मध्य प्रदेश का अपवाह तंत्र MCQ
(a) गंगा-यमुना अपवाह तंत्र
(b) गोदावरी तंत्र
(c) नर्मदा अपवाह तंत्र
(d) ताप्ती अपवाह तंत्र
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र गंगा-यमुना अपवाह तंत्र है, जो प्रदेश के मध्य उच्च प्रदेश एवं उत्तर व उत्तर-पूर्वी भाग में विस्तृत है। मध्य प्रदेश में गंगा-यमुना अपवाह तंत्र को 3 उप अपवाह क्षेत्र क्रमशः यमुना उप-तंत्र, टोंस उप-तंत्र तथा सोन उप-तंत्र में बांटा गया है।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश में गंगा-यमुना अपवाह तंत्र के अंतर्गत चंबल, केन, बेतवा, टोंस, सोन, सिंध आदि नदियां प्रवाहित होती हैं तथा इसका कुल अपवाह क्षेत्र 2,02,070 वर्ग किमी. है।
विशेष: गंगा-यमुना अपवाह तंत्र के अंतर्गत प्रवाहित होने वाली अधिकांश नदियां उत्तर व उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं।
(a) 4
(b) 8
(c) 6
(d) 5
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में अपवाह तंत्र को 6 भागों क्रमश: गंगा-यमुना अपवाह तंत्र, नर्मदा अपवाह तंत्र, ताप्ती अपवाह तंत्र, गोदावरी अपवाह तंत्र, माही अपवाह तंत्र, महानदी अपवाह तंत्र में विभक्त किया गया है। मध्य प्रदेश के अपवाह तंत्रों में गंगा-यमुना अपवाह तंत्र सबसे बड़ा तथा महानदी अपवाह तंत्र सबसे छोटा अपवाह तंत्र है।
मध्य प्रदेश के अपवाह तंत्रों का वर्गीकरण:
- गंगा-यमुना अपवाह तंत्र: मध्य प्रदेश के उत्तर व उत्तर-पूर्वी भाग से उद्गमित नदियों का जल गंगा और यमुना नदी में मिलकर बंगाल की खाड़ी तक पहुंचता है। यह प्रदेश का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है, जो 3 उप अपवाह तंत्रों (यमुना उप-तंत्र, टोंस उप-तंत्र, सोन उप-तंत्र) में विभक्त है।
- नर्मदा अपवाह तंत्र: नर्मदा अपवाह तंत्र वृक्षाभ प्रणाली (Dendrite Pattern) वाला है और नर्मदा व उसकी सहायक नदियां पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं। नर्मदा अपवाह तंत्र का 89.9% क्षेत्र मध्य प्रदेश में, 6.5% गुजरात में, और 2.7% महाराष्ट्र में है।
- ताप्ती अपवाह तंत्र: ताप्ती अपवाह तंत्र का कुल अपवाह क्षेत्र 65,147 वर्ग किमी है, जिसमें मध्य प्रदेश के अंतर्गत 9,804 वर्ग किमी आता है। ताप्ती अपवाह तंत्र के अंतर्गत नदियां पश्चिम व दक्षिण-पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं।
- गोदावरी अपवाह तंत्र: इस तंत्र में इंद्रावती, वेनगंगा, पेंच, वर्धा आदि नदियां शामिल हैं, जो दक्षिण की ओर प्रवाहित होती हैं। गोदावरी अपवाह तंत्र को 5 उप अपवाह तंत्रों (वेनगंगा, बाघ, बावनथड़ी, पेंच, कन्हान) में विभक्त किया गया है।
- माही अपवाह तंत्र: माही अपवाह तंत्र का कुल क्षेत्र 38,699 वर्ग किमी है, जिसमें 788 वर्ग किमी मध्य प्रदेश में आता है। माही, अनस, पानम नदियां इस तंत्र में प्रवाहित होती हैं।
- महानदी अपवाह तंत्र: महानदी अपवाह तंत्र मध्य प्रदेश का सबसे छोटा है, और इसका केवल 154 वर्ग किमी क्षेत्र मध्य प्रदेश में आता है। इसमें अनूपपुर जिले की हसदो और टांडा नदियां प्रवाहित होती हैं।
(a) चंबल
(b) नर्मदा
(c) शिप्रा
(d) बेतवा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है, जिसका उद्गम अनूपपुर जिले में पुष्पराजगढ़ तहसील के अंतर्गत मैकाल पर्वत श्रेणी के अमरकंटक पहाड़ी (1066 मीटर) से होता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए गुजरात (भड़ौच) के समीप कैम्बे खाड़ी (खम्भात की खाड़ी) अर्थात अरब सागर में समाहित हो जाती है।
टिप्पणी: भारत के मध्य भाग अर्थात मध्य प्रदेश से प्रवाहित होने के कारण नर्मदा नदी को भारत की हृदय रेखा भी कहा जाता है।
(a) 96000 वर्ग किमी.
(b) 78289 वर्ग किमी.
(c) 84392 वर्ग किमी.
(d) 98796 वर्ग किमी.
व्याख्या: (d) नर्मदा बेसिन का कुल क्षेत्रफल 98796 वर्ग किमी. है, जिसमें मध्य प्रदेश के अंतर्गत 85930 वर्ग किमी. क्षेत्र विस्तृत है। नर्मदा अपवाह तंत्र का 89.9 प्रतिशत क्षेत्र मध्य प्रदेश में, 6.5 प्रतिशत क्षेत्र गुजरात तथा 2.7 प्रतिशत क्षेत्र महाराष्ट्र के अंतर्गत सम्मिलित है।
(a) हिंद महासागर में मिलती है।
(b) दूसरी नदियों में मिल जाती है।
(c) अरब सागर में जाती है।
(d) बंगाल की खाड़ी में जाती है।
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में नर्मदा और ताप्ती नदियां अपने उद्गम से पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होते हुए गुजरात में खम्भात की खाड़ी (अरब सागर) में मिल जाती है। इसके अतिरिक्त अन्य नदियां प्रवाहित होते हुए दूसरी नदियों अर्थात गंगा-यमुना अपवाह तंत्र, महानदी अपवाह तंत्र एवं गोदावरी अपवाह तंत्र में मिल जाती हैं।
(a) पचमढ़ी से निकलती है।
(b) चित्रकूट से निकलती है।
(c) भेड़ाघाट से निकलती है।
(d) अमरकंटक से निकलती है।
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी मैकाल श्रेणी के अंतर्गत अमरकंटक से उद्गमित होती है। महाभारत में नर्मदा नदी का उद्गम स्रोत ऋक्षपर्वत (अम्रकूट) उल्लेखित है। पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार नर्मदा को किसी सोमवंशी राजा ने उद्रत किया था, जिसके कारण नर्मदा नदी को सोमोद्भवा भी कहा जाता है।
टिप्पणी: कालीदास ने मेघदूत में नर्मदा का उल्लेख रेवा एवं रघुवंशम् में सोनप्रभावा के रूप में किया है। इसके अतिरिक्त शतपथ ब्राह्मण में नर्मदा को रेवोत्तरस के रूप में उल्लेखित किया गया है।
(a) दक्षिण में बहने वाली नदियां
(b) पूर्व में बहने वाली नदियां
(c) पश्चिम में बहने वाली नदियां
(d) उत्तर में बहने वाली नदियां
व्याख्या: (c) नर्मदा, ताप्ती और माही मध्य प्रदेश की ऐसी नदियां हैं जो पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होते हुए अरब सागर में जाकर समाहित जाती हैं।
अपवाह की दृष्टि से मध्य प्रदेश की नदियां:
- पूर्व: टॉस, बीहर, सोन, बिछिया, ओदा
- पश्चिम: नर्मदा, ताप्ती, माही
- उत्तर: चंबल, शिप्रा, कालीसिंध, पार्वती
- दक्षिण: वर्धा, वेनगंगा, पेंच, कन्हान
(a) नर्मदा
(b) गोदावरी
(c) गंगा
(d) यमुना
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में नर्मदा, ताप्ती एवं माही नदी पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती है। इसके अतिरिक्त गंगा यमुना अपवाह तंत्र की सहायक नदियां पूर्व की ओर तथा गोदावरी दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं।
(a) चम्बल
(b) पार्वती
(c) बेतवा
(d) नर्मदा
व्याख्या: (d) नर्मदा दक्षिण प्रायद्वीपीय पठार की एक प्रमुख नदी है, जो भारत की पांचवी बड़ी नदी एवं मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। नर्मदा नदी की कुल लंबाई 1312 किमी. है, जिसमें मध्य प्रदेश के अंतर्गत 1077 किमी. प्रवाहित होती है।
टिप्पणी: नर्मदा नदी की औसत लंबाई 1300 किमी. है।
(a) अमरकंटक पहाड़ी
(b) काकरी बरड़ी पहाड़ी
(c) मिजो पहाड़ी
(d) केवई पहाड़ी
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में शिप्रा नदी का उद्गम इंदौर जिले के महू में स्थित काकरी बरड़ी पहाड़ी के समीप बणेश्वर कुंड से होता है। शिप्रा नदी की कुल लंबाई 195 किमी. है तथा यह उत्तर-पूर्व की ओर उज्जैन, रतलाम, मंदसौर जिले से प्रवाहित होते हुए चंबल नदी में समाहित हो जाती है।
टिप्पणी: पौराणिक उल्लेखों के अनुसार विंध्याचल पर्वत के पश्चिमी भाग में परयात्र पहाड़ से शिप्रा नदी का उद्गम होता है। शिप्रा नदी के उद्गम स्थल को भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है तथा इस नदी पर समुद्र मंथन के बाद 14 रत्नों का बंटवारा उज्जैन में हुआ था。
विशेष: शिप्रा नदी को पूर्णसलिला, पापहरिणी, मोक्षदायिनी, अवन्ति, अमृतसंभवा, ज्वरहरनी, कनकश्रृंगा, प्रलोक्य, सोमवती आदि नामों से जाना जाता है।
(a) चंबल
(b) नर्मदा
(c) ताप्ती
(d) शिप्रा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में रेवा नदी के नाम से नर्मदा नदी को जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इच्छाकु वंश के राजा पुरुकुत्स ने रेवा का नाम परिवर्तित करके नर्मदा रखा था।
टिप्पणी: नर्मदा नदी के अन्य नाम क्रमशः मध्य प्रदेश व गुजरात की जीवन रेखा, साकरी, शंकरी, आनंदमय नदी, मैकालसुता, नामदासो, सोमो देवी, सोमप्रभा, निबुद्धा आदि हैं।
विशेष: टॉलमी ने नर्मदा नदी को नामदासो नाम प्रदान किया था।
(a) त्रिवेणी व यमुना
(b) गोमती व त्रिवेणी
(c) ताप्ती व त्रिवेणी
