चट्टानों के रूप में पन्ना जिले के पूर्वी भाग व केन नदी घाटी क्षेत्र में ग्रेनाइट एवं कांग्लोमरेट की चट्टानों के निक्षेप पाये जाते हैं।
(b) कैमूर उपक्रम के उत्तर-पश्चिम में स्थित सागर, पन्ना तथा दमोह जिले में रीवा उपक्रम का विस्तार पाया जाता है।
(c) रीवा उपक्रम की निचली अवस्था को पन्ना शेल तथा ऊपरी अवस्था को झिरि शेल के नाम से जाना जाता है।
(d) कैमूर उपक्रम की चट्टानों में ग्रेफाइट व कोयले के निक्षेप पाये जाते हैं।
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में ऊपरी विंध्यन क्रम की चट्टानों के रूप में कैमूर क्रम का विस्तार केन नदी घाटी क्षेत्र में पाया जाता है, जिसमें ग्रेनाइट व कांग्लोमरेट के निक्षेप पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त रीवा उपक्रम का विस्तार कैमूर उपक्रम के उत्तर-पश्चिम में स्थित सागर जिले में पाया जाता है, जिसमें बलुआ पत्थर की दो अवस्थाएं पायी जाती हैं। रीवा उपक्रम की निचली अवस्था को पन्ना शेल तथा ऊपरी अवस्था को झिरि शेल (राजगढ़ शेल) के नाम से जाना जाता है।
19. मध्य प्रदेश में विंध्यन क्रम की चट्टानों के भांडेर उपक्रम (Bhander Series) का विस्तार विंध्यन पर्वत श्रृंखला के किस भाग में पाया जाता है?
(a) पूर्वी भाग
(b) उत्तरी भाग
(c) दक्षिणी भाग
(d) पश्चिमी भाग
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में विंध्यन क्रम की चट्टानों के भांडेर उपक्रम (Bhander Series) का विस्तार विध्यन पर्वत श्रृंखला के पश्चिमी भाग में स्थित सागर एवं दमोह जिले के पठारी क्षेत्र तक पाया जाता है तथा भांडेर उपक्रम की दो अवस्थाएं क्रमशः गानौरगढ़ शेल व सिरबू शेल इन क्षेत्रों में विस्तृत हैं। भांडेर उपक्रम की चट्टानों से चूना पत्थर, बलुआ पत्थर तथा शेल के निक्षेप पाये जाते हैं।
20. मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग में सर्वप्रथम किन चट्टानों का अध्ययन किया गया था?
(a) धारवाड़ चट्टानें
(b) कुडप्पा चट्टानें
(c) गोंडवाना चट्टानें
(d) विंध्यन चट्टानें
व्याख्या: (c) सर्वप्रथम मध्य प्रदेश के दक्षिण पूर्वी भाग में प्राचीन गोंडवाना राज्य (मंडला-डिंडोरी) में गोंडवाना चट्टानों का अध्ययन किया गया था, जिसके आधार पर इनका नामकरण गोंडवाना चट्टान किया गया है। गोंडवाना क्रम की चट्टानों का निर्माण मध्य कार्बोनीफेरस काल से जुरैसिक काल के अंतिम चरण तक द्रोणी बेसिनों में अवसादों तथा चट्टानों के वृहद निक्षेपण से हुआ है।
21. मध्य प्रदेश में विस्तृत गोंडवाना क्रम की चट्टानों से किस खनिज के निक्षेप प्राप्त होते है?
(a) रॉल व कोयला
(b) कोयला व लोह अयस्क
(c) कोयला व रॉकफॉस्फेट
(d) हीरा व कोयला
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में आर्य समूह (Aryan Group) की चट्टानें गोंडवाना शैल समूह के रूप में पायी जाती हैं, जिसमें रॉल व कोयले के निक्षेप पाये जाते हैं। मध्य प्रदेश में गोंडवाना चट्टानों का विस्तार सतपुड़ा मैकाल श्रेणी क्षेत्र तथा बघेलखंड पठारी क्षेत्र में अर्धवृत्त के रूप में पाया जाता है, जो उत्तर में सीधी जिले से लेकर दक्षिण में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले तक विस्तृत है।
22. गोंडवाना चट्टानों के तालचेर उपक्रम की चट्टानों का विस्तार मध्य प्रदेश के किस जिले में नहीं पाया जाता है?
(a) शहडोल
(b) सिंगरौली
(c) सीधी
(d) नरसिंहपुर
व्याख्या: (d) निचले गोंडवाना क्रम की चट्टानों के प्रथम शैल समूह को तालचेर उपक्रम के नाम से जाना जाता है, जिसका विस्तार मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में सोन-महानदी घाटी व सतपुड़ा क्षेत्र में पाया जाता है। तालचेर उपक्रम की ऊपरी परत को करहरवारी, बरकार व मेटूर स्तर के नाम से जाना जाता है तथा इनका विस्तार मध्य प्रदेश के शहडोल, सीधी एवं सिंगरौली जिले में पाया जाता है। मध्य प्रदेश में अवस्थित पेंच घाटी व मोहपानी कोयला क्षेत्र तालचेर उपक्रम के बरकार स्तर में सम्मिलित है।
23. मध्य प्रदेश में गोंडवाना क्रम की चट्टानों को कितने शैल समूहों में वर्गीकृत किया गया है?
(a) 2
(b) 4
(c) 5
(d) 3
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में गोंडवाना क्रम की चट्टानों को 3 शैल समूहों क्रमशः ऊपरी गोंडवाना क्रम, मध्य गोंडवाना क्रम व निचली गोंडवाना क्रम की चट्टानों के रूप में विभक्त किया गया है। ऊपरी गोंडवाना क्रम की चट्टानें मुख्यतः बघेलखंड व सतपुड़ा क्षेत्र में पायी जाती है, जिनमें कांग्लोमरेट, क्वार्टजाइट, बलुआ पत्थर व कोयले के निक्षेप पाये जाते है। मध्य गोंडवाना क्रम की चट्टानों का विस्तार सोन-महानदी घाटी क्षेत्र में पाया जाता है, जिसे परसोरा तथा टिकी नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त निचले गोंडवाना क्रम की चट्टानें ऊपरी गोंडवाना शैल समूह की पट्टी से संलग्न निचले भाग से प्राप्त होती है, जिसमें सफेद तथा संगठित बालू पत्थर, शेलग्रिट व कोयले के निक्षेप प्राप्त होते है।
24. मध्य प्रदेश में ऊपरी गोंडवाना क्रम की चट्टानों के रूप में महादेव उपक्रम (Mahadev Series) को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) जबलपुर उपक्रम
(b) देवरी उपक्रम
(c) तालचेर उपक्रम
(d) पंचमढ़ी उपक्रम
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में सतपुड़ा श्रेणी क्षेत्र के अंतर्गत ऊपरी गोंडवाना क्रम की चट्टानों के महादेव उपक्रम का विस्तार पाया जाता है, जिसे पंचमढ़ी उपक्रम के नाम से भी जाना जाता है। महादेव उपक्रम में लाल बलुआ पत्थर की मोटी परत व कोयले के भंडार पाये जाते हैं, जिनका विस्तार सिवनी, नरसिंहपुर तथा छिंदवाड़ा जिले में पाया जाता है।
25. मध्य प्रदेश में ऊपरी दक्कन ट्रैप की चट्टानों का विस्तार मालवा पठार के अतिरिक्त किस क्षेत्र में पाया जाता है?
(a) दक्षिण-पश्चिमी
(b) दक्षिण-पूर्वी
(c) उत्तर-पश्चिमी
(d) विकल्प (a) और (c) दोनों
व्याख्या: (d) दक्कन ट्रैप का निर्माण क्रिटेशियस काल में भू-गर्भिक हलचलों के कारण ज्वालामुखी क्रियाओं से हुआ है, जिसे क्रमश: ऊपरी ट्रैप, मध्यवर्ती ट्रैप एवं निचले ट्रैप में विभाजित किया गया है। मध्य प्रदेश में ऊपरी दक्कन ट्रैप की चट्टानों का विस्तार मालवा पठार के अतिरिक्त दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण-पूर्व क्षेत्रों तथा मध्यवर्ती ट्रैप का विस्तार मालवा व मध्यभारत के पठारी क्षेत्रों में हुआ है। निचले दक्कन ट्रैप का विस्तार मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी क्षेत्र में पाया जाता है, जिसमें बाघ एवं लमेटा नामक दो पृथक संरचना वाले स्तर पाये जाते है तथा इनका निर्माण उत्तर क्रिटेशियस काल में हुआ है। दक्कन ट्रैप्स की चट्टानें काफी कठोर होती हैं किंतु दीर्घकाल से इनका कटाव होता रहा है तथा इस कटाव से जो चूर्ण बना उससे काली मिट्टी का निर्माण हुआ। इस मिट्टी को रेगुर अथवा कपासी मिट्टी भी कहते हैं。
विशेष: दक्कन ट्रैप चट्टानों से ही मीसोजोइक युग के अंतिम काल में प्रायद्वीपीय भारत में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था, जिसके उद्गार से लावा उत्पन्न हुआ तथा इसने दक्कन के पठार की आकृति को जन्म दिया।
26. मध्य प्रदेश में ऊपरी गोंडवाना क्रम की चट्टानों के किस उपक्रम से लिग्नाइट कोयले की प्राप्ति होती है?
(a) तालचेर उपक्रम
(b) महादेव उपक्रम
(c) जबलपुर उपक्रम
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में ऊपरी गोंडवाना क्रम की चट्टानों के जबलपुर उपक्रम से लिग्नाइट कोयले की प्राप्ति होती है। जबलपुर उपक्रम का विस्तार मध्य प्रदेश के कटनी, जबलपुर व उमरिया जिले में हुआ है तथा यहां पर निचले चौगान एवं ऊपरी जबलपुर नामक दो अवस्थाएं पायी जाती हैं। जबलपुर उपक्रम से लिग्नाइट कोयले के अतिरिक्त कांग्लोमरेट, चूना पत्थर, शेल, तथा बलुआ पत्थर के निक्षेप प्राप्त होते हैं।
विशेष: कोयला एक कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता है जिसमें लिग्नाइट कोयला में कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है। इसका रंग भूरा होता है, इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
27. मध्य प्रदेश में तृतीयक शैल समूह (Tertiary Epochs) के रूप में क्वार्टनरी क्रम की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार किस भाग में पाया जाता है?