(d) नर्मदा व कावेरी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर नर्मदा एवं उसकी सहायक कावेरी नदी के संगम पर स्थित है। ओंकारेश्वर में कावेरी व नर्मदा नदी का संगम होता है, किंतु मन्धाता पहाड़ी के समीप नर्मदा नदी व कावेरी नदी दो पृथक धाराओं में बंटकर ओंकारेश्वर द्वीप एवं मन्धाता द्वीप का निर्माण करती है और मन्धाता द्वीप के अंतिम छोर में कावेरी नदी का संगम नर्मदा नदी से होता है, जिसे द्वितीय नर्मदा-कावेरी संगम कहा जाता है।
टिप्पणी: खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में नर्मदा व कावेरी नदी के संगम पर विशालकाय प्राचीन बरगद का वृक्ष एवं दगडू आश्रम स्थित है। इसके अतिरिक्त नर्मदा नदी के किनारे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।
(a) बेतवा
(b) शिप्रा
(c) ताप्ती
(d) चम्बल
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के तट पर प्रत्येक 12 वर्ष बाद चैत्र मास की पूर्णिमा से वैशाख पूर्णिमा तक सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। पिछले सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन वर्ष 2016 में हुआ था तथा अगला सिंहस्थ कुंभ मेला वर्ष 2028 में आयोजित होगा।
टिप्पणी: उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, प्राचीन सिद्धवट बरगद वृक्ष, त्रिवेणी घाट, रामघाट, नृसिंह घाट, गऊ घाट, दत्त अखाड़ा, चिंतामन गणेश मंदिर, भर्तृहरि गुफा, कालभैरव मंदिर, संदीपनी आश्रम, कालियादेह महल, माहिदपुर किला (बागराज का किला), ताला कुंची बावड़ी, राम जर्नादन मंदिर, गुरू गोरखनाथ की तपोस्थली, ऋषि अत्रि की तपोस्थली, गंधर्वतीर्थ आदि स्थित है।
(a) नर्मदा
(b) ताप्ती
(c) माची
(d) साबरमती
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी मैकाल श्रेणी के अंतर्गत अमरकंटक से उद्गमित होकर सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के मध्य प्रवाहित होती है। नर्मदा नदी दक्षिण में सतपुड़ा और उत्तर में विंध्याचल पर्वत श्रेणियों के मध्य भ्रंश घाटी से प्रवाहित होती हुई गुजरात में स्थित भड़ौच के समीप कैम्बे (खम्भात) की खाड़ी (अरब सागर) में मिल जाती है।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश के अपवाह तंत्र में विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियां जल विभाजन का कार्य करती हैं।
(a) बेतवा
(b) तवा
(c) नर्मदा
(d) चम्बल
व्याख्या: (c) राजासौरस मांसाहारी डायनासोर की एक प्रजाति है, जिसके जीवाश्म वर्ष 1982-84 में भारतीय भू-गर्भीय सर्वेक्षण (GSI) के पुरातात्विक वैज्ञानिक श्री सुरेश श्रीवास्तव ने नर्मदा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत जबलपुर की लम्बेटा पहाड़ियों से प्राप्त किये थे।
टिप्पणी: 1828 ई. में सर्वप्रथम कर्नल स्लीमन ने जबलपुर के छावनी क्षेत्र से डायनासोर के जीवाश्म प्राप्त किये थे। इसके अतिरिक्त वर्ष 1982 में अशोक साहनी ने जबलपुर से डायनासोर के अंडों के जीवाश्म भी प्राप्त किये थे।
विशेष: वर्ष 1988 में डॉ. शंकर चटजीज ने जबलपुर की शिमला पहाड़ी एवं सूपाताल की पहाड़ी से डायनासोर के जीवाश्म एवं उसके कंकाल प्राप्त किये थे। 13 अगस्त, 2003 को नर्मदा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत गुजरात के माहसागर जिले में राहोली नामक स्थान से डायनासोर की नई प्रजाति के जीवाश्म प्राप्त किये थे।
(a) देवास
(b) उज्जैन
(c) इंदौर
(d) धार
व्याख्या: (a) कालीसिंध नदी का उद्गम मध्य प्रदेश में विंध्याचल श्रेणी के अंतर्गत देवास जिले के बागली गांव (अमोदिया) से होता है तथा यह शाजापुर व नरसिंहगढ़ से प्रवाहित होते हुए राजस्थान के नौनेरा नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है। कालीसिंध नदी की कुल लंबाई 150 किमी. है तथा आहु, पखन, नावेज, उजाड़, अजनार, घोड़ापछाड़ आदि कालीसिंध की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
टिप्पणी: कालीसिंध नदी पर राजस्थान में रणजीत सागर बांध एवं हरिशचंद्र बांध स्थित है।
(a) गोदावरी
(b) चंबल
(c) नर्मदा
(d) यमुना
व्याख्या: (c) मान नर्मदा की सहायक नदी है, जिसका उद्गम धार जिले से होता है। मान नदी लगभग 89 किमी. का सफर तय करते हुए नर्मदा के दाहिने तट पर मिल जाती है। मान नदी पर धार जिले के जीराबाद में मान परियोजना निर्मित की गई है।
टिप्पणी: धार जिले की मनावर तहसील का नाम मान नदी के नाम पर मनावर रखा गया है। नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से लगभग 998 किमी. की दूरी तय करने के बाद मान एवं नर्मदा नदी का संगम होता है।
(a) चम्बल
(b) नर्मदा
(c) ताप्ती
(d) शिप्रा
व्याख्या: (b) तवा देनवा, शक्कर आदि नर्मदा नदी की सहायक नदियां है। नर्मदा की कुल सहायक नदियों की संख्या 41 है, जिसमें 22 नदियां नर्मदा के बायें तट एवं 19 नदियां दायें तट पर मिलती हैं। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी की सहायक नदियों की संख्या 39 है तथा 2 अन्य नदियां क्रमशः सांग व करजन गुजरात में नर्मदा के दाहिने तट पर मिलती हैं।
टिप्पणी: नर्मदा की सहायक सभी नदियों का जलग्रहण क्षेत्र 500 वर्ग किमी. से अधिक है और नर्मदा की उत्तरी सहायक नदियों की लंबाई अधिक तथा दक्षिणी सहायक नदियों की लंबाई कम है।
(a) बांद्रामान
(b) पिपरिया
(c) मठकुली
(d) मड़ई
व्याख्या: (a) तवा नदी का उद्गम होशंगाबाद जिले में महादेव श्रेणी के अंतर्गत कालीभीत पहाड़ी से होता है तथा तवा नदी इटारसी, नरसिंहपुर की सीमा पर स्थित बांद्रामान में नर्मदा नदी पर मिल जाती है। तवा नदी की कुल लंबाई 172 किमी. है और देनवा, मालिनी एवं सुखतवा इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
टिप्पणी: होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में तवा नदी पर डचेस फास, अप्सरा, बीफाल, रजत जलप्रपात, जमुना आदि जलप्रपात स्थित हैं। इसके अतिरिक्त सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में तवा एवं देनवा नदी के संगम पर मड़ई पर्यटन स्थल स्थित है।
(a) जामनेर
(b) तेन्दोनी
(c) बारना
(d) तवा
व्याख्या: (d) सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत महादेव पर्वत श्रेणी से उद्गमित होने वाली तवा नदी होशंगाबाद जिले के बांद्रामान के समीप नर्मदा के बाएं तट पर मिलती है तथा यह नर्मदा की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
नर्मदा के बाएं तट पर मिलने वाली सहायक नदियां: खारमेर, दूधी, छोटी तवा, बुढ़नेर, तेमुर, सुखरी, कावेरी, बंजर, तवा, खरकिया, हाथेर, कुंडी, बरनार, सोनेर, गंजाल, बोराड, शेर, अजनाल, डेब, शक्कर, माचक, गोई।
नर्मदा के दायें तट पर मिलने वाली सहायक नदियां: सिल्गी, बलई, गौर, हिरन, बिरंग, तेन्दोनी, बारना, कोलार, सिप, जामनेर, चंद्रशेखर, खारी, कनार, चोरल, कारम, मान, उरी, हथनी तथा सांग व करजन।
(a) बैतूल
(b) उज्जैन
(c) सिवनी
(d) छिंदवाड़ा
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में वर्धा नदी का उद्गम बैतूल जिले की मुल्ताई के वर्धन-शिखर (811 मी.) से होता है, जो छिंदवाड़ा जिले की दक्षिणी सीमा बनाती हुई महाराष्ट्र में प्रवेश कर वेनगंगा नदी में मिलती है तथा आगे चलकर गोदावरी नदी में समाहित हो जाती है।
टिप्पणी: वर्धा नदी की कुल लंबाई 525 किमी. तथा अपवाह क्षेत्र 24,087 वर्ग किमी. है। वेना, जाम, ईराई, मडू, बेमूला, हिर्री आदि वर्धा नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
विशेष: वर्धा की सहायक जाम नदी पर छिंदवाड़ा जिले में गोटेमार मेला लगता है।
(a) 11 दिसंबर, 2016
(b) 16 नवंबर, 2016
(c) 13 अक्टूबर, 2016
(d) 17 सितंबर, 2016
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के संरक्षण व शुद्धिकरण के उद्देश्य से अनूपपुर जिले के अमरकंटक से 11 दिसंबर, 2016 को नमामि देवी नर्मदे यात्रा का शुभारंभ किया गया था, जिसका समापन 15 मई, 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था।
टिप्पणी: नमामि देवी नर्मदे यात्रा 148 दिनों में सम्पन्न हुई थी, जिसके अंतर्गत 16 जिलों में 3350 किमी. की यात्रा तय की गई थी।
(a) सिंधु
(b) गंगा
(c) नर्मदा
(d) सोन