(a) उत्तरी भाग
(b) पूर्वी भाग
(c) दक्षिणी भाग
(d) पश्चिमी भाग
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में तृतीयक शैल समूह (Tertiary Epochs) के रूप में क्वार्टनरी क्रम की चट्टानों का सर्वाधिक विस्तार उत्तरी भाग के चम्बल घाटी क्षेत्र में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त ताप्ती तथा नर्मदा नदी घाटियों के क्षेत्रों में भी क्वार्टनरी चट्टानों का विस्तार पाया जाता है। क्वार्टनरी चट्टानों का निर्माण प्लीस्टोसीन तथा होलोसीन काल में नदियों द्वारा लाये गये अवसादों के निक्षेप से हुआ है, जिसे नवीन जलोढ़ के नाम से भी जाना जाता है।
टिप्पणी: टर्शियरी कल्प (Epohs) को कालक्रम के अनुसार चार भागों में बांटा जाता है -
इओसीन (Eocene)
ओलिगोसीन (Oligocene)
मायोसीन (Miocene)
प्लायोसीन (Pliocene)
अर्थात इन चट्टानों का निर्माण इओसीन से लेकर प्लायोसीन काल के दौरान हुआ था। हिमालय पर्वत का निर्माण इन्हीं कालों में हुआ है।
28. मध्य प्रदेश में किस युग की चट्टानों के साक्ष्य नहीं मिलते हैं?
(a) पुराना संघ
(b) धारवाड़ समूह
(c) द्रविड़ संघ
(d) आर्य समूह
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में द्रविड़ संघ की चट्टानों के साक्ष्य नहीं मिलते हैं।
मध्य प्रदेश में विभिन्न युग
उनके साक्ष्य
आद्य महाकाल्प (आर्कियन)
बुंदेलखंड का गुलाबी ग्रेनाइट नीस, सिल, डाइक
धारवाड़ समूह
बालाघाट की चिल्पी श्रेणी, छिंदवाड़ा का सौसर श्रेणी, बुंदेलखंड की बिजावर श्रेणी
पुराना संघ
पन्ना, ग्वालियर की बिजावर श्रेणी, कैमूर, भांडेर, रीवा श्रेणी
द्रविड़ संघ
मध्य प्रदेश में साक्ष्य नहीं मिलते हैं।
आर्य समूह
सतना एवं बघेलखंड में विस्तृत कोयला घाटी
क्रिटेयसकल्प
मालवा के पठार, ज्वालामुखी, संस्तर
तृतीयक समूह
नर्मदा सोन घाटी
29. मध्य प्रदेश की भौगोलिक व प्राकृतिक सीमाओं का निर्धारण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है-
(a) मध्य प्रदेश की उत्तरी सीमा का निर्धारण गंगा-यमुना के मैदान (Indo Gangetic Plains) व चम्बल नदी के बीहड़ (Chambal Ravines) द्वारा होता है।
(b) मध्य प्रदेश की पश्चिमी सीमा का निर्धारण सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला (Satpura Range) के पश्चिमी भाग में स्थित राजपीपला पहाड़ी (Rajpipla Hills) एवं उत्तर-पश्चिमी सीमा का निर्धारण अरावली पर्वत श्रृंखला (Aravalli Range) व राजस्थान के उच्च प्रदेश (Rajasthan Highlands) के द्वारा होता है।
(c) मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमा का निर्धारण ताप्ती नदी घाटी (Tapti River Valley) व महाराष्ट्र के विस्तृत पठार (Maharashtra Plateau) द्वारा होता है।
(d) मध्य प्रदेश की पूर्वी सीमा का निर्धारण नर्मदा सोन घाटी (Narmada Son Valley) द्वारा होता है।
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश दक्षिण प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग में अवस्थित है, इसकी उत्तरी सीमा का निर्धारण गंगा-यमुना के मैदान (Indo Gangetic Plains) व चम्बल नदी के बीहड़ (Chambal Ravines), पश्चिमी सीमा का निर्धारण सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला (Satpura Range) के पश्चिमी भाग में स्थित राजपीपला पहाड़ी (Rajpipla Hills) एवं उत्तर-पश्चिमी सीमा का निर्धारण अरावली पर्वत श्रृंखला (Aravalli Range) व राजस्थान के उच्च प्रदेश (Rajasthan Highlands), दक्षिणी सीमा का निर्धारण ताप्ती नदी घाटी (Tapti River Valley) व महाराष्ट्र के विस्तृत पठार (Maharashtra Plateau) तथा पूर्वी सीमा का निर्धारण मैकाल पर्वत श्रेणी (Maikal Range) के देवगढ़ पहाड़ी से होता है।
30. संपूर्ण मध्य प्रदेश निम्न में से किस पठार का भाग माना जाता है?
(a) पूर्व का पठार
(b) पश्चिमी का पठार
(c) उत्तर का पठार
(d) दक्षिण का पठार
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश 30,82,45, वर्ग किमी. के क्षेत्रफल के साथ भारत का दूसरा बड़ा राज्य है। मध्य प्रदेश का अधिकतर भाग दक्कन पठार के अंतर्गत आता है। यही कारण है कि प्रदेश का आधे से अधिक भाग पठारी है, लेकिन प्रदेश में जगह-जगह ऊंचे-नीचे पर्वत भी पाए जाते हैं। भौतिक संरचना की दृष्टि से प्रायद्वीपीय पठार का उत्तरी भाग मध्य प्रदेश के अंतर्गत माना जाता है।
31. मध्य प्रदेश की प्राकृतिक संरचना को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया है? (MPSI-2017)
(a) 5
(b) 3
(c) 2
(d) 4
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश को भौगोलिक संरचना एवं उच्चावच के आधार पर 3 वृहद प्राकृतिक क्रमशः मध्य उच्च प्रदेश, सतपुड़ा मैकाल श्रेणी व बघेलखंड पठार के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त पी. चटर्जी द्वारा अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से भारत के भू-आकृतिक प्रदेशों के अनुसार मध्य उच्च प्रदेश व प्रायद्वीपीय पठार के रूप में मध्य प्रदेश के प्राकृतिक व भौतिक विभागों का वर्गीकरण किया गया है।
32. मध्य प्रदेश के किस प्राकृतिक प्रवेश द्वारा राज्य का दो-तिहाई क्षेत्र निर्मित होता है?
(a) मालवा का पठार
(b) सतपुड़ा मैकाल श्रेणी
(c) बघेलखंड का पठार
(d) मध्य उच्च प्रदेश
व्याख्या: (d) मध्य उच्च प्रदेश (The Central Highlands) का निर्माण आर्कियन, धारवाड़, दक्कन ट्रैप व विंध्यन क्रम की चट्टानों से हुआ है। ज्यामितीय दृष्टि से मध्य उच्च प्रवेश का आकार त्रिभुजाकार है, जिससे मध्य प्रदेश के दो-तिहाई क्षेत्र का निर्माण होता है। मध्य उच्च प्रदेश का विस्तार नर्मदा - सोन घाटी के उत्तरी भाग में है।
33. मध्य उच्च प्रवेश के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है-
(a) मध्य उच्च प्रदेश का विस्तार उत्तर में यमुना के मैदान, पश्चिम में अरावली पर्वत श्रृंखला, पूर्व में छोटा नागपुर का पठार तथा दक्षिण में नर्मदा-सोन घाटी तक पाया जाता है।
(b) मध्य उच्च प्रदेश में सर्वाधिक जल प्रपातों, नदी घाटियों व मैदानों का विकास हुआ है।
(c) मध्य उच्च प्रदेश से उदगमित होने वाली अधिकांश नदिया ताप्ती नदी में मिल जाती है।
(d) मध्य उच्च प्रदेश में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला का विस्तार पाया जाता है।
व्याख्या: (c) मध्य उच्च प्रदेश का विस्तार उत्तर में यमुना के मैदान, पश्चिम में अरावली पर्वत श्रृंखला, पूर्व में छोटा नागपुर का पठार तथा दक्षिण में नर्मदा-सोन घाटी तक पाया जाता है। मध्य प्रदेश के अंतर्गत नर्मदा सोन घाटी के उत्तर में अवस्थित मध्य उच्च प्रदेश से अधिकांश नदियों का उदगम होता है और ये नदियां प्रवाहित होते हुए जल प्रपातों, नदी घाटियों व मैदानों का निर्माण करती हैं। मध्य उच्च प्रदेश से उदगमित होने वाली अधिकांश नदियां गंगा नदी में मिल जाती हैं।
34. मध्य उच्च प्रदेश को कितने उप-प्राकृतिक प्रदेशों में विभक्त किया गया है?
(a) 8
(b) 4
(c) 7
(d) 5
व्याख्या: (d) मध्य उच्च प्रदेश के उत्तरी भाग को 5 प्राकृतिक प्रदेशों क्रमशः मालवा का पठार, मध्य भारत का पठार, बुंदेलखंड का पठार, रीवा-पन्ना का पठार (विंध्यन कगारी प्रदेश) तथा नर्मदा-सोन घाटी में विभक्त किया गया है। इसके अतिरिक्त मध्य उच्च प्रदेश के दक्षिणी भाग में विस्तृत प्रायद्वीपीय पठार को 2 प्राकृतिक प्रदेश क्रमशः सतपुड़ा मैकाल श्रेणी व बघेलखंड का पठार के रूप में विभक्त किया गया है।
35. मध्य उच्च प्रदेश को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) गंगा नदी बेसिन
(b) नर्मदा नदी बेसिन
(c) ताप्ती नदी बेसिन
(d) गोदावरी नदी बेसिन
व्याख्या: (a) नर्मदा सोन घाटी के उत्तरी भाग में स्थित मध्य उच्च प्रदेश को गंगा नदी बेसिन के नाम से जाना जाता है तथा इस क्षेत्र से उदगमित होने वाली अधिकांश नदियां गंगा अपवाह तंत्र में मिल जाती हैं। मध्य उच्च प्रदेश में गंगा-यमुना अपवाह तंत्र के अंतर्गत चम्बल नदी बेसिन का निर्माण होता है, जिसकी सहायक नदियों के माध्यम से अधिकांशत: अरावली और मालवा क्षेत्र के जल का संग्रहण होता है।
36. वर्तमान मध्य प्रदेश राज्य को कितने भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है?
(a) 8
(b) 7
(c) 12
(d) 10
व्याख्या: (b) वर्तमान मध्य प्रदेश को 7 भौतिक प्रदेशों तथा 2 अन्य उप-भौतिक प्रदेशों में विभक्त किया गया है। वर्तमान मध्य प्रदेश में 7 भौतिक प्रदेश क्रमशः मध्य भारत का पठार, बुंदेलखंड का पठार, मालवा का पठार, रीवा-पन्ना का पठार, नर्मदा-सोन घाटी, सतपुड़ा मैकाल श्रेणी एवं बघेलखंड का पठार तथा 2 अन्य उप प्रदेश क्रमशः राजपीपला श्रेणी व ग्वालीगढ़ श्रेणी अवस्थित है।
टिप्पणी: वर्ष 2000 तक मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ विभाजन के पूर्व कुल 9 भौतिक प्रदेश सम्मिलित थे अर्थात वर्तमान 7 भौतिक प्रदेशो के अतिरिक्त महानदी बेसिन और दण्डकारण्य भौतिक प्रदेश तत्कालीन मध्य प्रदेश में शामिल थे।
37. मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में सबसे बड़े भौतिक भू-भाग के रूप में किस पठार का विस्तार पाया जाता है?
(a) बुंदेलखंड का पठार
(b) मध्य भारत का पठार
(c) बघेलखंड का पठार
(d) मालवा का पठार
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में राज्य के सबसे बड़े भौतिक भू-भाग के रूप में मालवा का पठार स्थित है। मालवा का पठार 22°17 से 25°8 उत्तरी अक्षांश तथा 73°17 से 79°4 पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 88,222 वर्ग किमी. है, जो मध्य प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 28.6 प्रतिशत है।
38. मालवा के पठार की दक्षिणी सीमा का निर्धारण किस भौतिक भू-भाग द्वारा होता है?
(a) बुंदेलखंड की उच्च भूमि
(b) मध्यभारत का पठार
(c) नर्मदा- सोन घाटी
(d) विंध्यन कगारी प्रदेश
व्याख्या: (c) मालवा के पठार की दक्षिणी सीमा का निर्धारण नर्मदा सोन घाटी के द्वारा होता है। इसके अतिरिक्त मालवा के पठार के दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, उत्तर-पश्चिम में राजस्थान, उत्तर में मध्य भारत का पठार एवं बुंदेलखंड की उच्च भूमि तथा पूर्व में विंध्यन पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत भांडेर व कैमूर श्रेणी स्थित है।
टिप्पणी: नर्मदा सोन घाटी में मुख्यतः दक्कन ट्रैप शेल पाई जाती है। नर्मदा सोन घाटी का विस्तार कटनी, जबलपुर, होशंगाबाद, हरदा, नरसिंहपुर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, सीधी जिलों का भाग आता है। इस पठार से नर्मदा, सोन, नर्मदा की सहायक नदियों का प्रवाह है। मानसूनी प्रकार की जलवायु वाले इस क्षेत्र में गर्मी में अधिक गर्मी तथा ठंड में साधारण ठंड पड़ती है, परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय मानसूनी वन, सागौन (होशंगाबाद की बोरी की घाटी) का विकास हुआ है। नर्मदा घाटी क्षेत्र में औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर तक होती है। इसके साथ ही यहां गहरी काली मिट्टी की उपलब्धता के कारण गेहूं की अच्छी पैदावार होती है। मूंगफली, कपास, सोयाबीन, गन्ना, चावल यहां की अन्य फसलें हैं। नर्मदा सोन घाटी में उपलब्ध मुख्य खनिज सफेद संगमरमर, कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट आदि हैं। इस क्षेत्र में भेड़ाघाट (जबलपुर), ओम्कारेश्वर (खंडवा) ज्योतिर्लिंग, महेश्वर (खरगोन) प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
39. अरावली एवं विंध्य श्रृंखलाओं के मध्य कौन-सा पठार स्थित है?
(a) मालवा का पठार
(b) छोटा नागपुर का पठार
(c) दक्कन का पठार
(d) प्रायद्वीपीय पठार
व्याख्या: (a) मालवा का पठार मध्य उच्च प्रदेश का पश्चिमी भाग है, जिसका विस्तार अरावली एवं विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित है। मालवा के पठार के अंतर्गत अवस्थित विंध्याचल पर्वत श्रृंखला गंगा व नर्मदा बेसिन के मध्य जलद्विभाजक है।
40. मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित मालवा के पठार में किस प्रकार की मिट्टी पायी जाती है?
(a) जलोढ़ मृदा
(b) काली मृदा
(c) लैटेराइट मृदा
(d) लाल-पीली मृदा
व्याख्या: (b) मालवा का पठार दक्कन ट्रैप का उत्तरी भाग है, जिसका निर्माण बेसाल्ट चट्टानों व ज्वालामुखी पदार्थों से हुआ है और इन चट्टानों के अपघटन एवं वियोजन से काली मृदा का निर्माण हुआ है। मालवा के पठार में सर्वाधिक काली मृदा का विस्तार पाया जाता है, जो कपास व सोयाबीन की खेती के लिए सबसे उपर्युक्त मृदा है।
41. मध्य प्रदेश में मालवा पठार से उदगमित होकर उत्तर व उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदियां किस नदी में मिल जाती है?
(a) नर्मदा
(b) ताप्ती
(c) यमुना
(d) सोन
व्याख्या: (c) मालवा पठार के अंतर्गत दो अपवाह तंत्रों का विकास होता है, जिसमें से चम्बल, कालीसिंध, बेतवा, क्षिप्रा आदि नदियां उत्तर व उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए यमुना नदी में मिल जाती है। इसके अतिरिक्त माही, नर्मदा तथा ताप्ती नदियां पश्चिम की ओर प्रवाहित होते हुए अरब सागर में मिल जाती है।
42. मध्य प्रदेश में किस पठार को नदियों का मायका कहा जाता है?
(a) मध्य भारत का पठार
(b) मालवा का पठार
(c) बुंदेलखंड का पठार
(d) रीवा-पन्ना का पठार
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित मालवा के पठार से अधिकांश नदियों का उदगम होता है, इसलिए इसे नदियों का मायका भी कहा जाता है। मालवा के पठार से कालीसिंध, शिप्रा, पार्वती, चम्बल, बेतवा, गंभीर आदि नदियों का उद्गम होता है, जो उत्तर व उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती है।
43. मध्य उच्च प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित मालवा पठार के अंतर्गत सबसे ऊंची चोटी का नाम बताइए?
(a) गोमनपुर चोटी
(b) धाजारी चोटी
(c) सिगार चोटी
(d) गुडविल चोटी
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में मालवा पठार की सबसे ऊंची सिगार चोटी इंदौर जिले में महू के समीप स्थित है, जिसकी ऊंचाई 881 मीटर है। मध्य उच्च प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित मालवा के पठार की औसत ऊंचाई 500 मीटर है तथा दक्षिण से उत्तर की ओर जाने की ओर इस पठार की औसत ऊंचाई घट जाती है।
मालवा पठार की चोटियां
ऊंचाई
सिगार चोटी
881 मीटर
जानापाव पहाड़ी
854 मीटर
धाजारी चोटी
810 मीटर
गोमनपुर चोटी
510 मीटर
44. मध्य प्रदेश में मालवा के पठार का ढाल किस दिशा की ओर है?
(a) उत्तर-पूर्व
(b) दक्षिण-पूर्व
(c) दक्षिण-पश्चिम
(d) उत्तर-पश्चिम
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के पश्चिम में स्थित मालवा के पठार का ढाल उत्तर-पूर्व की ओर है तथा इसका विस्तृत भू-भाग समतल है। किंतु मालवा पठार की स्थलाकृतिक बनावट में मुख्यतः दो विशेषताएं मिलती है, इसका उत्तर व उत्तर-पूर्वी भाग निचला है, जिसकी औसत ऊंचाई लगभग 300 मीटर है तथा दक्षिणी भाग ऊंचा है, जिसकी औसत ऊंचाई लगभग 800 मीटर है।
45. मध्य प्रदेश में मालवा पठार के मध्य भाग से कौन-सी रेखा गुजरती है?
(a) कर्क रेखा
(b) मकर रेखा
(c) विषुवत रेखा
(d) मध्यान्ह रेखा
व्याख्या: (a) कर्क रेखा (23°30 उत्तरी अक्षांश) मध्य प्रदेश को 2 बराबर भागों में विभाजित करती है तथा यह मालवा पठार के मध्य भाग से नर्मदा नदी के समांतर गुजरती है। मालवा पठार के अंतर्गत स्थित 8 जिलों क्रमश: उज्जैन, रतलाम, आगरमालवा, राजगढ़, भोपाल, सीहोर, विदिशा व रायसेन जिले से कर्क रेखा गुजरती है।
टिप्पणी: मालवा पठार के अंतर्गत उज्जैन जिले के उत्तर-पूर्व में स्थित नागदा को मध्य प्रदेश के 53वें जिले के रूप में गठित करने का प्रस्ताव वर्ष 2019 में रखा गया है। नागदा, उज्जैन जिले से 52 किमी. दूर चम्बल नदी के किनारे 23°28 उत्तरी अक्षांश तथा 75°39 पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। नागदा के गठन के पश्चात मध्य प्रदेश में मालवा पठार के अंतर्गत कर्क रेखा पर स्थित जिलों की कुल संख्या 9 होगी।
46. मालवा का पठार नर्मदा नदी के अतिरिक्त किस नदी के मध्य जल विभाजक का कार्य करता है?
(a) ताप्ती
(b) सोन
(c) बेतवा
(d) चम्बल
व्याख्या: (d) चम्बल व नर्मदा नदी का अधिकांश जल संग्रहण क्षेत्र मालवा पठार के अंतर्गत स्थित है तथा मालवा का पठार नर्मदा व चम्बल नदी के मध्य जलविभाजक का कार्य करता है। किंतु मालवा पठार के अंतर्गत धार जिले के सरदारपुर से उदगमित होने वाली माही नदी पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होकर माही बेसिन का निर्माण करती है। माही नदी का जल संग्रहण क्षेत्र मालवा पठार के अतिरिक्त अरावली श्रेणी भी है तथा यह नदी कर्क रेखा को 2 बार काटती है।
47. मध्य प्रदेश के निम्नलिखित जिलों में से कौन-सा जिला मालवा पठार में सम्मिलित नही है?
(a) नीमच एवं सीहोर
(b) उज्जैन एवं रतलाम
(c) देवास एवं विदिशा
(d) बैतूल एवं नरसिंहपुर
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में मालवा के पठार का विस्तार राज्य के 18 जिलों क्रमश: मंदसौर, रतलाम, झाबुआ, धार, अलीराजपुर, उज्जैन, इंदौर, आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, देवास, सीहोर, भोपाल, विदिशा, गुना, अशोकनगर, रायसेन व सागर जिलों में है। मध्य प्रदेश में मालवा के पठार का सबसे पूर्वी विस्तार सागर जिले तक है।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश में 53 वें जिले के रूप में प्रस्तावित उज्जैन जिले से पृथक नागदा जिला भी मालवा पठार के अंतर्गत सम्मिलित होगा। अतः नागदा जिले के गठन के पश्चात मालवा पठार के अंतर्गत कुल 19 जिले सम्मिलित होंगे।
48. मालवा के पठार का सबसे गर्म माह कौन-सा होता है?
(a) मार्च
(b) अप्रैल
(c) मई
(d) जून
व्याख्या: (c) मालवा के पठार का अधिकतम तापमान 40° सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 10° से 12° सेल्सियस होता है। मालवा पठार का सबसे गर्म माह मई एवं सबसे सर्द (ठंडा) माह दिसंबर-जनवरी होता है। इसके अतिरिक्त मालवा पठार में 125 से 75 सेंमी. के मध्य वर्षा होती है।
49. मालवा के पठार के उत्तर पश्चिम में कौन-सी पहाड़ियां है?