व्याख्या: (c) दक्षिण प्रायद्वीपीय पठार की प्रमुख नदी नर्मदा उत्तर भारत व दक्षिण भारत की पारंपरिक सीमा का निर्धारण करती है। मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी व लंबी नदी होने के साथ-साथ इसे राज्य की जीवन रेखा का भी गौरव प्राप्त है। प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Age) में नर्मदा नदी मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास का प्रारंभिक केंद्र रही है।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी घाटी क्षेत्र के अंतर्गत पाषाणकालीन मानव सभ्यता के सर्वाधिक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। नर्मदा नदी के किनारे स्थित सिहोर जिले के हथनौरा से भारत में सबसे प्राचीनतम मानव जीवाश्म अवशेष एवं होशंगाबाद के आदमगढ़ से कृषि व पशुपालन साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
(a) यह पश्चिम की ओर बहती है।
(b) यह एक दरार घाटी से होकर प्रवाहित होती है।
(c) यह भी कई सहायक नदियों के पास नही है।
(d) यह एक छोटी नदी है।
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा नदी एक अलग ही जल निकासी पैटर्न को प्रदर्शित करती है, क्योंकि यह एक दरार घाटी से होकर प्रवाहित होती है। भ्रंश घाटी से प्रवाहित होने के कारण नर्मदा नदी में अवसादों का अभाव है, जिसके कारण यह अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण न करके 27 किमी. लंबी ज्वारनदमुख (Estuary) का निर्माण करती है।
टिप्पणी: जब कठोर और नर्म चट्टानें वैकल्पिक व्यवस्थित हों, तब नर्मदा और ताप्ती जैसी नदियां इन चट्टानों के माध्यम से प्रवाहित होती हैं और नर्म चट्टानों को नष्ट करने की कोशिश करती हैं तो इस स्थिति को दरार घाटियां कहा जाता है।
(a) कुंवारी - सिंध
(b) वेनगंगा - वर्धा
(c) नर्मदा - तवा
(d) कालीसिंध - चंबल
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश से उद्गमित होने वाली वेनगंगा एवं वर्धा नदी के संगम स्थल को प्राणहिता संगम के नाम से जाना जाता है। वेनगंगा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में स्थित परसवाड़ा पठार के अंतर्गत मुंडारा गांव के समीप रजोलाताल से होता है। वेनगंगा नदी अर्द्धचंद्राकार रूप में उत्तर-पूर्व की ओर और तत्पश्चात दक्षिणी-पूर्वी दिशा में सिवनी तथा बालाघाट जिले से प्रवाहित होती हुई भंडारा (महाराष्ट्र) जिले में प्रवेश करती है तथा यहीं पर वर्धा नदी इसमें आकर मिलती है। अंत में यह गोदावरी नदी में समाहित हो जाती है।
(a) कोसी
(b) ताप्ती
(c) माही
(d) नर्मदा
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में 22 मई, 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नर्मदा नदी में रेत खुदाई पर अनिश्चित कालीन प्रतिबंध लगाया गया था तथा तत्कालीन उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला की अध्यक्षता में नर्मदा संरक्षण के लिये एक समिति का गठन किया गया था।
टिप्पणी: वर्ष 2019 में नर्मदा व उसकी सहायक नदियों में अवैध रेत खनन व परिवहन को रोकने के लिये पुखराज अभियान चलाया गया है।
(a) श्री हरिकृष्ण देवसरे
(b) श्री शिव कुमरा तिवारी
(c) श्री अमृतलाल बेगड़
(d) श्री सुहास लिमये
व्याख्या: (c) सौंदर्य की नदी नर्मदा प्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार और नर्मदा चिंतक अमृतलाल बेगड़ की प्रसिद्ध पुस्तक है। अमृतलाल बेगड़ का जन्म 3 अक्टूबर, 1928 को नर्मदा नदी के तट पर स्थित जबलपुर में हुआ था तथा 6 जुलाई, 2018 को उनका निधन हो चुका है। अमृतलाल बेगड़ ने सर्वप्रथम 1977 में नर्मदा नदी की पदयात्रा की थी और यात्रा वृत्तांत के रूप में अमृतस्य नर्मदा तीरे तीरे नर्मदा, नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो, नर्मदा रिवर ऑफ ब्यूटी, द नर्मदा रिवर ऑफ ज्वॉय आदि पुस्तकों का लेखन कार्य किया है।
अन्य पुस्तकें:
पुस्तक का नाम | लेखक |
---|---|
नर्मदा समग्र | स्व. अनिल माधव दवे |
जंगल रहे ताकि नर्मदा बहे | पंकज श्रीवास्तव |
अथ नदी कथा | श्री हरिकृष्ण देवसरे |
नर्मदे हर हर नर्मदे | श्री सुहास लिमये |
नर्मदा परिक्रमा | पं. रामप्रसाद पाठक |
संस्कृति-स्त्रोतस्विनी नर्मदा | डॉ. अयोध्या प्रसाद द्विवेदी |
पानी उतर गया | श्री के. एस. तिवारी |
नर्मदा की धारा से | श्री शिव कुमार तिवारी और श्री गोविंद प्रसाद मिश्र |
(a) नर्मदा
(b) चम्बल
(c) ताप्ती
(d) बेतवा
व्याख्या: (a) 3 मई, 2017 को मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी को जीवित इकाई (Live Entity) तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सुझावानुसार घोषित किया गया है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की प्रथम नदी है, जिसे जीवित इकाई का दर्जा प्रदान किया गया है।
टिप्पणी: मार्च, 2017 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भारत की 2 पवित्र नदियों गंगा व यमुना को जीवित इकाई का दर्जा प्रदान करने का आदेश दिया था।
(a) आयताकार
(b) सलाखें
(c) रेडियल
(d) वृक्ष के समान
व्याख्या: (b) नर्मदा नदी अनुगामी अपवाह (Consequent Drainage Pattern) का उदाहरण प्रस्तुत करती है तथा इसके द्वारा गठित जल निकासी व्यवस्था सलाखें स्वरूप है अर्थात नर्मदा नदी के जल निकासी की संरचनात्मक व्यवस्था एक जाल के समान है, जिसमें इसकी अधिकांश नदियां इसके समांतर प्रवाहित होती हैं, किंतु नर्मदा नदी के पास जल वितरिका की व्यवस्था नहीं है, क्योंकि यह एक भ्रंश घाटी (दरार) के रूप में प्रवाहित होती है।
(a) सोन
(b) समूली
(c) नावेज
(d) महुअर
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में सिंध की सहायक नदी महुअर को मधुमती (मधुवेणी) के नाम से जाना जाता है, जिसका उद्गम शिवपुरी जिले में तेरही नामक स्थान के पास महुआ गांव से होता है तथा यह उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए ग्वालियर में सिंध नदी में समाहित हो जाती है। कासना और बिलरों महुअर नदी की प्रमुख सहायक नदी हैं。
टिप्पणी: महुअर नदी के किनारे मधुतेय बौद्ध मठ, महिषमर्दनी मंदिर एवं कोठिला मठ आदि धार्मिक व दर्शनीय स्थल स्थित हैं。
(a) सिंघ
(b) माही
(c) बेतवा
(d) नर्मदा
व्याख्या: (d) सतपुड़ा मैकाल पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत स्थित प्राचीनतम गोंडवाना राज्य की राजधानी मंडला जिला नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है। मंडला जिला को नर्मदा नदी तीन ओर से कुंडलीनुमा संरचना में घेरती है।
टिप्पणी: नर्मदा नदी के उद्गम स्थान अमरकंटक से 295 किमी. की दूरी पर स्थित मंडला जिले में नर्मदा नदी के किनारे रंगरेजघाट, हनुमानघाट, बेलघाट, श्रृंग ऋषि की तपोस्थली सिंगारपुर, रामनगर महल, फक्कड़बाबा आश्रम, मैलीघाट, बेरपानी घाट, चिरीकुटी आश्रम, चिरईडोंगरी आश्रम, कूम्हाघाट आश्रम, श्री मोहनबाबा आश्रम आदि दर्शनीय व प्रमुख पर्यटन स्थल भी स्थित हैं।
विशेष: मंडला जिले के देवगांव में नर्मदा व बुढ़नेर नदी के संगम पर जगदम्बनी आश्रम स्थित है, जहां पर भगवान परशुराम व जमदागिनी ऋषि ने तपस्या की थी।
(a) वेनगंगा
(b) चंदन
(c) शिवना
(d) समूली
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छपरा नामक स्थान पर वेनगंगा नदी में वर्ष 1972 में भीमगढ़ बांध (संजय सरोवर बांध) निर्मित किया गया है, जो एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध (कीचड़ बांध) है। इसके अतिरिक्त बालाघाट जिले में वेनगंगा नदी पर धुती बांध तथा वेनगंगा की सहायक चंदन नदी में नहलसेरा बांध स्थित है।
(a) ताप्ती
(b) नर्मदा
(c) सोन
(d) खजुराहो
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में 19 किमी. दूर बामन गंगा एवं नर्मदा नदी के संगम पर भेड़ाघाट स्थित है, जिसे पंचवटी के नाम से भी जाना जाता है। भेड़ाघाट में सफेद संगमरमर की चट्टानों के मध्य से नर्मदा नदी का पानी लगभग 100 फुट ऊंचाई से गिरता है और धुंआधार जलप्रपात का निर्माण करता है। धुंआधार जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 30 मीटर है तथा अधिक ऊंचाई से नर्मदा का पानी गिरने के कारण पानी सफेद धुएं के समान उड़ने लगता है, जिसके कारण इस जलप्रपात को धुंआधार जलप्रपात की संज्ञा प्रदान की गई है。
टिप्पणी: जबलपुर में नर्मदा नदी पर स्थित भेड़ाघाट में चौंसठ जोगनी मंदिर स्थित है, जहां शिव-पार्वती जी के विवाह की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। चौंसठ जोगनी मंदिर के चारों तरफ माता यक्षिणी की चौंसठ खंडित मूर्तियां भी स्थित है, जिन्हें मुगलशासक औरंगजेब ने खंडित करवा दिया था। इसके अतिरिक्त ग्वारीघाट में नर्मदा नदी के मध्य मां नर्मदा का मंदिर एवं तिलवाराघाट में शनिधाम मंदिर स्थित है। तिलवाराघाट में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन किया गया था।
(a) ज्वार
(b) बाढ़
(c) नदी का बहाना
(d) पुल
व्याख्या: (a) नर्मदा और ताप्ती तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात) में बहते हुए अरब सागर में खंभात की खाड़ी में समाहित हो जाती हैं। नर्मदा और ताप्ती एक गहरे चैनल के माध्यम से समुद्र में मिलती हैं, उसे ज्वार कहते हैं। नर्मदा नदी गुजरात में 27 किमी. लंबे ज्वारनदमुख (Estuary) का निर्माण करती है।
(a) बंजार
(b) चंबल
(c) नर्मदा
(d) यमुना
व्याख्या: (c) बरगी नर्मदा की एक प्रमुख सहायक नदी है। बरगी एवं नर्मदा नदी का संगम मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के बरगी नामक गांव में होता है। बरगी नदी में नर्मदा घाटी परियोजना के अंतर्गत नर्मदा नदी पर सबसे पहले बांध का निर्माण कार्य वर्ष 1974 में प्रारंभ हुआ, जो वर्ष 1988 में पूर्ण हुआ था।
टिप्पणी: नर्मदा व उसकी सहायक बरगी नदी पर निर्मित बरगी बांध को मध्य प्रदेश के रामगढ़ की वीरांगना रानी अवंतिबाई लोधी के नाम पर रानी अवंतिबाई लोधी सागर नाम प्रदान किया गया है।
(a) ताप्ती
(b) चंबल
(c) नर्मदा
(d) सोन
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में सोन नदी को स्वर्ण नदी के नाम से जाना जाता है। सोन नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक के सोनमुड़ा नामक स्थान से होता है तथा यह उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए बिहार के आरा में रामनगर (दानापुर) के समीप गंगा नदी के दाहिने तट पर मिल जाती है। सोन नदी की कुल लंबाई 780 किमी है, जिसमें मध्य प्रदेश के अंतर्गत लंबाई 509 किमी है।
टिप्पणी: सोन नदी गंगा अपवाह तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण तथा गंगा के दक्षिणी भाग में मिलने वाली सबसे बड़ी नदी है, जो कैमूर श्रेणी एवं छोटा नागपुर पठार के मध्य सीमा बनाती है।
विशेष: सोन नदी को नंद, सोन, सुवर्ण, सोनपालिका, सुभाग्वि, शोणभद्र, सोआ (टॉलमी द्वारा प्रदत्त), हिरण्यवाह आदि नामों से जाना जाता है।
(a) नर्मदा
(b) ताप्ती
(c) कश्यप
(d) सिंधु
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में निमाड़ क्षेत्र के अंतर्गत खरगोन जिले में महेश्वर नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक प्रमुख ऐतिहासिक व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वैदिक व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने असुर शक्तियों का विनाश कर महेश्वर में दिव्यमान होकर रहने लगे थे तब से इस क्षेत्र को महेश्वर के नाम से जाना जाता है। हैयक वंशी राजा महेश्वान ने यहां पर माहिष्मति राज्य की स्थापना करके महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया था। कालांतर में होल्कर शासकों की राजधानी के रूप में भी महेश्वर को जाना जाता है। होल्कर वंश की रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर ने महेश्वर में महेश्वर किले का निर्माण करवाया था।
टिप्पणी: महेश्वर में नर्मदा नदी के मध्य शालीवाहन राजा द्वारा निर्मित शालीवाहन मंदिर स्थित है, जिसे स्थानीय लोगों द्वारा स्वर्ण मंदिर के नाम से भी पुकारा जाता है। इसके अतिरिक्त महेश्वर में नर्मदा नदी के तट पर गंगातखेड़ी शिवलिंग मंदिर स्थित है, जहां मान्यता है कि नर्मदा जी गंगा दशहरे के दिन पूर्ववाहिनी होकर प्रवाहित होती है।
(a) माही
(b) ताप्ती
(c) नर्मदा
(d) चंबल
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर में नर्मदा नदी पर 8 मीटर ऊंचा सहस्त्रधारा जलप्रपात स्थित है। मान्यता है कि राजा सहस्त्र बाहू ने परशुराम जी से युद्ध के दौरान नर्मदा जी को अपने हाथों से रोक लिया था परंतु नर्मदा जी राजा सहस्त्र बाहू के हाथों की उंगलियों के पोर के मध्य से कई धाराओं में बंटकर बहने लगी थी। इसी कारण इस स्थान को सहस्त्र धारा के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में यहां पर राष्ट्रीय व राज्य स्तर की सलालेम प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
टिप्पणी: खरगोन के महेश्वर में नर्मदा नदी के तट पर पेशवा बाजीराव प्रथम का निधन 1740 ई. को हो गया था, जिनकी समाधि यहां पर रावेरखेड़ी के समीप सिंधिया राजा द्वारा निर्मित करवाई गई।
(a) वर्धा
(b) देवनदी
(c) बावनथड़ी
(d) बेनगंगा
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की जीवन रेखा वेनगंगा नदी को कहा जाता है। वेनगंगा नदी की कुल लंबाई 570 किमी है तथा देवनदी, चंदननदी, बावनथड़ी नदी, वर्धा नदी, बाघ नदी, थिर्री नदी, ठेल नदी, पेंच नदी, वाम नदी, सामरथावर नदी, कन्हान नदी, बिजना नदी आदि गंगा की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
टिप्पणी: वेनगंगा की सहायक देवनदी बालाघाट जिले में मलधर जलप्रपात एवं वेनगंगा व कन्हान नदी गांगुलपारा जलप्रपात का निर्माण करती है।
विशेष: वेनगंगा नदी को बेवा, दिदि, वैन्या, बैना, वैणी आदि नामों से जाना जाता है।
(a) सोन और कश्यप
(b) नर्मदा और सोन
(c) नर्मदा और ताप्ती
(d) कावेरी और सिंधु
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में पुष्पराजगढ़ तहसील के अंतर्गत मैकाल श्रेणी में स्थित अमरकंटक क्षेत्र से कुल 5 नदियों क्रमशः नर्मदा, सोन, महानदी, जोहिला, कैवई नदी का उद्गम होता है। मैकाल श्रेणी से सर्वाधिक नदियों का उद्गम होने के कारण इसे वाटरशेड कहा जाता है।
(a) नर्मदा
(b) बेतवा
(c) चंबल
(d) ताप्ती
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में मैकाल श्रेणी के अमरकंटक से उद्गमित होने वाली नर्मदा नदी को सुख का दाता (Giver of Pleasure) कहा जाता है। मैकाल श्रेणी से उद्गमित होने के कारण नर्मदा नदी को मैकाल कन्या भी कहते है। स्कंध पुराण एवं कालीदास के मेघदूतम में नर्मदा को रेवा के नाम से संबोधित किया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है पहाड़ी चट्टानों से कूदने वाली।
टिप्पणी: नर्मदा नदी को पूर्वी या पहाड़ी भाग में रेवा अर्थात उछलने कूदने वाली और पश्चिमी या मैदानी भाग में नर्मदा अर्थात नर्म या सुख देने वाली के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
(a) नर्मदा नदी का उद्गम स्थल
(b) अमरकंटक की एक छोटी नदी
(c) नर्मदा नदी का जल प्रपात
(d) नर्मदा की एक सहायक नदी
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में नर्मदा के उद्गम स्थल से पश्चिम की ओर 6 किमी. दूरी पर नर्मदा नदी द्वारा प्रथम जलप्रपात निर्मित होता है, जिसमें नर्मदा का जल 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है। कपिलधारा जलप्रपात की चौड़ाई 20 फिट है।
टिप्पणी: कपिलधारा से पश्चिम दिशा की ओर लगभग 1 किमी. की दूरी पर दुग्धधारा नामक जलप्रपात स्थित है, जो नर्मदा का द्वितीय जल प्रपात है। दुग्धधारा जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 15 मीटर तथा चौड़ाई 10 फीट है।
(a) जबलपुर
(b) अनूपपुर
(c) रायसेन
(d) खरगोन
व्याख्या: (b) विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के मध्य स्थित अनूपपुर जिले के अमरकंटक में नर्मदा कुंड स्थित है, जहां से नर्मदा नदी का उद्गम होता है। नर्मदा कुंड का निर्माण नागपुर के भोंसले शासको द्वारा करवाया गया था, जिसका जिर्णोद्धार देवी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। नर्मदा कुंड के पास कलचुरीकालीन नर्मदा मंदिर एवं रेवा नायक की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके अतिरिक्त नर्मदा कुंड के समीप विभिन्न देवी-देवताओं के 24 विशालकाय मंदिरों का समूह स्थित है।
(a) ताप्ती
(b) चम्बल
(c) माही
(d) नर्मदा
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में नर्मदा नदी के किनारे माई की बगिया स्थित है। नर्मदा के उद्गम स्थल नर्मदा कुंड व नर्मदा मंदिर से पूर्व दिशा की ओर लगभग किमी. की दूरी पर माई की बगिया नामक मनोरम स्थल स्थित है, जिसे चरणोदक कुंड के नाम से भी जाना जाता है। माई की बगिया के संदर्भ में जनश्रुति प्रचलित है कि नर्मदा जी बाल्यकाल में इस बगिया में अपनी सखी गुलाबकावली के साथ क्रीड़ा किया करती थी।
(a) चम्बल
(b) नर्मदा
(c) शिप्रा