(a) अमरकंटक की पहाड़ियां
(b) अरावली की पहाड़ियां
(c) विंध्याचल की पहाड़ियां
(d) सतपुड़ा की पहाड़ियां
व्याख्या: (b) मालवा के पठार के पूर्व में बुंदेलखंड और उत्तर पश्चिम में अरावली पहाड़ियां स्थित है। ज्वालामुखीय उत्पत्ति वाला यह पठार मध्यवर्ती मध्य प्रदेश और दक्षिण पूर्वी राजस्थान का हिस्सा है। इस क्षेत्र का पश्चिमी हिस्सा माही नदी, मध्यवर्ती हिस्सा चंबल नदी, पूर्वी हिस्सा बेतवा नदी और धसान नदी व केन नदियों के उद्गम खंड से अपवाहित होता है। अन्य नदियों में पारबती, क्षिप्रा, चंबल, गंभीर और छोटी काली सिंध शामिल हैं, जिनकी घाटियां सीढ़ीदार ढलानों से घिरी हैं।
टिप्पणी: अरावली या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 560 किमी. लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियां दिल्ली के दक्षिणी हिस्से तक विस्तृत हैं। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है, जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में 'गुरुशिखर' (1727 मी.) है, जो माउंट आबू में स्थित है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं。
50. मालवा के पठार में किस प्रकार की जलवायु पायी जाती है?
(a) उष्णकटिबंधीय जलवायु
(b) उपोष्ण जलवायु
(c) आर्द्र जलवायु
(d) समशीतोष्ण जलवायु
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में मालवा पठार के अंतर्गत शुष्क महाद्वीपीय जलवायु के लक्षण पाये जाते हैं तथा यहां पर समशीतोष्ण जलवायु पायी जाती है।
51. मध्य प्रदेश में लावा के साक्ष्य कहां से प्राप्त हुए हैं?
(a) बुंदेलखंड का पठार
(b) मालवा का पठार
(c) बघेलखंड का पठार
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या: (b) मालवा पठार का निर्माण ज्वालामुखी लावा से हुआ है बेसाल्ट चट्टानों से हुआ है। लावा के जमने से निर्मित चट्टान को बेसाल्ट चट्टान कहते हैं। यही कारण है कि मालवा पठार पर काली मिट्टी पाई जाती है। मालवा का पठार भौतिक बनावट के अनुसार उत्तर की ओर विंध्य श्रृंखला तथा दक्षिण की ओर की दक्कन लावा के पठार में विभाजित है।
52. विदेशी यात्री फाह्यान ने मध्य प्रदेश के किस पठार की जलवायु को विश्व की श्रेष्ठ जलवायु कहा है?
(a) विंध्याचल का पहाड़
(b) नर्मदा की घाटी
(c) मालवा का पठार
(d) बुंदेलखंड का पठार
व्याख्या: (c) फाह्यान ने मालवा का पठार की जलवायु को विश्व की श्रेष्ठतम जलवायु कहा है। यहां ग्रीष्म में न तो अधिक गर्मी पड़ती है और न ही शीत ऋतु में अधिक ठंड औसत वर्षा 75-125 सेमी, तापमान 40°-42° सेल्सियस। इस प्रकार की जलवायु साधारणतः सम है। मालवा क्षेत्र में भी मानसूनी हवाओं का प्रभाव रहता है तथा इन्ही मानसूनी पवनों के द्वारा इस क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा होती है। मानसूनी पवनों के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने पर यहां वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
53. मध्य प्रदेश के किस चोटी पर स्थित वांचू प्वाइंट चंबल नदी का उदगम स्थल है?
(a) सिद्ध बाबा चोटी
(b) सिगार चोटी
(c) जानापाव चोटी
(d) सहान चोटी
व्याख्या: (c) जानापाव चोटी, मालवा क्षेत्र का दूसरा सबसे ऊंचा स्थान जिसकी ऊंचाई 854 मीटर है जानापाव को जानापाव कुटी के नाम से भी जाना जाता है, जो समुद्र तल से 881 मीटर की ऊंचाई पर एक पर्वत हैं और इंदौर-मुंबई राजमार्ग पर स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो मध्य प्रदेश के इंदौर जिले की महू तहसील में जानापाव कुटी के गांव के पास है। यह इंदौर से 45 किमी. की दूरी पर है। जानापाव की पहाड़ी से चंबल नदी का उदगम होता है।
54. मध्य प्रदेश के उत्तर व उत्तर-पूर्व में स्थित मध्य भारत के पठार की पूर्वी सीमा का निर्धारण किस भौतिक भू-भाग द्वारा होता है?
(a) मालवा का पठार
(b) नर्मदा-सोन घाटी
(c) बुंदेलखंड का पठार
(d) विंध्यन कगारी प्रदेश
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के उत्तर व उत्तर-पूर्व में स्थित मध्य भारत के पठार की पूर्वी सीमा का निर्धारण बुंदेलखंड पठार द्वारा होता है। इसके अतिरिक्त मध्य भारत पठार की दक्षिणी सीमा पर मालवा का पठार, पश्चिम में राजस्थान व उत्तर में यमुना का मैदान स्थित है।
55. शिशुपाल की राजधानी चंदेरी बेतवा नदी के तट पर किस पठार में थी?
(a) मालवा का पठार
(b) बुंदेलखंड पठार
(c) बघेलखंड का पठार
(d) विंध्याचल
व्याख्या: (b) बुन्देलखंड पठार के अन्तर्गत अशोक नगर (चंदेरी), छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी, ग्वालियर और भिंड जिलों के कुछ भाग आते हैं। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल मध्य प्रदेश के कुल क्षेत्रफल 23,733 वर्ग किमी. है। इसके पूर्वोत्तर में उत्तर प्रदेशीय बुन्देलखंड के जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और बांदा, महोबा, चित्रकूट जिले हैं। महाद्वीपीय का प्रभाव वाली जलवायु वाले इस पठार में बेतवा, धसान, केन, सिंध आदि नदियां प्रवाहित होती हैं।
56. मध्य भारत के पठार को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(a) चम्बल का उपार्द्र प्रदेश
(b) सरसों की हांडी
(c) गेहूं की डलिया
(d) विकल्प (a) और (b) दोनों
व्याख्या: (a) और (b) मध्य भारत के पठार को चम्बल का उपाई प्रदेश के नाम से जाना जाता है। मध्य भारत के पठार में जलोढ़ मिट्टी का विस्तार पाया जाता है, जिसमें तिलहनी फसलों (सरसों) की सर्वाधिक खेती होती है, जिसके कारण इसे सरसों की हांडी भी कहा जाता है।
57. मध्य प्रदेश में स्थित मालवा पठार के पूर्वो northeastern में किस पठार का विस्तार पाया जाता है?
(a) विंध्यन कगारी प्रदेश
(b) बुंदेलखंड का पठार
(c) बघेलखंड का पठार
(d) मध्य भारत का पठार
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में स्थित मालवा पठार के पूर्वो northeastern में मध्य भारत के पठार का विस्तार पाया जाता है। मध्य भारत का पठार विंध्यन शैल समूह का प्रदेश है, जो पश्चिम में सीमांत भ्रंश घाटी द्वारा अरावली पर्वत श्रृंखला से पृथक होता है।
58. मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित मध्य भारत के पठार की औसत ऊंचाई कितनी है?
(a) 300 मीटर
(b) 800 मीटर
(c) 500 मीटर
(d) 900 मीटर
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित मध्य भारत के पठार की औसत ऊंचाई लगभग 500 मीटर है तथा इस पठार का ढाल उत्तर व उत्तर-पूर्व की ओर है। मध्य भारत पठार के अंतर्गत 300 मीटर गहरी चम्बल घाटी स्थित है।
59. मध्य प्रदेश में मध्य भारत पठार के अंतर्गत सम्पूर्ण राज्य के कुल क्षेत्रफल का कितने प्रतिशत क्षेत्र सम्मिलित है?
(a) 18.7 प्रतिशत
(b) 10.7 प्रतिशत
(c) 23.7 प्रतिशत
(d) 14.7 प्रतिशत
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में मध्य भारत का पठार 20°10 से 26°48 उत्तरी अक्षांश तथा 74°50 से 79°10 पूर्वी देशांतर के मध्य अवस्थित है। मध्य भारत के पठार का कुल क्षेत्रफल 45000 वर्ग किमी. है, जो मध्य प्रदेश के 32896 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है। मध्य भारत पठार के अंतर्गत सम्पूर्ण मध्य प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 10.7 प्रतिशत भाग सम्मिलित है। मध्य भारत के पठार का विस्तार ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, दतिया, श्योपुर, गुना, नीमच तथा मंदसौर जिले में पाया जाता है।
60. मध्य प्रदेश में मध्य भारत के पठारों की नदियां आमतौर पर किस दिशा में प्रवाहित होती है?
(a) पश्चिम और उत्तर-पश्चिम
(b) पूर्व
(c) उत्तर और उत्तर-पश्चिम
(d) पश्चिम
व्याख्या: (c) मध्य भारत पठार के अंतर्गत चम्बल, कालीसिंध, सिंध, कूनो, आसन आदि नदियां प्रवाहित होती हैं, जो उत्तर और उत्तर-पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं। मध्य भारत पठार के अंतर्गत उत्तर की ओर प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदियां गंगा की सहायक यमुना नदी में मिल जाती हैं।
61. मध्य प्रदेश में मध्य भारत पठार के अंतर्गत स्थित चम्बल घाटी की गहराई कितनी है?
(a) 500 मीटर
(b) 400 मीटर
(c) 300 मीटर
(d) 200 मीटर
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में मध्य भारत पठार के अंतर्गत स्थित चम्बल घाटी की गहराई 300 मीटर है। चम्बल घाटी एक नतिलम्ब घाटी (Strike Valley) है, जिसका निर्माण जलोढ़ मृदा के निक्षेपण से हुआ है। चम्बल घाटी में 15 से 30 मीटर तक गहरी खड्ड भूमियां भी पायी जाती हैं।
62. मध्य प्रदेश में किस पठार के अंतर्गत मृदा अपरदन की सर्वाधिक समस्या पायी जाती है?
(a) मालवा का पठार
(b) बघेलखंड का पठार
(c) रीवा- पन्ना का पठार
(d) मध्य भारत का पठार
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में मध्य भारत के पठार के अंतर्गत अवनालिका अपरदन (Gully Erosion) अर्थात मृदा अपरदन की सर्वाधिक समस्या पायी जाती है। मध्य भारत के पठार में सर्वाधिक वनों की कटाई के कारण इसका उत्तरी क्षेत्र सर्वाधिक मृदा अपरदन की समस्या से ग्रस्त हुआ है, जिसके कारण यह क्षेत्र भारत के सबसे बड़े बीहड़ के रूप में परिवर्तित हो गया है।
63. मध्य भारत के पठार के अंतर्गत सर्वाधिक गर्मी किस माह में पड़ती है?
(a) जुलाई
(b) अप्रैल
(c) मई
(d) मार्च
व्याख्या: (c) मध्य भारत पठार के अंतर्गत अधिकतम तापमान 40° सेल्सियस से 44° सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 17° सेल्सियस से 18° सेल्सियस पाया जाता है। यहां मई माह में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है, जिसका मुख्य कारण इस क्षेत्र में चलने वाली शुष्क व गर्म पवनें लू (Loo) है।
64. मध्य प्रदेश के उत्तर-मध्य भाग में किस पठार का विस्तार पाया जाता है?
(a) मध्य भारत का पठार
(b) मालवा का पठार
(c) बघेलखंड का पठार
(d) बुंदेलखंड का पठार
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के उत्तर-मध्य भाग में बुंदेलखंड का पठार स्थित है, जिसका विस्तार 24°6 से 26°22 उत्तरी अक्षांश तथा 75°5 से 80°20 पूर्वी देशांतर के मध्य पाया जाता है। बुंदेलखंड पठार के दक्षिण-पूर्व में मालवा का पठार, पश्चिम में मध्य भारत का पठार, उत्तर में यमुना का जलोढ़ मैदान स्थित है।
65. मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड पठार के अंतर्गत राज्य का कितने प्रतिशत क्षेत्र सम्मिलित है?
(a) 9.89 प्रतिशत
(b) 8.52 प्रतिशत
(c) 7.79 प्रतिशत
(d) 6.91 प्रतिशत
व्याख्या: (c) बुंदेलखंड पठार का विस्तार मध्य प्रदेश व उत्तरप्रदेश में पाया जाता है, जिसका कुल क्षेत्रफल 54,560 वर्ग किमी. है। मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड पठार के अंतर्गत 23,737 वर्ग किमी. क्षेत्र सम्मिलित है, जो सम्पूर्ण राज्य के कुल क्षेत्रफल का 7.79 प्रतिशत है। बुंदेलखंड पठार का विस्तार मध्य प्रदेश के भिंड, दतिया, शिवपुरी, सागर, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ तथा ग्वालियर एवं उत्तर प्रदेश के झांसी, जालौन, हमीरपुर, ललितपुर, बांदा जिलों में है।
66. बुंदेलखंड पठार की सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है?
(a) सिगार चोटी
(b) सिद्ध बाबा चोटी
(c) जानापाव चोटी
(d) सहान चोटी
व्याख्या: (b) बुंदेलखंड पठार की सबसे ऊंची चोटी सिद्ध बाबा चोटी है, जिसकी ऊंचाई 1172 मीटर है। बुंदेलखंड पठार तीन ओर अर्द्धचन्द्राकार पन्ना श्रेणी, बिजावर श्रेणी, नरहट स्कार्प तथा चन्देरी पाट से घिरा हुआ है तथा बुंदेलखंड पठार की औसत ऊंचाई 300 मीटर से 450 मीटर के मध्य है।
67. बुंदेलखंड के पठार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन असत्य है-
(a) बुंदेलखंड पठार से प्रवाहित होने वाली नदियां (धसान, केन, बेतवा) उत्तर-पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं, जो संकरी घाटियों (Narrow Valleys), जलप्रपात (Falls), कगार व खडडो का निर्माण करती हैं।
(b) बुंदेलखंड पठार की चट्टानों का निर्माण आग्नेय व कायांतरित चट्टानों से हुआ है, जिसमें ग्रेनाइट, शेल व बुंदेलखंड नीस के निक्षेप पाये जाते हैं।
(c) बुंदेलखंड पठार के उत्तरी भाग में जलोढ़ मैदान तथा दक्षिण-पश्चिम भाग के निचले भाग में दक्कन ट्रैप की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है।
(d) बुंदेलखंड पठार का एक-तिहाई भाग समतल प्राय मैदान (Peneplain) है जो तीन ओर से विंध्यन कगार से घिरा हुआ है।
व्याख्या: (a) बुंदेलखंड पठार का निर्माण प्री-कैम्ब्रियन कल्प की चट्टानों के रूप में बुंदेलखंड नीस से हुआ है, जो कालांतर में अंतर्वेधन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप आग्नेय व कायांतरित चट्टानों में परिवर्तित हो गया है। बुंदेलखंड पठार का अधिकांश हिस्सा समतल प्राय मैदान है, जो विंध्यन कगारी प्रदेश से घिरा हुआ है। बुंदेलखंड पठार से प्रवाहित होने वाली यमुना की सहायक नदियां धसान, केन बेतवा आदि नदियां उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं, जो संकरी घाटियों, जलप्रपातों, कगारो व खडड़ों का निर्माण करती है।
68. मध्य प्रदेश के किस भौतिक प्रदेश को विंध्यन कगार कहा जाता है?
(a) सतपुड़ा मैकाल श्रेणी
(b) रीवा-पन्ना का पठार
(c) मालवा का पठार
(d) बुंदेलखंड का पठार
व्याख्या: (b) रीवा-पन्ना का पठार त्रिकोण आकृति का पठारी प्रदेश है, जिसका निर्माण आर्कियन चट्टानों के अपक्षय और अपरदन के फलस्वरूप अवसादीकरण व कायांतरण से विंध्यन शैल समूह द्वारा हुआ है। रीवा-पन्ना के पठार में अत्याधिक कगार, दरार, भ्रंश आदि स्थलाकृतियों का निर्माण हुआ है, जिसके कारण इसे विंध्यन कगार प्रदेश (Vindhyan Scarplands) भी कहा जाता है।
69. रीवा-पन्ना के पठार की भौगोलिक स्थिति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) रीवा-पन्ना पठार की भौगोलिक स्थिति 23°10 से 25°12 उत्तरी अक्षांश तथा 78°4 से 82°10 पूर्वी देशांतर के मध्य है।
(b) रीवा-पन्ना पठार की भौगोलिक स्थिति 23°10 से 26°13 उत्तरी अक्षांश तथा 78°4 से 82°10 पूर्वी देशांतर के मध्य है।
(c) रीवा-पन्ना पठार की भौगोलिक स्थिति 21°10 से 24°12 उत्तरी अक्षांश तथा 77°4 से 83°10 पूर्वी देशांतर के मध्य है।
(d) रीवा-पन्ना पठार की भौगोलिक स्थिति 23°9 से 25°13 उत्तरी अक्षांश तथा 79°4 से 81°10 पूर्वी देशांतर के मध्य है।
व्याख्या: (a) रीवा-पन्ना का पठार 23°10 से 25°12 उत्तरी अक्षांश तथा 78°4 से 82°10 पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। रीवा-पन्ना के पठार का विस्तार पन्ना, दमोह, सागर, रीवा तथा सतना जिलों में लगभग 31,954 वर्ग किमी. क्षेत्र पर है, जो सम्पूर्ण मध्य प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के 10.37 प्रतिशत पर विस्तृत है।
70. रीवा पन्ना के पठार की दक्षिण-पश्चिम सीमा का निर्धारण किस नदी द्वारा होता है?
(a) केन नदी
(b) सोन नदी
(c) नर्मदा नदी
(d) बेतवा नदी
व्याख्या: (c) रीवा-पन्ना पठार के दक्षिण व दक्षिण-पूर्वी सीमा पर विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की भांडेर व कैमूर श्रेणियां स्थित हैं। रीवा-पन्ना पठार के दक्षिण-पश्चिम में नर्मदा नदी तथा उत्तर-पूर्व में कैमूर श्रेणी के समांतर सोन नदी प्रवाहित होती है, अर्थात इस पठार की दक्षिण-पश्चिम सीमा का निर्धारण नर्मदा नदी द्वारा होता है।
71. मध्य प्रदेश में किस पठार के अंतर्गत जबेरा का गुम्बद स्थित है?
(a) रीवा-पन्ना का पठार
(b) बुंदेलखंड का पठार
(c) मालवा का पठार
(d) बघेलखंड का पठार
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में रीवा-पन्ना पठार के अंतर्गत स्थित भांडेर श्रेणी से दक्षिण दिशा में जबेरा का गुम्बद (Dome) स्थित है, जो लगभग 29 किमी. लम्बा व 13 किमी. चौड़ा है। जबेरा के गुम्बद का मध्यवर्ती भाग भूमि क्षरण व कटाव के कारण घाटी में परिवर्तित हो गया है, जो चारों ओर से गोलाकार प्रतापी कगार से घिरा हुआ है।
72. मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है?
(a) मिकाई चोटी
(b) गुडविल चोटी
(c) धूपगढ़ चोटी
(d) कास्केड चोटी
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के दमोह जिले में सिंगरायपुर के समीप विंध्याचल पर्वत शृंखला के अंतर्गत भांडेर श्रेणी में सबसे ऊंची चोटी गुडविल चोटी स्थित है, जिसकी ऊंचाई 752 मीटर है। गुडविल चोटी को सदभावना शिखर, कलुमार शिखर एवं कालुम्बे शिखर के नाम से भी जाना जाता है।
73. मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की औसत ऊंचाई कितनी है?
(a) 752 मीटर
(b) 881 मीटर
(c) 686 मीटर
(d) 500 मीटर
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में नर्मदा सोन घाटी की उत्तरी सीमा पर पश्चिम से पूर्व की ओर विंध्याचल पर्वत श्रृंखला का विस्तार पाया जाता है, जिसकी औसत ऊंचाई लगभग 500 मीटर है। विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत दक्षिणी-पूर्वी भाग में कैमूर व भांडेर श्रेणी स्थित है, जो उत्तर के मैदान व दक्षिण के पठारी भागों के मध्य विभाजक का कार्य करती है।
74. निम्नलिखित विकल्पों में से कौन-सी श्रेणी यमुना तथा सोन नदी के मध्य जलद्विभाजक का कार्य करती है?
(a) भांडेर श्रेणी
(b) कैमूर श्रेणी
(c) मैकाल श्रेणी
(d) मिकाई श्रेणी
व्याख्या: (b) कैमूर श्रेणी यमुना व सोन बेसिन तथा भांडेर श्रेणी गंगा व नर्मदा बेसिन के मध्य जलद्विभाजक का कार्य करती है। मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी भाग पर भांडेर श्रेणी स्थित है, जिसकी अधिकतम ऊंचाई 752 मीटर है तथा भांडेर श्रेणी के स्थित है, जिसकी अधिकतम ऊंचाई 686 मीटर है।
टिप्पणी: विंध्याचल पर्वत का निर्माण हिमालय के निर्माण से पूर्व हुआ है, जो नर्मदा नदी के समानांतर उत्तर में पूर्व से पश्चिम की ओर विस्तृत है। विंध्याचल पर्वत का निर्माण क्वाटर्ज एवं बलुआ-पत्थरों से हुआ है। यहां से प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदियां सोन, बेतवा, केन आदि हैं। कैमूर-भांडेर श्रेणी: विंध्याचल पर्वत के पूर्वी भाग में विस्तृत पर्वत श्रेणी को कैमूर-भांडेर श्रेणी के नाम से जाना जाता हैं, जिसका निर्माण क्वार्ट्ज एवं लाल बलुआ पत्थर की चट्टानों से हुआ है। कैमूर-भांडेर श्रेणी पर्वत का विस्तार मध्य प्रदेश के सतना, सीधी, पन्ना, रीवा और छतरपुर जिलों में है।
75. विंध्य और सतपुड़ा श्रेणी क्रमश: .............और...........से बनी है?