(d) बेतवा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में नर्मदा नदी के किनारे कलचुरी शासक गांगेयदेव तथा कर्ण के समयं अमरकंटक क्षेत्र में स्थापत्यकला एवं धार्मिक क्षेत्र का विकास हुआ है। कलचुरी शासकों ने यहां पर करणठ एवं पातालेश्वर महादेव मंदिर स्थापित किया था。
टिप्पणी: अमरकंटक में नर्मदा नदी के किनारे कबीर चबुतरा आश्रम, कबीर कुंड, धरमपानी कालीमाता मंदिर, भृगु कमंडल, श्री यंत्र मंदिर, मृत्युंजय आश्रम, शांति कुटी, श्री आदिनाथ जैन मंदिर आदि पर्यटन व धार्मिक स्थल स्थित है।
(a) जबलपुर
(b) रायसेन
(c) देवास
(d) हरदा
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के हरदा जिले से 20 किमी. दूरी पर नर्मदा नदी के तट पर इंडिया नामक प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित है, जिसे नर्मदा का नाभि स्थल माना जाता है। यहां पर नर्मदा नदी के किनारे रिद्धनाथ मंदिर स्थित है। इंडिया के दूसरे तट पर देवास जिले के अंतर्गत प्रसिद्ध तीर्थ स्थल नेमावर स्थित है, जिसे नर्मदा नदी का नाभि कुंड कहा जाता है। नेमावर में नर्मदा नदी के तट पर सिद्धेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है।
टिप्पणी: हरदा जिले में नर्मदा नदी के तट पर टिमरनी विकासखंड में गोंगदागांव मठ एवं चीचोटकुटी नामक प्रमुख पर्यटन व धार्मिक स्थल स्थित है।
(a) नर्मदा
(b) शिप्रा
(c) सोनार
(d) जामनेर
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के धार जिले में नर्मदा नदी के तट पर कोटेश्वर कोटडा में मेघनाथ की तपोस्थली स्थित है। यहां पर नर्मदा नदी की सहायक उरी नदी एवं बाघनी नदी का संगम स्थल स्थित है। इसके अतिरिक्त धार जिले में नर्मदा नदी के किनारे खलघाट चिड़ीसंगम शिव मंदिर, बोधवद महादेव एकलबारा मंदिर, अवधूत धाम, नारायण कुटी आदि स्थल स्थित है।
(a) नर्मदा
(b) बेनगंगा
(c) तवा
(d) गंगा
व्याख्या: (a) शक्कर नदी नर्मदा की प्रमुख सहायक नदी है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अमरवाड़ा तहसील के समीप शक्कर का उद्गम होता है तथा यह सतपुड़ा कोयला क्षेत्र से प्रवाहित होते हुए उत्तर में नर्मदा नदी में बायीं ओर से मिल जाती है। शक्कर नदी का नरसिंहपुर जिले में नर्मदा घाटी परियोजना के अंतर्गत चिंकी परियोजना प्रस्तावित है।
टिप्पणी: नरसिंहपुर जिले में नर्मदा व शक्कर नदी के संगम पर प्राचीन संगनेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।
(a) होशंगाबाद
(b) खंडवा
(c) रायसेन
(d) झाबुआ
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में नर्मदा एवं बरना नदी का संगम होता है तथा इस संगम पर वामन तीर्थ नामक धार्मिक स्थल स्थित है। इसके अतिरिक्त रायसेन जिले के पांडवद्वीप में तंदोनी व नर्मदा नदी का संगम होता है।
टिप्पणी: रायसेन जिले में नर्मदा नदी के तट पर ऋषि भृगु की साधना स्थली के रूप में भृगुक्षेत्र, गरुणेश्वर तीर्थ, नारदमुनि की तपोस्थली नारदेश्वर तीर्थ, मंगलेश्वर तीर्थ, केतु की तपोस्थली केतु धाम, विलकेश्वर तीर्थ, जनकेश्वर तीर्थ, रामजानकी मंदिर आदि धार्मिक स्थल स्थित हैं।
(a) अनूपपुर
(b) देवास
(c) डिंडोरी
(d) मंडला
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के देवास जिले में नर्मदा नदी के किनारे सीता माता का प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे लव-कुश की जन्मस्थली भी कहा जाता है। सीता माता मंदिर से 5 किमी. दूरी पर सीता समाधि स्थल व घोड़ापछाड़ नामक स्थान स्थित है, जहां पर लव-कुश ने भगवान श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया था।
टिप्पणी: देवास जिले में नर्मदा नदी के तट पर धर्मेश्वर महादेव मंदिर, बालासुर की तपोस्थली और पांडु पुत्र भीम द्वारा निर्मित कावड़िया पहाड़ स्थित हैं।
(a) माही
(b) ताप्ती
(c) नर्मदा
(d) चम्बल
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में आरावली पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत स्थित सरदारपुर तहसील के मिंडा ग्राम से माही नदी का उद्गम होता है। धार जिले से उद्गमित होने के पश्चात इसके दाहिने तट पर बगेरी नदी मिलती है और यह कर्क रेखा को काटती है। उसके पश्चात रतलाम जिले में प्रवेश करने पर इसका मार्ग उत्तर-पश्चिम हो जाता है तथा राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में माही नदी की अपवाह दिशा पश्चिम की ओर हो जाती है। माही नदी मध्य प्रदेश, राजस्थान में प्रवाहित होते हुए गुजरात में खम्भात की खाड़ी अर्थात अरब सागर में समाहित हो जाती है।
टिप्पणी: माही नदी का प्राचीन नाम महति है तथा इसे पृथ्वी की पुत्री भी कहा जाता है। माही नदी भारत की एकमात्र नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है।
विशेष: माही नदी की कुल लंबाई लगभग 472 किमी. है। इसका कुल अपवाह क्षेत्र 38,699 वर्ग किमी. है, जिसमें 7,188 वर्ग किमी. का अपवाह क्षेत्र मध्य प्रदेश में है। अनस, लरकी, तम्भार, पानम, कून, एवं गोमा आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
(a) छिंदवाड़ा
(b) होशंगाबाद
(c) बालाघाट
(d) बैतूल
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत कालीसिंध पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी मुलताई से ताप्ती नदी का उद्गम होता है। ताप्ती नदी मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के मध्य प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करती है।
टिप्पणी: ताप्ती नदी भ्रंश घाटी में नर्मदा नदी के समानांतर तथा पूर्व से पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती हुई खम्भात की खाड़ी (अरब सागर) में गिरती है। यह अपने मुहाने पर ज्वारनदमुख (Estuary) का निर्माण करती है।
(a) ताप्ती
(b) नर्मदा
(c) बेतवा
(d) माही
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से उद्गमित होने वाली ताप्ती नदी को सूर्य की पुत्री कहा जाता है। महाभारत व वायुपुराण में ताप्ती नदी को सूर्य की पुत्री के रूप में उल्लेखित किया गया है। इसके अतिरिक्त ताप्ती नदी को सूर्यसुता, तापी एवं गर्म जल देने वाली पयोष्णी नाम से जाना जाता है।
टिप्पणी: चंद्रवंशी राजा और ताप्ती नदी का विवाह हुआ था, जिससे कुरु नामक पुत्र की प्राप्ति हुई तथा कुरु ने कुरुवंश की स्थापना की थी।
(a) राजस्थान
(b) उत्तर प्रदेश
(c) महाराष्ट्र
(d) छत्तीसगढ़
व्याख्या: (c) ताप्ती नदी मध्य प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र व गुजरात में प्रवाहित होती है। ताप्ती नदी की कुल लंबाई 724 किमी. (मध्य प्रदेश में 279 किमी., महाराष्ट्र में 270 किमी. तथा गुजरात में 175 किमी.) तथा कुल अपवाह क्षेत्र 64,874 वर्ग किमी. है, जिसमें से 9,804 वर्ग किमी. क्षेत्र मध्य प्रदेश में स्थित है।
टिप्पणी: ताप्ती नदी का अपवाह क्षेत्र अनुगामी अपवाह (Consequent Drainage) का उदाहरण प्रस्तुत करता है। पूर्णा, गिरना, अनेर, अम्बोरा, बाकी, बुरई, तितूर, उतावली कलीभीत, बोरी, पांछरा, शिवा, बाघुड़ आदि ताप्ती की सहायक नदियां हैं।
विशेष: ताप्ती नदी चंबल के बाद मध्य प्रदेश की दूसरी नदी है, जो बीहड़ का निर्माण करती है। ताप्ती नदी द्वारा बैतूल जिले में भैंसदेही पठार के अंतर्गत बीहड़ का निर्माण होता है। इसके अतिरिक्त ताप्ती नदी नर्मदा के अतिरिक्त प्रदेश की दूसरी नदी है, जो पश्चिम दिशा में प्रवाहित होते हुए ज्वारवनमुख (Estuary) का निर्माण करती है।
(a) नर्मदा
(b) ताप्ती
(c) शक्कर
(d) कालीभीत
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में ताप्ती नदी पर 1612 मीटर लंबा एवं 27 मीटर ऊंचा पारसडोह बांध निर्मित किया गया है, जिसकी आधारशिला 15 मई, 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी थी। पारसडोह बांध के अतिरिक्त मध्य प्रदेश में ताप्ती नदी पर चंदुरा बांध (चंदोरा) निर्मित किया गया है।
टिप्पणी: ताप्ती नदी पर गुजरात राज्य में उकाई एवं काकरापार परियोजना निर्मित की गई है। गुजरात में ताप्ती नदी के तट पर स्वाली बंदरगाह भी स्थित है।
विशेष: ताप्ती नदी के तट पर मध्य प्रदेश के बैतूल, मुलताई, नेपानगर, बुरहानपुर एवं गुजरात में सूरत आदि ऐतिहासिक शहर स्थित हैं।
(a) गंगा
(b) गोदावरी
(c) चंबल
(d) यमुना
व्याख्या: (b) पेंच नदी मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी भाग से उद्गमित होती है, जो सिवनी, छिंदवाड़ा जिले में स्थित पेंच राष्ट्रीय उद्यान से प्रवाहित होते हुए नागपुर (महाराष्ट्र) के समीप कन्हान नदी में मिल जाती है तथा कन्हान नदी आगे चलकर गोदावरी नदी में समाहित हो जाती है।
टिप्पणी: पेंच नदी की कुल लंबाई 274 किमी. है तथा मध्य प्रदेश में इसकी लंबाई 206 किमी. है। पेंच नदी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करती है।
(a) मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात
(b) मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं ओडिशा
(c) मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं बिहार
(d) मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान
व्याख्या: (d) चंबल नदी मध्य प्रदेश में नर्मदा के बाद दूसरी बड़ी नदी है, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती है। चंबल नदी मध्य प्रदेश व राजस्थान के मध्य प्राकृतिक सीमा तथा उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करती है। इसके अतिरिक्त यमुना नदी के साथ लश्कर के मैदान की सीमा बनाती है, जिसके अंतर्गत मध्य प्रदेश का ग्वालियर जिला अवस्थित है।
टिप्पणी: चंबल नदी को पश्चिमी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा के नाम से जाना जाता है। चंबल नदी मालवा एवं मध्य भारत क्षेत्र की प्रमुख नदी है।
(a) धार की पहाड़ियों से
(b) महू के निकट जानापाव पहाड़ी से
(c) काकरी इंदौर से
(d) रतलाम के पास से
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के समीप महू तहसील के निकट विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत जानापाव पहाड़ी के बांग्चू प्वाइंट (854 मीटर ऊंचाई) से चंबल नदी का उद्गम होता है। महू से उद्गम होने के पश्चात उत्तर-पश्चिम से पूर्व दिशा में चंबल नदी उज्जैन और रतलाम जिले में प्रवाहित होते हुए मंदसौर की दक्षिणी सीमा बनाती है, उसके पश्चात राजस्थान में प्रवाहित होती है। राजस्थान के कोटा और बूंदी जिले में प्रवाहित होते हुए पुनः दक्षिण-पूर्व दिशा में मध्य प्रदेश में प्रवेश करती है। मध्य प्रदेश में चंबल नदी मुरैना व भिंड जिले की सीमा में उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी पर मिल जाती है।
(a) बेतवा
(b) पार्वती
(c) कालीसिंध
(d) शिप्रा
व्याख्या: (a) चंबल गंगा-यमुना अपवाह तंत्र के अंतर्गत यमुना की प्रमुख सहायक एवं मध्य प्रदेश की दूसरी बड़ी नदी है। चंबल की सहायक नदियां क्रमश: कालीसिंध, शिप्रा, पार्वती, कूनो, क्वांरी, कुंद (गुना.), कुराई, बामनी, मेज, बनासा आदि है अर्थात उपरोक्त विकल्पों में बेतवा नदी चंबल की सहायक नदी नहीं है।
(a) पार्वती
(b) तवा
(c) चंबल
(d) चंद्रशेखर
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में चंबल नदी को प्राचीन समय में चर्मावती के नाम से जाना जाता है। महाभारत में राजा रंतिदेव द्वारा अतिथियों के सत्कार के लिए बलिदान की गई गायों के चर्म से जो खून बहा उनसे ही चर्मण्वती (चंबल) का उद्गम हुआ है। मेघदूत में कालीदास ने चंबल नदी का उल्लेख राजा रंतिदेव की कीर्तिकोटि एवं रंतिदेव की कीर्ति के रूप में किया है।
टिप्पणी: चंबल नदी को चर्मावती, चर्मवती, चर्मण्वती, धर्मावती, कामधेनु आदि नामों से भी जाना जाता है।
(a) चंबल
(b) नर्मदा
(c) सोन
(d) स्वर्ण
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में चंबल प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है, जिसका कुल अपवाह क्षेत्र 43200 वर्ग किमी. एवं लंबाई 965 किमी. है। मध्य प्रदेश में चंबल नदी की लंबाई 325 किमी. है तथा इसके अपवाह क्षेत्र के अंतर्गत इंदौर, धार, रतलाम, मंदसौर, श्योपुर, भिंड, मुरैना आदि जिले सम्मिलित हैं।
(a) सीतारेवा
(b) पेंच
(c) बोदरी
(d) कुल्बेहरा
व्याख्या: (d) कुल्बेहरा नदी को छिंदवाड़ा जिले की जीवन रेखा कहा जाता है। कुल्बेहरा नदी मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की उमरेठ तहसील से उद्गमित होती है, जो छिंदवाड़ा जिले के दक्षिण-पूर्वी भाग से प्रवाहित होती हुई 80 किमी. की दूरी तय करने के पश्चात बीसापुर, चांद के उत्तरी भाग से होती हुई पेंच नदी में समाहित हो जाती है। उमरानाला एवं बोदरी कुल्बेहरा नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
(a) टोंस
(b) सोन
(c) चंबल
(d) केन
व्याख्या: (c) चंबल एक अध्यारोपित नदी (Superimposed River) है, जो अपने मध्य भाग में उत्खात भूमि वाली स्थलाकृति का निर्माण करती है, जिसे चम्बल की घाटी (Ravine of Chambal) कहा जाता है। मध्य प्रदेश में चंबल नदी ग्वालियर, भिंड, मुरैना, श्योपुर तथा राजस्थान की भरतपुर, धौलपुर के निकटवर्ती क्षेत्रों में उत्खात भूमि (बीहड़) का निर्माण करती है।
(a) महाराष्ट्र
(b) उत्तर प्रदेश
(c) गुजरात
(d) राजस्थान
व्याख्या: (b) केन यमुना की सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के मध्य प्रवाहित होती है। केन नदी की कुल लंबाई 427 किमी. है, जिसमें 292 किमी. मध्य प्रदेश में, 51 किमी. मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की सीमा पर तथा 84 किमी. उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती है।
(a) बेतवा
(b) चंबल
(c) सोन
(d) केन
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में केन नदी का प्राचीन नाम कर्णवती के रूप में प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त केन नदी के अन्य नाम शुक्तिमती, दिर्णावती, श्रवेनी, कैनास एवं कियाना भी प्राप्त होते हैं।
(a) केन
(b) बंजर
(c) चरणगंगा
(d) हालोन
व्याख्या: (a) केन नदी को मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित बुंदेलखंड पठार की प्रमुख नदी होने के साथ-साथ पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की जीवन रेखा का दर्जा प्राप्त है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत केन नदी लगभग 55 किमी. दक्षिण से उत्तर की दिशा में प्रवाहित होती है।
टिप्पणी: पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में केन एवं उसकी सहायक नदियां द्वारा पांडव जल प्रपात का भी निर्माण होता है।
(a) चंबल और सिंघ
(b) बेतवा और केन
(c) केन और खहर
(d) सिंध और केन
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो से लगभग 22 किमी. दूरी पर केन और खद्दर नदी द्वारा रनेह जलप्रपात का निर्माण होता है। वर्ष 2017 में खजुराहो स्थित रनेह जलप्रपात को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन के रूप में पुरस्कृत किया गया है।
टिप्पणी: छतरपुर जिले में केन और खद्दर नदी प्रमुख नदियां हैं, जो यमुना की सहायक नदियां हैं। छतरपुर जिले में खजुराहो के मंदिरों के अंतर्गत सम्मिलित दूल्हादेव मंदिर खद्दर नदी के किनारे स्थित है।
विशेष: केन नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा गाथा जलप्रपात भी निर्मित होता है।
(a) खद्दर
(b) केन
(c) ताप्ती और नर्मदा
(d) यमुना
व्याख्या: (b) अजयगढ़ किले के समीप केन नदी को देखा जा सकता है। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में केन नदी के पूर्वांचल में डंगई परिक्षेत्र के अंतर्गत केदार पर्वत पर अजयगढ़ का किला स्थित है।
टिप्पणी: अजयगढ़ किले की वास्तुकला, स्थापत्य कला की तुलना खजुराहो के मंदिरों से की जाती है तथा इसे मदर ऑफ खजुराहो भी कहा जाता है। अजयगढ़ किले के बीचो-बीच अजयपाल नामक झील भी स्थित है।
(a) वर्धन शिखर
(b) मैकाल श्रेणी
(c) महादेव श्रेणी
(d) कैमूर श्रेणी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश में कटनी जिले की रीठी तहसील के समीप विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के कैमूर श्रेणी के दमोह पहाड़ी क्षेत्र से केन नदी का उद्गम होता है। केन नदी पन्ना जिले के दक्षिण क्षेत्र से प्रवाहित होते हुए पन्ना और छतरपुर जिले की सीमा बनाती है तथा उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चिला गांव के समीप भोजहा नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है।
टिप्पणी: केन नदी में पन्ना जिले के अजयगढ़ से लेकर बांदा के कनवारा गांव तक प्रचुर मात्रा में शजर नामक बहुमूल्य पत्थर पाया जाता है, जो ईरान देश को निर्यात किया जाता है।
(a) बेतवा
(b) केन
(c) चंबल
(d) ताप्ती
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश में कैमूर श्रेणी से उद्गमित होने वाली केन यमुना की सहायक नदी है, जिसकी कोपरा, व्यामा, वियरना (व्यारमा), श्यामरी, मिढ़ासन, सोनार, बेवस, बघनेरी, बाना, उर्मिल आदि सहायक नदियां हैं।