(a) क्रमश: ग्रेनाइट और बेसाल्ट
(b) क्रमश: क्वार्टज, बेसाल्ट और ग्रेफाइट
(c) क्रमश: क्वार्टज, रेत और ग्रेनाइट, बेसाल्ट
(d) क्रमशः बेसाल्ट और ग्रेनाइट
व्याख्या: (c) विंध्याचल पर्वत पहाड़ियों की टूट-फूटी श्रृंखला, जो भारत की मध्यवर्ती उच्चभूमि का दक्षिणी कगार बनाती है। मुख्यतः क्वाटर्ज एवं रेत चट्टानों से निर्मित है। पश्चिम में गुजरात राज्य से लगभग 1086 किमी. तक विस्तृत यह श्रेणी मध्य प्रदेश को पार करके वाराणसी (बनारस) की गंगा नदी घाटी से मिलती है। ये पर्वत मालवा पठार का दक्षिणी छोर बनाते हैं। दूसरी शताब्दी के यूनानी भूगोलवेत्ता टालेमी ने इस श्रेणी को उत्तरी और प्रायद्वीप भारत के बीच सीमा माना था।
सतपुड़ा भारत के मध्य भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। सतपुड़ा पर्वतश्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लॉक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। सतपुड़ा श्रेणी के मैकाल पर्वत में स्थित अमरकंटक पठार से नर्मदा तथा सोन नदियों का उदगम होता है।
76. मध्य प्रदेश में किस पठार के अंतर्गत राज्य का सबसे ऊंचा चचाई जल प्रपात स्थित है?
(a) बुंदेलखंड का पठार
(b) बघेलखंड का पठार
(c) मध्य भारत का पठार
(d) रीवा-पन्ना का पठार
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में रीवा-पन्ना पठार के अंतर्गत टॉस, बीहर, ओदा, महाना, सोन, केन आदि नदियां प्रवाहित होती हैं, जो जलप्रपातों का निर्माण करती हैं। रीवा - पन्ना पठार के अंतर्गत राज्य का सबसे ऊंचा चचाई जलप्रपात रीवा जिले में बीहर नदी पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई 130 मीटर है। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में ओदा नदी पर बहुटी जल प्रपात महाना नदी पर केवटी जलप्रपात आदि स्थित है।
टिप्पणी: रीवा पन्ना का पठार मध्य प्रदेश के उत्तरी-पूर्वी भाग में बुंदेलखंड के पठार के पूर्वी तथा दक्षिण पूर्व में स्थित है इसे विंध्य का पठारी प्रदेश भी कहा जाता है क्योंकि यहां विंध्य शैल भी पाई जाती है। इस पठारी क्षेत्र का विस्तार दमोह, पन्ना, सतना, रीवा जिलों तक है। महाद्वीपीय प्रकार की जलवायु एवं 300 सेमी. से 450 सेमी. वर्षा वाले इस पठार में दोमट मिट्टी पाई जाती है। इन परिस्थितियों के कारण यहां की मुख्य वनस्पति उष्णकटिबंधीय मानसून, पर्णपाती वन आदि हैं।
कृषि के लिए उपयुक्त परिस्थितियों उपलब्ध होने के कारण यहां पर गेंहू व तिलहन की अच्छी पैदावार होती है। साथ ही इस पठारी क्षेत्र में मिलने वाले मुख्य खनिज चूना पत्थर (सतना) हीरा (पन्ना), जिप्सम (रीवा), गेरू (सतना) आदि हैं।
77. मध्य प्रदेश के किस भौतिक भू-भाग को राज्य का दूसरा सबसे बड़ा भौगोलिक प्रदेश माना जाता है?
(a) नर्मदा-सोन घाटी
(b) बुंदेलखंड का पठार
(c) सतपुड़ा मैकाल श्रेणी
(d) मालवा का पठार
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में उत्तर-पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 86000 वर्ग किमी. क्षेत्र में नर्मदा-सोन घाटी स्थित है, जो मालवा पठार के बाद राज्य का दूसरा सबसे बड़ा भौगोलिक प्रदेश है। नर्मदा-सोन घाटी मध्य प्रदेश के लगभग 26 प्रतिशत भू-भाग पर विस्तृत है, जिसका विस्तार राज्य के 16 जिलों क्रमशः अनूपपुर, मण्डला, डिण्डोरी, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी, होशंगाबाद, रायसेन, सीधी, हरदा, खंडवा, खरगौन, सिहोर, धार, बड़वानी तथा अलीराजपुर जिलों में है।
टिप्पणी: नर्मदा-सोन घाटी नदियों के जलविभाजक और जलस्रोतों का महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो कृषि, वनस्पति और स्थानीय पारिस्थितिकी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
78. मध्य प्रदेश में नर्मदा-सोन घाटी किन पर्वत श्रेणियों के मध्य स्थित है?
(a) विंध्याचल एवं पश्चिमी घाट
(b) विंध्याचल एवं सतपुड़ा
(c) विंध्याचल एवं पूर्वी घाट
(d) विंध्याचल एवं अरावली
व्याख्या: (b) नर्मदा सोन घाटी एक संकरी घाटी है, जो विंध्याचल व सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के मध्य स्थित है। नर्मदा-सोन घाटी उत्तर में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की भांडेर व कैमूर श्रेणी तथा दक्षिण में सतपुड़ा व मैकाल श्रेणी और पूर्व में बघेलखंड उच्च भूमियों द्वारा परिबद्ध है।
79. मध्य प्रदेश में नर्मदा सोन घाटी की औसत ऊंचाई कितनी है?
(a) एमएसएल से 200 मीटर
(b) एमएसएल से 300 मीटर
(c) एमएसएल से 400 मीटर
(d) एमएसएल से 100 मीटर
व्याख्या: (b) नर्मदा-सोन घाटी का निर्माण भू-गर्भिक हलचलों के कारण भ्रंश घाटी के रूप में हुआ है तथा यह मध्य प्रदेश का सबसे निचला भू-भाग है, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई [Mean Sea Level (MSL)] 300 मीटर है।
80. मध्य प्रदेश में नर्मदा-सोन घाटी कहां स्थित है?
(a) मालवा पठार और सतपुड़ा श्रेणी के मध्य
(b) रीवा-पन्ना और बुंदेलखंड पठार के मध्य
(c) मध्य भारत और मालवा पठार के मध्य
(d) मालवा और बुंदेलखंड पठार के मध्य
व्याख्या: (a) नर्मदा-सोन घाटी मध्य प्रदेश में सबसे निचले भू-भाग के रूप में मालवा पठार व सतपुड़ा श्रेणी के मध्य 22°30 से 23°45 उत्तरी अक्षांश तथा 74° से 84°30 पूर्वी देशांतर में अवस्थित है। नर्मदा सोन घाटी के सबसे निचले भाग का विस्तार गुजरात राज्य तक विस्तृत है तथा इस घाटी के उत्तर व दक्षिणी भाग में मालवा पठार के समान दक्कन ट्रैप की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है।
81. नर्मदा सोन घाटी से कौन-सी नदी प्रवाहित होती हैं?
(a) शक्कर
(b) पार्वती
(c) टोंस
(d) सिंध
व्याख्या: (a) नर्मदा-सोन घाटी से नर्मदा, सोन, तवा, शक्कर आदि नदियों प्रवाहित होती हैं। शक्कर नर्मदा की सहायक नदी है इसका उदगम छिंदवाड़ा जिला की अमरवाड़ा तहसील के 18 किमी. उत्तर में है। यह उदगम से निकलकर सतपुड़ा महाखंड कोयला क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए अन्त में उत्तर में नर्मदा नदी में मिल जाती है। इसके अतिरिक्त पार्वती नदी, मालवा का पठार सिहोर (म.प्र.) टोंस नदी, रीवा पन्ना का पठार तथा सिंध, बुंदेलखंड का पठार में प्रवाहित होती है।
82. बघेलखंड पठार मध्य प्रदेश के किस भाग में स्थित है?
(a) उत्तरी भाग
(b) दक्षिणी भाग
(c) उत्तर-पूर्वी भाग
(d) पश्चिमी भाग
व्याख्या: (c) बघेलखंड पठार दक्षिणी प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी भाग के रूप में मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्व में 23°40 से 24°35 उत्तरी अक्षांश तथा 80°05 से 82°47 पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। बघेलखंड पठार के उत्तर में उत्तरप्रदेश, पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य व दक्षिण में सोन नदी स्थित है।
टिप्पणी: वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ विभाजन के पश्चात बघेलखंड पठार का पश्चिमी भाग वर्तमान मध्य प्रदेश के शहडोल, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, कटनी, उमरिया व जबलपुर में विस्तृत है तथा शेष भाग छत्तीसगढ़ राज्य में सम्मिलित है।
83. क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश का सबसे छोटा पठार कौन-सा है?
(a) मध्य भारत का पठार
(b) बघेलखंड का पठार
(c) बुंदेलखंड का पठार
(d) रीवा-पन्ना का पठार
व्याख्या: (b) बघेलखंड पठार का कुल क्षेत्रफल 1,40,000 वर्ग किमी. है, जिसका 25,000 वर्ग किमी. क्षेत्र मध्य प्रदेश में सम्मिलित है तथा यह सम्पूर्ण मध्य प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 7 प्रतिशत है अर्थात क्षेत्रफल की दृष्टि से बघेलखंड पठार मध्य प्रदेश का सबसे छोटा पठार है।
84. मध्य प्रदेश में किस भौतिक भू-भाग के अंतर्गत राज्य का दूसरा सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र स्थित है?
(a) सतपुड़ा मैकाल श्रेणी
(b) मध्य भारत का पठार
(c) रीवा-पन्ना का पठार
(d) बघेलखंड का पठार
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में बघेलखंड पठार के अंतर्गत राज्य का दूसरा सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र सिंगरौली जिले में है। इसके अतिरिक्त शहडोल एवं उमरिया जिले में सोहागपुर, कोरार व जोहिला कोयला क्षेत्र भी बघेलखंड पठार में अवस्थित है। बघेलखंड पठार में विंध्यन व गोंडवाना काल की चट्टानों का विस्तार पाया जाता है, जिसके कारण इस क्षेत्र में कोयले के निक्षेप प्राप्त होते हैं।
85. लम्हेरा हिल्स कहां है?