टिप्पणी: केन की सहायक रनगवां नदी पर वर्ष 1957 में रनगवां बांध तथा वर्ष 1901-15 में केन और सिमरी नदी के संगम पर गंगऊ बांध व बरियारपुर बांध निर्मित किया गया है।
(a) जामनी
(b) ताप्ती
(c) नर्मदा
(d) गंभीर
व्याख्या: (a) जामनी बेतवा की एक सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवाहित होती है। जामनी नदी का उद्गम सागर जिले से होता है तथा यह दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होते हुए निवाड़ी जिले के समीप 201 किमी. की दूरी तय करने के पश्चात ओरछा के समीप बेतवा नदी में मिल जाती है।
टिप्पणी: बेतवा की सहायक नदी जामनी में जमुनिया गांव के समीप वर्ष 1962-72 में जामनी बांध का निर्माण किया गया है, जिसकी लंबाई 6.40 किमी., ऊंचाई 19.18 मीटर तथा कुल जल भंडारण क्षमता 92.89 क्यूसेक मीटर है।
(a) केन
(b) पानवती
(c) पहुज
(d) चंबल
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले से सिंध की सहायक पहुज नदी का उद्गम होता है, जो मध्य प्रदेश के दतिया, टीकमगढ़, निवाड़ी एवं उत्तर प्रदेश की झांसी जिले से प्रवाहित होती है। दतिया जिले का प्रसिद्ध बालाजी सूर्य मंदिर पहुज नदी के किनारे स्थित है तथा झांसी में पहुज नदी पर पहुज बांध का निर्माण किया गया है।
(a) बेतवा नदी
(b) चंबल नदी
(c) केन नदी
(d) पार्वती
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत जसरथ पर्वत से उद्गमित होने वाली धसान नदी बेतवा की सहायक नदी है, जिसे दर्शाण नदी के नाम से भी जाना जाता है। धसान नदी झांसी, हमीरपुर व जालौन जिले के संधि स्थल जिगनी के समीप बेतवा के बायें तट पर जाकर मिल जाती है।
टिप्पणी: धसान नदी में बीला (कथने), तरपे नरकेर नदी दाहिने तट पर तथा नरोसा, सुपियार, उर सूरवानी, लखेरी छोछ नदी बायें तट पर मिलने वाली सहायक नदियां हैं।
विशेष: मध्य प्रदेश के सागर जिले के बंडा तहसील में गोंड शासक सूरतशाह द्वारा निर्मित धामोनी का दुर्गं धसान नदी के किनारे स्थित है।
(a) शिप्रा
(b) चंबल
(c) देनवा
(d) महानदी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित मैकाल श्रेणी के अमरकंटक क्षेत्र से महानदी का उद्गम होता है, जो दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रवाहित होते हुए पाराद्वीप (उड़ीसा) के समीप बंगाल की खाड़ी में मिलती है। महानदी एक अनुवर्ती नदी है, जिसकी अपवाह द्रोणी का 53 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ तथा 47 प्रतिशत भाग उड़ीसा में स्थित है।
टिप्पणी: मध्य प्रदेश में महानदी के अपवाह तंत्र में अनूपपुर जिले की हंसदो तथा टांडा नदी सम्मिलित है।
विशेष: महानदी का उद्गम स्थल वर्तमान में छत्तीसगढ़ का सिहोवा नामक स्थान है, जो अमरकंटक क्षेत्र के अंतर्गत स्थित है।
(a) सोन
(b) चंबल
(c) केन
(d) बेतवा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में रायसेन व सागर जिले के मध्यवर्ती निचली पहाड़ी क्षेत्र से उद्गमित होने वाली सोनार नदी प्रमुख रूप से केन की सहायक नदी है। सोनार नदी को सुनार नदी के नाम से भी जाना जाता है तथा इसकी कुल लंबाई 186.7 किमी. है।
टिप्पणी: सोनार नदी की सहायक नदियों के रूप में दाहिने तट पर कोपरा व व्यारमा नदी तथा बाये तट पर बेवस नदी मिलती है।
(a) मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़
(b) मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश
(c) मध्य प्रदेश और गुजरात
(d) मध्य प्रदेश और राजस्थान
व्याख्या: (b) बेतवा नदी यमुना की सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के मध्य प्रवाहित होती है। बेतवा नदी की कुल लंबाई 480 किमी. है, जिसमें मध्य प्रदेश के अंतर्गत बेतवा नदी की लंबाई 380 किमी. है। बेतवा नदी का अधिकांश जलग्रहण क्षेत्र पूर्वी मालवा है बेतवा नदी का कुल जलग्रहण क्षेत्र 43,895 वर्ग किमी. है, जिसमें 30217 वर्ग किमी. मध्य प्रदेश में है।
टिप्पणी: धसान, बीना, बेस, जामनी, केन, मालनी आदि बेतवा की प्रमुख सहायक नदियां हैं।
(a) नर्मदा
(b) चंबल
(c) सिंघ
(d) बेतवा
व्याख्या: (d) पुराणों एवं साहित्यिक कृतियों में बेतवा नदी को वेत्रावती नाम प्रदान किया गया है। वराह पुराण में वेत्रावती (बेतवा नदी) को भागीरथी नदी (गंगा) के समान पवित्र एवं श्रेष्ठ बताया गया है। इसके अतिरिक्त पद्म पुराण में वृत्रासुर नामक राक्षस द्वारा कुआं खोदकर बेतवा नदी को प्रवाहित करने का उल्लेख प्राप्त होता है।
टिप्पणी: बाणभट्ट की कादंबरी और कालीदास के मेघदूत में भी बेतवा नदी का बेस एवं वेत्रावती के रूप में उल्लेख प्राप्त होता है।
विशेष: बेतवा नदी के अन्य नाम शिव की पुत्री, वेस, विध्याटवी, बुंदेलखंड की जीवनरेखा, मध्य प्रदेश की गंगा आदि है।
(a) बेतवा
(b) चंबल
(c) शिप्रा
(d) सोन
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत यमुना नदी के दक्षिण में बेतवा नदी के किनारे चेदि राज्य स्थित था। चेदि राज्य का विस्तार सोनभद्र घाटी से लेकर नर्मदा घाटी के मध्य तक था, जिसके मध्य से वेत्रावती (बेतवा) एवं शुक्तिमती (केन) नदी प्रवाहित होती है।
टिप्पणी: प्राचीन विदिशा नगरी (बेस नगर) में बेतवा और बेस नदी के संगम का भी उल्लेख प्राप्त होता है।
विशेष: चंदि राज्य का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय तथा जैन ग्रंथ भगवती सूत्र से प्राप्त होता है।
(a) अरावली पहाड़ियों से
(b) सतपुड़ा पहाड़ियों से
(c) विंध्यन पहाड़ियों से
(d) पश्चिमी घाट से
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में बेतवा नदी का उद्गम रायसेन जिले में अब्दुल्लागंज के समीप विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत घोड़ीदंत पहाड़ी (642.2 मीटर) से रातापानी अभयारण्य के अंतर्गत कुमरागांव के समीप झिरी ग्राम से होता है तथा बेतवा नदी उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी में समाहित हो जाती है।
टिप्पणी: बेतवा नदी के उद्गम स्थल झिरी गांव के पास वर्ष 1975 में श्री शंकर तिवारी ने प्रागैतिहासिक शैलाश्रय व प्राचीन पत्थर के औजारों की खोज की थी।
(a) नर्मदा
(b) बेतवा
(c) चंबल
(d) शिप्रा
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश का विदिशा जिला बेतवा नदी के तट पर स्थित है। इसके अतिरिक्त बेतवा नदी के किनारे रायसेन, विदिशा, भोपाल (उत्तर-पूर्व), अशोकनगर, निवाड़ी, टीकमगढ़ आदि जिले स्थित है।
टिप्पणी: बेतवा नदी के तट पर सांची, भोजपुर, विदिशा, ओरछा, चंदेरी आदि ऐतिहासिक व पवित्र स्थल स्थित है।
विशेष: बेतवा नदी के किनारे रायसेन जिले में उत्तर भारत का सबसे बड़ा शिवलिंग भोजपुर मंदिर तथा साईक्लोपिअन बांध स्थित है।
(a) जामनी
(b) रीवा
(c) तवा
(d) थाल
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में बेतवा की सहायक हलाली नदी पर हलाली परियोजना स्थित है। इसे अशोक सागर परियोजना भी कहा जाता है। हलाली नदी का शाब्दिक अर्थ है कत्ल की नदी। इसके अतिरिक्त हलाली नदी को स्थानीय लोगो द्वारा बाणगंगा एवं थाल नदी भी कहा जाता है।
(a) चंबल
(b) बेतवा
(c) नर्मदा
(d) यमुना
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में बुंदेला राजाओं की राजधानी ओरछा में बेतवा नदी के तट पर कंचन (कंचना) घाट स्थित है। इसके अतिरिक्त ओरछा में बेतवा नदी के तट पर जहांगीर महल, रायप्रवीण महल, पालकी महल, बुंदेलकालीन छतरियां, रामराजा मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, चन्द्रशेखर आजाद गुफा, महात्मा गांधी का अस्थि विसर्जन स्थल आदि स्थित है।
टिप्पणी: निवाड़ी जिले से लगभग 48 किमी. की दूरी पर देवगढ़ नामक स्थान स्थित है, जिसे बेतवा का आइसलैंड कहा जाता है। यहां पर बेतवा नदी के किनारे देवगढ़ किला, 19 मान स्तम्भ और देवगढ़ के किलें की दिवारों में उत्कीर्ण 200 शिलालेख स्थित है। इसके अतिरिक्त दशावतार मंदिर, रणछौर मंदिर स्थित है।
विशेष: बेतवा नदी पर मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश की सीमा पर परीछा बांध, माताटीला बांध एवं दुकवां बांध के निर्माण के कारण वर्तमान में देवगढ़ एवं देवगढ़ का किला पूर्णरूप से अस्तित्व विहिन अर्थात बेतवा नदी के जल में समाहित है।
(a) बेतवा
(b) ताप्ती
(c) नर्मदा
(d) चंबल
व्याख्या: (a) बेतवा नदी यमुना की प्रमुख सहायक एवं बुंदेलखंड पठार की सबसे प्रमुख नदी है, जिसे मध्य प्रदेश की गंगा तथा बुंदेलखंड की जीवनरेखा के नाम से जाना जाता है। बेतवा नदी को वराह पुराण में भागीरथी (गंगा) के समान पवित्र एवं श्रेष्ठ नदी बताया गया है, जिसके कारण बेतवा नदी को मध्य प्रदेश की गंगा कहा जाता है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश की गंगा कहने के संदर्भ में महत्वपूर्ण तर्क बेतवा नदी का प्रदूषण स्तर है। बेतवा नदी वर्तमान में बुंदेलखंड क्षेत्र की सर्वाधिक प्रदूषित नदी है।
(a) जामनी
(b) तवा
(c) सिंघ
(d) तमसा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश में सिंध नदी गुना जिले को 2 भागों में विभाजित करती है। सिंध नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में सिरोंज तहसील के समीप होता है तथा यह उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी में समाहित हो जाती है। मध्य प्रदेश में नन, कुंद और महुअर सिंध की सहायक नदियां हैं।
(a) छिंदवाड़ा
(b) नरसिंहपुर
(c) बैतूल
(d) सिवनी
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश में सीतारेवा नदी नर्मदा की प्रमुख सहायक नदी है, जिसका उद्गम छिंदवाड़ा जिले के छींदगांव से होता है तथा नरसिंहपुर जिले के गडरवाड़ा में सीतारेवा नदी नर्मदा नदी में मिल जाती है।
टिप्पणी: सीतारेवा नदी को स्थानीय स्तर पर वराही गंगा के नाम से जाना जाता है तथा इसे मध्य प्रदेश की श्रापित नदी भी कहा जाता है। सीतारेवा नदी पर छिंदवाड़ा जिले में सावलखेड़ा बांध निर्माणाधीन है।
(a) रीवा
(b) सीधी
(c) सतना
(d) दतिया
व्याख्या: (a) मध्य प्रदेश के रीवा जिले में सिरमौर विकासखंड के चचाई ग्राम में टोंस (तमसा) की सहायक बीहर नदी पर मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा चचाई जलप्रपात स्थित है, जो 130 मीटर ऊंचा (430 फिट), 115 मीटर गहरा एवं 175 मीटर चौड़ा है। मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात होने के कारण चचाई जलप्रपात को मध्य प्रदेश का नियाग्रा जलप्रपात कहा जाता है।
टिप्पणी: वर्ष 1957 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चचाई जलप्रपात का दौरा किया था और मध्य प्रदेश के नियाग्रा जलप्रपात की संज्ञा प्रदान की थी। इसके अतिरिक्त प्रख्यात समाजवादी नेता, चिंतक व लेखक डॉ. राममनोहर लोहिया के गद्य लेखन एवं अध्ययन की साधना स्थली भी चचाई जलप्रपात रहा है।
विशेष: वर्ष 2016-17 में नवीनतम आंकड़ों के अनुसार चचाई जलप्रपात के स्थान पर बेहुटी जलप्रपात को मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात माना जाता है। अतः उपरोक्त प्रश्न का उत्तर प्रश्न की प्रकृति व विकल्पों एवं आंकड़ों के आधार पर प्रदान किया जा सकता है।
(a) टोंस नदी
(b) ओदा नदी
(c) केन नदी
(d) महाना नदी
व्याख्या: (b) मध्य प्रदेश के रीवा जिले में नईगढ़ी तहसील के अंतर्गत टोंस की सहायक ओदा (ओड्डा) नदी पर बेहुटी जलप्रपात स्थित है, जिसकी ऊंचाई 142 मीटर (446 फिट) है।
टिप्पणी: वर्ष 2016-17 से मध्य प्रदेश के सबसे ऊंचे जलप्रपात के रूप में ताजपोषित रह चुके चचाई जलप्रपात के स्थान पर बेहुटी जलप्रपात को मध्य प्रदेश के नवीनतम सबसे बड़े जलप्रपात के रूप में जाना जाता है। उपरोक्त प्रश्न का उत्तर वर्ष 2015-16 के आंकड़ों पर आधारित था, जिसका उत्तर आद्यतन नवीन आंकड़ों व प्रश्न की प्रकृति के आधार पर प्रदत्त किया जा सकता है।
(a) शिप्रा
(b) चम्बल
(c) महाना
(d) केन
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के रीवा जिले में सिरमौर विकासखंड क्षेत्र में बदरहा घाटी क्षेत्र के अंतर्गत टोंस नदी (तमसा) की सहायक महाना नदी पर क्योटि जलप्रपात स्थित है, जिसकी कुल ऊंचाई 98 मीटर (322 फिट) है। क्योटि जलप्रपात को ऊंचाई के आधार पर भारत का 24वां बड़ा जलप्रपात माना जाता है।
जलप्रपात | नदी | जिला |
---|---|---|
चचाई जलप्रपात | बीहर नदी | रीवा |
पुरवा जलप्रपात | तमसा नदी | रीवा |
बेहुटी जलप्रपात | ओदा नदी | रीवा |
क्योटी जलप्रपात | महाना नदी | रीवा |
बेलौही जलप्रपात | गोरमा नदी | रीवा |
(a) समूली नदी
(b) अंसर नदी
(c) चंबल नदी
(d) शिवना नदी
व्याख्या: (d) मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है। शिवना नदी चंबल की प्रमुख सहायक नदी है, जिसका उद्गम राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के अरनोद तहसील में स्थित शिवना नामक ग्राम से होता है। शिवना नदी मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिम में स्थित रतलाम, मंदसौर जिले में प्रवाहित होती है, जिसकी सोमली, रेतम, तथा गीड़ सहायक नदियां हैं।
(a) मटकई हिल्स
(b) होशंगाबाद
(c) सतना
(d) शाहपुरा
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के सतना जिले में मैहर तहसील के झुलेरी गांव के समीप विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की कैमूर पहाड़ी से तमसा नदी का उद्गम होता है, जिसे ताओन एवं तमसा (टोंस) नाम से जाना जाता है। तमसा (टॉस) नदी सतना से उद्गमित होने के पश्चात उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में सिरसा नामक स्थान पर गंगा नदी में मिल जाती है।
टिप्पणी: तमसा (टोंस) नदी की कुल लंबाई 320 किमी है तथा बीहड़, बैलन, महाना, ओदा आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं。
विशेष: तमसा (टोंस) नदी रीवा जिले में सेमरिया तहसील से 18 किमी दूर बसामन मामा नामक प्रमुख पर्यटन स्थल के समीप 70 मीटर ऊंचे पुरवा जलप्रपात का निर्माण करती है।
(a) चंबल
(b) नर्मदा
(c) तवा
(d) ताप्ती
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बांद्राभान में तवा नदी पर प्रदेश का सबसे बड़ा नदी पुल स्थित है। तवा नदी पर मध्य प्रदेश का सबसे लंबा नदी पुल वर्ष 1980 में निर्मित किया गया था, जिसकी चौड़ाई 8 मीटर तथा लंबाई 1130 मीटर है, किंतु वर्ष 2009 में शिवपुरी जिले में सिंध नदी के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग-27 पर 2.5 किमी लंबा नदी पुल निर्मित किया गया है, जो वर्ष 2020-21 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा नदी पुल है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2019-20 में चंबल नदी पर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में मल्हारगढ़ तहसील के ग्राम संजीत से बालौदा के मध्य ₹438 करोड़ की लागत से 4310 मीटर लंबा नदी पुल का निर्माण प्रस्तावित किया गया है।
टिप्पणी: उपरोक्त प्रश्न का उत्तर तत्कालीन आंकड़ों पर आधारित था, जिसका उत्तर आद्यतन नवीन आंकड़ों व प्रश्न की प्रकृति के आधार पर प्रदत्त किया जा सकता है।
(a) भोपाल
(b) रायसेन
(c) विदिशा
(d) सीहोर
व्याख्या: (d) हलाली नदी को कई अन्य नामों बाणगंगा, बेस, और थाल के नाम से पुकारा जाता है। वह सीहोर जिले के परवलिया ग्राम के पास से उद्गमित होती है और उत्तर-पूर्व की ओर बहती है। वह एक संकरी किंतु गहरी घाटी से होती हुई रायसेन जिले से होकर विदिशा के मैदानी भाग में प्रवेश करती है और वह रायसेन तथा विदिशा जिलों के मध्य 22 किमी. की सीमा रेखा भी बनाती है। यह नदी विदिशा से 3 किमी. उत्तर में बेतवा नदी में समाहित हो जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 65 किमी. है, जिनमें से 15 किमी. लंबाई जिले की सीमाओं के भीतर है।
टिप्पणी: यह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के समीपवर्ती क्षेत्र में बेतवा की प्रमुख सहायक नदी है। इस नदी पर सांची के समीप सम्राट अशोक सागर परियोजना के तहत एक विशाल बांध बना है, जिसे सम्राट अशोक सागर बांध अथवा हलाली बांध के नाम से जाना जाता है। यह बांध लगभग 945 मीटर लंबा और 29.57 मीटर ऊंचा है। इस बांध के परियोजना क्षेत्र का जलग्रहण क्षेत्र लगभग 699 वर्ग किमी. है।
(a) झिलमिल
(b) जामनी
(c) पैसुनी
(d) गोपद
व्याख्या: (c) मध्य प्रदेश की पैसुनी नदी के तट पर भगवान श्री राम ने अपने वनवास काल का कुछ समय व्यतीत किया था। इस नदी को मंदाकिनी नदी के नाम से भी जाना जाता है। पैसुनी नदी विंध्य क्षेत्र के सतना जिले की डागरी पहाड़ी से उद्गमित होकर उत्तर-पूर्व की ओर सतना जिले से 44 किमी. तक प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रविष्ट होकर करवई के समीप यमुना नदी में समाहित हो जाती है। मध्य प्रदेश में इस नदी का जलग्रहण क्षेत्र सतना जिले के अंतर्गत आता है, जो लगभग 400 वर्ग किमी. में विस्तृत है।
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