(a) पंचमढ़ी
(b) जबलपुर
(c) विदिशा
(d) रायसेन
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के रायसेन में भीमबेटका, विदिशा में उदयगिरि, इंदौर में ककरीबरड़ी, धार में मांडू हिल्स पाए जाते हैं जबकि लम्हेरा हिल्स जबलपुर में है।
विशेष: रायसेन जिले को पहाड़ों की रानी के नाम से जाना जाता है।
86. निम्नलिखित विकल्पों में से मध्य प्रदेश में अवस्थित सतपुड़ा मैकाल श्रेणी की भौगोलिक स्थिति का विस्तार है-
(a) 21° से 23° उत्तरी अक्षांश एवं 74°30 से 81° पूर्वी देशांतर
(b) 21°3 से 23°9 उत्तरी अक्षांश एवं 73°30 से 81° पूर्वी देशांतर
(c) 21°3 से 23°9 उत्तरी अक्षांश एवं 73°6 से 82° पूर्वी देशांतर
(d) 22° से 23°9 उत्तरी अक्षांश एवं 73°30 से 81°4 पूर्वी देशांतर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में सतपुड़ा मैकाल श्रेणी की भौगोलिक स्थिति 21° से 23° उत्तरी अक्षांश एवं 74°30 से 81° पूर्वी देशांतर के मध्य है, जो मध्य प्रदेश के 10 जिलों क्रमशः अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, सिवनी, छिंदवाड़ा तथा बालाघाट में विस्तृत है। सतपुड़ा मैकाल श्रेणी का कुल क्षेत्रफल 34,000 वर्ग किमी. है, जो मध्य प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 11 प्रतिशत है।
87. मध्य प्रदेश में निम्नलिखित पर्वत श्रेणियों में कौन-सी श्रेणी दो बड़ी नदियों के बीच स्थित है?
(a) विंध्याचल
(b) भांडेर
(c) सतपुड़ा
(d) कैमूर
व्याख्या: (c) सतपुड़ा मैकाल श्रेणी मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमा का निर्धारण करती है तथा यह उत्तर में नर्मदा एवं दक्षिण में ताप्ती नदी के मध्य स्थित है। मध्य प्रदेश में सतपुड़ा मैकाल श्रेणी का विस्तार पूर्व में अमरकंटक से लेकर पश्चिम में बुरहानपुर दरें (राजपीपला की पहाड़ी) तक पाया जाता है।
88. मध्य प्रदेश में मैकाल श्रेणी विभिन्न नदियों का स्त्रोत है, इसलिए उसे किस नाम से जाना जाता है?
(a) वाटरशेड
(b) नदी घाटी
(c) जल स्रोत
(d) ग्लेशियर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में सतपुड़ा मैकाल श्रेणी के पूर्वी भाग में अवस्थित अमरकंटक पठार (मैकाल श्रेणी) से नर्मदा, सोन, जोहिला, बिजुल, गोपद व बनास आदि नदियों का उदगम होता है। मैकाल श्रेणी से सर्वाधिक नदियों के उदगम होने के कारण उसे वाटरशेड कहा जाता है। मध्य प्रदेश की पूर्वी सीमा पर स्थित यह पर्वतमाला नर्मदा और महानदी के जलग्रहण क्षेत्रों के बीच की विभाजन रेखा है। यह पर्वतमाला राज्य में पश्चिम की ओर भैंसानघाट तक फैली है और नर्मदा के जलग्रहण क्षेत्र को दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम में बंजर, तथा पूर्व और उत्तर-पूर्व में हलोन में बांटती है। मुख्य मैकाल श्रेणी और भैंसानघाट से उत्तर की ओर अनेक स्कंध निकले हुए हैं जो हलोन नदी की ओर बढ़ रहे पानी को अनेक सर-सरिताओं में बांट देते हैं, जैसे फेन, गौरधुनी, कश्मीरी और गोंदला।
89. मध्य प्रदेश के किस जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला विस्तृत नहीं है?
(a) बड़वानी
(b) बुरहानपुर
(c) खरगोन
(d) धार
व्याख्या: (d) सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के प्रमुख नगर छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, खंडवा, सिवनी, बेतूल, मंडला, बालाघाट, खरगोन, बड़वानी, झाबुआ हैं। जबकि धार से विध्यांचल पर्वत की श्रृंखला शुरू होकर विंध्यन कगार तक जाती है अर्थात धार जिला मालवा के पठार में आता है। मालवा के पठार के प्रमुख नगर इंदौर, भोपाल, उज्जैन, सागर, सीहोर, रतलाम, देवास, विदिशा, एवं धार हैं।
90. मध्य प्रदेश में किस श्रेणी को नर्मदा-सोन घाटी तथा दक्कन के पठार के मध्य जलद्विभाजक माना जाता है?
(a) कैमूर श्रेणी
(b) भांडेर श्रेणी
(c) सतपुड़ा मैकाल श्रेणी
(d) बिजावर श्रेणी
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में सतपुड़ा मैकाल श्रेणी नर्मदा-सोन घाटी तथा दक्कन के पठार के मध्य जलद्विभाजक का कार्य करती है। सतपुड़ा मैकाल श्रेणी के दक्षिणी ढलान से ताप्ती व वैनगंगा तथा उत्तर-पूर्वी ढलान से सोन, नर्मदा व जोहिला नदी का उदगम होता है जो प्रदेश में सर्वाधिक जल संग्रहण करने वाली नदियां है।
विशेष: सतपुड़ा पर्वत श्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है। सतपुड़ा श्रेणी के मैकाल पर्वत में स्थित अमरकंटक पठार से नर्मदा तथा सोन नदियों का उदगम होता है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लॉक पर्वत है, जो मुख्यतः ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है।
91. नर्मदा सोन घाटी एवं अरावली पर्वत के बीच जो त्रिभुजाकार पठार है, उसे किस नाम से जाना जाता है?
(a) दक्षिण का पठार
(b) सतपुड़ा मैकाल श्रेणी
(c) बघेलखंड का पठार
(d) मध्य का उच्च प्रदेश
व्याख्या: (d) नर्मदा सोन नदी घाटियों एवं अरावली श्रेणियों के बीच त्रिभुजाकार पठार, मध्य उच्च प्रदेश के नाम से जाना जाता है। इसकी उत्तरी सीमा साधारणतः यमुना नदी द्वारा बनायीं जाती है यह एक प्रापाती कगार है। विंध्याचल भांडेर, कैमूर की श्रेणियां इसी प्रदेश का भाग है। जो नर्मदा सोन नदी पेटी के उत्तर में स्थित है। इस प्रदेश की प्रमुख नदियों में चम्बल, बेतवा, केन, काली सिंध, पार्वती, शिप्रा आदि नदियां शामिल है। यह प्रदेश गंगा नदी बेसिन का हिस्सा है।
92. सतपुड़ा मैकाल श्रेणी के उत्तर में उदगमित होने वाली अधिकांश नदियों का जल किस नदी में सम्मिलित हो जाता है?
(a) ताप्ती नदी
(b) वेनगंगा नदी
(c) महानदी
(d) नर्मदा नदी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में सतपुड़ा मैकाल श्रेणी के उत्तरी भाग से उदगमित होने वाली अधिकांश नदियों का जल नर्मदा नदी में तथा दक्षिण-पूर्व व उत्तर-पूर्व में उदगमित होने वाली नदियों का जल ताप्ती, महानदी व वेनगंगा बेसिन में सम्मिलित हो जाता है।
93. मध्य प्रदेश में सतपुड़ा मैकाल श्रेणी को कितने भागों में विभक्त किया गया है?
(a) 4
(b) 3
(c) 2
(d) 5
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में सतपुड़ा मैकाल श्रेणी को 3 भागों क्रमशः पश्चिमी सतपुड़ा श्रेणी, पूर्वी सतपुड़ा श्रेणी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में विभाजित किया गया है। पश्चिमी सतपुड़ा श्रेणी का विस्तार गुजरात के पूर्वी भाग तथा महाराष्ट्र के उत्तरी भाग से लेकर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले तक पाया जाता है। इसके अतिरिक्त मध्यवर्ती भाग होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा जिले में पूर्वी सतपुड़ा श्रेणी तथा अनूपपुर जिले में मैकाल श्रेणी का विस्तार पाया जाता है।
94. मध्य प्रदेश में नर्मदा-सोन घाटी और विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के दक्षिण में स्थित पश्चिमी भाग को किस नाम से जाना जाता है?
(a) नर्मदा
(b) विडमर
(c) जापर
(d) निमाड़
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में पश्चिमी सतपुड़ा श्रेणी के अंतर्गत नर्मदा सोन घाटी व विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के दक्षिण में स्थित पश्चिमी भाग (असीरगढ़ पहाड़ी व नर्मदा नदी का मध्यवर्ती क्षेत्र) को निमाड़ क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
टिप्पणी: पौराणिक काल में निमाड़ अनूप जनपद कहलाता था। बाद में इसे निमाड़ की संज्ञा दी गयी। फिर इसे पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ के रूप में जाना जाने लगा। निमाड़ क्षेत्र में वर्तमान मध्य प्रदेश के बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन जिले आते हैं। निमाड़ का जिले के रूप में गठन ब्रिटिशकाल में नेरवुडडा डिवीजन में हुआ, जिसका प्रशासनिक मुख्यालय खंडवा में था, जो कि मुस्लिम शासकों के दिनों में बुरहानपुर हुआ करता था।
95. मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध हिल स्टेशन पंचमढ़ी कहां स्थित है?
(a) गाविलगढ़ पहाड़ी
(b) महादेव पहाड़ी
(c) मैकाल श्रेणी
(d) राजपीपला पहाड़ी
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में पूर्वी सतपुड़ा श्रेणी के दक्षिणी भाग में स्थित महादेव पहाड़ी के अंतर्गत राज्य का प्रमुख हिल स्टेशन पंचमढ़ी स्थित है, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 1067 मीटर है। पंचमढ़ी को मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी व सतपुड़ा की रानी के नाम से भी जाना जाता है।
96. सतपुड़ा के पूर्वी भाग में स्थित मैकाल श्रेणी किस नदी का ऊपरी बेसिन है?
(a) महानदी
(b) वैनगंगा
(c) टाण्डा
(d) नर्मदा
व्याख्या: (d) सतपुड़ा श्रेणी के पूर्वी भाग में उत्तर से दक्षिण की ओर मैकाल श्रेणी का विस्तार पाया जाता है तथा मैकाल श्रेणी का सम्पूर्ण भाग नर्मदा नदी का ऊपरी बेसिन है।
टिप्पणी: मैकाल श्रेणी का पूर्वी भाग वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में सम्मिलित है। मैकाल श्रेणी के उत्तरी भाग का जल संग्रहण नर्मदा नदी तथा दक्षिणी भाग का जल संग्रहण वेनगंगा नदी में होता है किंतु कुछ भागों में वैनगंगा नदी द्वारा नर्मदा के बेसिन का अपहरण (River Capture) किया गया है। जैसे- मैकाल श्रेणी के दक्षिण में प्रवाहित होने वाली टाण्डा नदी पहले नर्मदा की सहायक नदी थी किंतु वर्तमान में वेनगंगा नदी ने टाण्डा नदी को सहायक नदी के रूप में सम्मिलित कर लिया हैं।
97. मध्य प्रदेश के प्रमुख हिल स्टेशन के निकट महादेव पर्वत से कौन-सी नदी जन्म लेती है?
(a) माहि
(b) कूनो
(c) तवा
(d) केन
व्याख्या: (c) महादेव पर्वत श्रृंखला से तवा नदी का उदगम हुआ है।
महादेव पहाड़ियां: महादेव पहाड़ियां नर्मदा नदी और ताप्ती नदियों के बीच स्थित हैं। यह सतपुड़ा पर्वत श्रेणी का एक उच्चतम भाग है। यह क्षेत्र पूरी तरह से साल के वनों से आच्छादित है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पंचमढ़ी, मध्य प्रदेश का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान है, जहां पर 197 सेमी. तक वर्षा होती है। पंचमढ़ी में महादेव पहाड़ियां एवं 2,000 से 3,000 फुट तक की ऊंचाई वाले पठार हैं। ये पहाड़ियां आद्य महाकल्प तथा गोडवाना काल के लाल बलुआ पत्थरों द्वारा निर्मित हुई हैं। महादेव पहाड़ी के दक्षिण की ढ़ालों पर मैंगनीज तथा छिंदवाड़ा के निकट पेंचघाटी से कुछ कोयला प्राप्त होता है।
टिप्पणी: तवा नदी मध्य प्रदेश की एक प्रमुख नदी हैं। इसका उदगम मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पंचमढ़ी के महादेव पर्वत श्रृंखला की कालीभीत पहाड़ियों से हुआ है। तवा नदी नर्मदा की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जिसकी लम्बाई 172 किमी. है। तवा की सहायक नदी देनवा, सुखतवा, मालिनी है।
98. मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है?
(a) चौरागढ़
(b) पंचमढ़ी
(c) अमरकंटक
(d) धूपगढ़
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में पंचमढ़ी के समीप सतपुड़ा मैकाल श्रेणी के अंतर्गत महादेव पहाड़ी में राज्य की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ स्थित है, जिसकी ऊंचाई 1350 मीटर है। मध्य प्रदेश में धूपगढ़ चोटी के अतिरिक्त राज्य की दूसरी सबसे ऊंची चोटी अमरकंटक मैकाल श्रेणी के अंतर्गत अनूपपुर जिले में स्थित है, जिसकी ऊंचाई 1064 मीटर है।
टिप्पणी: सतपुड़ा मैकाल श्रेणी के अंतर्गत होशंगाबाद जिले में स्थित धूपगढ़ चोटी का प्राचीन नाम हरवत्सकूट (हरवत्सकोट) तथा अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक का नाम आम्रकूट था। धूपगढ़ शिखर का निर्माण ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों के द्वारा हुआ है। धूपगढ़ श्रेणी में स्लेट, शिस्ट तथा ग्रेनाइट पाया जाता है। धूपगढ़ मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पंचमढ़ी की पहाड़ियों में स्थित प्राचीन तीर्थ स्थान है। धूपगढ़ पंचमढ़ी से 9 किमी. की दूरी पर स्थित है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त की अद्भुत विशेषता के कारण इसे धूपगढ़ की चोटी के नाम से जाना जाता है।
99. मध्य प्रदेश में मालवा पठार के अंतर्गत भोपाल पठार का विस्तार भोपाल जिले के किस भाग में है?
(a) उत्तरी भाग
(b) दक्षिणी भाग
(c) पश्चिमी भाग
(d) पूर्वी भाग
व्याख्या: (b) भोपाल पठार मालवा पठार के अंतर्गत भोपाल जिले के दक्षिणी भाग में स्थित है और हुजूर तहसील के प्रमुख हिस्सों तक विस्तृत है। मालवा पठार के किनारे पर स्थित इस क्षेत्र की अधिकतम न्यूनतम ऊंचाई 630-472 मीटर (MSL) के मध्य है। अधिकांशतः इस पठार का हिस्सा विभिन्न धाराओं (Streams) के साथ विच्छेदित है और ऊपरी सतह असमतल है। मध्य भाग की ऊंचाई अधिक होने के कारण यह क्षेत्र एक शंकु के आकार जैसा भी दिखता है। भोपाल पठार विभिन्न दिशाओं में प्रवाहित होने वाली नदियों का उदगम स्थल भी है उनमें प्रमुख रूप से उत्तर में हलाली नदी, बीन नदी और चमारी नदी तथा भोपाल जिले के दक्षिण पश्चिमी भाग में केरवा और कलियासोत बांध भोपाल के बाड़ा तालाब में उप-विलय करते हैं। बाड़ा तालाब अर्थात भोपाल झील जो भोपाल पठार का एक महत्वपूर्ण भौतिक विशेषता वाला क्षेत्र है। भोपाल जिले के आरक्षित वन की एक पेटी इस क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है।
100. मालवा पठार के पश्चिमी भाग में दक्षिण से उत्तर की ओर उच्च भूमि की श्रृंखला को किस नाम से जाना जाता है?
(a) सैलाना का पठार
(b) चंबल घाटी
(c) माही घाटी
(d) सैलाना की पश्चिमी पहाड़ियां
व्याख्या: (a) मालवा पठार का पश्चिमी भाग दक्षिण से उत्तर की ओर उच्च भूमि की एक श्रृंखला है। इसे सैलाना के पठार के रूप में जाना जाता है और यह रतलाम जिले के अंतर्गत सैलाना तहसील की पूर्वी सीमा को चिह्नित करता है। यह सैलाना का पठार उत्तर-पश्चिम में राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले के प्रतापगढ़ तहसील से गुजरता है। सैलाना पठार, सैलाना तहसील के उत्तर पूर्वी भाग में और दक्षिणी भाग बगढ़ के अलावा रतलाम और जोरा तहसील के आसपास के हिस्सों में विस्तृत है। सैलाना और नवाबगंज शहर इस पठार पर स्थित हैं।
टिप्पणी: सैलाना पठार की ऊंचाई रामपुरा के पास उच्चतम बिंदु 598.56 मीटर के साथ लगभग 530 मीटर है। इस पठार से खंडित एक पहाड़ी और गांव नाल (दक्षिणी) के पास विस्तृत है, जो रतलाम जिले का सबसे ऊंचा स्थान है तथा यह समुद्री स्तर से 612.6 मीटर ऊपर है।
101. मध्य प्रदेश में पूर्व से पश्चिम तक विस्तृत सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत महादेव पर्वत श्रेणी मूल रूप से किन दो नदियों के मध्य स्थित है?
(a) नर्मदा और देनवा
(b) नर्मदा और सोनभद्र
(c) सोनभद्र और बेतवा
(d) देनवा और सोनभद्र
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में पूर्व से पश्चिम तक विस्तृत सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत महादेव पर्वत श्रेणी मूल रूप से देनवा और सोनभद्र नदियों से घिरे बलुआ पत्थर की पहाड़ियों के व्यापक क्षेत्र है। महादेव पर्वत विशेष रूप से सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की एक छोटी चोटी है, जो 1,336 मीटर ऊंची है तथा यह होशंगाबाद जिले के अंतर्गत पंचमढ़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। यह पंचमढ़ी के निचले भाग में स्थित है और यहाँ पर महादेव की पवित्र गुफा एवं मंदिर स्थित हैं।
टिप्पणी: महादेव पर्वत श्रेणी के अंतर्गत पंचमढ़ी का पठार और धूपगढ़ सहित आसपास की पहाड़ियों का परिसर 1,352 मीटर ऊँचा है, जो माउंट आबू को छोड़कर नीलगिरी और हिमालय के मध्य का सबसे उच्चतम बिंदु है। इस पर्वत श्रेणी के अंतर्गत अन्य महत्वपूर्ण चोटियां चौरागढ़ 1,316 मीटर और बेल्कंधर 1,152 मीटर स्थित हैं।
102. निम्नांकित में से कौन-सी श्रेणी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में विस्तारित है?
(a) महादेव श्रेणी
(b) मैकाल श्रेणी
(c) बिजावर श्रेणी
(d) पन्ना श्रेणी
व्याख्या: (b) सतपुड़ा श्रेणी का पूर्वी भाग सबसे अधिक चौड़ा है, इसे मैकाल का पठार कहते हैं। इसकी पूर्वी सीमा अर्धचंद्राकार है, जो उत्तर से दक्षिण की ओर फैली है, यह मैकाल श्रेणी है। मैकाल श्रेणी का पूर्वी भाग वर्तमान में छत्तीसगढ़ में आता है। इस क्षेत्र की अधिकतम ऊंचाई लगभग 900 मीटर से अधिक है और यह श्रेणी रीढ़ की हड्डी के समान टेड़ी-मेड़ी तथा संकरी है किंतु ऊपरी सतह समतल अथवा तरंगित पठार के रूप में विस्तृत है। मैकाल श्रेणी दक्कन ट्रैप से निर्मित है, जिसके कारण समतल सतह बनाने की प्रवृत्ति है। साथ ही इसकी सतह पर लैटेराइट मिट्टी की मोटी परत है, जो छिद्रयुक्त होने के कारण जल के एकत्रण का उपयुक्त स्थल है। इसी कारण से मैकाल श्रेणी को मध्य प्रदेश की वाटरशेड के नाम से भी जाना जाता है।
103. सतपुड़ा क्षेत्र में स्थित श्रेणियों में से पश्चिम से पूर्व की ओर स्थिति को दर्शाने वाला निम्नलिखित में से कौन-सा सही क्रम है?
(a) बड़वानी की पहाड़ियां - महादेव श्रेणी - मैकाल श्रेणी
(b) महादेव श्रेणी - बड़वानी की पहाड़ियां - मैकाल श्रेणी
(c) महादेव श्रेणी - मैकाल श्रेणी - बड़वानी की पहाड़ियां
(d) मैकाल श्रेणी - महादेव श्रेणी - बड़वानी की पहाड़ियां
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में सतपुड़ा क्षेत्र पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है तथा इसे संरचनात्मक व उच्चावच विविधता के आधार पर क्रमशः तीन भागों मैकाल श्रेणी, पूर्वी सतपुड़ा श्रेणी (महादेव श्रेणी) और बड़वानी की पहाड़ियां (पश्चिमी सतपुड़ा श्रेणी) के रूप में विभक्त किया गया है। इसके उत्तर में नर्मदा नदी तथा दक्षिण में ताप्ती नदी स्थित है।
104. भांडेर तथा कैमूर निम्नलिखित में से किस श्रेणी का पूर्ववर्ती फैलाव है?
(a) सतपुड़ा
(b) मैकाल
(c) अरावली
(d) विंध्यन
व्याख्या: (d) विंध्यन श्रेणी नर्मदा और स्पेन घाटियों के उत्तरी सीमा पर पश्चिमी मध्य प्रदेश से लेकर पूर्व में बिहार तक विस्तृत है, जो पश्चिम से पूर्व की ओर क्रमशः विंध्याचल, भांडेर तथा कैमूर श्रेणी के नाम से जानी जाती है।
105. मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी स्थित है।
(a) महादेव पहाडियां
(b) कैमूर रेणी
(c) विंध्याचल श्रेणी
(d) भंडेर श्रेणी
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ (1350 मीटर) सतपुड़ा-मैकाली श्रेणी के अंतर्गत पूर्वी सतपुड़ा श्रेणी क्षेत्र में अवस्थित महादेव पहाडियों में स्थित है। महादेव पहाड़ियां अपर गोंडवाना शैल समूह से निर्मित है।
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